हरियाणा के जींद जिले के उचाना क्षेत्र के गांव गुरुकुल खेड़ा के सरकारी स्कूल में बने जिम हॉल में 14 वर्षीय लड़के ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान अंकुश पुत्र बीरभान के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि युवक को मिर्गी के दौरे आते थे। मौके पर पहुंची उचाना थाना पुलिस मामले की कार्रवाई कर रही है। चिकित्सकों मृत किया घोषित जानकारी के अनुसार गांव गुरुकुल खेड़ा के बीरभान का पुत्र अंकुश 10वीं कक्षा में पढ़ता था। उसे मिर्गी के दौरे आते थे। जिससे वह परेशान रहता था, और उसका उपचार चल रहा था। अंकुश गांव के सरकारी स्कूल में बने जिम में प्रैक्टिस करने के लिए चला जाता था। शनिवार को सुबह घर से स्कूल में जिम में प्रैक्टिस के लिए गया था। बाद में उन्हें सूचना मिली कि अंकुश ने जिम में लगे जिम उपकरण की रस्सी उतारकर इसके साथ फांसी का फंदा लगा लिया। अंकुश को फांसी के फंद से उतारकर उचाना नागरिक अस्पताल में लाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन उसे वापस घर ले आए और अंतिम संस्कार कर दिया। हरियाणा के जींद जिले के उचाना क्षेत्र के गांव गुरुकुल खेड़ा के सरकारी स्कूल में बने जिम हॉल में 14 वर्षीय लड़के ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान अंकुश पुत्र बीरभान के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि युवक को मिर्गी के दौरे आते थे। मौके पर पहुंची उचाना थाना पुलिस मामले की कार्रवाई कर रही है। चिकित्सकों मृत किया घोषित जानकारी के अनुसार गांव गुरुकुल खेड़ा के बीरभान का पुत्र अंकुश 10वीं कक्षा में पढ़ता था। उसे मिर्गी के दौरे आते थे। जिससे वह परेशान रहता था, और उसका उपचार चल रहा था। अंकुश गांव के सरकारी स्कूल में बने जिम में प्रैक्टिस करने के लिए चला जाता था। शनिवार को सुबह घर से स्कूल में जिम में प्रैक्टिस के लिए गया था। बाद में उन्हें सूचना मिली कि अंकुश ने जिम में लगे जिम उपकरण की रस्सी उतारकर इसके साथ फांसी का फंदा लगा लिया। अंकुश को फांसी के फंद से उतारकर उचाना नागरिक अस्पताल में लाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन उसे वापस घर ले आए और अंतिम संस्कार कर दिया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा स्वास्थ्य मंत्री का पीए AAP में शामिल:देसी घी गाड़ी में रखवाने को लेकर हटाया था, संजीव बोले- टिन एसडीओ का था
हरियाणा स्वास्थ्य मंत्री का पीए AAP में शामिल:देसी घी गाड़ी में रखवाने को लेकर हटाया था, संजीव बोले- टिन एसडीओ का था हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता के साढ़े 9 साल तक पीए रहे संजीव सिरोहा आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए हैं। आप के हरियाणा प्रभारी सुशील गुप्ता ने संजीव सिरोहा को पटका पहनाकर पार्टी में शामिल कराया। आपको बता दें कि संजीव सिरोहा और उनका परिवार लंबे समय तक भाजपा से जुड़ा रहा। संजीव लंबे समय तक डॉ. कमल गुप्ता के साथ उनके पीए के तौर पर थे, लेकिन कुछ महीने पहले अचानक डॉ. कमल गुप्ता ने संजीव सिरोहा को नौकरी से निकाल दिया। इसकी वजह बाद में यह सामने आई कि डॉ. कमल गुप्ता की कार में देसी घी का डिब्बा रखने पर मंत्री ने पीए को नौकरी से निकाल दिया था। इस दौरान संजीव ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई भी दी, लेकिन संजीव से इस्तीफा लिखवाकर उसे नौकरी से हटा दिया गया। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री ने इस पर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। AAP ज्वाइन करते मंत्री पर बरसे पीए
संजीव गुप्ता ने इस दौरान खुलकर डॉ. कमल गुप्ता अपनी भड़ास निकाली। संजीव ने कहा कि “मैं कैबिनेट मंत्री डॉ. कमल गुप्ता का पीए रहा। पहले मुझे 7 जनवरी 2024 को हटाया गया। मुझे कारण बताया गया कि आप बेटे की इज्जत नहीं करते। मैंने कहा बेटा तो गुड़गांव रहता है ऐसी तो कोई बात नहीं है। इसके बाद मुझे एक हफ्ते बाद बुला लिया। इसके बाद हम 26 जनवरी को गुड़गांव थे। वहां एक एसडीओ थे जोग शर्मा जी उन्होंने गाड़ी में देसी घी का टिन रखवा दिया और कहा कि हिसार में मेरे मामा जी रहते हैं, उनको दे देना ड्राइवर को मैंने बोल दिया है। इसके बाद डॉ. कमल गुप्ता जी का बेटे ने आरोप लगा दिया कि आपने देसी घी का टिन रिश्वत का लिया है। मैंने उनको जोग शर्मा जी से मिलवाया और अपनी सफाई दे दी। मगर फिर भी वह नहीं माने। मुझे कहा गया कि हम SP को बुला रहे हैं और आपको जेल में भेजेंगे। आप रिजाइन लिख दो और जैसा हम लिखवाएंगे वैसा ही लिखना। इसके बाद मुझसे रिजाइन लिखवाया गया और अंगूठे के निशान भी लिए गए और इसके बाद वीडियो भी बनाया। मुझसे आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया गया। इसके बाद मैं एक महीने तक निराश रहा। फिर मैंने आगे बढ़ने की सोची और केजरीवाल से प्रभावित होकर AAP पार्टी ज्वाइन कर ली”। कौन है डॉ. कमल गुप्ता
डॉ. कमल गुप्ता हिसार से दो बार लगातार विधायक चुने गए हैं। उन्होंने पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल को हराया था और उसके बाद 2019 में कांग्रेस के राम निवास राड़ा को हराकर विधायक बने थे। खट्टर सरकार में वह चेयरमैन, निकाय मंत्री और अब स्वास्थ्य मंत्री के पद पर हैं। डॉ. कमल गुप्ता की गिनती हरियाणा भाजपा के पुराने नेताओं में होती है।
हरियाणा में समय से पहले हो सकते हैं विधानसभा चुनाव:25 अगस्त के बाद घोषणा संभव; सैनी सरकार अलर्ट, अधिकारी देर रात तक कामों में जुटे
हरियाणा में समय से पहले हो सकते हैं विधानसभा चुनाव:25 अगस्त के बाद घोषणा संभव; सैनी सरकार अलर्ट, अधिकारी देर रात तक कामों में जुटे हरियाणा में विधानसभा चुनाव तय समय से पहले हो सकते हैं। भारतीय चुनाव आयोग (ECI) 25 अगस्त के बाद इसकी घोषणा करेगा। इस साल 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और झारखंड शामिल हैं। ECI के सूत्रों का कहना है कि जम्मू कश्मीर के कारण चुनाव की डेट में बदलाव किया गया है। 2019 में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने 21 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी किया था। इस सरकार का कार्यकाल 3 नवंबर 2024 को खत्म होगा। समय से पहले विधानसभा चुनाव को लेकर हरियाणा सरकार भी अलर्ट हो गई है। सीएम नायब सैनी ने मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) और टॉप ब्यूरोक्रेसी को अलर्ट कर दिया है। यही वजह है कि CMO के ऑफिसर्स देर रात तक काम कर रहे हैं। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पंकज अग्रवाल पहले ही बता चुके हैं कि विधानसभा चुनावों को लेकर भारतीय चुनाव आयोग की टीम 12-13 अगस्त को हरियाणा दौरे पर आ रही है। स्थानीय स्तर पर सभी 22 जिलों मे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के इंजीनियरों द्वारा EVM चेकिंग का काम किया जा रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव के लिए 817 पोलिंग बूथ नए बनाए गए हैं, जिसके बाद पोलिंग बूथों की संख्या बढ़कर 20,629 हो गई है। समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने की ये 3 बड़ी वजहें… 1. जम्मू-कश्मीर जम्मू-कश्मीर में 2018 से सरकार नहीं है। यहां राष्ट्रपति शासन लागू है। यहां अब विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां सितंबर 2024 में विधानसभा चुनाव संभावित हैं, जबकि हरियाणा सहित 3 अन्य राज्यों में अक्टूबर 2024 में विधानसभा प्रस्तावित है। जम्मू-कश्मीर की सीमाएं पाकिस्तान से लगती है। आर्टिकल 370 हटने के बाद यहां पिछले कुछ दिनों से आतंकी घटनाएं बढ़ गई हैं, ऐसे में केंद्र सरकार विधानसभा चुनाव कराकर इतिश्री करना चाहती है। यही वजह है कि दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव समय से पहले कराने पड़ रहे हैं। 2. विपक्ष को ज्यादा टाइम देने के मूड में नहीं केंद्र राजनीतिक जानकारों का कहना है लोकसभा चुनाव के बाद BJP के लिए इन चारों राज्यों के विधानसभा चुनाव बड़े महत्वपूर्ण होने वाले हैं। इन राज्यों के चुनाव का सीधा असर केंद्र की सरकार पर पड़ेगा। चूंकि अभी भाजपा ने केंद्र में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी के सहयोग से बनी है। यदि इन राज्यों में भाजपा को अच्छे परिणाम नहीं मिले तो जाहिर है कि इसका सीधा सरकार गठबंधन के सहयोगियों पर भी पड़ेगा। जल्द चुनाव होने से विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस को अपनी तैयारियों को लेकर टाइम नहीं मिल पाएगा। 3. हरियाणा में भी BJP चाहती है जल्दी चुनाव केंद्र के साथ हरियाणा BJP भी यह चाहती है कि यहां समय से पहले ही विधानसभा चुनाव हों। इसका इनपुट हरियाणा की टॉप लीडरशिप केंद्र को दे चुकी है। यदि यहां समय से पहले चुनाव होते हैं तो हरियाणा सरकार विधानसभा में मानसून सेशन एक दिन का कर सकती है। संविधान विशेषज्ञ राम नारायण यादव ने बताया आर्टिकल 174 के कारण सरकार को 6 महीने के भीतर विधानसभा सत्र बुलाना जरूरी है। चाहे वह एक दिन ही सत्र क्यों न हो। हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन की सरकार थी, इसी साल अलग हुए दोनों हरियाणा में 2019 में पिछले विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें भाजपा को 41 और जजपा को 10 सीट मिली थीं। 6 निर्दलीय और एक हलोपा विधायक के साथ भाजपा ने सरकार बनाई थी। मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि वह 5 साल कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। इसी साल 12 मार्च को जजपा और भाजपा का गठबंधन टूट गया। मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सैनी को विधायक दल की बैठक में नेता चुना गया। इसके बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी ने दावा किया कि उनके पास 48 विधायकों का समर्थन है। मीटिंग में भाजपा के 41 और 7 निर्दलीय विधायक शामिल हुए थे, यानी 48। विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 46 विधायकों का सपोर्ट चाहिए था। लोकसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस को 5-5 सीट मिलीं लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने 5 सीटें जीतीं। वहीं भाजपा को भी 5 सीटों पर जीत मिली। 2019 में भाजपा ने यहां 10 में से 10 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को यहां एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। उनके दिग्गज नेता तक चुनाव हार गए थे। हरियाणा विधानसभा में बदल चुकी स्थिति लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा के नंबरों में बदलाव हो चुका है। 90 विधायकों वाली विधानसभा में अब 87 विधायक ही बचे हैं। सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे, बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद के निधन और अंबाला लोकसभा सीट से मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के अंबाला लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह स्थिति बनी है। 87 सदस्यीय इस विधानसभा में अब बहुमत का आंकड़ा 46 से गिरकर 44 हो गया है। अब भाजपा, कांग्रेस के पास विधायकों की क्या है संख्या मौजूदा स्थिति की बात करें तो भाजपा के पास 41 विधायक हैं। इसके अलावा उन्हें हलोपा विधायक गोपाल कांडा और एक निर्दलीय नयनपाल रावत का समर्थन प्राप्त है। भाजपा के पास 43 विधायक हैं। वहीं विपक्ष में भाजपा से एक ज्यादा यानी 44 विधायक हैं। इनमें कांग्रेस के 29 (किरण चौधरी अभी कांग्रेस विधायक हैं, स्पीकर ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है।), जजपा के 10, निर्दलीय 4 और एक इनेलो विधायक हैं।
हरियाणा चुनाव परिणाम पर AAP का बयान:संजय सिंह बोले- कांग्रेसियों ने कांग्रेस को हराया, 17 सीटों पर बागी बने हार की वजह
हरियाणा चुनाव परिणाम पर AAP का बयान:संजय सिंह बोले- कांग्रेसियों ने कांग्रेस को हराया, 17 सीटों पर बागी बने हार की वजह हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की है। अब कांग्रेस पार्टी अपनी हार की समीक्षा करने में जुटी हुई है। इसी बीच, हरियाणा के चुनावी नतीजों पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि कई स्तरों पर रणनीतिक चूक हुई है और इसकी समीक्षा कांग्रेस पार्टी को करनी चाहिए। अगर आप जम्मू-कश्मीर का चुनाव देखें तो वहां पर इंडिया अलायंस लड़ा था। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने एक साथ चुनाव लड़ा और प्रचंड बहुमत से वहां पर वह जीते। संजय सिंह ने कहा कि अगर यही प्रयोग हरियाणा में होता और कांग्रेस पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी यही चाह रहा था कि गठबंधन में चुनाव लड़ा जाए। फिर कैसे स्टेट लीडरशिप ने उन फैसलों को बदल दिया और बगैर गठबंधन के चुनाव में गए। उन्होंने न तो आम आदमी पार्टी के साथ में गठबंधन किया और न ही समाजवादी पार्टी के साथ में अलायंस किया। उन्होंने कहा कि आप 90 सीटों पर लड़े तो आपकी 35 सीटें आईं। आप 80 पर लड़ लेते और पांच से छह सीट गठबंधन के लोगों को दे देते। आज इंडिया अलांयस की 70 सीटें आती। हरियाणा में जाट, नॉन जाट राजनीति को रोका जा सकता था
अरविंद केजरीवाल कांग्रेस या इंडिया गठबंधन के लिए हरियाणा मे प्रचार करते, तो अलग वातावरण होता। वहां जो जाट, नॉन जाट की राजनीति खेली गई है, उसे भी रोका जा सकता था। हमारी जो जानकारी है कि वहां कांग्रेस के बागी केंडिडेट खड़े हुए और कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराया। जब कांग्रेस पार्टी ही कांग्रेस पार्टी को हराने में लग जाएगी, तो कांग्रेस जीतेगी कैसे। कांग्रेस के 17 उम्मीदवार ऐसे है, जो कांग्रेस के बागियों के चुनाव में खड़े होने की वजह से हार गए। ये जिम्मेदारी किसकी है। दिल्ली में अकेले लड़ेगी आम आदमी पार्टी
आप नेता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के 17 उम्मीदवार ऐसे हैं जो बागियों के खड़े होने की वजह से चुनाव हार गए। अब इसकी जिम्मेदारी किसकी है। जब उनसे सवाल किया गया कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी या इंडिया गठबंधन लड़ेगा तो उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी अकेले ही लड़ते आ रही है और इस बार भी अकेले ही चुनाव लड़ेगी। यहां पर हम भारतीय जनता पार्टी को अकेले ही हराने में सक्षम है। जैसे पश्चिम बंगाल में टीएमसी बीजेपी को अकेले हराने में सक्षम है।