तारीख- 30 जून…। जगह- वाराणसी का आर्य समाज मंदिर। पुरोहित वैदिक मंत्रोच्चार कर रहे हैं। सफेद कुर्ते में बैठे एक व्यक्ति का यज्ञोपवीत यानी जनेऊ संस्कार हो रहा है। बगल में पत्नी और स्ट्रेचर पर बेटा भी है। एक नजर में यह सनातन संस्कार से ज्यादा कुछ नहीं…। 20 मिनट बाद ऊं नम: पार्वती पतये, हर हर महादेव का जयकारा लगा और पूर्णाहुति हुई। जिस व्यक्ति का जनेऊ संस्कार हो रहा था, वह सामने आया। ऐलान किया कि आज से…इसी क्षण से वह डब्लू सिंह है। अजहरुद्दीन नाम से अब उसकी कोई पहचान नहीं। अजहरुद्दीन मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू बन गया। उसके साथ पत्नी और बेटे ने भी धर्म बदला। पत्नी रिजवाना, गुड़िया सिंह और बेटा मोहम्मद राज अब राज सिंह हो गया। 7 पीढ़ियों से मुस्लिम धर्म में रहने के बाद सनातन धर्म अपनाने वाले डब्लू सिंह से दैनिक भास्कर ने बात की। सिलसिलेवार पढ़िए पूरी कहानी… औरंगजेब ने तलवार के दम पर इस्लाम कबूल कराया
डब्लू सिंह ने क्यों हिंदू धर्म अपनाया, इसका खुलासा उन्होंने खुद किया। कहा- मेरी उम्र 12 साल रही होगी। बाबा का दुलारा था, क्योंकि मैं अपने पिता की सबसे बड़ी संतान था। एक दिन बाबा ने मुझे बताया कि 6 पीढ़ी पहले हम सब सनातन धर्म में थे। औरंगजेब ने तलवार के दम पर हमें इस्लाम अपनाने पर मजबूर किया। ये बात मेरे मन में घर कर गई। तभी से मैंने सनातन धर्म में वापसी के लिए ठान लिया था। डब्लू ने कहते हैं- मुस्लिम धर्म में एक ही चीज की कमी है। यहां आप IAS, PCS या इंजीनियर कुछ भी हों, कोई फर्क नहीं पड़ता। सिर्फ उस मौलवी की चलती है, जो कक्षा पांच भी पास नहीं होता। 2012 से करने लगे बाबा विश्वनाथ की पूजा
डब्लू ने कहा- 2006 से मेरा सनातन के प्रति लगाव बढ़ने लगा। मैं मंदिर आने-जाने लगा। हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने लगा। मेरे घर वालों ने मुझे कभी नहीं रोका। उसके बाद मैं दिवाली, दशहरा और होली मानने लगा। 2010 में मेरी शादी रिजवाना से हुई। उसने जब पहले दिन मुझे पूजा करते देखा, तब सवाल किया। मैंने उसे अपनी आस्था के बारे में साफ-साफ बता दिया। उसने फिर कभी मुझे नहीं रोका। 2012 से बाबा विश्वनाथ की भक्ति शुरू की। अक्सर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने मंदिर जाने लगा। क्या परिवार का विरोध झेलना पड़ा? डब्लू ने कहा- पत्नी राजी, मां नाराज
जब हम वाराणसी में डब्लू सिंह यानी अजहरुद्दीन के घर पहुंचे, उनकी पत्नी रिजवाना यानी गुड़िया गांव बिछिया कलां गई थीं। बेटे राज सिंह के पैर में चोट थी। इस वजह से वह भी अपनी मां के साथ था। हमने डब्लू से कहा कि पत्नी से फोन पर बात करवाएं। डब्लू ने कहा- वो बात नहीं करेंगे। हमने उनसे पूछा कि जब रिजवाना को आपने हिंदू धर्म अपनाने के बारे में बताया, तब क्या हुआ? उन्होंने कहा- रिजवाना ने विरोध नहीं किया। भरोसा दिया कि आप जहां जाएंगे, वहीं मैं रहूंगी। हालांकि मां नाराज हैं। रिजवाना ने ही कराया आर्य समाज मंदिर में रजिस्ट्रेशन
डब्लू सिंह ने बताया- रिजवाना ने ही मेरे दोस्त के बताने पर आर्य समाज मंदिर में 18 जून को रजिस्ट्रेशन कराया। उसके बाद मेरे बेटे के पैर में चोट लग गई। मगर, रजिस्ट्रेशन के दिन मिली डेट पर पहुंचने के लिए बेटे को एम्बुलेंस से लेकर हम वहां पहुंचे और सनातन धर्म अपनाया। कभी 5 वक्त की नमाज नहीं पढ़ी, ईद-बकरीद पर ही मस्जिद जाते
उन्होंने बताया- नमाज तो 5 वक्त की होती है, मगर मुझे याद नहीं कि मैंने कभी पढ़ी होगी। मैंने सिर्फ ईद और बकरीद की नमाज पढ़ी है। हमेशा पीछे की लाइन में बैठकर नमाज पढ़कर घर चला आता था। सब धर्म अच्छे, पर मेरा मन सनातन में लगा
डब्लू सिंह ने कहा- सभी धर्म अच्छे हैं। मगर मुझे कभी इस्लाम में रहते हुए अच्छा नहीं लगा। शुरू से ही भगवान की पूजा और मंदिरों में आने-जाने का मन किया। मैंने शिव की भक्ति की। कुछ दिन महर्षि दयानंद सरस्वती की किताबें पढ़ी। जहां काम करते, वहीं पर मंदिर बनाकर पूजा करने लगे
डब्लू 2012 से वाराणसी के एक सर्राफा व्यवसायी के यहां जॉब कर रहे हैं। वो यहां सुपरवाइजर हैं और हफ्ते में 6 दिन यहीं रहते हैं। फर्म के थर्ड फ्लोर पर उनका कमरा है। इसके अलावा उनके साथी भी यहां रहते हैं। सभी ने एक कोने में मंदिर बना रखा है। मंदिर में काशी विश्वनाथ, मां दुर्गा, भगवान श्रीकृष्ण, बजरंग बली की तस्वीरें हैं। इसी मंदिर में डब्लू भी रोज पूजा करते हैं। यहीं करीब में एक गणेश मंदिर है। वो सभी कर्मचारियों के साथ रात 10 बजे फर्म बंद होने पर रोजाना भगवान गणेश के मंदिर जाते हैं। अब हम डब्लू की फर्म पहुंचे, वहां फर्म मालिक और उनके साथियों से बात की… हमें तो कभी लगा ही नहीं कि ये दूसरे धर्म के हैं
वाराणसी में सोना-चांदी के होलसेलर व्यापारी आशीष गुप्ता ने बताया- डब्लू पिछले 12 साल से हमारे यहां काम कर रहे हैं। हमें तो कभी लगा ही नहीं कि ये दूसरे धर्म के हैं। यहां तक की हमारे स्टाफ भी नहीं जानते थे कि इनका असली नाम अजहरुद्दीन है। क्योंकि बुलाने का नाम डब्लू है। कस्टमर को दर्शन कराने की जिम्मेदारी डब्लू की
आशीष ने बताया- हमारी फर्म में आने वाले वो कस्टमर जो विश्वनाथ जी का दर्शन करने के इच्छुक होते हैं। उन्हें डब्लू ही दर्शन करवाने ले जाते हैं। हमारे यहां काम करने वाले कर्मचारी और मैं खुद भी जब दर्शन के लिए जाता हूं, तो डब्लू को साथ ले जाता हूं। सुबह उठकर हर रोज करते थे भगवान की पूजा
डब्लू के साथ पिछले 10 सालों से इस फर्म में काम कर रहे युवक ने बताया- डब्लू भाई रोजाना सुबह 6 बजे उठ जाते हैं और नहाने के बाद मंदिर में पूजा करते हैं। उनके मंत्रोच्चारण से हमारी नींद खुलती है। 10 सालों में हमें कभी नहीं लगा कि इनका नाम अजहरुद्दीन है और ये कि वो इस्लाम धर्म से आते हैं। ये भी पढ़ें: UP में धर्मांतरण पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी:कहा- गरीबों को गुमराह किया जा रहा, ऐसा रहा तो भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा- UP में भोले-भाले गरीबों को गुमराह कर ईसाई बनाया जा रहा। अगर ऐसे ही धर्मांतरण जारी रहा तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी। धर्मांतरण करने वाली धार्मिक सभाओं पर तत्काल रोक लगनी चाहिए…(पढ़ें पूरी खबर) भोले बाबा ने 56 साल पहले ‘मातेश्वरी’ से की शादी:ससुराल की फसल कटवाते हैं सेवादार; सिंहासन पर साथ बैठने वाली महिला की कहानी हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ में 123 लोगों की मौत के बाद सूरजपाल सिंह जाटव उर्फ भोले बाबा सुर्खियों में है। जो तस्वीरें सामने आईं, उनमें एक महिला हमेशा भोले बाबा के साथ दिखती है। उसे अनुयायी मां जी पुकारते हैं। शुरुआत में कहा गया, वह रिश्ते में भोले बाबा की मामी है। कुछ रिपोर्ट में कहा गया कि बाबा की पहली पत्नी की डेथ हो चुकी है। उनकी पत्नी कटोरा देवी थीं…(पढ़ें पूरी खबर) तारीख- 30 जून…। जगह- वाराणसी का आर्य समाज मंदिर। पुरोहित वैदिक मंत्रोच्चार कर रहे हैं। सफेद कुर्ते में बैठे एक व्यक्ति का यज्ञोपवीत यानी जनेऊ संस्कार हो रहा है। बगल में पत्नी और स्ट्रेचर पर बेटा भी है। एक नजर में यह सनातन संस्कार से ज्यादा कुछ नहीं…। 20 मिनट बाद ऊं नम: पार्वती पतये, हर हर महादेव का जयकारा लगा और पूर्णाहुति हुई। जिस व्यक्ति का जनेऊ संस्कार हो रहा था, वह सामने आया। ऐलान किया कि आज से…इसी क्षण से वह डब्लू सिंह है। अजहरुद्दीन नाम से अब उसकी कोई पहचान नहीं। अजहरुद्दीन मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू बन गया। उसके साथ पत्नी और बेटे ने भी धर्म बदला। पत्नी रिजवाना, गुड़िया सिंह और बेटा मोहम्मद राज अब राज सिंह हो गया। 7 पीढ़ियों से मुस्लिम धर्म में रहने के बाद सनातन धर्म अपनाने वाले डब्लू सिंह से दैनिक भास्कर ने बात की। सिलसिलेवार पढ़िए पूरी कहानी… औरंगजेब ने तलवार के दम पर इस्लाम कबूल कराया
डब्लू सिंह ने क्यों हिंदू धर्म अपनाया, इसका खुलासा उन्होंने खुद किया। कहा- मेरी उम्र 12 साल रही होगी। बाबा का दुलारा था, क्योंकि मैं अपने पिता की सबसे बड़ी संतान था। एक दिन बाबा ने मुझे बताया कि 6 पीढ़ी पहले हम सब सनातन धर्म में थे। औरंगजेब ने तलवार के दम पर हमें इस्लाम अपनाने पर मजबूर किया। ये बात मेरे मन में घर कर गई। तभी से मैंने सनातन धर्म में वापसी के लिए ठान लिया था। डब्लू ने कहते हैं- मुस्लिम धर्म में एक ही चीज की कमी है। यहां आप IAS, PCS या इंजीनियर कुछ भी हों, कोई फर्क नहीं पड़ता। सिर्फ उस मौलवी की चलती है, जो कक्षा पांच भी पास नहीं होता। 2012 से करने लगे बाबा विश्वनाथ की पूजा
डब्लू ने कहा- 2006 से मेरा सनातन के प्रति लगाव बढ़ने लगा। मैं मंदिर आने-जाने लगा। हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने लगा। मेरे घर वालों ने मुझे कभी नहीं रोका। उसके बाद मैं दिवाली, दशहरा और होली मानने लगा। 2010 में मेरी शादी रिजवाना से हुई। उसने जब पहले दिन मुझे पूजा करते देखा, तब सवाल किया। मैंने उसे अपनी आस्था के बारे में साफ-साफ बता दिया। उसने फिर कभी मुझे नहीं रोका। 2012 से बाबा विश्वनाथ की भक्ति शुरू की। अक्सर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने मंदिर जाने लगा। क्या परिवार का विरोध झेलना पड़ा? डब्लू ने कहा- पत्नी राजी, मां नाराज
जब हम वाराणसी में डब्लू सिंह यानी अजहरुद्दीन के घर पहुंचे, उनकी पत्नी रिजवाना यानी गुड़िया गांव बिछिया कलां गई थीं। बेटे राज सिंह के पैर में चोट थी। इस वजह से वह भी अपनी मां के साथ था। हमने डब्लू से कहा कि पत्नी से फोन पर बात करवाएं। डब्लू ने कहा- वो बात नहीं करेंगे। हमने उनसे पूछा कि जब रिजवाना को आपने हिंदू धर्म अपनाने के बारे में बताया, तब क्या हुआ? उन्होंने कहा- रिजवाना ने विरोध नहीं किया। भरोसा दिया कि आप जहां जाएंगे, वहीं मैं रहूंगी। हालांकि मां नाराज हैं। रिजवाना ने ही कराया आर्य समाज मंदिर में रजिस्ट्रेशन
डब्लू सिंह ने बताया- रिजवाना ने ही मेरे दोस्त के बताने पर आर्य समाज मंदिर में 18 जून को रजिस्ट्रेशन कराया। उसके बाद मेरे बेटे के पैर में चोट लग गई। मगर, रजिस्ट्रेशन के दिन मिली डेट पर पहुंचने के लिए बेटे को एम्बुलेंस से लेकर हम वहां पहुंचे और सनातन धर्म अपनाया। कभी 5 वक्त की नमाज नहीं पढ़ी, ईद-बकरीद पर ही मस्जिद जाते
उन्होंने बताया- नमाज तो 5 वक्त की होती है, मगर मुझे याद नहीं कि मैंने कभी पढ़ी होगी। मैंने सिर्फ ईद और बकरीद की नमाज पढ़ी है। हमेशा पीछे की लाइन में बैठकर नमाज पढ़कर घर चला आता था। सब धर्म अच्छे, पर मेरा मन सनातन में लगा
डब्लू सिंह ने कहा- सभी धर्म अच्छे हैं। मगर मुझे कभी इस्लाम में रहते हुए अच्छा नहीं लगा। शुरू से ही भगवान की पूजा और मंदिरों में आने-जाने का मन किया। मैंने शिव की भक्ति की। कुछ दिन महर्षि दयानंद सरस्वती की किताबें पढ़ी। जहां काम करते, वहीं पर मंदिर बनाकर पूजा करने लगे
डब्लू 2012 से वाराणसी के एक सर्राफा व्यवसायी के यहां जॉब कर रहे हैं। वो यहां सुपरवाइजर हैं और हफ्ते में 6 दिन यहीं रहते हैं। फर्म के थर्ड फ्लोर पर उनका कमरा है। इसके अलावा उनके साथी भी यहां रहते हैं। सभी ने एक कोने में मंदिर बना रखा है। मंदिर में काशी विश्वनाथ, मां दुर्गा, भगवान श्रीकृष्ण, बजरंग बली की तस्वीरें हैं। इसी मंदिर में डब्लू भी रोज पूजा करते हैं। यहीं करीब में एक गणेश मंदिर है। वो सभी कर्मचारियों के साथ रात 10 बजे फर्म बंद होने पर रोजाना भगवान गणेश के मंदिर जाते हैं। अब हम डब्लू की फर्म पहुंचे, वहां फर्म मालिक और उनके साथियों से बात की… हमें तो कभी लगा ही नहीं कि ये दूसरे धर्म के हैं
वाराणसी में सोना-चांदी के होलसेलर व्यापारी आशीष गुप्ता ने बताया- डब्लू पिछले 12 साल से हमारे यहां काम कर रहे हैं। हमें तो कभी लगा ही नहीं कि ये दूसरे धर्म के हैं। यहां तक की हमारे स्टाफ भी नहीं जानते थे कि इनका असली नाम अजहरुद्दीन है। क्योंकि बुलाने का नाम डब्लू है। कस्टमर को दर्शन कराने की जिम्मेदारी डब्लू की
आशीष ने बताया- हमारी फर्म में आने वाले वो कस्टमर जो विश्वनाथ जी का दर्शन करने के इच्छुक होते हैं। उन्हें डब्लू ही दर्शन करवाने ले जाते हैं। हमारे यहां काम करने वाले कर्मचारी और मैं खुद भी जब दर्शन के लिए जाता हूं, तो डब्लू को साथ ले जाता हूं। सुबह उठकर हर रोज करते थे भगवान की पूजा
डब्लू के साथ पिछले 10 सालों से इस फर्म में काम कर रहे युवक ने बताया- डब्लू भाई रोजाना सुबह 6 बजे उठ जाते हैं और नहाने के बाद मंदिर में पूजा करते हैं। उनके मंत्रोच्चारण से हमारी नींद खुलती है। 10 सालों में हमें कभी नहीं लगा कि इनका नाम अजहरुद्दीन है और ये कि वो इस्लाम धर्म से आते हैं। ये भी पढ़ें: UP में धर्मांतरण पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी:कहा- गरीबों को गुमराह किया जा रहा, ऐसा रहा तो भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा- UP में भोले-भाले गरीबों को गुमराह कर ईसाई बनाया जा रहा। अगर ऐसे ही धर्मांतरण जारी रहा तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी। धर्मांतरण करने वाली धार्मिक सभाओं पर तत्काल रोक लगनी चाहिए…(पढ़ें पूरी खबर) भोले बाबा ने 56 साल पहले ‘मातेश्वरी’ से की शादी:ससुराल की फसल कटवाते हैं सेवादार; सिंहासन पर साथ बैठने वाली महिला की कहानी हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ में 123 लोगों की मौत के बाद सूरजपाल सिंह जाटव उर्फ भोले बाबा सुर्खियों में है। जो तस्वीरें सामने आईं, उनमें एक महिला हमेशा भोले बाबा के साथ दिखती है। उसे अनुयायी मां जी पुकारते हैं। शुरुआत में कहा गया, वह रिश्ते में भोले बाबा की मामी है। कुछ रिपोर्ट में कहा गया कि बाबा की पहली पत्नी की डेथ हो चुकी है। उनकी पत्नी कटोरा देवी थीं…(पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर