इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही से हुआ गोंडा रेल हादसा:30 KMPH की स्पीड से ट्रेन चलाने का देना था काशन, 86 KMPH की स्पीड से दौड़ाई ट्रेन

इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही से हुआ गोंडा रेल हादसा:30 KMPH की स्पीड से ट्रेन चलाने का देना था काशन, 86 KMPH की स्पीड से दौड़ाई ट्रेन

गोंडा में 18 जुलाई गुरुवार दोपहर 2.37 बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 4 यात्रियों की मौत हो गई, 25 घायल हैं। हादसे की वजह जानने के लिए रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रेलवे जांच टीमों को ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब 4 फीट खिसका हुआ मिला। ट्रैक के पास पानी भरा था। इसकी वजह से ट्रैक कमजोर थी। यही वजह है कि फोरेंसिक टीम ने पटरी का लोहा और मिट्‌टी का सैंपल लिया। रेलवे अधिकारियों को घटनास्थल के हालात देखने के बाद इस हादसे पर अपनी रिपोर्ट दी। इसमें इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही सामने आ रही, जबकि इसी रिपोर्ट में असहमति जताते हुए इसे टोटली इंमप्रॉपर ब्रेकिंग ​​​​​​वजह बताया गया है। चलिए, बताते हैं…. 5 अफसरों ने मानी इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही
रेलवे अफसरों की जॉइंट कमेटी के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट में 36 पाइंट में घटना से जुड़ी जानकारी दी है। इसे 6 अधिकारियों की टीम ने बनाया है, जिसमें से 5 ने घटना का कारण इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही मानी, जबकि, एक ने इसे गलत ढंग से ब्रेक लगाने की वजह मानी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया- सेक्शन पर ट्रेन को 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाने का काशन देना था। काशन में देरी के कारण चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लोको पायलट को घटना का अंदेशा ही नहीं हुआ। इसके चलते ट्रेन 86 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई। मामले में आज उत्तर पूर्वी परिमंडल के रेल संरक्षा आयुक्त प्रणजीव सक्सेना DRM कार्यालय में बयान दर्ज करेंगे। इंजन निकलने के बाद उतरा पहिया
रेलवे अफसरों के जॉइंट रिपोर्ट में कहा गया- पटरी के तीन मीटर तक फैलाव के कारण पहिया उतरा। इंजन निकलने के बाद यह स्थिति बनी। लोको पायलट को झटका लगा तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया। इस पर ट्रेन 400 मीटर दूर जाकर रुकी, लेकिन तब तक 19 बोगियां पटरी से उतर गई। इस दौरान 350 मीटर की दूरी तक ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गए। रिपोर्ट में ट्रैफिक इंस्पेक्टर गोंडा जीसी श्रीवास्तव, चीफ लोको इंस्पेक्टर दिलीप कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर गोंडा वेद प्रकाश मीना, सीनियर सेक्शन इंजीनियर पीवे मनकापुर पीके सिंह सहित 6 अधीक्षकों के बयान भी दर्ज किए गए। 638 किलोमीटर पर लगा था ट्रेन में झटका
ट्रेन के लोको पायलट त्रिभुवन नरायन और सहायक लोको पायलट राज ने बताया- मोतीगंज स्टेशन से दोपहर 2:28 बजे ट्रेन 25 किमी प्रतिघंटे की निकली। किलोमीटर संख्या 638/12पर उसे जोर का झटका लगा। खड़खड़ की आवाज आने के साथ बीपी प्रेशर कम होने लगा। लगभग 80 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ रही ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल कर पेंटो डाउन किया। पीछे देखा तो ट्रेन की बोगियां उतर चुकी थी। फ्लैश लाइट जलाकर सहायक लोको पायलट राज को बगल की लाइन के लाइन की सुरक्षा के लिए भेज दिया। सही से नहीं बंधा था रेल ट्रैक
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि रेल ट्रैक सही से बंधा नहीं था। दोपहर 1:30 बजे ट्रैक पर गड़बड़ी पकड़ी गई। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को ट्रेन के दोपहर 2:28 बजे गुजरने के बाद 2:30 बजे 30 किमी. प्रति घंटे की गति के काशन का मेमो प्राप्त कराया। पटरी की IMR से गड़बड़ी मिलने के बाद काशन आर्डर मिलने तक साइट पर सुरक्षा करना चाहिए था, जो कि नहीं किया गया। इस कारण ट्रेन बेपटरी हुई, जिसकी गलती इंजीनियरिंग विभाग की है। वहीं, चार दिन पहले भी पटरी में गड़बड़ी की सूचना कीमैन ने दी थी, लेकिन इसे समय रहते दूर नहीं किया गया। 3 मीटर से बड़ा टुकड़ा हो गया गायब
ट्रेन के बेपटरी होने पर करीब 3.07 मीटर का पटरी का टुकड़ा गायब मिला। डाउन ट्रैक के दाहिनी ओर पटरी फैली हुई मिली। इसका कारण वेल्डिंग पर दबाव होना बातया गया। इंजन के बाद में जनरेटर पावर कार बेपटरी था। इसकी डिस्क व्हील और सेकेंड्री डैंपर क्षतिग्रस्त मिला। ट्राली गिट्टियों में धंसी थी। दोपहर डेढ़ बजे गडबड़ी मिली थी। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को दोपहर ढाई बजे 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार का मेमो दिया गया, लेकिन समय पर साइट का प्रोटेक्शन नहीं करने के कारण गड़बड़ी की स्थिति बनी। स्पीडोमीटर के अनुसार हादसे के समय गाड़ी 86 किलोमीटर प्रतिघंटे की रप्तार में थी। ज्वाइंट रिपोर्ट के 11 प्वाइंट्स पर जताई असहमति
SSE पीके सिंह ने कहा- संयुक्त रिपोर्ट में सभी लोगों द्वारा बिना सभी तथ्यों को देखे एक मत होकर खिलाफ रिपोर्ट बनाई गई है, जो कि बिल्कुल गलत है। संयुक्त रिपोर्ट से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। पीके सिंह ने 11 बिन्दुओं के आधार पर असहमति जताई है। इसमें स्पीड मापने के पैमाने, मैकेनिकल की ओर से कोई मेजरमेंट नहीं देने और कार्मशियल की तरफ से पार्सल लोड की जानकारी देने पर सवाल उठाया गया। इसमें उन्होंने कहा कि यह टोटली इंमप्रापर ब्रेकींग के कारण हुआ है। इसके साथ ही व्हील मेजरमेंट के बिना पहियों में बताई गई गड़बड़ी पर सवाल खड़ा किया गया है। ​जहां हुआ हादसा, वहां एक दिन पहले हुआ था मरम्मत
हालांकि, घटना के दिन ही यह बात सामने आई थी कि जिस जगह हादसा हुआ, वहां 1 दिन पहले ट्रैक की मरम्मत हुई थी। यात्री ट्रेनों को 15-20 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने की परमिशन थी, लेकिन गुरुवार को किसी तरह का सतर्कता आदेश जारी नहीं हुआ था। इसके चलते चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस अपनी अधिकतम रफ्तार पर आ रही थी और दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इससे पहले 27 अगस्त, 2023 और 10 जून, 2022 को भी ट्रैक को लेकर सतर्कता आदेश जारी हुआ था, तब भी ट्रेनें 15 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थीं। रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग ट्रैक को बदलने-मरम्मत करने के लिए आदेश जारी करता है। ट्रैक कमजोर था, 3 साल से चल रहा था काम
रेलवे सोर्स के मुताबिक-ट्रेन के डिरेल होने के 2 कारण होते हैं। पहला- ट्रैक की खामी। दूसरा- इंजन-कोच के पहियों में गड़बड़ी। 3 साल से इस ट्रैक का काम चल रहा है, इसलिए हादसे का कारण ट्रैक में गड़बड़ी को माना जा रहा है। रेलवे बोर्ड के सीनियर अफसर ने दावा किया कि हादसे में ट्रैक में तोड़फोड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा- लोको पायलट ने हादसे से पहले तेज धमाके की आवाज सुनी। इस आशंका को देखते हुए हाई लेवल जांच के आदेश दिए गए हैं। ट्रेन हादसा- ट्रैक के पास भरा था पानी: पटरी 4 फीट खिसकी, मिट्‌टी के सैंपल लिए; कोच के नीचे मिली एक और लाश, अब तक 4 मौतें यूपी के गोंडा में गुरुवार दोपहर 2.37 बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 4 यात्रियों की मौत हो गई, 25 घायल हैं। हादसे की वजह जानने के लिए रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रेलवे जांच टीमों को ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब 4 फीट खिसका हुआ मिला है। ट्रैक के पास पानी भरा था। इसकी वजह से ट्रैक कमजोर होने की आशंका है। यही वजह है कि फोरेंसिक टीम ने पटरी का लोहा और मिट्‌टी का सैंपल लिया है। रेलवे अधिकारियों को घटनास्थल के हालात देखने के बाद हादसे की 3 वजह समझ आ रही हैं। चलिए, बताते हैं….पूरी खबर पढ़ें… गोंडा में 18 जुलाई गुरुवार दोपहर 2.37 बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 4 यात्रियों की मौत हो गई, 25 घायल हैं। हादसे की वजह जानने के लिए रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रेलवे जांच टीमों को ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब 4 फीट खिसका हुआ मिला। ट्रैक के पास पानी भरा था। इसकी वजह से ट्रैक कमजोर थी। यही वजह है कि फोरेंसिक टीम ने पटरी का लोहा और मिट्‌टी का सैंपल लिया। रेलवे अधिकारियों को घटनास्थल के हालात देखने के बाद इस हादसे पर अपनी रिपोर्ट दी। इसमें इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही सामने आ रही, जबकि इसी रिपोर्ट में असहमति जताते हुए इसे टोटली इंमप्रॉपर ब्रेकिंग ​​​​​​वजह बताया गया है। चलिए, बताते हैं…. 5 अफसरों ने मानी इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही
रेलवे अफसरों की जॉइंट कमेटी के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट में 36 पाइंट में घटना से जुड़ी जानकारी दी है। इसे 6 अधिकारियों की टीम ने बनाया है, जिसमें से 5 ने घटना का कारण इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही मानी, जबकि, एक ने इसे गलत ढंग से ब्रेक लगाने की वजह मानी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया- सेक्शन पर ट्रेन को 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाने का काशन देना था। काशन में देरी के कारण चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लोको पायलट को घटना का अंदेशा ही नहीं हुआ। इसके चलते ट्रेन 86 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई। मामले में आज उत्तर पूर्वी परिमंडल के रेल संरक्षा आयुक्त प्रणजीव सक्सेना DRM कार्यालय में बयान दर्ज करेंगे। इंजन निकलने के बाद उतरा पहिया
रेलवे अफसरों के जॉइंट रिपोर्ट में कहा गया- पटरी के तीन मीटर तक फैलाव के कारण पहिया उतरा। इंजन निकलने के बाद यह स्थिति बनी। लोको पायलट को झटका लगा तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया। इस पर ट्रेन 400 मीटर दूर जाकर रुकी, लेकिन तब तक 19 बोगियां पटरी से उतर गई। इस दौरान 350 मीटर की दूरी तक ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गए। रिपोर्ट में ट्रैफिक इंस्पेक्टर गोंडा जीसी श्रीवास्तव, चीफ लोको इंस्पेक्टर दिलीप कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर गोंडा वेद प्रकाश मीना, सीनियर सेक्शन इंजीनियर पीवे मनकापुर पीके सिंह सहित 6 अधीक्षकों के बयान भी दर्ज किए गए। 638 किलोमीटर पर लगा था ट्रेन में झटका
ट्रेन के लोको पायलट त्रिभुवन नरायन और सहायक लोको पायलट राज ने बताया- मोतीगंज स्टेशन से दोपहर 2:28 बजे ट्रेन 25 किमी प्रतिघंटे की निकली। किलोमीटर संख्या 638/12पर उसे जोर का झटका लगा। खड़खड़ की आवाज आने के साथ बीपी प्रेशर कम होने लगा। लगभग 80 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ रही ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल कर पेंटो डाउन किया। पीछे देखा तो ट्रेन की बोगियां उतर चुकी थी। फ्लैश लाइट जलाकर सहायक लोको पायलट राज को बगल की लाइन के लाइन की सुरक्षा के लिए भेज दिया। सही से नहीं बंधा था रेल ट्रैक
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि रेल ट्रैक सही से बंधा नहीं था। दोपहर 1:30 बजे ट्रैक पर गड़बड़ी पकड़ी गई। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को ट्रेन के दोपहर 2:28 बजे गुजरने के बाद 2:30 बजे 30 किमी. प्रति घंटे की गति के काशन का मेमो प्राप्त कराया। पटरी की IMR से गड़बड़ी मिलने के बाद काशन आर्डर मिलने तक साइट पर सुरक्षा करना चाहिए था, जो कि नहीं किया गया। इस कारण ट्रेन बेपटरी हुई, जिसकी गलती इंजीनियरिंग विभाग की है। वहीं, चार दिन पहले भी पटरी में गड़बड़ी की सूचना कीमैन ने दी थी, लेकिन इसे समय रहते दूर नहीं किया गया। 3 मीटर से बड़ा टुकड़ा हो गया गायब
ट्रेन के बेपटरी होने पर करीब 3.07 मीटर का पटरी का टुकड़ा गायब मिला। डाउन ट्रैक के दाहिनी ओर पटरी फैली हुई मिली। इसका कारण वेल्डिंग पर दबाव होना बातया गया। इंजन के बाद में जनरेटर पावर कार बेपटरी था। इसकी डिस्क व्हील और सेकेंड्री डैंपर क्षतिग्रस्त मिला। ट्राली गिट्टियों में धंसी थी। दोपहर डेढ़ बजे गडबड़ी मिली थी। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को दोपहर ढाई बजे 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार का मेमो दिया गया, लेकिन समय पर साइट का प्रोटेक्शन नहीं करने के कारण गड़बड़ी की स्थिति बनी। स्पीडोमीटर के अनुसार हादसे के समय गाड़ी 86 किलोमीटर प्रतिघंटे की रप्तार में थी। ज्वाइंट रिपोर्ट के 11 प्वाइंट्स पर जताई असहमति
SSE पीके सिंह ने कहा- संयुक्त रिपोर्ट में सभी लोगों द्वारा बिना सभी तथ्यों को देखे एक मत होकर खिलाफ रिपोर्ट बनाई गई है, जो कि बिल्कुल गलत है। संयुक्त रिपोर्ट से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। पीके सिंह ने 11 बिन्दुओं के आधार पर असहमति जताई है। इसमें स्पीड मापने के पैमाने, मैकेनिकल की ओर से कोई मेजरमेंट नहीं देने और कार्मशियल की तरफ से पार्सल लोड की जानकारी देने पर सवाल उठाया गया। इसमें उन्होंने कहा कि यह टोटली इंमप्रापर ब्रेकींग के कारण हुआ है। इसके साथ ही व्हील मेजरमेंट के बिना पहियों में बताई गई गड़बड़ी पर सवाल खड़ा किया गया है। ​जहां हुआ हादसा, वहां एक दिन पहले हुआ था मरम्मत
हालांकि, घटना के दिन ही यह बात सामने आई थी कि जिस जगह हादसा हुआ, वहां 1 दिन पहले ट्रैक की मरम्मत हुई थी। यात्री ट्रेनों को 15-20 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने की परमिशन थी, लेकिन गुरुवार को किसी तरह का सतर्कता आदेश जारी नहीं हुआ था। इसके चलते चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस अपनी अधिकतम रफ्तार पर आ रही थी और दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इससे पहले 27 अगस्त, 2023 और 10 जून, 2022 को भी ट्रैक को लेकर सतर्कता आदेश जारी हुआ था, तब भी ट्रेनें 15 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थीं। रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग ट्रैक को बदलने-मरम्मत करने के लिए आदेश जारी करता है। ट्रैक कमजोर था, 3 साल से चल रहा था काम
रेलवे सोर्स के मुताबिक-ट्रेन के डिरेल होने के 2 कारण होते हैं। पहला- ट्रैक की खामी। दूसरा- इंजन-कोच के पहियों में गड़बड़ी। 3 साल से इस ट्रैक का काम चल रहा है, इसलिए हादसे का कारण ट्रैक में गड़बड़ी को माना जा रहा है। रेलवे बोर्ड के सीनियर अफसर ने दावा किया कि हादसे में ट्रैक में तोड़फोड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा- लोको पायलट ने हादसे से पहले तेज धमाके की आवाज सुनी। इस आशंका को देखते हुए हाई लेवल जांच के आदेश दिए गए हैं। ट्रेन हादसा- ट्रैक के पास भरा था पानी: पटरी 4 फीट खिसकी, मिट्‌टी के सैंपल लिए; कोच के नीचे मिली एक और लाश, अब तक 4 मौतें यूपी के गोंडा में गुरुवार दोपहर 2.37 बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 4 यात्रियों की मौत हो गई, 25 घायल हैं। हादसे की वजह जानने के लिए रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रेलवे जांच टीमों को ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब 4 फीट खिसका हुआ मिला है। ट्रैक के पास पानी भरा था। इसकी वजह से ट्रैक कमजोर होने की आशंका है। यही वजह है कि फोरेंसिक टीम ने पटरी का लोहा और मिट्‌टी का सैंपल लिया है। रेलवे अधिकारियों को घटनास्थल के हालात देखने के बाद हादसे की 3 वजह समझ आ रही हैं। चलिए, बताते हैं….पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर