अबोहर के गांव कुंडल में बीती देर रात दो पक्षों में हुई मामूली कहासुनी ने खूनी संघर्ष का रुप धारण कर लिया। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर लाठियों से हमला कर घायल कर दिया। इस संघर्ष में पांच लोग घायल हो गए जिन्हें इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में दाखिल करवाया गया है, जहां पर एक व्यक्ति की हालत गंभीर होने पर उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। उपचाराधीन राजदीप पुत्र गग्गी ने बताया कि कल रात करीब 11 बजे लाइट चली गई तो वह अपने चाचा सतबीर पुत्र छिंदर सिंह के साथ अपने घर के बाहर खड़ा था। इस दौरान वहां से गुजर रहे पड़ोस के कुछ लोगों ने उनके साथ गाली गलोच किया, जब उन्होंनें इसका विरोध किया तो उक्त लोगों ने उसे व उसके चाचा पर हमला कर घायल कर दिया। गाली गलौच का विरोध इसी मामले में घायल दूसरे पक्ष के लखविंदर सिंह पुत्र मक्खन सिंह ने बताया कि बीती रात उनके पडोसी नशे में धुत्त होकर उनसे गाली गलोच कर रहे थे। जब उसने इस बात का विरोध किया तो पड़ोसियों ने उस पर हमला बोल दिया। जब बीच बचाव में उसका छोटा भाई वीरेंद्र और मामा सुखबीर सिंह आए तो हमलावरों ने उनसे भी मारपीट की। सभी को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां पर सतबीर की हालत गंभीर होने पर उसे रेफर कर दिया गया। अबोहर के गांव कुंडल में बीती देर रात दो पक्षों में हुई मामूली कहासुनी ने खूनी संघर्ष का रुप धारण कर लिया। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर लाठियों से हमला कर घायल कर दिया। इस संघर्ष में पांच लोग घायल हो गए जिन्हें इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में दाखिल करवाया गया है, जहां पर एक व्यक्ति की हालत गंभीर होने पर उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। उपचाराधीन राजदीप पुत्र गग्गी ने बताया कि कल रात करीब 11 बजे लाइट चली गई तो वह अपने चाचा सतबीर पुत्र छिंदर सिंह के साथ अपने घर के बाहर खड़ा था। इस दौरान वहां से गुजर रहे पड़ोस के कुछ लोगों ने उनके साथ गाली गलोच किया, जब उन्होंनें इसका विरोध किया तो उक्त लोगों ने उसे व उसके चाचा पर हमला कर घायल कर दिया। गाली गलौच का विरोध इसी मामले में घायल दूसरे पक्ष के लखविंदर सिंह पुत्र मक्खन सिंह ने बताया कि बीती रात उनके पडोसी नशे में धुत्त होकर उनसे गाली गलोच कर रहे थे। जब उसने इस बात का विरोध किया तो पड़ोसियों ने उस पर हमला बोल दिया। जब बीच बचाव में उसका छोटा भाई वीरेंद्र और मामा सुखबीर सिंह आए तो हमलावरों ने उनसे भी मारपीट की। सभी को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां पर सतबीर की हालत गंभीर होने पर उसे रेफर कर दिया गया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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बच्चों को सिखाएं, आत्मविश्वास का मतलब हर चीज में सफलता नहीं है ^पहली निराशा में हार न मानना या एक असफलता के बाद हार न मानना एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल है। आत्मविश्वास का मतलब हर समय हर चीज में सफल होना नहीं है, बल्कि कोशिश करते रहने के लिए पर्याप्त लचीला होना और अगर आप सर्वश्रेष्ठ नहीं हैं तो परेशान न होना है। खुद की रुचियों की खोज करने से बच्चों को पहचान की भावना विकसित करने में मदद मिल सकती है, जो आत्मविश्वास बनाने के लिए आवश्यक है। बेशक, उनकी प्रतिभाओं को बढ़ते देखना उनके आत्मसम्मान को भी बहुत बढ़ावा देगा। बड़े और छोटे लक्ष्यों को स्पष्ट करना और उन्हें हासिल करना बच्चों को मजबूत महसूस कराता है। बच्चे को उन चीजों की सूची बनाने के लिए प्रोत्साहित करके इच्छाओं और सपनों को क्रियाशील लक्ष्यों में बदलने में मदद करें जिन्हें वे हासिल करना चाहते हैं। बच्चों की उपलब्धियों के लिए उनकी प्रशंसा करना बहुत अच्छा है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि आप उन्हें बताएं कि परिणाम की परवाह किए बिना उनके प्रयासों पर गर्व है। सोनम शर्मा, लाइफ कोच भास्कर न्यूज| लुधियाना जन्म से ही बच्चे बहुत तेजी से नए कौशल सीखते हैं और उन नई क्षमताओं के साथ, वे उनका उपयोग करने का आत्मविश्वास भी हासिल करते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनका आत्मविश्वास कौशल जितना ही महत्वपूर्ण हो सकता है। सफल होने के लिए बच्चों को अपनी क्षमताओं पर भरोसा करने की जरूरत होती है। उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि अगर वे किसी चीज में सफल नहीं होते हैं, तो निराश होने की जरूरत नहीं होती है। महारत हासिल करने और असफलता से उबरने से ही उनमें स्वस्थ आत्मविश्वास विकसित होता है। बच्चों के लिए आत्मविश्वासी होना बहुत जरूरी होता है। ऐसे बच्चे ही आगे चलकर जीवन में सफलता प्राप्त कर पाते हैं। एक आत्मविश्वासी बच्चा हर परिस्थिति में खुलकर अपनी बात रख पाता है। ऐसा बच्चा अपने आप पर भरोसा रखता है और असफल होने पर भी हिम्मत नहीं हारता, लेकिन कुछ माता पिता अपने बच्चों के शर्मीले व्यवहार को लेकर चिंता में रहते हैं। ऐसे माता पिता के लिए एक्सपर्ट बता रहे हैं कुछ खास बातें, जिसके माध्यम से बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने को मदद मिलेगी। बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है कि माता-पिता खुद को उनका आदर्श बनाएं। बच्चे अपने माता-पिता से ही सीखते हैं कि जीवन में कैसे आगे बढ़ना है, इसलिए, माता-पिता को हर स्थिति में आत्मविश्वास से भरपूर रहना चाहिए। बच्चों को गलतियां करने का अधिकार है और उनकी गलतियों से सीखने का भी अवसर देना जरूरी है। माता-पिता को बच्चों पर चिल्लाने या डांटने की बजाय आगे के लिए उनका हौंसला बढ़ाना चाहिए। बच्चों को यह समझने में मदद करें कि हर कोई गलतियां करता है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि उनसे सीखें। बच्चों के लिए विविधता लाना अच्छा है। नए कौशल हासिल करने से बच्चे सक्षम और आश्वस्त महसूस करते हैं कि वे जो भी उनके रास्ते में आता है उससे निपट सकते हैं। बच्चे को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो उसको अपना काम खुद करने दीजिए। दूसरों पर निर्भर ना होने दें। बच्चों को ऐसी गतिविधियों में शामिल होने में मदद करें जो उन्हें सहज महसूस कराएं और बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास दें।- पायल सचदेवा, लाइफ कोच
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