वाराणसी पुलिस का दरोगा नकली क्राइम ब्रांच बनाकर बिहार बॉर्डर तक रैकेट चला रहा था। पुलिस के पैटर्न पर रेड करने के कोड वर्ड बनाए थे। पुलिस पूछताछ में सामने आया कि रेड के वक्त दरोगा या मास्टरमाइंड सूर्य प्रकाश पांडेय को सभी ‘सरजी’ कहते थे। कोई भी एक-दूसरे को नाम से नहीं बुलाता था। एक-दूसरे को बुलाने के लिए ‘दरोगाजी’ शब्द का इस्तेमाल करते थे। बिहार बॉर्डर से लेकर प्रयागराज तक रियल स्टेट, सर्राफा और बड़े आढ़ती इनके टारगेट पर रहते थे। रेकी करने के बाद मूवमेंट फोन पर दी जाती थी। कारोबारी के लिए ये लोग ‘शिकार’ शब्द का इस्तेमाल करते थे। कहते थे- ‘शिकार’ निकल रहा है, रेड के लिए तैयार हो जाओ। जब कारोबारी को पकड़ लेते, उसके बाद दरोगा सूर्य प्रकाश पांडेय को बुलाया जाता। उसके लिए कहते – अब सरजी इंटेरोगेशन करेंगे। इसके बाद शुरू होता था लूट का खेल। पूर्वांचल के कारोबारी टारगेट पर, बिहार बॉर्डर पर गुर्गें सेट रहते थे
सूर्य प्रकाश पांडेय पुलिस का दरोगा था। पुलिस के काम-काज के तौर-तरीके उसको पता थे। इसलिए सिर्फ उन्हीं कारोबारियों को टारगेट पर लिया जाता था, जो लूट के बाद तुरंत पुलिस के पास न जाएं। ऐसे कारोबारियों को चुनने का जिम्मा नीलेश का होता था। रेकी करने वाले को सभी ‘प्रधानजी’ कहते थे। लूट के वक्त सिर्फ सूर्य प्रकाश वर्दी में होता था, बाकी सादी वर्दी में होते थे। वाराणसी में असली दरोगा की नकली क्राइम ब्रांच का भंडाफोड़ होने के बाद कई वारदातों का खुलासा हुआ है। दरोगा का नेटवर्क सिर्फ बनारस ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में फैला था। प्रयागराज से लेकर बिहार सीमा तक उसने गुर्गे लगा रखे थे। इनके गिरोह का एक खास पैटर्न था। लूट करने से पहले की रात पार्टी होती थी। पूरी प्लानिंग तय होती थी। फिर रेड करके कारोबारी को कब्जे में लेते थे। पहले ही तय हो जाता था कौन किस भूमिका में रहेगा। शिकार को दबोचते ही एक साथी बोलता था अब सरजी ही इसको इंटेरोगेट करेंगे। इनकी कार्यशैली से सामने वाला कारोबारी पूरी तरह से सरेंडर रहता था। पैसे देकर छोड़ने की बात कहने लगता था। बाद में सूर्य प्रकाश दरोगा संबंधित थाने से अपने नेटवर्क के जरिए केस का अपडेट भी लेता रहता था। डिप्टी एसपी का बेटा, पुलिस दांव पेच में माहिर
पुलिस भर्ती के 2019 बैच का दरोगा सूर्यप्रकाश पांडे प्रयागराज के कर्नलगंज का रहने वाला है। उसके पिता वशिष्ठ पांडेय पुलिस में डिप्टी एसपी रहे हैं। दरोगा और इंस्पेक्टर के दौरान उनकी तैनाती वाराणसी और आस-पास के जनपदों में थी। सूर्यप्रकाश भी पिता की नौकरी के दौर में कई साल परिवार के साथ रहा। बाद में उसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एडमिशन और हॉस्टल मिल गया, उनके रिटायरमेंट के बाद ही सूर्य प्रकाश की भी नौकरी लग गई और वह दरोगा बन गया। सूर्यप्रकाश पुलिसिया दांव पेच में माहिर था। उसने नौकरी पाते ही अमीर बनने की ठान ली। पहली तैनाती बड़ागांव में रही। जांच में सामने आया कि यहां उसकी शिकायतें होती रहती थीं। प्रयागराज में मकान, कार और महंगे गैजेट्स
दरोगा सूर्यप्रकाश महंगी घड़ी, आईफोन और गैजेट्स का शौकीन है। उसे होटलों की पार्टी में जाना पसंद है। वरुणा जोन के कैंट थाने की नदेसर चौकी पर तैनात दरोगा ने पिछले साल ही टॉप मॉडल क्रेटा कार भी खरीदी थी। जांच में सामने आया कि कैश डाउन पेमेंट किया था। सूर्य प्रकाश कर्नलगंज में रहता है। वहां एक घर बनाया है। उसका गांव में बनाया हुआ आलीशान मकान भी जांच में सामने आया है। आईफोन, आईपैड समेत कई महंगे गैजेट्स भी उसके पास हैं। पिछले कुछ दिनों से बनारस में मकान खरीदने की तैयारी कर रहा था। केस में बढ़ाई डकैती की धाराएं, बिना नंबर की ले जाता था कार
दरोगा सूर्य प्रकाश पांडे के खिलाफ पुलिस ने रामनगर थाने में दर्ज केस को डकैती में बदल दिया है। लुटेरों का गैंग चलाने वाले दरोगा के साथ उसके दो साथी भी जेल गए हैं, वहीं बड़ागांव में रहने वाले नीलेश यादव, मुकेश दुबे की तलाश जारी है। पुलिस के मुताबिक, दरोगा वारदात के दौरान हमेशा बिना नंबर की कार का इस्तेमाल करता था, यह कार उसके बड़ागांव में रहने वाले साथी नीलेश की है। कोर्ट में साथियों संग खिलखिलाता रहा दरोगा
पुलिस ने दरोगा को गिरफ्तारी के बाद सीधे ACJM कोर्ट में पेश किया। जहां पर उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पेशी के दौरान दरोगा का वकील भी दलील के लिए पेश हुआ और जमानत की मांग की। हालांकि जज ने लूट और डकैती के आरोप में जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट रूम से बाहर निकलने के बाद दरोगा और उसके सहयोगी पुलिसकर्मी वकीलों के साथ हंसी मजाक करते नजर आए। उनका वीडियो सामने आने के बाद पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही है। DCP काशी गौरव बंशवाल ने कहा- पूछताछ के दौरान कई और लूट के बारे में इनपुट मिले हैं। इनमें कुछ और कारोबारी शामिल हैं। उनसे वारदात कहां-कहां हुई। इनमें क्या कोई और भी शामिल है, इसकी भी जांच SOG और रामनगर पुलिस कर रही है। ये भी पढ़ें: सूर्य प्रकाश ने कैसे सर्राफा कारोबारी से 42 लाख लूटे वाराणसी में वर्दी की आड़ में एक दरोगा लुटेरों का गैंग चला रहा था। दरोगा ने 4 शातिर युवकों के साथ नकली ‘स्पेशल क्राइम ब्रांच’ बनाई और हाईवे पर लूट करने लगा। आरोपी दरोगा की पहचान सूर्य प्रकाश पांडे के रूप में हुई है। 22 जून को उसने जीटी रोड पर ज्वेलरी कारोबारी के कर्मचारियों से 93 लाख रुपए पकड़े थे। हवाला का पैसा बताकर 42 लाख रुपए रख लिए…(पढ़ें पूरी खबर) वाराणसी पुलिस का दरोगा नकली क्राइम ब्रांच बनाकर बिहार बॉर्डर तक रैकेट चला रहा था। पुलिस के पैटर्न पर रेड करने के कोड वर्ड बनाए थे। पुलिस पूछताछ में सामने आया कि रेड के वक्त दरोगा या मास्टरमाइंड सूर्य प्रकाश पांडेय को सभी ‘सरजी’ कहते थे। कोई भी एक-दूसरे को नाम से नहीं बुलाता था। एक-दूसरे को बुलाने के लिए ‘दरोगाजी’ शब्द का इस्तेमाल करते थे। बिहार बॉर्डर से लेकर प्रयागराज तक रियल स्टेट, सर्राफा और बड़े आढ़ती इनके टारगेट पर रहते थे। रेकी करने के बाद मूवमेंट फोन पर दी जाती थी। कारोबारी के लिए ये लोग ‘शिकार’ शब्द का इस्तेमाल करते थे। कहते थे- ‘शिकार’ निकल रहा है, रेड के लिए तैयार हो जाओ। जब कारोबारी को पकड़ लेते, उसके बाद दरोगा सूर्य प्रकाश पांडेय को बुलाया जाता। उसके लिए कहते – अब सरजी इंटेरोगेशन करेंगे। इसके बाद शुरू होता था लूट का खेल। पूर्वांचल के कारोबारी टारगेट पर, बिहार बॉर्डर पर गुर्गें सेट रहते थे
सूर्य प्रकाश पांडेय पुलिस का दरोगा था। पुलिस के काम-काज के तौर-तरीके उसको पता थे। इसलिए सिर्फ उन्हीं कारोबारियों को टारगेट पर लिया जाता था, जो लूट के बाद तुरंत पुलिस के पास न जाएं। ऐसे कारोबारियों को चुनने का जिम्मा नीलेश का होता था। रेकी करने वाले को सभी ‘प्रधानजी’ कहते थे। लूट के वक्त सिर्फ सूर्य प्रकाश वर्दी में होता था, बाकी सादी वर्दी में होते थे। वाराणसी में असली दरोगा की नकली क्राइम ब्रांच का भंडाफोड़ होने के बाद कई वारदातों का खुलासा हुआ है। दरोगा का नेटवर्क सिर्फ बनारस ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में फैला था। प्रयागराज से लेकर बिहार सीमा तक उसने गुर्गे लगा रखे थे। इनके गिरोह का एक खास पैटर्न था। लूट करने से पहले की रात पार्टी होती थी। पूरी प्लानिंग तय होती थी। फिर रेड करके कारोबारी को कब्जे में लेते थे। पहले ही तय हो जाता था कौन किस भूमिका में रहेगा। शिकार को दबोचते ही एक साथी बोलता था अब सरजी ही इसको इंटेरोगेट करेंगे। इनकी कार्यशैली से सामने वाला कारोबारी पूरी तरह से सरेंडर रहता था। पैसे देकर छोड़ने की बात कहने लगता था। बाद में सूर्य प्रकाश दरोगा संबंधित थाने से अपने नेटवर्क के जरिए केस का अपडेट भी लेता रहता था। डिप्टी एसपी का बेटा, पुलिस दांव पेच में माहिर
पुलिस भर्ती के 2019 बैच का दरोगा सूर्यप्रकाश पांडे प्रयागराज के कर्नलगंज का रहने वाला है। उसके पिता वशिष्ठ पांडेय पुलिस में डिप्टी एसपी रहे हैं। दरोगा और इंस्पेक्टर के दौरान उनकी तैनाती वाराणसी और आस-पास के जनपदों में थी। सूर्यप्रकाश भी पिता की नौकरी के दौर में कई साल परिवार के साथ रहा। बाद में उसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एडमिशन और हॉस्टल मिल गया, उनके रिटायरमेंट के बाद ही सूर्य प्रकाश की भी नौकरी लग गई और वह दरोगा बन गया। सूर्यप्रकाश पुलिसिया दांव पेच में माहिर था। उसने नौकरी पाते ही अमीर बनने की ठान ली। पहली तैनाती बड़ागांव में रही। जांच में सामने आया कि यहां उसकी शिकायतें होती रहती थीं। प्रयागराज में मकान, कार और महंगे गैजेट्स
दरोगा सूर्यप्रकाश महंगी घड़ी, आईफोन और गैजेट्स का शौकीन है। उसे होटलों की पार्टी में जाना पसंद है। वरुणा जोन के कैंट थाने की नदेसर चौकी पर तैनात दरोगा ने पिछले साल ही टॉप मॉडल क्रेटा कार भी खरीदी थी। जांच में सामने आया कि कैश डाउन पेमेंट किया था। सूर्य प्रकाश कर्नलगंज में रहता है। वहां एक घर बनाया है। उसका गांव में बनाया हुआ आलीशान मकान भी जांच में सामने आया है। आईफोन, आईपैड समेत कई महंगे गैजेट्स भी उसके पास हैं। पिछले कुछ दिनों से बनारस में मकान खरीदने की तैयारी कर रहा था। केस में बढ़ाई डकैती की धाराएं, बिना नंबर की ले जाता था कार
दरोगा सूर्य प्रकाश पांडे के खिलाफ पुलिस ने रामनगर थाने में दर्ज केस को डकैती में बदल दिया है। लुटेरों का गैंग चलाने वाले दरोगा के साथ उसके दो साथी भी जेल गए हैं, वहीं बड़ागांव में रहने वाले नीलेश यादव, मुकेश दुबे की तलाश जारी है। पुलिस के मुताबिक, दरोगा वारदात के दौरान हमेशा बिना नंबर की कार का इस्तेमाल करता था, यह कार उसके बड़ागांव में रहने वाले साथी नीलेश की है। कोर्ट में साथियों संग खिलखिलाता रहा दरोगा
पुलिस ने दरोगा को गिरफ्तारी के बाद सीधे ACJM कोर्ट में पेश किया। जहां पर उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पेशी के दौरान दरोगा का वकील भी दलील के लिए पेश हुआ और जमानत की मांग की। हालांकि जज ने लूट और डकैती के आरोप में जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट रूम से बाहर निकलने के बाद दरोगा और उसके सहयोगी पुलिसकर्मी वकीलों के साथ हंसी मजाक करते नजर आए। उनका वीडियो सामने आने के बाद पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही है। DCP काशी गौरव बंशवाल ने कहा- पूछताछ के दौरान कई और लूट के बारे में इनपुट मिले हैं। इनमें कुछ और कारोबारी शामिल हैं। उनसे वारदात कहां-कहां हुई। इनमें क्या कोई और भी शामिल है, इसकी भी जांच SOG और रामनगर पुलिस कर रही है। ये भी पढ़ें: सूर्य प्रकाश ने कैसे सर्राफा कारोबारी से 42 लाख लूटे वाराणसी में वर्दी की आड़ में एक दरोगा लुटेरों का गैंग चला रहा था। दरोगा ने 4 शातिर युवकों के साथ नकली ‘स्पेशल क्राइम ब्रांच’ बनाई और हाईवे पर लूट करने लगा। आरोपी दरोगा की पहचान सूर्य प्रकाश पांडे के रूप में हुई है। 22 जून को उसने जीटी रोड पर ज्वेलरी कारोबारी के कर्मचारियों से 93 लाख रुपए पकड़े थे। हवाला का पैसा बताकर 42 लाख रुपए रख लिए…(पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर