खुद को ब्रह्मांड का महानायक बोलता था, अब कहां है?:हाथरस हादसे में अपने भतीजे-भतीजी खोने वाली शोभा बोली- ‘परमात्मा’ पर कार्रवाई हो

खुद को ब्रह्मांड का महानायक बोलता था, अब कहां है?:हाथरस हादसे में अपने भतीजे-भतीजी खोने वाली शोभा बोली- ‘परमात्मा’ पर कार्रवाई हो

मैं ढाई घंटे तक पानी भरे गड्ढे में पड़ी रही। दो बच्चे साथ थे। मैं लोगों के पैर छूकर कहती रही कि हमारे ऊपर से न निकलो। मेरे दोनों बच्चे मर गए। इसके लिए कमेटी वाले और परमात्मा जिम्मेदार है। जब वो खुले शब्दों में यह कह सकता है कि मैं कुल ब्रह्मांड का मालिक हूं, महानायक हूं। कुछ भी कर सकता हूं। फिर कहां चला गया ये परमात्मा? कहता था- रोते हुए आओगे-हंसते हुए जाओगे। हम तो हंसते हुए गए थे, अब रोते हुए वापस आए हैं। यह कहना है शाहजहांपुर में रहने वाली शोभा का। शोभा अब भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार पर कार्रवाई की मांग कर रही हैं। उनका कहना है- मुझे नहीं पता था कि परमात्मा इतना बड़ा अन्याय करेंगे। कमेटी वाले और बाबा दोनों पर कार्रवाई होनी चाहिए। आप, जब जिम्मेदारी नहीं संभाल सकते तो इतना बड़ा कार्यक्रम क्यों किया? शोभा के परमात्मा कहने का मतलब भोले बाबा से है। शोभा ही नहीं, हाथरस कांड के ज्यादातर पीड़ितों का दर्द अब भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार के खिलाफ आक्रोश में बदल रहा है। इस हादसे में 122 लोगों की मौत हुई। किसी ने पत्नी खोई, तो किसी ने अपने बच्चे। लाशों के ढेर में लोग अपनों की तलाश करते रहे। यूपी के अलग-अलग जिलों के करीब 100 परिवारों के घर पर मातम पसरा हुआ है। 22 परिवार ऐसे हैं, जिनके दो या तीन परिजन हादसे का शिकार हुए। हादसे की 5 गमगीन कहानियां सामने आई हैं…
इस हादसे में अपनों को खोने वालों की गमगीन कहानियां हैं। झकझोर देने वाले आंसू हैं। पोस्टमॉर्टम हाउस में चीख-पुकार मची है। जिनकी शिनाख्त हो चुकी है, उनका पोस्टमॉर्टम हुआ। लाश काले रंग के बैग में डिस्पोज कर घरवालों को सौंपी गई। इन्हीं बैग को खोलकर देखते हुए एक युवक चीखते हुए बोला- अरे भाई, जरा रुक जाओ, कहीं ये मेरी बहन तो नहीं…। तो कोई अपनी पत्नी के सिर को गोद में रखकर रोता दिखा। इस हादसे में सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों की मौत हुई है। हादसे के बाद दैनिक भास्कर ने पीड़ितों से बात की। 1. बुआ बोली- मेरे सामने भतीजे-भतीजी की मौत हो गई, परमात्मा जिम्मेदार है शाहजहांपुर के थाना कांट क्षेत्र के भगौली गांव पड़ता है। मूलरूप से यहां रहने वाले आनंद अपनी पत्नी दुर्गेश, दो बेटों आयुष, आरुष और बेटी काव्या के साथ जयपुर में रहते हैं। सोमवार को वह अपनी बहन शोभा के साथ हाथरस आए थे। साथ में दो बच्चे आयुष और काव्या भी थे। शोभा बताती हैं- परमात्मा 12 बजे आए थे। एक बजे आरती कराई और चले गए। पहले 3 बजे और फिर शाम 5 बजे तक आरती समापन होता था। हाईवे था, हाईवे के नीचे खंदी थी। उसमें पानी भरा था। जब तुमने इतनी सुविधा सही से करा ली थी, तो खंदी को क्यों नहीं भरवाया। हाईवे पर तार-बांस लगे थे। इनको तार-बांस हटा देना चाहिए था। जब संगत निकली, हम वहीं खड़े थे। मैं दोनों बच्चों के साथ खंदी में गिर गई। हम लोग ढाई घंटे तक खंदी में फंसे रहे। मैं सबके हाथ जोड़ती रही। कहती रही कि मेरे बच्चे हैं, बचा लो। लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। हम सबके पैर छूते रहे। मेरे दोनों बच्चे मर गए। इसके लिए कमेटी वाले और परमात्मा जिम्मेदार हैं। उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। दोनों बच्चों की डेडबॉडी शाहजहांपुर पहुंच गई है। बच्चों के पिता आनंद और मां दुर्गेश बदहवास हैं। मां कहती हैं- हमने मना किया था कि सत्संग में मत जाओ, लेकिन बेटा गांव आने से पहले वहां चला गया। 2. 100 लाशों में अपनी बहन को ढूंढता रहा कासगंज के अफजलपुर के रहने वाले राकेश कुमार अस्पताल और पोस्टमॉर्टम हाउस के चक्कर काट रहे हैं। वो कहते हैं- अलीगढ़, एटा, सिकंदराराऊ, हाथरस में 100 से अधिक लाशों में अपनी बहन को ढूंढ चुका हूं, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल रहा। भगवान करे कि मेरी बहन जिंदा हो, उसके साथ कोई अनहोनी न हुई हो। राकेश ने बताया- मेरी बहन का नाम हरिबेजी है। कल शाम से उसे खोज रहा हूं। बहन गांव के लोगों के साथ सत्संग आई थी। मंगलवार को अचानक सत्संग में भगदड़ का पता चला। पहले मैंने सोचा कि बहन लौट आएगी। जब रात 8 बजे पता चला कि बहन घर नहीं लौटी, तो मैं और मेरे बहनोई हाथरस आ गए। बहन को खोजते हुए रात बीत गई और दिन हो गया, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। जीजा भी हर अस्पताल में जाकर अपनी पत्नी को ढूंढ रहे हैं। लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा है। भगवान करे कि सब कुछ सही रहे। बहुत डर लग रहा है। राकेश कहते हैं- मेरे जीजा तो कुछ बोलने की हालत में नहीं हैं। हम पहले सत्संग स्थल पर गए, लेकिन बहन वहां नहीं मिली। फिर हाथरस, एटा और अलीगढ़ में बहन को खोजा। लोगों से पूछा, लेकिन कोई कुछ बता नहीं रहा। जहां जा रहा था, वहां लाशें थीं। सरकार-प्रशासन से अपील है कि मेरी बहन को ढूंढा जाए। राकेश ने बताया- बहन की शादी 35 साल पहले अलीगढ़ में हुई थी। उसके चार बच्चे हैं। 2 बेटियों की शादी हो चुकी है। सत्संग स्थल से करीब 15 किलोमीटर दूर मेरा घर है। वो वहां भी नहीं पहुंची। 3. अनिल ने वीडियो में देखी मां की लाश
मथुरा के अनिल अपनी मां जैमंती देवी (60) को ढूंढने के लिए भटकते रहे। अनिल ने बताया- मुझे जैसे ही सूचना मिली, सीधा सिकंदराराऊ आ गया। वहां मां नहीं मिली तो वहां से हाथरस गया। तभी मेरे मोबाइल पर एक वीडियो आया, जिसमें मां मृत दिखीं। अनिल के पास उनकी मां के मोबाइल से फोन आया। इसके बाद वह आगरा आए और अपने रिश्तेदारों को अलीगढ़ भेजा। आगरा में उन्हें अपनी मां की डेडबॉडी मिली। बेलदारी करने वाले अनिल कहते हैं- मां की बॉडी देखते ही मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी दुनिया उजड़ गई हो। मां पिछले 15 सालों से बाबा की अनुयायी थीं। 9 महीने पहले मेरे बड़े भाई, भतीजे और भांजे की हाथरस में ही एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। 4. पूरी रात मां की लाश ढूंढता रहा
मथुरा के लक्ष्मीनगर के रहने वाले विशाल कुमार बुधवार को आगरा के SN मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्होंने बताया- सत्संग में भगदड़ की सूचना पर हम लोग तुरंत मां को खोजने निकल गए। रास्ते में उनकी मौत की सूचना मिली। पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पूरी रात उनका शव खोजते रहे। विशाल बताते हैं- मां पुष्पा देवी की डेडबॉडी लेने सबसे मैं अलीगढ़ पहुंचा, लेकिन वहां कुछ पता नहीं चला। अस्पताल के स्टाफ ने कहा- एटा से पता कर लीजिए। जब एटा पहुंचा तो वहां भी कुछ जानकारी भी नहीं मिली। वहां से पता चला कि मां की डेडबॉडी आगरा भेजी गई है। फिर हम यहां आए हैं। मां पिछले 10 साल से साकार हरि की अनुयायी थीं। पिताजी बैंक से रिटायर्ड हैं। हम लोग 6 भाई-बहन हैं। 5.मां बोली- बेटी को मना किया था, अगर मौत यहां खींच लाई इस हादसे में कासगंज की रहने वाली प्रियंका (20) की भी मौत हो गई। उसने इसी साल 12वीं पास की थी। प्रियंका डॉक्टर बनना चाहती थी। मां के साथ भोले बाबा के सत्संग में आने की जिद उसको मौत के मुंह तक खींच लाई। पोस्टमॉर्टम हाउस पर मां गुड्डो देवी रोते-रोते बदहवास हो गईं और बेटी को बुलाने लगीं। किसी तरह से साथ में आई महिलाओं ने उनको संभाला। गुड्डो देवी रो-रोकर कह रही थी- बेटी प्रियंका ने इसी साल अच्छे नंबरों से इंटर पास किया था। वह डॉक्टर बनना चाहती थी। मगर, मौत उसे भोले बाबा के सत्संग में खींच लाई। मैंने उसको बहुत मना किया कि अगली बार चलना। इस बार घर पर ही रहो, लेकिन वह नहीं मानी। हमें क्या पता था कि उसको साथ लाना इतना भारी पड़ेगा। यह भी पढ़ें… 2 मिनट में देखिए हाथरस हादसे का VIDEO हाथरस में मंगलवार को सबसे भयानक मंजर देखने को मिला। जिस सत्संग में भगदड़ मची। उससे जुड़े तीन वीडियो सामने आए हैं। पहला वीडियो उस वक्त का है जब भोले बाबा काफिले के साथ सत्संग स्थल पर पहुंचा। दूसरा बाबा के अनुयायियों की भीड़ से जुड़ा है। तीसरे में बाबा के भक्त और पुलिसकर्मी जयकारे लगाते हुए दिख रहे हैं। क्लिक कर देखें वीडियो मैं ढाई घंटे तक पानी भरे गड्ढे में पड़ी रही। दो बच्चे साथ थे। मैं लोगों के पैर छूकर कहती रही कि हमारे ऊपर से न निकलो। मेरे दोनों बच्चे मर गए। इसके लिए कमेटी वाले और परमात्मा जिम्मेदार है। जब वो खुले शब्दों में यह कह सकता है कि मैं कुल ब्रह्मांड का मालिक हूं, महानायक हूं। कुछ भी कर सकता हूं। फिर कहां चला गया ये परमात्मा? कहता था- रोते हुए आओगे-हंसते हुए जाओगे। हम तो हंसते हुए गए थे, अब रोते हुए वापस आए हैं। यह कहना है शाहजहांपुर में रहने वाली शोभा का। शोभा अब भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार पर कार्रवाई की मांग कर रही हैं। उनका कहना है- मुझे नहीं पता था कि परमात्मा इतना बड़ा अन्याय करेंगे। कमेटी वाले और बाबा दोनों पर कार्रवाई होनी चाहिए। आप, जब जिम्मेदारी नहीं संभाल सकते तो इतना बड़ा कार्यक्रम क्यों किया? शोभा के परमात्मा कहने का मतलब भोले बाबा से है। शोभा ही नहीं, हाथरस कांड के ज्यादातर पीड़ितों का दर्द अब भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार के खिलाफ आक्रोश में बदल रहा है। इस हादसे में 122 लोगों की मौत हुई। किसी ने पत्नी खोई, तो किसी ने अपने बच्चे। लाशों के ढेर में लोग अपनों की तलाश करते रहे। यूपी के अलग-अलग जिलों के करीब 100 परिवारों के घर पर मातम पसरा हुआ है। 22 परिवार ऐसे हैं, जिनके दो या तीन परिजन हादसे का शिकार हुए। हादसे की 5 गमगीन कहानियां सामने आई हैं…
इस हादसे में अपनों को खोने वालों की गमगीन कहानियां हैं। झकझोर देने वाले आंसू हैं। पोस्टमॉर्टम हाउस में चीख-पुकार मची है। जिनकी शिनाख्त हो चुकी है, उनका पोस्टमॉर्टम हुआ। लाश काले रंग के बैग में डिस्पोज कर घरवालों को सौंपी गई। इन्हीं बैग को खोलकर देखते हुए एक युवक चीखते हुए बोला- अरे भाई, जरा रुक जाओ, कहीं ये मेरी बहन तो नहीं…। तो कोई अपनी पत्नी के सिर को गोद में रखकर रोता दिखा। इस हादसे में सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों की मौत हुई है। हादसे के बाद दैनिक भास्कर ने पीड़ितों से बात की। 1. बुआ बोली- मेरे सामने भतीजे-भतीजी की मौत हो गई, परमात्मा जिम्मेदार है शाहजहांपुर के थाना कांट क्षेत्र के भगौली गांव पड़ता है। मूलरूप से यहां रहने वाले आनंद अपनी पत्नी दुर्गेश, दो बेटों आयुष, आरुष और बेटी काव्या के साथ जयपुर में रहते हैं। सोमवार को वह अपनी बहन शोभा के साथ हाथरस आए थे। साथ में दो बच्चे आयुष और काव्या भी थे। शोभा बताती हैं- परमात्मा 12 बजे आए थे। एक बजे आरती कराई और चले गए। पहले 3 बजे और फिर शाम 5 बजे तक आरती समापन होता था। हाईवे था, हाईवे के नीचे खंदी थी। उसमें पानी भरा था। जब तुमने इतनी सुविधा सही से करा ली थी, तो खंदी को क्यों नहीं भरवाया। हाईवे पर तार-बांस लगे थे। इनको तार-बांस हटा देना चाहिए था। जब संगत निकली, हम वहीं खड़े थे। मैं दोनों बच्चों के साथ खंदी में गिर गई। हम लोग ढाई घंटे तक खंदी में फंसे रहे। मैं सबके हाथ जोड़ती रही। कहती रही कि मेरे बच्चे हैं, बचा लो। लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। हम सबके पैर छूते रहे। मेरे दोनों बच्चे मर गए। इसके लिए कमेटी वाले और परमात्मा जिम्मेदार हैं। उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। दोनों बच्चों की डेडबॉडी शाहजहांपुर पहुंच गई है। बच्चों के पिता आनंद और मां दुर्गेश बदहवास हैं। मां कहती हैं- हमने मना किया था कि सत्संग में मत जाओ, लेकिन बेटा गांव आने से पहले वहां चला गया। 2. 100 लाशों में अपनी बहन को ढूंढता रहा कासगंज के अफजलपुर के रहने वाले राकेश कुमार अस्पताल और पोस्टमॉर्टम हाउस के चक्कर काट रहे हैं। वो कहते हैं- अलीगढ़, एटा, सिकंदराराऊ, हाथरस में 100 से अधिक लाशों में अपनी बहन को ढूंढ चुका हूं, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल रहा। भगवान करे कि मेरी बहन जिंदा हो, उसके साथ कोई अनहोनी न हुई हो। राकेश ने बताया- मेरी बहन का नाम हरिबेजी है। कल शाम से उसे खोज रहा हूं। बहन गांव के लोगों के साथ सत्संग आई थी। मंगलवार को अचानक सत्संग में भगदड़ का पता चला। पहले मैंने सोचा कि बहन लौट आएगी। जब रात 8 बजे पता चला कि बहन घर नहीं लौटी, तो मैं और मेरे बहनोई हाथरस आ गए। बहन को खोजते हुए रात बीत गई और दिन हो गया, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। जीजा भी हर अस्पताल में जाकर अपनी पत्नी को ढूंढ रहे हैं। लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा है। भगवान करे कि सब कुछ सही रहे। बहुत डर लग रहा है। राकेश कहते हैं- मेरे जीजा तो कुछ बोलने की हालत में नहीं हैं। हम पहले सत्संग स्थल पर गए, लेकिन बहन वहां नहीं मिली। फिर हाथरस, एटा और अलीगढ़ में बहन को खोजा। लोगों से पूछा, लेकिन कोई कुछ बता नहीं रहा। जहां जा रहा था, वहां लाशें थीं। सरकार-प्रशासन से अपील है कि मेरी बहन को ढूंढा जाए। राकेश ने बताया- बहन की शादी 35 साल पहले अलीगढ़ में हुई थी। उसके चार बच्चे हैं। 2 बेटियों की शादी हो चुकी है। सत्संग स्थल से करीब 15 किलोमीटर दूर मेरा घर है। वो वहां भी नहीं पहुंची। 3. अनिल ने वीडियो में देखी मां की लाश
मथुरा के अनिल अपनी मां जैमंती देवी (60) को ढूंढने के लिए भटकते रहे। अनिल ने बताया- मुझे जैसे ही सूचना मिली, सीधा सिकंदराराऊ आ गया। वहां मां नहीं मिली तो वहां से हाथरस गया। तभी मेरे मोबाइल पर एक वीडियो आया, जिसमें मां मृत दिखीं। अनिल के पास उनकी मां के मोबाइल से फोन आया। इसके बाद वह आगरा आए और अपने रिश्तेदारों को अलीगढ़ भेजा। आगरा में उन्हें अपनी मां की डेडबॉडी मिली। बेलदारी करने वाले अनिल कहते हैं- मां की बॉडी देखते ही मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी दुनिया उजड़ गई हो। मां पिछले 15 सालों से बाबा की अनुयायी थीं। 9 महीने पहले मेरे बड़े भाई, भतीजे और भांजे की हाथरस में ही एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। 4. पूरी रात मां की लाश ढूंढता रहा
मथुरा के लक्ष्मीनगर के रहने वाले विशाल कुमार बुधवार को आगरा के SN मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्होंने बताया- सत्संग में भगदड़ की सूचना पर हम लोग तुरंत मां को खोजने निकल गए। रास्ते में उनकी मौत की सूचना मिली। पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पूरी रात उनका शव खोजते रहे। विशाल बताते हैं- मां पुष्पा देवी की डेडबॉडी लेने सबसे मैं अलीगढ़ पहुंचा, लेकिन वहां कुछ पता नहीं चला। अस्पताल के स्टाफ ने कहा- एटा से पता कर लीजिए। जब एटा पहुंचा तो वहां भी कुछ जानकारी भी नहीं मिली। वहां से पता चला कि मां की डेडबॉडी आगरा भेजी गई है। फिर हम यहां आए हैं। मां पिछले 10 साल से साकार हरि की अनुयायी थीं। पिताजी बैंक से रिटायर्ड हैं। हम लोग 6 भाई-बहन हैं। 5.मां बोली- बेटी को मना किया था, अगर मौत यहां खींच लाई इस हादसे में कासगंज की रहने वाली प्रियंका (20) की भी मौत हो गई। उसने इसी साल 12वीं पास की थी। प्रियंका डॉक्टर बनना चाहती थी। मां के साथ भोले बाबा के सत्संग में आने की जिद उसको मौत के मुंह तक खींच लाई। पोस्टमॉर्टम हाउस पर मां गुड्डो देवी रोते-रोते बदहवास हो गईं और बेटी को बुलाने लगीं। किसी तरह से साथ में आई महिलाओं ने उनको संभाला। गुड्डो देवी रो-रोकर कह रही थी- बेटी प्रियंका ने इसी साल अच्छे नंबरों से इंटर पास किया था। वह डॉक्टर बनना चाहती थी। मगर, मौत उसे भोले बाबा के सत्संग में खींच लाई। मैंने उसको बहुत मना किया कि अगली बार चलना। इस बार घर पर ही रहो, लेकिन वह नहीं मानी। हमें क्या पता था कि उसको साथ लाना इतना भारी पड़ेगा। यह भी पढ़ें… 2 मिनट में देखिए हाथरस हादसे का VIDEO हाथरस में मंगलवार को सबसे भयानक मंजर देखने को मिला। जिस सत्संग में भगदड़ मची। उससे जुड़े तीन वीडियो सामने आए हैं। पहला वीडियो उस वक्त का है जब भोले बाबा काफिले के साथ सत्संग स्थल पर पहुंचा। दूसरा बाबा के अनुयायियों की भीड़ से जुड़ा है। तीसरे में बाबा के भक्त और पुलिसकर्मी जयकारे लगाते हुए दिख रहे हैं। क्लिक कर देखें वीडियो   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर