पंजाब पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन ने दो ट्रैवल एजेंटों को गिरफ्तार किया है जो अवैध रूप से लोगों को कंबोडिया और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भेज रहे थे। यह दावा पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस बारे में पोस्ट करके जानकारी दी। आरोपियों की पहचान अमरजीत सिंह और उसके भाई गुरजोध सिंह के रूप में हुई है। वह मोहाली में वीजा पैलेस इमिग्रेशन के मालिक हैं। उनका कहना है कि अन्य ट्रैवल एजेंटों की पहचान के लिए जांच जारी है। लोगों को किसी भी स्तर पर ठगने नहीं दिया जाएगा। जरूरतमंद लोगों को बनाया शिकार जांच में पता चला है कि आरोपी भोले- भाले लोगों को डाटा एंट्री की नौकरियों का लालच दे कर पंजाब से कंबोडिया भेजते थे। कंबोडिया में मियाम रीप पहुंचने पर उनके पासपोर्ट छीन लिए जाते थे । फिर उनको साइबर सकैमिंग काल सैंटरों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है जिससे साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड के लिए भारतीय लोगों को निशाना बनाया जा सके। साइबर गुलामी का शिकार हुए कई युवा पुलिस की प्राथमिक जांच से पता लगा है कि आरोपियों ने कई व्यक्तियों को धोखे के साथ कंबोडिया और अन्य दक्षिण- पूर्वी एशियाई देशों में भेजा है। जहां उनसे भारतीयों के साथ साइबर सकैमिंग वाले केन्द्रों में ज़बरदस्ती काम करवाया जाता है। साइबर ग़ुलामी में फंसे अन्य व्यक्तियों के विवरण प्राप्त किए जा रहे है और उन पीडितों और उनके परिवारों के साथ संपर्क कायम करने की कोशिश की जा रही है। पीड़ित भारतीय दूतावास के संपर्क में आए
डीजीपी ने बताया कि कंबोडिया स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में आने वाले पीड़ित की जानकारी के बाद स्टेट साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने एफआईआर दर्ज करके इस केस की जांच शुरू कर दी है। इस संबंधी आइपीसी की धारा 370, 406, 420 और 120- बीजा और इमीग्रेशन एक्ट की धारा 24 के तहत स्टेट क्राइम पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है। पंजाब पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन ने दो ट्रैवल एजेंटों को गिरफ्तार किया है जो अवैध रूप से लोगों को कंबोडिया और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भेज रहे थे। यह दावा पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस बारे में पोस्ट करके जानकारी दी। आरोपियों की पहचान अमरजीत सिंह और उसके भाई गुरजोध सिंह के रूप में हुई है। वह मोहाली में वीजा पैलेस इमिग्रेशन के मालिक हैं। उनका कहना है कि अन्य ट्रैवल एजेंटों की पहचान के लिए जांच जारी है। लोगों को किसी भी स्तर पर ठगने नहीं दिया जाएगा। जरूरतमंद लोगों को बनाया शिकार जांच में पता चला है कि आरोपी भोले- भाले लोगों को डाटा एंट्री की नौकरियों का लालच दे कर पंजाब से कंबोडिया भेजते थे। कंबोडिया में मियाम रीप पहुंचने पर उनके पासपोर्ट छीन लिए जाते थे । फिर उनको साइबर सकैमिंग काल सैंटरों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है जिससे साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड के लिए भारतीय लोगों को निशाना बनाया जा सके। साइबर गुलामी का शिकार हुए कई युवा पुलिस की प्राथमिक जांच से पता लगा है कि आरोपियों ने कई व्यक्तियों को धोखे के साथ कंबोडिया और अन्य दक्षिण- पूर्वी एशियाई देशों में भेजा है। जहां उनसे भारतीयों के साथ साइबर सकैमिंग वाले केन्द्रों में ज़बरदस्ती काम करवाया जाता है। साइबर ग़ुलामी में फंसे अन्य व्यक्तियों के विवरण प्राप्त किए जा रहे है और उन पीडितों और उनके परिवारों के साथ संपर्क कायम करने की कोशिश की जा रही है। पीड़ित भारतीय दूतावास के संपर्क में आए
डीजीपी ने बताया कि कंबोडिया स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में आने वाले पीड़ित की जानकारी के बाद स्टेट साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने एफआईआर दर्ज करके इस केस की जांच शुरू कर दी है। इस संबंधी आइपीसी की धारा 370, 406, 420 और 120- बीजा और इमीग्रेशन एक्ट की धारा 24 के तहत स्टेट क्राइम पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है। पंजाब | दैनिक भास्कर