लोकसभा चुनाव के दौरान जालंधर पश्चिम विधानसभा में कांग्रेस पार्टी ने बढ़त हासिल की थी। जिसके बाद से ही पार्टी ने उपचुनाव में अपनी जीत पक्की मान ली थी। लेकिन नतीजा कुछ और ही रहा। 10 तारीख को हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार सुरिंदर कौर तीसरे नंबर पर रहीं। लोकसभा चुनाव के मुकाबले सुरिंदर कौर को 27 हजार वोटों का नुकसान हुआ है। वहीं आम आदमी पार्टी जो लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर थी, अब पहले नंबर पर आकर जीत गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखकर कांग्रेस को उम्मीद थी कि इस बार वोट बैंक में इजाफा होगा, लेकिन फिर बड़ा बदलाव हुआ। महज 38 दिनों में कांग्रेस को करीब 27500 वोटों का नुकसान हुआ। यह अचानक नहीं हुआ, बल्कि चुनाव की घोषणा वाले दिन से ही यह मुहिम मजबूत होने की बजाय लगातार कमजोर होती गई। पढ़िए इसके मायने, कहां-कहां कांग्रेस को हुआ नुकसान… 1. पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव की घोषणा होते ही 21 टिकट के दावेदार सामने आ गए। वहीं, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर को टिकट देकर पार्टी ने सबको शांत कर दिया। लेकिन अधिकतर नेता टिकट न मिलने पर नाराजगी जताते रहे। तरसेम सिंह लखोत्रा और राजीव टिक्का जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर चले गए। 2. सुरिंदर कौर सीनियर डिप्टी मेयर रहते हुए अपने कार्यालय नहीं जाती थीं, ऐसा आरोप विपक्षी नेताओं ने लगाया। पूरे चुनाव में इस पर चर्चा होती रही, लेकिन किसी वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। ऐसे में पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में विकास की सख्त जरूरत है, क्योंकि उक्त स्थान पर सड़क सीवरेज समेत कई अहम मुद्दे हैं, जिन्हें आज तक छुआ तक नहीं गया। 3. चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने टिकट की घोषणा बहुत देरी से की और उसके बाद चुनाव प्रचार में उतनी चुस्ती नहीं दिखा पाई, जितनी लोकसभा चुनाव में दिखाई थी। वहीं, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 1500 वोटों की बढ़त ले पाई थी, वह भी तब जब पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को मैदान में उतारा गया था। कांग्रेस ने उपचुनाव प्रचार के दौरान इतनी आक्रामकता नहीं दिखाई। जिसके चलते कांग्रेस पश्चिम हलके में पहले से तीसरे स्थान पर आ गई। 4. सबसे अहम बात यह रही कि जहां कांग्रेस पिछड़ गई, वहां जालंधर के सांसद व पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, लुधियाना के सांसद व पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और प्रताप सिंह बाजवा के अलावा कोई भी वरिष्ठ नेता प्रचार के लिए नहीं पहुंचा। लेकिन आप की तरफ से सीएम भगवंत सिंह मान खुद अपने परिवार के साथ मैदान में थे। ऐसे में आप को इसका पूरा फायदा मिला। लोकसभा चुनाव के दौरान जालंधर पश्चिम विधानसभा में कांग्रेस पार्टी ने बढ़त हासिल की थी। जिसके बाद से ही पार्टी ने उपचुनाव में अपनी जीत पक्की मान ली थी। लेकिन नतीजा कुछ और ही रहा। 10 तारीख को हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार सुरिंदर कौर तीसरे नंबर पर रहीं। लोकसभा चुनाव के मुकाबले सुरिंदर कौर को 27 हजार वोटों का नुकसान हुआ है। वहीं आम आदमी पार्टी जो लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर थी, अब पहले नंबर पर आकर जीत गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखकर कांग्रेस को उम्मीद थी कि इस बार वोट बैंक में इजाफा होगा, लेकिन फिर बड़ा बदलाव हुआ। महज 38 दिनों में कांग्रेस को करीब 27500 वोटों का नुकसान हुआ। यह अचानक नहीं हुआ, बल्कि चुनाव की घोषणा वाले दिन से ही यह मुहिम मजबूत होने की बजाय लगातार कमजोर होती गई। पढ़िए इसके मायने, कहां-कहां कांग्रेस को हुआ नुकसान… 1. पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव की घोषणा होते ही 21 टिकट के दावेदार सामने आ गए। वहीं, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर को टिकट देकर पार्टी ने सबको शांत कर दिया। लेकिन अधिकतर नेता टिकट न मिलने पर नाराजगी जताते रहे। तरसेम सिंह लखोत्रा और राजीव टिक्का जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर चले गए। 2. सुरिंदर कौर सीनियर डिप्टी मेयर रहते हुए अपने कार्यालय नहीं जाती थीं, ऐसा आरोप विपक्षी नेताओं ने लगाया। पूरे चुनाव में इस पर चर्चा होती रही, लेकिन किसी वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। ऐसे में पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में विकास की सख्त जरूरत है, क्योंकि उक्त स्थान पर सड़क सीवरेज समेत कई अहम मुद्दे हैं, जिन्हें आज तक छुआ तक नहीं गया। 3. चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने टिकट की घोषणा बहुत देरी से की और उसके बाद चुनाव प्रचार में उतनी चुस्ती नहीं दिखा पाई, जितनी लोकसभा चुनाव में दिखाई थी। वहीं, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 1500 वोटों की बढ़त ले पाई थी, वह भी तब जब पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को मैदान में उतारा गया था। कांग्रेस ने उपचुनाव प्रचार के दौरान इतनी आक्रामकता नहीं दिखाई। जिसके चलते कांग्रेस पश्चिम हलके में पहले से तीसरे स्थान पर आ गई। 4. सबसे अहम बात यह रही कि जहां कांग्रेस पिछड़ गई, वहां जालंधर के सांसद व पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, लुधियाना के सांसद व पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और प्रताप सिंह बाजवा के अलावा कोई भी वरिष्ठ नेता प्रचार के लिए नहीं पहुंचा। लेकिन आप की तरफ से सीएम भगवंत सिंह मान खुद अपने परिवार के साथ मैदान में थे। ऐसे में आप को इसका पूरा फायदा मिला। पंजाब | दैनिक भास्कर
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