कानपुर में शुक्रवार शाम को अचानक तेज आवाज से रावतपुर के पास सड़क धंस जाती है। सड़क से पानी की मोटी धार निकलती है। सड़क को करीब 15 फीट हिस्सा धंस जाता है। गनीमत रही कि राहगीर इसकी चपेट में नहीं आए। शहर की 10 लाख आबादी को जलापूर्ति के तत्काल बंद कर दिया और 24 घंटे से पानी सप्लाई नहीं हो सका। अगले 2 दिन तक और नहीं आएगा। ये कानपुर में औसतन हर महीने को किस्सा हो गया है। कारण क्या है? तो इसका जवाब है कि 2015 में गंगा बैराज से साउथ सिटी तक पाइप लाइन बिछाई गई। जिससे कि शहर की 40 लाख आबादी को नल से जल मिल सके। लेकिन आज तक सिर्फ 10 लाख आबादी को ही पानी सप्लाई किया जा रहा है। बड़ा कारण ये भी है कि अगर पूरी क्षमता से पानी छोड़ा गया तो भ्रष्टाचार की मिसाल बन चुकी है, ये पाइप लाइन कहां-कहां से फटेगी, इसका अंदाजा जल निगम के अभियंताओं को भी नहीं है। बीते 9 साल में इस लाइन में करीब 900 से ज्यादा लीकेज हो चुके हैं और इन लीकेज को बनाने में करीब 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम खर्च हो चुकी है। लीकेज बनाने के बाद सड़क बनाने के खर्च को भी जोड़ लेंगे तो ये रकम शायद दोगुनी हो जाए। अब आपको विस्तार से भ्रष्टाचारी पाइप लाइन के बारे में बताते हैं…
JNNURM (जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन योजना) के तहत लोगों को शुद्ध पीने का पानी मिले, इसके लिए कानपुर में 15 किमी. के दायरे में ये पाइप लाइन डाली गई। वर्ष-2009 में इसका कार्य पूरा हुआ और वर्ष-2015 में इसकी टेस्टिंग शुरू की गई। इस प्रकार है पूरी योजना
योजना में 2 फेज में काम हुआ। पहले फेज में 393 करोड़ रुपए से पाइप लाइन डालने का काम हुआ। इसके तहत गंगा बैराज में 20-20 करोड़ लीटर पानी की क्षमता के 2 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बने। यहां से पूरे शहर को पानी सप्लाई के लिए 1800, 1600 और 1400 एमएम के पाइप डाले गए। पाइप डालने का ठेका विचित्रा प्रीस्ट्रेसड कंक्रीट उद्योग प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली के पास था। वहीं दोशियान कंपनी से 25 करोड़ रुपए में पाइप खरीदा गया। इतनी ही लागत इन्हें बिछाने में आई। टेस्टिंग में ही 30 जगह फूटे थे फव्वारे
योजना में कंपनीबाग से फूलबाग तक और कंपनीबाग से बारादेवी चौराहा तक पाइप लाइन डाली गई थी। मई 2015 में इन लाइनों की टेस्टिंग शुरू की गई। टेस्टिंग के पहले दिन ही 30 जगहों पर फव्वारे फट पड़े थे। इसके बाद से ही योजना में जांच चल रही थी। 24 इंजीनियरों पर दर्ज हुई FIR
योजना में भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन 24 इंजीनियरों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसमें 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम का भ्रष्टाचार की आशंका है। ऐसे में पुलिस ने इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा से कराने का फैसला लिया। हालांकि जांच का अब कुछ पता नहीं है। 900 से ज्यादा हो चुके हैं लीकेज
जल निगम सूत्रों के मुताबिक बीते 9 सालों में 15 किमी. की लाइन में 900 से ज्यादा छोटे-बड़े लीकेज हो चुके हैं। इनको बनाने में 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम खर्च हो चुकी है। जल निगम अभियंता के मुताबिक छोटे लीकेज बनाने में करीब 50 हजार से 1 लाख रुपए और बड़े लीकेज बनाने में अमूमन 2 लाख रुपए तक खर्च हो जाते हैं। लीकेज की कुछ भयावह तस्वीरें देखिये… लाखों नलों से एक बूंद पानी नहीं
योजना के तहत लोगों को नलों से साफ पानी दिया जाना था। शहर में 3 लाख से ज्यादा घरों में नलों के कनेक्शन दिए गए। लेकिन आज तक इन नलों से एक बूंद पानी नहीं आया। लाइनों में कई जगहों पर गैप छोड़ दिए गए। आज तक इन गैप को भरा नहीं जा सका है। जाजमऊ, कृष्णा नगर, गांधीग्राम, वाजिदपुर, श्यामनगर, किदवई नगर, हंसपुरम, नौबस्ता समेत दर्जनों एरिया में पानी नहीं पहुंच सका है। आज तक पूरी क्षमता से पानी नहीं हो सका सप्लाई
इस योजना के तहत कानपुर की 40 लाख आबादी को 40 करोड़ लीटर वाटर सप्लाई होना था। लेकिन आज तक सिर्फ 6 करोड़ लीटर पानी ही 10 लाख आबादी को मिल पा रहा है। इसके पीछे बड़ा कारण ये है कि पूरी क्षमता से वाटर सप्लाई करने पर लाइनें फट जाएंगी। लीकेज में अभी तक 10 हजार करोड़ लीटर से ज्यादा साफ पानी बर्बाद हो चुका है। औसतन हर महीने होता है एक लीकेज
जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर अजमल हुसैन ने बताया कि इस लाइन में औसतन हर महीने एक लीकेज होता है। कई बार जब बड़े लीकेज होते हैं तो तुरंत ही वाटर सप्लाई रोकनी पड़ती है। छोटे-छोटे लीकेज तो आए दिन होते हैं। मजबूरी में लीकेज बनाने के लिए वाटर सप्लाई रोकनी पड़ती है। हादसे की वजह बन चुके हैं ये लीकेज
-2018 में चुन्नीगंज के पास 20 फीट ऊंचा फव्वारा फट पड़ा था।
-कमिश्नर आवास चौराहा के पास मैकरॉबर्ट गंज रोड 15 मीटर लंबाई तक धंसी।
-नई सड़क पर पाइप लाइन फटने से सड़क धंसने के साथ ठप हो गई वाटर सप्लाई।
-नानाराव पार्क में पाइप लाइन फटने से धंसी रोड में 3 लोग घायल हो गए।
-बड़ा चौराहा पर अचानक धंसी रोड पर बेटे के साथ डॉक्टर सहित समा गए थे।
-जीटी रोड गुमटी पर चौराहा धंसने से बाइक सवार गिर थे।
-गुमटी नम्बर 5 मार्केट रोड बन गई थी खाई, 2 महीने तक ठप रहा था कारोबार।
-रायपुरवा में रोड धंसने से मकानों में आ गई थी दरार।
-कंपनीबाग से जीटी रोड रावतपुर रोड पर 30 से अधिक बार लीकेज हो चुके हैं।
-रावतपुर के पास हुए लीकेज में 15 फीट धंस गई सड़क।
-एसडी स्कूल के पीछे मेन राइजिंग पाइप लाइन में हुआ लीकेज।
-विष्णुपुरी में हुए लीकेज में बनाने में लगे 2 दिन। योजना के तहत ये कार्य किए गए…
-20 करोड़ लीटर का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट गंगा बैराज
-40 करोड़ लीटर पंप हाउस
-15 किमी मुख्य पाइपलाइन
-76 जोनल पंपिंग स्टेशन बनाए गए कानपुर में शुक्रवार शाम को अचानक तेज आवाज से रावतपुर के पास सड़क धंस जाती है। सड़क से पानी की मोटी धार निकलती है। सड़क को करीब 15 फीट हिस्सा धंस जाता है। गनीमत रही कि राहगीर इसकी चपेट में नहीं आए। शहर की 10 लाख आबादी को जलापूर्ति के तत्काल बंद कर दिया और 24 घंटे से पानी सप्लाई नहीं हो सका। अगले 2 दिन तक और नहीं आएगा। ये कानपुर में औसतन हर महीने को किस्सा हो गया है। कारण क्या है? तो इसका जवाब है कि 2015 में गंगा बैराज से साउथ सिटी तक पाइप लाइन बिछाई गई। जिससे कि शहर की 40 लाख आबादी को नल से जल मिल सके। लेकिन आज तक सिर्फ 10 लाख आबादी को ही पानी सप्लाई किया जा रहा है। बड़ा कारण ये भी है कि अगर पूरी क्षमता से पानी छोड़ा गया तो भ्रष्टाचार की मिसाल बन चुकी है, ये पाइप लाइन कहां-कहां से फटेगी, इसका अंदाजा जल निगम के अभियंताओं को भी नहीं है। बीते 9 साल में इस लाइन में करीब 900 से ज्यादा लीकेज हो चुके हैं और इन लीकेज को बनाने में करीब 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम खर्च हो चुकी है। लीकेज बनाने के बाद सड़क बनाने के खर्च को भी जोड़ लेंगे तो ये रकम शायद दोगुनी हो जाए। अब आपको विस्तार से भ्रष्टाचारी पाइप लाइन के बारे में बताते हैं…
JNNURM (जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन योजना) के तहत लोगों को शुद्ध पीने का पानी मिले, इसके लिए कानपुर में 15 किमी. के दायरे में ये पाइप लाइन डाली गई। वर्ष-2009 में इसका कार्य पूरा हुआ और वर्ष-2015 में इसकी टेस्टिंग शुरू की गई। इस प्रकार है पूरी योजना
योजना में 2 फेज में काम हुआ। पहले फेज में 393 करोड़ रुपए से पाइप लाइन डालने का काम हुआ। इसके तहत गंगा बैराज में 20-20 करोड़ लीटर पानी की क्षमता के 2 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बने। यहां से पूरे शहर को पानी सप्लाई के लिए 1800, 1600 और 1400 एमएम के पाइप डाले गए। पाइप डालने का ठेका विचित्रा प्रीस्ट्रेसड कंक्रीट उद्योग प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली के पास था। वहीं दोशियान कंपनी से 25 करोड़ रुपए में पाइप खरीदा गया। इतनी ही लागत इन्हें बिछाने में आई। टेस्टिंग में ही 30 जगह फूटे थे फव्वारे
योजना में कंपनीबाग से फूलबाग तक और कंपनीबाग से बारादेवी चौराहा तक पाइप लाइन डाली गई थी। मई 2015 में इन लाइनों की टेस्टिंग शुरू की गई। टेस्टिंग के पहले दिन ही 30 जगहों पर फव्वारे फट पड़े थे। इसके बाद से ही योजना में जांच चल रही थी। 24 इंजीनियरों पर दर्ज हुई FIR
योजना में भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन 24 इंजीनियरों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसमें 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम का भ्रष्टाचार की आशंका है। ऐसे में पुलिस ने इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा से कराने का फैसला लिया। हालांकि जांच का अब कुछ पता नहीं है। 900 से ज्यादा हो चुके हैं लीकेज
जल निगम सूत्रों के मुताबिक बीते 9 सालों में 15 किमी. की लाइन में 900 से ज्यादा छोटे-बड़े लीकेज हो चुके हैं। इनको बनाने में 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम खर्च हो चुकी है। जल निगम अभियंता के मुताबिक छोटे लीकेज बनाने में करीब 50 हजार से 1 लाख रुपए और बड़े लीकेज बनाने में अमूमन 2 लाख रुपए तक खर्च हो जाते हैं। लीकेज की कुछ भयावह तस्वीरें देखिये… लाखों नलों से एक बूंद पानी नहीं
योजना के तहत लोगों को नलों से साफ पानी दिया जाना था। शहर में 3 लाख से ज्यादा घरों में नलों के कनेक्शन दिए गए। लेकिन आज तक इन नलों से एक बूंद पानी नहीं आया। लाइनों में कई जगहों पर गैप छोड़ दिए गए। आज तक इन गैप को भरा नहीं जा सका है। जाजमऊ, कृष्णा नगर, गांधीग्राम, वाजिदपुर, श्यामनगर, किदवई नगर, हंसपुरम, नौबस्ता समेत दर्जनों एरिया में पानी नहीं पहुंच सका है। आज तक पूरी क्षमता से पानी नहीं हो सका सप्लाई
इस योजना के तहत कानपुर की 40 लाख आबादी को 40 करोड़ लीटर वाटर सप्लाई होना था। लेकिन आज तक सिर्फ 6 करोड़ लीटर पानी ही 10 लाख आबादी को मिल पा रहा है। इसके पीछे बड़ा कारण ये है कि पूरी क्षमता से वाटर सप्लाई करने पर लाइनें फट जाएंगी। लीकेज में अभी तक 10 हजार करोड़ लीटर से ज्यादा साफ पानी बर्बाद हो चुका है। औसतन हर महीने होता है एक लीकेज
जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर अजमल हुसैन ने बताया कि इस लाइन में औसतन हर महीने एक लीकेज होता है। कई बार जब बड़े लीकेज होते हैं तो तुरंत ही वाटर सप्लाई रोकनी पड़ती है। छोटे-छोटे लीकेज तो आए दिन होते हैं। मजबूरी में लीकेज बनाने के लिए वाटर सप्लाई रोकनी पड़ती है। हादसे की वजह बन चुके हैं ये लीकेज
-2018 में चुन्नीगंज के पास 20 फीट ऊंचा फव्वारा फट पड़ा था।
-कमिश्नर आवास चौराहा के पास मैकरॉबर्ट गंज रोड 15 मीटर लंबाई तक धंसी।
-नई सड़क पर पाइप लाइन फटने से सड़क धंसने के साथ ठप हो गई वाटर सप्लाई।
-नानाराव पार्क में पाइप लाइन फटने से धंसी रोड में 3 लोग घायल हो गए।
-बड़ा चौराहा पर अचानक धंसी रोड पर बेटे के साथ डॉक्टर सहित समा गए थे।
-जीटी रोड गुमटी पर चौराहा धंसने से बाइक सवार गिर थे।
-गुमटी नम्बर 5 मार्केट रोड बन गई थी खाई, 2 महीने तक ठप रहा था कारोबार।
-रायपुरवा में रोड धंसने से मकानों में आ गई थी दरार।
-कंपनीबाग से जीटी रोड रावतपुर रोड पर 30 से अधिक बार लीकेज हो चुके हैं।
-रावतपुर के पास हुए लीकेज में 15 फीट धंस गई सड़क।
-एसडी स्कूल के पीछे मेन राइजिंग पाइप लाइन में हुआ लीकेज।
-विष्णुपुरी में हुए लीकेज में बनाने में लगे 2 दिन। योजना के तहत ये कार्य किए गए…
-20 करोड़ लीटर का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट गंगा बैराज
-40 करोड़ लीटर पंप हाउस
-15 किमी मुख्य पाइपलाइन
-76 जोनल पंपिंग स्टेशन बनाए गए उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर