बेदीराम ने इतनी जमीन खरीदी कि भाव आसमान छूने लगे:एक बीघा जमीन नहीं थी, 22 करोड़ की जमीन के मालिक बन गए विधायक

बेदीराम ने इतनी जमीन खरीदी कि भाव आसमान छूने लगे:एक बीघा जमीन नहीं थी, 22 करोड़ की जमीन के मालिक बन गए विधायक

विधायक बेदीराम का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें वो कई राज्यों की परीक्षाओं का पेपर लीक कराने का दावा कर रहे हैं। कई चौंकाने वाली बात कह रहे हैं। इसके बाद हाल की पेपर लीक घटनाओं से कड़ियां जोड़ी जाने लगीं। सुभासपा विधायक बेदीराम ने तीन दशकों में कैसे अपना साम्राज्य फैलाया। अकूत संपत्ति जमा की। इन आरोपों में कितनी सच्चाई है, इसकी पड़ताल के लिए हमारी टीम जौनपुर के कुसियां गांव पहुंची, तो कई सनसनीखेज खुलासे हुए। बेदीराम की संपत्ति का ब्योरा जुटाने वाले रेहटी गांव के लाल प्रताप सिंह से हमने मुलाकात की। उन्होंने ऐसे दस्तावेज दिखाए, जिनमें बेदीराम की तमाम संपत्तियों की डिटेल्स हैं। दैनिक भास्कर ने बेदीराम के चुनावी हलफनामे को भी स्कैन किया। बेदीराम की संपत्ति कैसे बढ़ी? रेलवे में टीटीई रहते कितनी कमाई की? जमीनों में कैसे हेराफेरी की? एसटीएफ का वो लेटर, जिसमें संपत्ति कुर्क करने की बात कही गई थी। पूरा मामला सिलसिलेवार समझिए… 90 के दशक में रेलवे में टीटीई, सैलरी 3 हजार रुपए
बेदीराम ने अवध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। उसके बाद रेलवे में टीटीई के पद पर नौकरी लगी। बेदीराम को जानने वाले कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें 1986 में रेलवे में नौकरी मिली थी। जबकि कुछ लोग बेदीराम की नौकरी लगने का साल 1991 बताते हैं। तब उसकी सैलरी 3 हजार रुपए थी। इसी नौकरी के दौरान उस पर पेपर लीक का आरोप लगा। इसके बाद उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। चुनावी हलफनामे में खुद और पत्नी के नाम 22 करोड़ की 30 बीघा जमीन
विधायक बेदीराम ने भर्ती परीक्षाओं की बदौलत अकूत दौलत कमाई। उसने अपनी पत्नी, बेटे, बहू सभी के नाम काफी जमीनें और संपत्ति बनाई। विधायक और पत्नी के नाम पर ही 22 करोड़ की 30 बीघा जमीनें हैं। ये सभी जमीन खरीदी गई हैं। ये बात उसके 2022 के चुनावी हलफनामे से पता चलती है। पैतृक जमीन एक बीघा से भी कम है। उसने एसटीएफ को दिए गए एक बयान में यह बात स्वीकार की थी। एसटीएफ ने उसकी सपंत्तियों को कुर्क करने के लिए शासन को रिपोर्ट भी भेजी थी, लेकिन विधायक बनने के बाद कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। जौनपुर से लेकर लखनऊ तक करोड़ों की संपत्ति
विधायक बेदीराम की ज्यादातर संपत्ति उसके बेटे, बहू, पत्नी और कुछ रिश्तेदारों के नाम है। कुसियां गांव के रहने वाले एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बेदीराम ने आसपास के इलाके में इतनी जमीनें खरीद लीं कि जमीनों के दाम और सर्किल रेट बढ़ गया। किसी की भी जमीन बिक रही हो तो बेदीराम के लोग मुंह मांगी कीमत लगाने के लिए पहुंच जाते हैं। गांव के लोगों की मानें तो बेदीराम ने आसपास के इलाके कुसिया, हिसामपुर, बराई, मुजरापुर, नहरपट्टी आदि गांवों में 100 बीघे से ज्यादा जमीन खरीदीं। इसकी लिखित शिकायत रेहटी गांव के रहने वाले लाल प्रताप सिंह ने की है। STF की रिपोर्ट: लखनऊ में 3 मकान, 6000 वर्ग फीट जमीन
2014 में एसटीएफ ने भी बेदीराम की संपत्ति की जानकारी जुटाई थी। एसटीएफ के तत्कालीन आईजी सुजीत पांडेय ने लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी को पत्र भेजकर बेदीराम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। पत्र में ये भी लिखा था कि बेदीराम की संपत्ति कुर्क करने के संदर्भ में तत्कालीन एडीजी कानून व्यवस्था द्वारा सिफारिश की जा चुकी है। इस रिपोर्ट में बेदीराम के पास लखनऊ में मकान नंबर- 352 विक्रांत खंड गोमतीनगर, मकान नंबर- 242 विजयंत खंड गोमतीनगर, मकान नंबर- 1131 सेक्टर ए वृंदावन योजना, प्लाट संख्या जी-52 ट्रांसपोर्ट नगर, गोसाईंगंज के ग्राम अमेठी के पास आम का बाग, जौनपुर के जलालपुर क्षेत्र के गांव कुसिया में कृषि भूमि, दो ईंट भट्ठे, जलालाबाद के वाराणसी-लखनऊ मार्ग पर 6000 वर्ग फीट भूमि की जानकारी दी गई थी। खेती देखने वाले के नाम खरीदे बोलेरो-ट्रैक्टर
तकरीबन 5 साल पहले तक खेती देखने वाले एक शख्स के नाम बेदीराम ने कई गाड़ियां खरीदी थीं। नाम न छापने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया कि बेदीराम ने उसके नाम ट्रैक्टर, बोलेरो और पिकअप खरीदी थी। बाद में किसी विवाद के बाद तीनों गाड़ियां वापस ले लीं और उसे खेती के काम से भी हटा दिया। हालांकि अभी भी दो गाड़ियां उसी के नाम पर हैं, जो बेदीराम के घर पर हैं। सूत्र बताते हैं कि तकरीबन 7 साल पहले जब नोटबंदी हुई थी तब उसके घर में बड़ी रकम भी रखवाई गई थी। नोटबंदी के समय इस रकम को अलग-अलग बैंकों में जमा करवा दिया गया। किसने बनाया बेदीराम का वीडियो, जो वायरल हुआ
जौनपुर के जलालपुर क्षेत्र के बीवनमऊ निवासी आनंद चौरसिया से नौकरी दिलाने के नाम पर कुसियां के रहने वाले ओमप्रकाश प्रजापति ने 7 लाख रूपए लिए थे। लेकिन आनंद को नौकरी नहीं मिल पाई। स्थानीय सूत्रों की मानें तो ओम प्रकाश प्रजापति विधायक बेदीराम का बेहद करीबी है। उसने बेदीराम के नाम पर ही पैसे लिए थे। पैसा वापस मांगने पर उसने आनंद को बेदीराम के घर पर बुलाया। वहां बेदीराम ने पैसा वापस करने के लिए थोड़ा समय मांगा। लेकिन पैसा वापस नहीं दिया, काफी दबाव के बाद 3.50 लाख रुपए वापस किए। इसी पैसे के लेन-देन को लेकर बेदीराम का एक वीडियो भी वायरल हुआ था। सबसे पहले रेलवे का पेपर लीक करवाया
बेदीराम रेलवे में टीटीई थे। 10 साल पहले रेलवे की भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कराने में उसका नाम सामने आया। फिर उसे बर्खास्त कर दिया गया। इस मामले में जेल भी भेजा गया। रेलवे रिक्र्यूटमेंट बोर्ड की 2006 की समूह ‘ग’ की भर्ती परीक्षा, 2008 में लोको पायलट की परीक्षा, 2009 में भोपाल और जयपुर में रेलवे की परीक्षा में पेपर लीक कराने में बेदी राम को गिरफ्तार भी किया गया था। साल 2000 में पहली बार चर्चा में आया था
विधायक का नाम पहली बार पेपर लीक में साल 2000 में सामने आया। 2009 में उसे गिरफ्तार किया गया। फिर 2012 में छत्तीसगढ़ CPMT परीक्षा के पेपर लीक में नाम आया। इस मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया। इसके बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल भेजे गए। मई, 2014 में मध्य प्रदेश में आयुर्वेद मेडिकल परीक्षा होनी थी। पेपर लीक हो गया और परीक्षा रद्द करनी पड़ी। इसके बाद अभ्यर्थियों ने बेदी राम का नाम लिया था। 2013 में मध्य प्रदेश पीएससी में दो पेपर लीक हुए। इसके चलते इसी साल 30 जुलाई को होने वाला इंटरव्यू रोक दिया गया। साल, 2006 से अब तक बेदी राम के 56 सहयोगियों के नाम पुलिस चार्जशीट में सामने आ चुके हैं। बेहिसाब संपत्ति और पेपर लीक को लेकर विधायक बेदीराम से सीधे सवाल सवाल: आप पर कई सरकारी नौकरियों के एग्जाम में गड़बड़ी करने का आरोप है, कई मुकदमे भी दर्ज हैं? जवाब: सारे आरोप निराधार हैं। अगर सही होते तो अब तक कोई आरोप साबित क्यों नहीं हुआ। कई में तो सीबीआई ने भी जांच की। लेकिन मेरा नाम मुकदमे में विरोधियों द्वारा बाद में शामिल करवाया गया। सवाल: यूपी STF ने 2014 में आपकी कई संपत्तियों को कुर्क करने के लिए पत्र लिखा था, क्या ये अवैध रूप से अर्जित की गई हैं? जवाब: अगर STF ने पत्र दिया था तो मेरी संपत्ति कुर्क क्यों नहीं हुई? आपके मुताबिक मामला 2014 का है। तब तो मैं विधायक भी नहीं था। ये लेटर ही फर्जी है। मेरे विरोधियों ने जालसाजी करके तैयार किया है। सवाल: 1995 से 2012 के बीच आपने कई जमीनें खुद और परिवार के लोगों के नाम खरीदीं, इसका स्त्रोत क्या था? जवाब: मैं रेलवे में सरकारी नौकरी में था। वहां सैलरी के पैसे बचाकर मैंने जमीन खरीदी। उस समय जमीनें भी तो सस्ती थीं। लेकिन जितनी संपत्ति की बात हो रही है, उतनी है भी नहीं। कई बातें फर्जी हैं। सवाल: आपने अपने खेती का काम देखने वाले मजदूर के नाम कई गाड़ियां खरीदीं, उसको रखने लिए बड़ी रकम दी थी?
जवाब: मैं उसके नाम गाड़ियां क्यों खरीदूंगा? उसकी ससुराल के लोग सऊदी अरब में रहते हैं, उन लोगों ने उसे गाड़ियां खरीदकर दीं। मेरा इन सब से कोई मतलब नहीं। सवाल: लखनऊ में आपके पास कई मकान, आम का बाग और कीमती प्लॉट हैं, करोड़ों में इनकी कीमत है। इतना पैसा कहां से आया? जवाब: सिर्फ एक मकान है, जिसमें रहता हूं। इसके अलावा कोई मकान नहीं है। मोहनलालगंज में दो जमीनें हैं। जब खरीदी थीं, तब काफी सस्ती थीं। बाकी सब फर्जी हैं और कोई संपत्ति नहीं है। सवाल: आप राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई पेपर लीक मामले में आरोपी रहे, जेल भी गए। क्या ये भी झूठ है? जवाब: मैं रेलवे में यूनियन का नेता था। कई लोग मुझसे बैर रखते थे। ये सब उन लोगों की साजिश थी। मुझे फंसाने की, जेल भी मैं साजिश के तहत भेजा गया था। सवाल: गांव के कई लोगों ने आरोप लगाया कि आप 10 हजार लोगों को नौकरी दिला चुके हैं। हर भर्ती का पेपर आपके पास पहले आ जाता है? जवाब: ये आपका सबसे अच्छा सवाल है। मेरे ऊपर आरोपों की सारी पटकथा यहीं से लिखी गई है। ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान मेरी कुछ लोगों से रंजिश थी। उसमें मुकदमा भी दर्ज हुआ है, दोनों पक्ष पर। मेरे गांव में भी कुछ लोग मुझसे इसलिए जलते हैं कि मैं दलित होकर विधायक बन गया। मेरी पत्नी ब्लॉक प्रमुख हैं। ये सभी मेरे विरोधियों ने मिलकर आपको गलत जानकारी दी है। सारे आरोप निराधार हैं। अगर सही हैं तो अब तक मुझ पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। वायरल वीडियो भी एडिटेड है। मुझे बदनाम करने की साजिश है। विधायक बेदीराम का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें वो कई राज्यों की परीक्षाओं का पेपर लीक कराने का दावा कर रहे हैं। कई चौंकाने वाली बात कह रहे हैं। इसके बाद हाल की पेपर लीक घटनाओं से कड़ियां जोड़ी जाने लगीं। सुभासपा विधायक बेदीराम ने तीन दशकों में कैसे अपना साम्राज्य फैलाया। अकूत संपत्ति जमा की। इन आरोपों में कितनी सच्चाई है, इसकी पड़ताल के लिए हमारी टीम जौनपुर के कुसियां गांव पहुंची, तो कई सनसनीखेज खुलासे हुए। बेदीराम की संपत्ति का ब्योरा जुटाने वाले रेहटी गांव के लाल प्रताप सिंह से हमने मुलाकात की। उन्होंने ऐसे दस्तावेज दिखाए, जिनमें बेदीराम की तमाम संपत्तियों की डिटेल्स हैं। दैनिक भास्कर ने बेदीराम के चुनावी हलफनामे को भी स्कैन किया। बेदीराम की संपत्ति कैसे बढ़ी? रेलवे में टीटीई रहते कितनी कमाई की? जमीनों में कैसे हेराफेरी की? एसटीएफ का वो लेटर, जिसमें संपत्ति कुर्क करने की बात कही गई थी। पूरा मामला सिलसिलेवार समझिए… 90 के दशक में रेलवे में टीटीई, सैलरी 3 हजार रुपए
बेदीराम ने अवध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। उसके बाद रेलवे में टीटीई के पद पर नौकरी लगी। बेदीराम को जानने वाले कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें 1986 में रेलवे में नौकरी मिली थी। जबकि कुछ लोग बेदीराम की नौकरी लगने का साल 1991 बताते हैं। तब उसकी सैलरी 3 हजार रुपए थी। इसी नौकरी के दौरान उस पर पेपर लीक का आरोप लगा। इसके बाद उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। चुनावी हलफनामे में खुद और पत्नी के नाम 22 करोड़ की 30 बीघा जमीन
विधायक बेदीराम ने भर्ती परीक्षाओं की बदौलत अकूत दौलत कमाई। उसने अपनी पत्नी, बेटे, बहू सभी के नाम काफी जमीनें और संपत्ति बनाई। विधायक और पत्नी के नाम पर ही 22 करोड़ की 30 बीघा जमीनें हैं। ये सभी जमीन खरीदी गई हैं। ये बात उसके 2022 के चुनावी हलफनामे से पता चलती है। पैतृक जमीन एक बीघा से भी कम है। उसने एसटीएफ को दिए गए एक बयान में यह बात स्वीकार की थी। एसटीएफ ने उसकी सपंत्तियों को कुर्क करने के लिए शासन को रिपोर्ट भी भेजी थी, लेकिन विधायक बनने के बाद कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। जौनपुर से लेकर लखनऊ तक करोड़ों की संपत्ति
विधायक बेदीराम की ज्यादातर संपत्ति उसके बेटे, बहू, पत्नी और कुछ रिश्तेदारों के नाम है। कुसियां गांव के रहने वाले एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बेदीराम ने आसपास के इलाके में इतनी जमीनें खरीद लीं कि जमीनों के दाम और सर्किल रेट बढ़ गया। किसी की भी जमीन बिक रही हो तो बेदीराम के लोग मुंह मांगी कीमत लगाने के लिए पहुंच जाते हैं। गांव के लोगों की मानें तो बेदीराम ने आसपास के इलाके कुसिया, हिसामपुर, बराई, मुजरापुर, नहरपट्टी आदि गांवों में 100 बीघे से ज्यादा जमीन खरीदीं। इसकी लिखित शिकायत रेहटी गांव के रहने वाले लाल प्रताप सिंह ने की है। STF की रिपोर्ट: लखनऊ में 3 मकान, 6000 वर्ग फीट जमीन
2014 में एसटीएफ ने भी बेदीराम की संपत्ति की जानकारी जुटाई थी। एसटीएफ के तत्कालीन आईजी सुजीत पांडेय ने लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी को पत्र भेजकर बेदीराम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। पत्र में ये भी लिखा था कि बेदीराम की संपत्ति कुर्क करने के संदर्भ में तत्कालीन एडीजी कानून व्यवस्था द्वारा सिफारिश की जा चुकी है। इस रिपोर्ट में बेदीराम के पास लखनऊ में मकान नंबर- 352 विक्रांत खंड गोमतीनगर, मकान नंबर- 242 विजयंत खंड गोमतीनगर, मकान नंबर- 1131 सेक्टर ए वृंदावन योजना, प्लाट संख्या जी-52 ट्रांसपोर्ट नगर, गोसाईंगंज के ग्राम अमेठी के पास आम का बाग, जौनपुर के जलालपुर क्षेत्र के गांव कुसिया में कृषि भूमि, दो ईंट भट्ठे, जलालाबाद के वाराणसी-लखनऊ मार्ग पर 6000 वर्ग फीट भूमि की जानकारी दी गई थी। खेती देखने वाले के नाम खरीदे बोलेरो-ट्रैक्टर
तकरीबन 5 साल पहले तक खेती देखने वाले एक शख्स के नाम बेदीराम ने कई गाड़ियां खरीदी थीं। नाम न छापने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया कि बेदीराम ने उसके नाम ट्रैक्टर, बोलेरो और पिकअप खरीदी थी। बाद में किसी विवाद के बाद तीनों गाड़ियां वापस ले लीं और उसे खेती के काम से भी हटा दिया। हालांकि अभी भी दो गाड़ियां उसी के नाम पर हैं, जो बेदीराम के घर पर हैं। सूत्र बताते हैं कि तकरीबन 7 साल पहले जब नोटबंदी हुई थी तब उसके घर में बड़ी रकम भी रखवाई गई थी। नोटबंदी के समय इस रकम को अलग-अलग बैंकों में जमा करवा दिया गया। किसने बनाया बेदीराम का वीडियो, जो वायरल हुआ
जौनपुर के जलालपुर क्षेत्र के बीवनमऊ निवासी आनंद चौरसिया से नौकरी दिलाने के नाम पर कुसियां के रहने वाले ओमप्रकाश प्रजापति ने 7 लाख रूपए लिए थे। लेकिन आनंद को नौकरी नहीं मिल पाई। स्थानीय सूत्रों की मानें तो ओम प्रकाश प्रजापति विधायक बेदीराम का बेहद करीबी है। उसने बेदीराम के नाम पर ही पैसे लिए थे। पैसा वापस मांगने पर उसने आनंद को बेदीराम के घर पर बुलाया। वहां बेदीराम ने पैसा वापस करने के लिए थोड़ा समय मांगा। लेकिन पैसा वापस नहीं दिया, काफी दबाव के बाद 3.50 लाख रुपए वापस किए। इसी पैसे के लेन-देन को लेकर बेदीराम का एक वीडियो भी वायरल हुआ था। सबसे पहले रेलवे का पेपर लीक करवाया
बेदीराम रेलवे में टीटीई थे। 10 साल पहले रेलवे की भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कराने में उसका नाम सामने आया। फिर उसे बर्खास्त कर दिया गया। इस मामले में जेल भी भेजा गया। रेलवे रिक्र्यूटमेंट बोर्ड की 2006 की समूह ‘ग’ की भर्ती परीक्षा, 2008 में लोको पायलट की परीक्षा, 2009 में भोपाल और जयपुर में रेलवे की परीक्षा में पेपर लीक कराने में बेदी राम को गिरफ्तार भी किया गया था। साल 2000 में पहली बार चर्चा में आया था
विधायक का नाम पहली बार पेपर लीक में साल 2000 में सामने आया। 2009 में उसे गिरफ्तार किया गया। फिर 2012 में छत्तीसगढ़ CPMT परीक्षा के पेपर लीक में नाम आया। इस मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया। इसके बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल भेजे गए। मई, 2014 में मध्य प्रदेश में आयुर्वेद मेडिकल परीक्षा होनी थी। पेपर लीक हो गया और परीक्षा रद्द करनी पड़ी। इसके बाद अभ्यर्थियों ने बेदी राम का नाम लिया था। 2013 में मध्य प्रदेश पीएससी में दो पेपर लीक हुए। इसके चलते इसी साल 30 जुलाई को होने वाला इंटरव्यू रोक दिया गया। साल, 2006 से अब तक बेदी राम के 56 सहयोगियों के नाम पुलिस चार्जशीट में सामने आ चुके हैं। बेहिसाब संपत्ति और पेपर लीक को लेकर विधायक बेदीराम से सीधे सवाल सवाल: आप पर कई सरकारी नौकरियों के एग्जाम में गड़बड़ी करने का आरोप है, कई मुकदमे भी दर्ज हैं? जवाब: सारे आरोप निराधार हैं। अगर सही होते तो अब तक कोई आरोप साबित क्यों नहीं हुआ। कई में तो सीबीआई ने भी जांच की। लेकिन मेरा नाम मुकदमे में विरोधियों द्वारा बाद में शामिल करवाया गया। सवाल: यूपी STF ने 2014 में आपकी कई संपत्तियों को कुर्क करने के लिए पत्र लिखा था, क्या ये अवैध रूप से अर्जित की गई हैं? जवाब: अगर STF ने पत्र दिया था तो मेरी संपत्ति कुर्क क्यों नहीं हुई? आपके मुताबिक मामला 2014 का है। तब तो मैं विधायक भी नहीं था। ये लेटर ही फर्जी है। मेरे विरोधियों ने जालसाजी करके तैयार किया है। सवाल: 1995 से 2012 के बीच आपने कई जमीनें खुद और परिवार के लोगों के नाम खरीदीं, इसका स्त्रोत क्या था? जवाब: मैं रेलवे में सरकारी नौकरी में था। वहां सैलरी के पैसे बचाकर मैंने जमीन खरीदी। उस समय जमीनें भी तो सस्ती थीं। लेकिन जितनी संपत्ति की बात हो रही है, उतनी है भी नहीं। कई बातें फर्जी हैं। सवाल: आपने अपने खेती का काम देखने वाले मजदूर के नाम कई गाड़ियां खरीदीं, उसको रखने लिए बड़ी रकम दी थी?
जवाब: मैं उसके नाम गाड़ियां क्यों खरीदूंगा? उसकी ससुराल के लोग सऊदी अरब में रहते हैं, उन लोगों ने उसे गाड़ियां खरीदकर दीं। मेरा इन सब से कोई मतलब नहीं। सवाल: लखनऊ में आपके पास कई मकान, आम का बाग और कीमती प्लॉट हैं, करोड़ों में इनकी कीमत है। इतना पैसा कहां से आया? जवाब: सिर्फ एक मकान है, जिसमें रहता हूं। इसके अलावा कोई मकान नहीं है। मोहनलालगंज में दो जमीनें हैं। जब खरीदी थीं, तब काफी सस्ती थीं। बाकी सब फर्जी हैं और कोई संपत्ति नहीं है। सवाल: आप राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई पेपर लीक मामले में आरोपी रहे, जेल भी गए। क्या ये भी झूठ है? जवाब: मैं रेलवे में यूनियन का नेता था। कई लोग मुझसे बैर रखते थे। ये सब उन लोगों की साजिश थी। मुझे फंसाने की, जेल भी मैं साजिश के तहत भेजा गया था। सवाल: गांव के कई लोगों ने आरोप लगाया कि आप 10 हजार लोगों को नौकरी दिला चुके हैं। हर भर्ती का पेपर आपके पास पहले आ जाता है? जवाब: ये आपका सबसे अच्छा सवाल है। मेरे ऊपर आरोपों की सारी पटकथा यहीं से लिखी गई है। ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान मेरी कुछ लोगों से रंजिश थी। उसमें मुकदमा भी दर्ज हुआ है, दोनों पक्ष पर। मेरे गांव में भी कुछ लोग मुझसे इसलिए जलते हैं कि मैं दलित होकर विधायक बन गया। मेरी पत्नी ब्लॉक प्रमुख हैं। ये सभी मेरे विरोधियों ने मिलकर आपको गलत जानकारी दी है। सारे आरोप निराधार हैं। अगर सही हैं तो अब तक मुझ पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। वायरल वीडियो भी एडिटेड है। मुझे बदनाम करने की साजिश है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर