हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भितरघात की आशंका है। भाजपा ने तीनों सीटों पर निर्दलीय पूर्व विधायकों को टिकट दिया है। इससे 2022 के विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के साथ-साथ भावी टिकट के दावेदार भी पार्टी से नाराज हैं। भाजपा को देहरा और नालागढ़ सीट पर भितरघात की आशंका ज्यादा है। देहरा में पूर्व मंत्री रमेश चंद धवाला ने खुलेआम ऐलान कर दिया है कि वह पार्टी प्रत्याशी होशियार सिंह के लिए वोट नहीं मांगेंगे। उनकी नाराजगी सिर्फ होशियार सिंह से ही नहीं बल्कि भाजपा हाईकमान के बड़े नेताओं से भी है। नाराज धवाला ने कहा है कि भेड़ की खाल में भेड़िये ने उनके साथ जो किया है, उसकी पाई-पाई वह लेंगे। भाजपा के कई नेताओं ने धवाला को मनाने की कोशिश की। लेकिन वह नहीं माने। इसलिए उपचुनाव में उनकी नाराजगी भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। नालागढ़ में बागी हरप्रीत BJP के लिए चुनौती उधर, नालागढ़ सीट पर भी भाजपा के सह-मीडिया प्रभारी हरप्रीत सिंह पार्टी से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उनके चुनाव लड़ने से भी भाजपा को यहां भी भीतरघात का डर है। हरप्रीत सिंह को भाजपा हल्के में नहीं ले रही, क्योंकि वह तीन बार के BJP के पूर्व विधायक एवं दिग्गज नेता हरि नारायण सैणी के भतीजे हैं। हरप्रीत के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को उम्मीदें हरप्रीत सिंह के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को बहुत ज्यादा उम्मीद है। ऐसे में बीजेपी अगर नालागढ़ में अपने कॉडर को एकजुट नहीं रख पाई तो यहां पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी तरह 2022 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी लखविंदर राणा का इशारा भी बीजेपी की जीत-हार की पटकथा लिखेगा। हालांकि बीजेपी नाराज लखविंदर राणा को मनाने में कामयाब रही है। मगर उनके समर्थकों में नाराजगी है। हमीरपुर में भी अंदरखाते भाजपा नेताओं में नाराजगी हमीरपुर में भी बीजेपी को भीतरघात का डर है। निर्दलीय एवं पूर्व विधायक आशीष शर्मा को टिकट देने से बीजेपी के कई नेता अंदरखाते नाराज है। आशीष शर्मा यदि बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतते हैं तो पूर्व विधायक नरेंद्र ठाकुर समेत युवा भाजपा नेताओं के कई साल तक चुनाव लड़ने के सपने पर पानी फिर सकता है। इससे पार्टी को यहां भी भीतरघात का डर है। कांग्रेस को तीनों सीटों पर लंबे समय से जीत नहीं लगी हाथ वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस को भीतरघात का ज्यादा डर नहीं है। मगर तीनों सीटों पर कांग्रेस को कई सालों से सत्ता नहीं मिल पाई है। देहरा में तो कांग्रेस एक बार भी चुनाव नहीं जीती। हमीरपुर सीट पर आखिरी बार 2007 में कांग्रेस जीती थी। इसके बाद लगातार तीन चुनाव में कांग्रेस की हार हुई है। हालांकि नालागढ़ सीट पर 2017 में कांग्रेस के लखविंदर राणा जरूर जीते थे। मगर 2022 में वह भी भाजपा में शामिल हो गए। इससे नालागढ़ में कांग्रेस की राह भी आसान नहीं है। हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भितरघात की आशंका है। भाजपा ने तीनों सीटों पर निर्दलीय पूर्व विधायकों को टिकट दिया है। इससे 2022 के विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के साथ-साथ भावी टिकट के दावेदार भी पार्टी से नाराज हैं। भाजपा को देहरा और नालागढ़ सीट पर भितरघात की आशंका ज्यादा है। देहरा में पूर्व मंत्री रमेश चंद धवाला ने खुलेआम ऐलान कर दिया है कि वह पार्टी प्रत्याशी होशियार सिंह के लिए वोट नहीं मांगेंगे। उनकी नाराजगी सिर्फ होशियार सिंह से ही नहीं बल्कि भाजपा हाईकमान के बड़े नेताओं से भी है। नाराज धवाला ने कहा है कि भेड़ की खाल में भेड़िये ने उनके साथ जो किया है, उसकी पाई-पाई वह लेंगे। भाजपा के कई नेताओं ने धवाला को मनाने की कोशिश की। लेकिन वह नहीं माने। इसलिए उपचुनाव में उनकी नाराजगी भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। नालागढ़ में बागी हरप्रीत BJP के लिए चुनौती उधर, नालागढ़ सीट पर भी भाजपा के सह-मीडिया प्रभारी हरप्रीत सिंह पार्टी से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उनके चुनाव लड़ने से भी भाजपा को यहां भी भीतरघात का डर है। हरप्रीत सिंह को भाजपा हल्के में नहीं ले रही, क्योंकि वह तीन बार के BJP के पूर्व विधायक एवं दिग्गज नेता हरि नारायण सैणी के भतीजे हैं। हरप्रीत के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को उम्मीदें हरप्रीत सिंह के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को बहुत ज्यादा उम्मीद है। ऐसे में बीजेपी अगर नालागढ़ में अपने कॉडर को एकजुट नहीं रख पाई तो यहां पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी तरह 2022 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी लखविंदर राणा का इशारा भी बीजेपी की जीत-हार की पटकथा लिखेगा। हालांकि बीजेपी नाराज लखविंदर राणा को मनाने में कामयाब रही है। मगर उनके समर्थकों में नाराजगी है। हमीरपुर में भी अंदरखाते भाजपा नेताओं में नाराजगी हमीरपुर में भी बीजेपी को भीतरघात का डर है। निर्दलीय एवं पूर्व विधायक आशीष शर्मा को टिकट देने से बीजेपी के कई नेता अंदरखाते नाराज है। आशीष शर्मा यदि बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतते हैं तो पूर्व विधायक नरेंद्र ठाकुर समेत युवा भाजपा नेताओं के कई साल तक चुनाव लड़ने के सपने पर पानी फिर सकता है। इससे पार्टी को यहां भी भीतरघात का डर है। कांग्रेस को तीनों सीटों पर लंबे समय से जीत नहीं लगी हाथ वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस को भीतरघात का ज्यादा डर नहीं है। मगर तीनों सीटों पर कांग्रेस को कई सालों से सत्ता नहीं मिल पाई है। देहरा में तो कांग्रेस एक बार भी चुनाव नहीं जीती। हमीरपुर सीट पर आखिरी बार 2007 में कांग्रेस जीती थी। इसके बाद लगातार तीन चुनाव में कांग्रेस की हार हुई है। हालांकि नालागढ़ सीट पर 2017 में कांग्रेस के लखविंदर राणा जरूर जीते थे। मगर 2022 में वह भी भाजपा में शामिल हो गए। इससे नालागढ़ में कांग्रेस की राह भी आसान नहीं है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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