<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi High Court News:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में पीड़िता और उसके परिवार को शर्मिंदा करने को कानूनी रणनीति के उपकरण के रूप में अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. यह उन्हें अधिकारियों को ऐसे अपराधों की सूचना देने से रोकता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट की जज स्वर्ण कांता शर्मा ने मोबाइल फोन पर अपने नियोक्ता की नाबालिग बेटी के गुप्त रूप से आपत्तिजनक वीडियो बनाने के मामले में सख्त रुख का परिचय दिया है. उन्होंने एक घरेलू सहायक को दी गई तीन साल कैद की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि ऐसे मामलों में नरम रुख अपनाने की जरूरत नहीं है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’घरेलू सहायक ने लगाए ये आरोप’ </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट की जज स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि न्यायिक घोषणाएं ऐसे उत्पीड़न और हमले के पीड़ितों के घावों पर ‘मरहम लगाने’ का काम करती हैं. घरेलू सहायक ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को उच्च न्यायालय में अपील दायर कर कई आधारों पर चुनौती दी, जिनमें यह भी शामिल था कि वीडियो पीड़िता के पिता द्वारा बनाए गए, क्योंकि वह उसका वेतन नहीं देना चाहता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस शर्मा ने इस बात को ‘असंवेदनशील’ और ‘अकल्पनीय’ बताते हुए कहा कि अदालत को न केवल पीड़ित बच्चों, बल्कि उनके परिवारों की भी गरिमा और अधिकारों को बरकरार रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली का सर्वोपरि कर्तव्य है कि वह सबसे कमजोर लोगों, विशेषकर बच्चों को अन्यायपूर्ण आरोपों या अपमानजनक आख्यानों के कारण होने वाले किसी भी प्रकार के द्वितीयक आघात से बचाए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’ऐसा करने पर लोग सूचना नहीं देंगे’ </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>न्यायाधीश ने एक जुलाई को पारित आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, अदालतों को कानूनी रणनीति के उपकरण के रूप में पीड़ित बच्चों के चरित्र हनन या पीड़ित परिवार को शर्मिंदा करने वाले किसी भी प्रयास के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए. पीड़ित और पीड़ित परिवार को शर्मिंदा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि ऐसा होने पर पीड़ित लोग अधिकारियों को ऐसे अपराधों की सूचना नहीं देंगे.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”Delhi Weather: दिल्ली में आज भारी बारिश का अलर्ट, जानें- अगले पांच दिनों तक कैसा रहेगा मौसम?” href=”https://www.abplive.com/photo-gallery/states/delhi-ncr-delhi-weather-today-update-imd-alert-rain-thunderstorm-2730249″ target=”_blank” rel=”noopener”>Delhi Weather: दिल्ली में आज भारी बारिश का अलर्ट, जानें- अगले पांच दिनों तक कैसा रहेगा मौसम?</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi High Court News:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में पीड़िता और उसके परिवार को शर्मिंदा करने को कानूनी रणनीति के उपकरण के रूप में अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. यह उन्हें अधिकारियों को ऐसे अपराधों की सूचना देने से रोकता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट की जज स्वर्ण कांता शर्मा ने मोबाइल फोन पर अपने नियोक्ता की नाबालिग बेटी के गुप्त रूप से आपत्तिजनक वीडियो बनाने के मामले में सख्त रुख का परिचय दिया है. उन्होंने एक घरेलू सहायक को दी गई तीन साल कैद की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि ऐसे मामलों में नरम रुख अपनाने की जरूरत नहीं है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’घरेलू सहायक ने लगाए ये आरोप’ </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट की जज स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि न्यायिक घोषणाएं ऐसे उत्पीड़न और हमले के पीड़ितों के घावों पर ‘मरहम लगाने’ का काम करती हैं. घरेलू सहायक ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को उच्च न्यायालय में अपील दायर कर कई आधारों पर चुनौती दी, जिनमें यह भी शामिल था कि वीडियो पीड़िता के पिता द्वारा बनाए गए, क्योंकि वह उसका वेतन नहीं देना चाहता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस शर्मा ने इस बात को ‘असंवेदनशील’ और ‘अकल्पनीय’ बताते हुए कहा कि अदालत को न केवल पीड़ित बच्चों, बल्कि उनके परिवारों की भी गरिमा और अधिकारों को बरकरार रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली का सर्वोपरि कर्तव्य है कि वह सबसे कमजोर लोगों, विशेषकर बच्चों को अन्यायपूर्ण आरोपों या अपमानजनक आख्यानों के कारण होने वाले किसी भी प्रकार के द्वितीयक आघात से बचाए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’ऐसा करने पर लोग सूचना नहीं देंगे’ </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>न्यायाधीश ने एक जुलाई को पारित आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, अदालतों को कानूनी रणनीति के उपकरण के रूप में पीड़ित बच्चों के चरित्र हनन या पीड़ित परिवार को शर्मिंदा करने वाले किसी भी प्रयास के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए. पीड़ित और पीड़ित परिवार को शर्मिंदा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि ऐसा होने पर पीड़ित लोग अधिकारियों को ऐसे अपराधों की सूचना नहीं देंगे.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”Delhi Weather: दिल्ली में आज भारी बारिश का अलर्ट, जानें- अगले पांच दिनों तक कैसा रहेगा मौसम?” href=”https://www.abplive.com/photo-gallery/states/delhi-ncr-delhi-weather-today-update-imd-alert-rain-thunderstorm-2730249″ target=”_blank” rel=”noopener”>Delhi Weather: दिल्ली में आज भारी बारिश का अलर्ट, जानें- अगले पांच दिनों तक कैसा रहेगा मौसम?</a></strong></p> दिल्ली NCR Delhi Weather: दिल्ली में आज भारी बारिश का अलर्ट, जानें- अगले पांच दिनों तक कैसा रहेगा मौसम?