<p style=”text-align: justify;”><strong>Trainee IAS officer Pooja Khedkar:</strong> पुणे में तैनात एक ट्रेनी आईएएस अधिकारी को प्रशिक्षण पूरा होने से पहले ही मध्य महाराष्ट्र के वाशिम जिले में ट्रांसफर कर दिया गया है, क्योंकि उसने अलग केबिन और स्टाफ जैसी मांगों को लेकर विवाद खड़ा कर दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ट्रेनी आईएएस अधिकारी की मांग</strong><br />आधिकारिक पत्र में कहा गया है कि 2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को उनके प्रशिक्षण की शेष अवधि पूरी करने के लिए वाशिम स्थानांतरित किया गया है और वह 30 जुलाई, 2025 तक वहां सुपरन्यूमेरी सहायक कलेक्टर के रूप में काम करेंगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रिपोर्ट में क्या कुछ कहा गया है?</strong><br />पुणे कलेक्टर सुहास दीवसे की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, 3 जून को ड्यूटी पर आने से पहले ही खेडकर ने बार-बार मांग की थी कि उन्हें एक अलग केबिन, कार, आवासीय क्वार्टर और एक चपरासी प्रदान किया जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्हें बताया गया कि वे प्रोबेशन पीरियड पर इन सुविधाओं की हकदार नहीं हैं, और उन्हें आवास प्रदान किया जाएगा. दीवसे ने जीएडी को अपनी रिपोर्ट में कहा कि खेडकर को पुणे में अपना प्रशिक्षण जारी रखने की अनुमति देना उचित नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन पर पुणे कलेक्टर कार्यालय में एक वरिष्ठ अधिकारी की नेमप्लेट हटाने का भी आरोप लगाया गया था, जब अधिकारी ने उन्हें अपने कार्यालय के रूप में अपने पूर्व कक्ष का उपयोग करने की अनुमति दी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का भी इस्तेमाल किया, जिससे प्रशासन में हलचल मच गई. उन्होंने अपनी निजी कार पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ का बोर्ड भी लगाया था. नियमों के अनुसार, प्रशिक्षु को उपरोक्त सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं और पहले उसे राजपत्रित अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाना आवश्यक होता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”महाराष्ट्र के युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी! 50 हजार ‘योजना दूत’ की होगी भर्ती, यहां जानें डिटेल्स” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/maharashtra-yojana-doot-recruitment-of-50-thousand-youth-to-promote-welfare-schemes-2733940″ target=”_blank” rel=”noopener”>महाराष्ट्र के युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी! 50 हजार ‘योजना दूत’ की होगी भर्ती, यहां जानें डिटेल्स</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Trainee IAS officer Pooja Khedkar:</strong> पुणे में तैनात एक ट्रेनी आईएएस अधिकारी को प्रशिक्षण पूरा होने से पहले ही मध्य महाराष्ट्र के वाशिम जिले में ट्रांसफर कर दिया गया है, क्योंकि उसने अलग केबिन और स्टाफ जैसी मांगों को लेकर विवाद खड़ा कर दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ट्रेनी आईएएस अधिकारी की मांग</strong><br />आधिकारिक पत्र में कहा गया है कि 2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को उनके प्रशिक्षण की शेष अवधि पूरी करने के लिए वाशिम स्थानांतरित किया गया है और वह 30 जुलाई, 2025 तक वहां सुपरन्यूमेरी सहायक कलेक्टर के रूप में काम करेंगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रिपोर्ट में क्या कुछ कहा गया है?</strong><br />पुणे कलेक्टर सुहास दीवसे की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, 3 जून को ड्यूटी पर आने से पहले ही खेडकर ने बार-बार मांग की थी कि उन्हें एक अलग केबिन, कार, आवासीय क्वार्टर और एक चपरासी प्रदान किया जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्हें बताया गया कि वे प्रोबेशन पीरियड पर इन सुविधाओं की हकदार नहीं हैं, और उन्हें आवास प्रदान किया जाएगा. दीवसे ने जीएडी को अपनी रिपोर्ट में कहा कि खेडकर को पुणे में अपना प्रशिक्षण जारी रखने की अनुमति देना उचित नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन पर पुणे कलेक्टर कार्यालय में एक वरिष्ठ अधिकारी की नेमप्लेट हटाने का भी आरोप लगाया गया था, जब अधिकारी ने उन्हें अपने कार्यालय के रूप में अपने पूर्व कक्ष का उपयोग करने की अनुमति दी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का भी इस्तेमाल किया, जिससे प्रशासन में हलचल मच गई. उन्होंने अपनी निजी कार पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ का बोर्ड भी लगाया था. नियमों के अनुसार, प्रशिक्षु को उपरोक्त सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं और पहले उसे राजपत्रित अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाना आवश्यक होता है.</p>
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