यूपी में नेमप्लेट विवाद कांवड़ यात्रा से महाकुंभ तक पहुंच गया है। प्रयागराज के अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का कहना है कि कुंभ में आने वाले लोग पहचान पत्र साथ लेकर आएं। सरकार को यह नियम लागू करना चाहिए। कुंभ आने वालों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी हो, इसकी लिस्ट प्रशासन के पास हो। महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से शुरू होगा। हरि गिरि महाराज बोले- पहचान पत्र को प्रमाणित करा कर लेकर आएं
जूना अखाड़े के संरक्षक स्वामी हरि गिरि महाराज ने कहा- लोग सिर्फ पहचान पत्र ही न लाएं, बल्कि उसकी कॉपी भी प्रमाणित करा कर लाएं। ये कॉपी किसी ऑफिसर, पार्षद, ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव से प्रमाणित होनी चाहिए। क्योंकि लोग फर्जी पहचान पत्र भी बनवा लेते हैं, ऐसे में दस्तावेजों की जांच जरूरी है। मेला प्रशासन या जिस भी संत के यहां वह जाए। उसकी लिस्ट प्रशासन के पास होनी चाहिए। ID से सही व्यक्ति की होगी पहचान
उन्होंने कहा- मान लीजिए, राम सिंह नाम का व्यक्ति मेले में आता है और कोई घटना को अंजाम देता है। मेले में 1000 आदमी उसके नाम से आते हैं। ऐसे में उसकी जगह कोई दूसरा फंस सकता है। कई लोगों ने योगीजी का ही फर्जी पहचान पत्र बनवा रखा है। इंदौर में मैंने शिकायत की तो एक आदमी गोंडा से पकड़ा गया। मैं सिर्फ यही चाहता हूं कि कोई बेगुनाह आदमी न फंसे। सनातन धर्म को लेकर कुछ लोग हिंसक हो रहे हैं
महंत हरि गिरि ने कहा- इस बार का महाकुंभ चुनौतियों से भरा हुआ है। तमाम लोग ऐसे आएंगे, जो सनातन को लेकर हिंसक हैं। आस्था के इस सबसे बड़े मेले में कोई गड़बड़ी न होने पाए और किसी तरह की हिंसा न होने पाए इसके लिए कई कदम उठाने होंगे। मेले में गंगा जी को पॉलीथिन से बचाया जाए
स्वामी हरि गिरि ने कहा कि मेरी लोगों से मांग है कि गंगा जी को पॉलीथिन से बचाए, क्योंकि पानी में रहने वाले जीव जंतु उसे खाते हैं। उनकी मौत हो जाती है। ऐसे में पूरे मेले में प्लास्टिक को बैन किया जाना चाहिए। ये खबर भी पढ़ें…
कांवड़ रूट की दुकानों पर नेमप्लेट जरूरी नहीं:सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार का फैसला रोका, कहा- भोजन शाकाहारी है या मांसाहारी यह बताएं सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को लेकर कई राज्य सरकारों के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सोमवार, 22 जुलाई को कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। होटल चलाने वाले यह बता सकते हैं कि वह किस तरह का खाना यानी, शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं। लेकिन उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। पढ़ें पूरी खबर यूपी में नेमप्लेट विवाद कांवड़ यात्रा से महाकुंभ तक पहुंच गया है। प्रयागराज के अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का कहना है कि कुंभ में आने वाले लोग पहचान पत्र साथ लेकर आएं। सरकार को यह नियम लागू करना चाहिए। कुंभ आने वालों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी हो, इसकी लिस्ट प्रशासन के पास हो। महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से शुरू होगा। हरि गिरि महाराज बोले- पहचान पत्र को प्रमाणित करा कर लेकर आएं
जूना अखाड़े के संरक्षक स्वामी हरि गिरि महाराज ने कहा- लोग सिर्फ पहचान पत्र ही न लाएं, बल्कि उसकी कॉपी भी प्रमाणित करा कर लाएं। ये कॉपी किसी ऑफिसर, पार्षद, ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव से प्रमाणित होनी चाहिए। क्योंकि लोग फर्जी पहचान पत्र भी बनवा लेते हैं, ऐसे में दस्तावेजों की जांच जरूरी है। मेला प्रशासन या जिस भी संत के यहां वह जाए। उसकी लिस्ट प्रशासन के पास होनी चाहिए। ID से सही व्यक्ति की होगी पहचान
उन्होंने कहा- मान लीजिए, राम सिंह नाम का व्यक्ति मेले में आता है और कोई घटना को अंजाम देता है। मेले में 1000 आदमी उसके नाम से आते हैं। ऐसे में उसकी जगह कोई दूसरा फंस सकता है। कई लोगों ने योगीजी का ही फर्जी पहचान पत्र बनवा रखा है। इंदौर में मैंने शिकायत की तो एक आदमी गोंडा से पकड़ा गया। मैं सिर्फ यही चाहता हूं कि कोई बेगुनाह आदमी न फंसे। सनातन धर्म को लेकर कुछ लोग हिंसक हो रहे हैं
महंत हरि गिरि ने कहा- इस बार का महाकुंभ चुनौतियों से भरा हुआ है। तमाम लोग ऐसे आएंगे, जो सनातन को लेकर हिंसक हैं। आस्था के इस सबसे बड़े मेले में कोई गड़बड़ी न होने पाए और किसी तरह की हिंसा न होने पाए इसके लिए कई कदम उठाने होंगे। मेले में गंगा जी को पॉलीथिन से बचाया जाए
स्वामी हरि गिरि ने कहा कि मेरी लोगों से मांग है कि गंगा जी को पॉलीथिन से बचाए, क्योंकि पानी में रहने वाले जीव जंतु उसे खाते हैं। उनकी मौत हो जाती है। ऐसे में पूरे मेले में प्लास्टिक को बैन किया जाना चाहिए। ये खबर भी पढ़ें…
कांवड़ रूट की दुकानों पर नेमप्लेट जरूरी नहीं:सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार का फैसला रोका, कहा- भोजन शाकाहारी है या मांसाहारी यह बताएं सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को लेकर कई राज्य सरकारों के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सोमवार, 22 जुलाई को कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। होटल चलाने वाले यह बता सकते हैं कि वह किस तरह का खाना यानी, शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं। लेकिन उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर