योगी का संदेश-जब तक सत्ता में हैं, तभी तक सम्मान:सरकार को खरोंच आई तो असर सभी पर; कार्यसमिति की बैठक में गिनाईं हार की वजहें

योगी का संदेश-जब तक सत्ता में हैं, तभी तक सम्मान:सरकार को खरोंच आई तो असर सभी पर; कार्यसमिति की बैठक में गिनाईं हार की वजहें

लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की पहली बैठक में दो बड़े मैसेज दिए गए। पहला- 2027 का चुनाव जीतना है। सीएम योगी ने मंच से संदेश दिया, अगर लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति 2027 के विधानसभा में हुई तो इसका असर नीचे तक पड़ेगा। दूसरा- कार्यकर्ताओं का सम्मान सभी को करना होगा। इस पर जेपी नड्‌डा से लेकर सभी बड़े नेताओं ने बात की। राजधानी लखनऊ में आशियाना स्थित डॉ. राममनोहर लोहिया लॉ यूनिवर्सिटी के सभागार में रविवार को भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई। इस दौरान सीएम योगी ने न केवल चुनाव में रही कमियों को बताया, 2027 का एजेंडा भी साफ कर दिया। पढ़िए, कार्यसमिति ने हार की वजह क्या बताईं? मंत्री से लेकर आम कार्यकर्ताओं को क्या संदेश दिया गया? आगे पार्टी कैसे काम करेगी? पहले योगी के दो बड़े मैसेज 1- 2027 में खरोंच आई तो असर तो नीचे तक होगा
सीएम योगी ने सधे अंदाज में मंत्री, सांसद-विधायक, मेयर, जिला पंचायत सदस्य समेत पार्टी के पदाधिकारियों को 2027 के लिए बड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा- प्रदेश में भाजपा सरकार है तो जिले में महापौर, नगर पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख और पार्षद भी हैं। अगर, सरकार को खरोंच आई तो उसका असर उन पर भी पड़ेगा। इसलिए सभी जनप्रतिनिधियों के साथ कार्यकर्ताओं को अभी से 2027 की तैयारी में जुटना होगा। 2- तो आपका भी सम्मान होगा
सीएम योगी ने दो टूक कहा- 2027 में संगठन जिसे भी तय करे, उसके साथ कमल चुनाव निशान को विजयी बनाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ेंगे तो आपका भी सम्मान होगा। जो लोग अभी से उछल-कूद कर रहे हैं, उन्हें दोबारा ऐसा करने का मौका नहीं मिलेगा। योगी ने कहा- बीते 7 साल में यूपी को देश में नई पहचान मिली। देश-दुनिया में यूपी के लोगों को सम्मान मिलता है। इस सम्मान को बरकरार रखने के लिए 2014 से शुरू हुए जीत के सिलसिले को आगे बढ़ाने की जरूरत है। सबसे बड़ी चिंता क्या दिखी… लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की कम सीटें आने के पीछे कार्यकर्ताओं की नाराजगी को भी प्रमुख वजह माना गया। पार्टी की ओर से की गई समीक्षा में भी सामने आया कि नाराज कार्यकर्ताओं ने चुनाव में पूरे मन से काम नहीं किया। उसका असर परिणाम पर पड़ा। यही वजह है, भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के नेताओं से लेकर सरकार तक ने कार्यकर्ताओं की चिंता की। प्रदेश भर से आए 2 हजार से ज्यादा नेताओं और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी संदेश देने का प्रयास किया गया कि पार्टी को कार्यकर्ताओं के सम्मान की चिंता है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने साफ किया- सभी कार्यकर्ता के साथ नेता भी हैं। नेता और कार्यकर्ता एक ही होते हैं। हर नेता पहले कार्यकर्ता होता है। भाजपा के हर कार्यकर्ता में चुनौतियों को स्वीकार करने और आगे बढ़ने की ताकत है। कार्यकर्ता के सम्मान के साथ समझौता नहीं
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा- भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। उन्होंने आश्वस्त किया कि कार्यकर्ता का सम्मान पार्टी की प्राथमिकता है। उसके साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंथा मिलाकर खड़ी है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वह उप-मुख्यमंत्री बाद में हैं, पहले कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा, उनके सरकारी आवास का दरवाजा हमेशा कार्यकर्ताओं के लिए खुला है। सरकार के मंत्री, विधायक, सांसद, जनप्रतिनिधि कार्यकर्ताओं को सम्मान दें। उनके मान-सम्मान का ध्यान रखें। भाजपा कार्यकर्ता का स्वभाव हनुमानजी जैसा है। वह सपा-कांग्रेस के झूठ-फरेब के कारण अपनी शक्ति को भूला है। 2027 में वह दोबारा अपने सामर्थ्य से विपक्षी गठजोड़ को पराजित कर साबित करेगा कि भाजपा अपराजेय है। उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा- प्रदेश के असंख्य कार्यकर्ताओं ने सपा-बसपा और कांग्रेस की अत्याचारी सरकारों से लड़कर भाजपा को सत्ता में लाने का काम किया। भाजपा को यहां तक पहुंचाने में कार्यकर्ताओं ने खूब खून-पसीना बहाया है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने कहा- कार्यकर्ता ही भाजपा की विचारधारा का मूल आधार है। उससे सतत और निरंतर संपर्क, संवाद करना है। हर जिलाध्यक्ष सप्ताह में कम से कम एक बार अनौपचारिक रूप से मंडल अध्यक्षों से मुलाकात कर बातचीत करे। उनकी समस्याओं का समाधान कराए। मंडल अध्यक्ष भी शक्ति केंद्रों के पदाधिकारियों से संपर्क करें। अब जानिए सीएम योगी ने हार की जो 4 वजहें बताईं 1- उपलब्धियों को मुद्दा नहीं बना पाए योगी ने कहा- सपा सरकार में कन्नौज मेडिकल कॉलेज का नाम बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम से बदलकर राजकीय मेडिकल कॉलेज कर दिया गया था। भाजपा सरकार ने फिर मेडिकल कॉलेज का नामकरण बाबा साहब के नाम पर किया। पिछड़ी जाति के राजू पाल, रमेश पटेल और रमेश यादव की हत्या के खिलाफ सपा सरकार में आवाज क्यों नहीं उठी? पीड़ितों की आवाज को भाजपा सरकार में ही बल क्यों मिला? भाजपा सरकार ने बिना किसी भेदभाव के सभी को योजनाओं का लाभ दिया। सपा ने दलित चिंतकों और महापुरुषों का समय-समय पर अपमान किया। धर्म के आधार पर आरक्षण देने का प्रयास किया। 2016 में दलित छात्रों की छात्रवृत्ति को बंद कर दी, जिसे 2017 में भाजपा ने फिर शुरू किया। चुनाव में इन घटनाओं और डबल इंजन की सरकार की उपलब्धियों को मुद्दा नहीं बना पाए। 2- जाति के नाम पर लोगों को बांटा भाजपा संविधान का सर्वोच्च सम्मान करने वाली पार्टी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में संविधान की मूल प्रति स्थापित की थी। भाजपा एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग के अधिकारों का संरक्षण करने वाली पार्टी है। लेकिन विपक्ष ने अफवाह और भ्रम की स्थिति पैदा कर माहौल खराब किया। जाति के नाम पर लोगों को बांटा। उससे सतर्क और सावधान करना होगा। 3- ज्यादा आत्मविश्वास ने चोट पहुंचाई भाजपा ने प्रदेश में 2014, 2017, 2019 और 2022 में भारी सफलता हासिल करते हुए विपक्ष को उसकी वास्तविक स्थिति में पहुंचाया था। विपक्ष पर लगातार दबाव बनाए रखा। जितना मत प्रतिशत 2014, 2017, 2019, 2022 में मिला था उतना ही 2024 में भी मिला है। लेकिन जब हम अति आत्मविश्वास में यह मानकर चलते हैं कि जीत ही रहे हैं, तो कहीं न कहीं खामियाजा भुगतना पड़ता है। उसी अति आत्मविश्वास ने नेतृत्व के विश्वास और अपेक्षा पर खरा उतरने में चोट पहुंचाई। वोट की शिफ्टिंग हुई। उसका परिणाम है कि जो विपक्ष चुनाव के पहले हिम्मत हारकर बैठ गया था, आज फिर से उछल-कूद कर रहा है। 4- सोशल मीडिया पर काम नहीं हुआ सोशल मीडिया एक बड़ा प्लेटफार्म है। भाजपा कार्यकर्ता उससे सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को मैसेज भी भेजते हैं। उन्होंने कहा कि क्या भाजपा के कार्यकर्ता को यह नहीं देखना चाहिए था कि सोशल मीडिया पर क्या कुछ चल रहा है। सोशल मीडिया जो विदेशी ताकतें षड्यंत्र रच रही थी, उसे देखकर उसका खंडन करना चाहिए। उसके बाद बाबा साहब के पंचतीर्थ की फोटो लगाकर, दलित चिंतकों के लिए भाजपा की उपलब्धियां सोशल मीडिया पर पोस्ट कर संवाद बनाया होता तो आज कुछ और देखने को मिलता। योगी ने अपनी उपलब्धियां भी गिनाईं
योगी ने कहा- यूपी में 2019 में एक बड़ा गठबंधन हुआ था। उसके बावजूद प्रदेश में भाजपा के वोट बैंक को 43 से बढ़ाकर 51 फीसदी किया था। उस समय भी इसी प्रदेश ने सबसे बड़े गठबंधन को धराशाही किया था। योगी ने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव में सभी 17 नगर निगम चुनाव में मेयर भाजपा के हैं। सर्वाधिक नगर पंचायत अध्यक्ष और पार्षद भी भाजपा के हैं। आजमगढ़ और रामपुर के उप चुनाव में भी भाजपा ने विजय पताका लहराई थी। यह खबर भी पढ़ें नड्‌डा बोले- कांग्रेस के भाई-बहन पढ़े-लिखे अनपढ़; CM योगी बोले- विपक्ष को दोबारा उछलकूद का मौका नहीं मिलेगा लोकसभा चुनाव के बाद लखनऊ में रविवार को भाजपा की सबसे बड़ी बैठक हुई। जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत यूपी के 3000 नेता शामिल हुए। उत्तर प्रदेश कार्य समिति की बैठक में चुनावी नतीजों पर चर्चा हुई। आगे की रणनीति भी तय की गई। यहां पढ़ें पूरी खबर लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की पहली बैठक में दो बड़े मैसेज दिए गए। पहला- 2027 का चुनाव जीतना है। सीएम योगी ने मंच से संदेश दिया, अगर लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति 2027 के विधानसभा में हुई तो इसका असर नीचे तक पड़ेगा। दूसरा- कार्यकर्ताओं का सम्मान सभी को करना होगा। इस पर जेपी नड्‌डा से लेकर सभी बड़े नेताओं ने बात की। राजधानी लखनऊ में आशियाना स्थित डॉ. राममनोहर लोहिया लॉ यूनिवर्सिटी के सभागार में रविवार को भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई। इस दौरान सीएम योगी ने न केवल चुनाव में रही कमियों को बताया, 2027 का एजेंडा भी साफ कर दिया। पढ़िए, कार्यसमिति ने हार की वजह क्या बताईं? मंत्री से लेकर आम कार्यकर्ताओं को क्या संदेश दिया गया? आगे पार्टी कैसे काम करेगी? पहले योगी के दो बड़े मैसेज 1- 2027 में खरोंच आई तो असर तो नीचे तक होगा
सीएम योगी ने सधे अंदाज में मंत्री, सांसद-विधायक, मेयर, जिला पंचायत सदस्य समेत पार्टी के पदाधिकारियों को 2027 के लिए बड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा- प्रदेश में भाजपा सरकार है तो जिले में महापौर, नगर पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख और पार्षद भी हैं। अगर, सरकार को खरोंच आई तो उसका असर उन पर भी पड़ेगा। इसलिए सभी जनप्रतिनिधियों के साथ कार्यकर्ताओं को अभी से 2027 की तैयारी में जुटना होगा। 2- तो आपका भी सम्मान होगा
सीएम योगी ने दो टूक कहा- 2027 में संगठन जिसे भी तय करे, उसके साथ कमल चुनाव निशान को विजयी बनाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ेंगे तो आपका भी सम्मान होगा। जो लोग अभी से उछल-कूद कर रहे हैं, उन्हें दोबारा ऐसा करने का मौका नहीं मिलेगा। योगी ने कहा- बीते 7 साल में यूपी को देश में नई पहचान मिली। देश-दुनिया में यूपी के लोगों को सम्मान मिलता है। इस सम्मान को बरकरार रखने के लिए 2014 से शुरू हुए जीत के सिलसिले को आगे बढ़ाने की जरूरत है। सबसे बड़ी चिंता क्या दिखी… लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की कम सीटें आने के पीछे कार्यकर्ताओं की नाराजगी को भी प्रमुख वजह माना गया। पार्टी की ओर से की गई समीक्षा में भी सामने आया कि नाराज कार्यकर्ताओं ने चुनाव में पूरे मन से काम नहीं किया। उसका असर परिणाम पर पड़ा। यही वजह है, भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के नेताओं से लेकर सरकार तक ने कार्यकर्ताओं की चिंता की। प्रदेश भर से आए 2 हजार से ज्यादा नेताओं और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी संदेश देने का प्रयास किया गया कि पार्टी को कार्यकर्ताओं के सम्मान की चिंता है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने साफ किया- सभी कार्यकर्ता के साथ नेता भी हैं। नेता और कार्यकर्ता एक ही होते हैं। हर नेता पहले कार्यकर्ता होता है। भाजपा के हर कार्यकर्ता में चुनौतियों को स्वीकार करने और आगे बढ़ने की ताकत है। कार्यकर्ता के सम्मान के साथ समझौता नहीं
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा- भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। उन्होंने आश्वस्त किया कि कार्यकर्ता का सम्मान पार्टी की प्राथमिकता है। उसके साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंथा मिलाकर खड़ी है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वह उप-मुख्यमंत्री बाद में हैं, पहले कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा, उनके सरकारी आवास का दरवाजा हमेशा कार्यकर्ताओं के लिए खुला है। सरकार के मंत्री, विधायक, सांसद, जनप्रतिनिधि कार्यकर्ताओं को सम्मान दें। उनके मान-सम्मान का ध्यान रखें। भाजपा कार्यकर्ता का स्वभाव हनुमानजी जैसा है। वह सपा-कांग्रेस के झूठ-फरेब के कारण अपनी शक्ति को भूला है। 2027 में वह दोबारा अपने सामर्थ्य से विपक्षी गठजोड़ को पराजित कर साबित करेगा कि भाजपा अपराजेय है। उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा- प्रदेश के असंख्य कार्यकर्ताओं ने सपा-बसपा और कांग्रेस की अत्याचारी सरकारों से लड़कर भाजपा को सत्ता में लाने का काम किया। भाजपा को यहां तक पहुंचाने में कार्यकर्ताओं ने खूब खून-पसीना बहाया है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने कहा- कार्यकर्ता ही भाजपा की विचारधारा का मूल आधार है। उससे सतत और निरंतर संपर्क, संवाद करना है। हर जिलाध्यक्ष सप्ताह में कम से कम एक बार अनौपचारिक रूप से मंडल अध्यक्षों से मुलाकात कर बातचीत करे। उनकी समस्याओं का समाधान कराए। मंडल अध्यक्ष भी शक्ति केंद्रों के पदाधिकारियों से संपर्क करें। अब जानिए सीएम योगी ने हार की जो 4 वजहें बताईं 1- उपलब्धियों को मुद्दा नहीं बना पाए योगी ने कहा- सपा सरकार में कन्नौज मेडिकल कॉलेज का नाम बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम से बदलकर राजकीय मेडिकल कॉलेज कर दिया गया था। भाजपा सरकार ने फिर मेडिकल कॉलेज का नामकरण बाबा साहब के नाम पर किया। पिछड़ी जाति के राजू पाल, रमेश पटेल और रमेश यादव की हत्या के खिलाफ सपा सरकार में आवाज क्यों नहीं उठी? पीड़ितों की आवाज को भाजपा सरकार में ही बल क्यों मिला? भाजपा सरकार ने बिना किसी भेदभाव के सभी को योजनाओं का लाभ दिया। सपा ने दलित चिंतकों और महापुरुषों का समय-समय पर अपमान किया। धर्म के आधार पर आरक्षण देने का प्रयास किया। 2016 में दलित छात्रों की छात्रवृत्ति को बंद कर दी, जिसे 2017 में भाजपा ने फिर शुरू किया। चुनाव में इन घटनाओं और डबल इंजन की सरकार की उपलब्धियों को मुद्दा नहीं बना पाए। 2- जाति के नाम पर लोगों को बांटा भाजपा संविधान का सर्वोच्च सम्मान करने वाली पार्टी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में संविधान की मूल प्रति स्थापित की थी। भाजपा एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग के अधिकारों का संरक्षण करने वाली पार्टी है। लेकिन विपक्ष ने अफवाह और भ्रम की स्थिति पैदा कर माहौल खराब किया। जाति के नाम पर लोगों को बांटा। उससे सतर्क और सावधान करना होगा। 3- ज्यादा आत्मविश्वास ने चोट पहुंचाई भाजपा ने प्रदेश में 2014, 2017, 2019 और 2022 में भारी सफलता हासिल करते हुए विपक्ष को उसकी वास्तविक स्थिति में पहुंचाया था। विपक्ष पर लगातार दबाव बनाए रखा। जितना मत प्रतिशत 2014, 2017, 2019, 2022 में मिला था उतना ही 2024 में भी मिला है। लेकिन जब हम अति आत्मविश्वास में यह मानकर चलते हैं कि जीत ही रहे हैं, तो कहीं न कहीं खामियाजा भुगतना पड़ता है। उसी अति आत्मविश्वास ने नेतृत्व के विश्वास और अपेक्षा पर खरा उतरने में चोट पहुंचाई। वोट की शिफ्टिंग हुई। उसका परिणाम है कि जो विपक्ष चुनाव के पहले हिम्मत हारकर बैठ गया था, आज फिर से उछल-कूद कर रहा है। 4- सोशल मीडिया पर काम नहीं हुआ सोशल मीडिया एक बड़ा प्लेटफार्म है। भाजपा कार्यकर्ता उससे सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को मैसेज भी भेजते हैं। उन्होंने कहा कि क्या भाजपा के कार्यकर्ता को यह नहीं देखना चाहिए था कि सोशल मीडिया पर क्या कुछ चल रहा है। सोशल मीडिया जो विदेशी ताकतें षड्यंत्र रच रही थी, उसे देखकर उसका खंडन करना चाहिए। उसके बाद बाबा साहब के पंचतीर्थ की फोटो लगाकर, दलित चिंतकों के लिए भाजपा की उपलब्धियां सोशल मीडिया पर पोस्ट कर संवाद बनाया होता तो आज कुछ और देखने को मिलता। योगी ने अपनी उपलब्धियां भी गिनाईं
योगी ने कहा- यूपी में 2019 में एक बड़ा गठबंधन हुआ था। उसके बावजूद प्रदेश में भाजपा के वोट बैंक को 43 से बढ़ाकर 51 फीसदी किया था। उस समय भी इसी प्रदेश ने सबसे बड़े गठबंधन को धराशाही किया था। योगी ने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव में सभी 17 नगर निगम चुनाव में मेयर भाजपा के हैं। सर्वाधिक नगर पंचायत अध्यक्ष और पार्षद भी भाजपा के हैं। आजमगढ़ और रामपुर के उप चुनाव में भी भाजपा ने विजय पताका लहराई थी। यह खबर भी पढ़ें नड्‌डा बोले- कांग्रेस के भाई-बहन पढ़े-लिखे अनपढ़; CM योगी बोले- विपक्ष को दोबारा उछलकूद का मौका नहीं मिलेगा लोकसभा चुनाव के बाद लखनऊ में रविवार को भाजपा की सबसे बड़ी बैठक हुई। जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत यूपी के 3000 नेता शामिल हुए। उत्तर प्रदेश कार्य समिति की बैठक में चुनावी नतीजों पर चर्चा हुई। आगे की रणनीति भी तय की गई। यहां पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर