नोएडा में मंगलवार भोर पहर साढ़े तीन बजे थे। सेक्टर-8 जेजे कालोनी के एक मकान में रहने वाले दौलतराम तीन बेटियों और पत्नी के साथ एक ही कमरे में सो रहे थे। अचानक से कमरे के आगे वाले हिस्से में शॉट सर्किट हुआ और अंदर धुआं भर गया। लपटें उठीं और दौलत राम का पूरा परिवार आग में फंस गया। बेड पर लेटी 10 साल की आस्था, 7 साल की नैना और 5 साल की अराध्या को जब दौलतराम में झुलसते हुए देखा तो उन्हें खींचकर बाहर निकालना चाहा। लेकिन धुएं की वजह से दिखना बंद हो गया। दौलतराम ने अपनी पत्नी को धक्का देकर बाहर कर दिया। दोनों के सामने ही तीनों बेटियों की तड़प कर मौत हो गई। यह सारी बातें दौलतराम के साले राहुल ने बताई। जिस समय हादसा हुआ दौलत राम का इकलौता बेटा हनी सोने के लिए अपनी बुआ के घर सेक्टर-11 गया था। अगर वह नहीं जाता तो वह भी हादसे का शिकार हो जाता। बेटा बहनों की मौत से सुबह 10 बजे तक अनजान था। जब उससे हादसे के बारे में पूछा गया, तो उसने कहा-किसी का एक्सीडेंट हो गया है। आइए जानते हैं पूरा घटनाक्रम शार्ट सर्किट से हुआ हादसा जिस कमरे में ये परिवार रहता था। वो बहुत छोटा है। रोज की तरह हनि रात में कूलर के बगल में ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज करने के लिए लगाकर बुआ के यहां चला गया। सभी ने खाना खाया और तीन बेटियां बेड पर और दौलतराम पत्नी के साथ जमीन पर सो गए। रात में साढ़े तीन बजे चार्जिंग प्लग में शॉट सर्किट हुआ, जिससे तेजी से आग और धुआं उठा। दौलतराम आने वाली घटना को भाप नहीं सके। स्थानीय लोगों ने खुद बुझाई आग
पुलिस और अग्निशमन विभाग का दावा है की सूचना मिलते ही टीम पहुंची। समय रहते ही आग पर काबू पा लिया गया। हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आधे घंटे बाद तक पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीम नहीं पहुंची थी। एक व्यक्ति को सूचना देने के लिए फायर स्टेशन भेजा गया। कंट्रोल रूम का नंबर कई बार लगाया गया। लेकिन, कॉल नहीं लगी। एक दो बार रिंग गई भी तो किसी ने कॉल नहीं उठाई। ऐसे में स्थानीय लोगों ने खुद ही कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। 4 साल पहले मैनपुरी से आया था परिवार
4 साल पहले दौलतराम नोएडा आया था और ई-रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण कर रहा था। उसने रिक्शा कर्ज पर लिया हुआ था। रिक्शा ही उसकी आजीविका का साधन है। उसके कई रिश्तेदार भी नोएडा में ही रहते हैं। हादसे के बाद से आसपास डर का माहौल है। जिस कमरे में दौलत राम रहते हैं उसके पीछे बनी पक्की झुग्गी में बीते साल फरवरी में आग लगी थी। उसमें नवजात समेत तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। तीन अन्य लोग भी हादसे में झुलस गए थे। सभी बच्चे जाते थे स्कूल
हादसे का शिकार हुए दौलतराम का बेटा हनी कोंडली के जीबीएसएस स्कूल में पांचवी का छात्र है। वहीं हादसे में जान गंवाने वाली आस्था पांचवी की,नैना तीसरी की और आराध्या नर्सरी की स्टूडेंट थी। तीनों कोंडली के प्राथमिक स्कूल में पढ़ती थीं। स्कूल प्रबंधन को भी हादसे की जानकारी स्थानीय लोगों ने दे दी है। एक साल के भीतर एक ही जगह पर हुए दो हादसों ने स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया है। यहां बनी सभी झुग्गियां अवैध
करीब ग्यारह साल पहले नोएडा प्राधिकरण की तरफ से झुग्गी झोपड़ी पुनर्वास योजना के तहत सेक्टर-122 में 3472 फ्लैट बनाए। इनको बनाने में करीब 40 करोड़ रुपए का खर्चा आया था। योजना के तहत ये फ्लैट सेक्टर-4,5,8,910 की झुग्गियों में रहने वाले लोगों के लिए थे। किसको यहां फ्लैट दिया जाए इसके लिए ड्रा निकाला गया। वर्तमान में यहां 1700 परिवार रहते हैं। जबकि कई फ्लैट अब भी खाली है। वर्तमान में करीब 1600 से ज्यादा झुग्गियां सील की गई। लेकिन ध्वस्तीकरण नहीं किया गया। ये झुग्गियां अब बड़े हादसे को दावत देने के लिए तैयार है। नोएडा में मंगलवार भोर पहर साढ़े तीन बजे थे। सेक्टर-8 जेजे कालोनी के एक मकान में रहने वाले दौलतराम तीन बेटियों और पत्नी के साथ एक ही कमरे में सो रहे थे। अचानक से कमरे के आगे वाले हिस्से में शॉट सर्किट हुआ और अंदर धुआं भर गया। लपटें उठीं और दौलत राम का पूरा परिवार आग में फंस गया। बेड पर लेटी 10 साल की आस्था, 7 साल की नैना और 5 साल की अराध्या को जब दौलतराम में झुलसते हुए देखा तो उन्हें खींचकर बाहर निकालना चाहा। लेकिन धुएं की वजह से दिखना बंद हो गया। दौलतराम ने अपनी पत्नी को धक्का देकर बाहर कर दिया। दोनों के सामने ही तीनों बेटियों की तड़प कर मौत हो गई। यह सारी बातें दौलतराम के साले राहुल ने बताई। जिस समय हादसा हुआ दौलत राम का इकलौता बेटा हनी सोने के लिए अपनी बुआ के घर सेक्टर-11 गया था। अगर वह नहीं जाता तो वह भी हादसे का शिकार हो जाता। बेटा बहनों की मौत से सुबह 10 बजे तक अनजान था। जब उससे हादसे के बारे में पूछा गया, तो उसने कहा-किसी का एक्सीडेंट हो गया है। आइए जानते हैं पूरा घटनाक्रम शार्ट सर्किट से हुआ हादसा जिस कमरे में ये परिवार रहता था। वो बहुत छोटा है। रोज की तरह हनि रात में कूलर के बगल में ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज करने के लिए लगाकर बुआ के यहां चला गया। सभी ने खाना खाया और तीन बेटियां बेड पर और दौलतराम पत्नी के साथ जमीन पर सो गए। रात में साढ़े तीन बजे चार्जिंग प्लग में शॉट सर्किट हुआ, जिससे तेजी से आग और धुआं उठा। दौलतराम आने वाली घटना को भाप नहीं सके। स्थानीय लोगों ने खुद बुझाई आग
पुलिस और अग्निशमन विभाग का दावा है की सूचना मिलते ही टीम पहुंची। समय रहते ही आग पर काबू पा लिया गया। हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आधे घंटे बाद तक पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीम नहीं पहुंची थी। एक व्यक्ति को सूचना देने के लिए फायर स्टेशन भेजा गया। कंट्रोल रूम का नंबर कई बार लगाया गया। लेकिन, कॉल नहीं लगी। एक दो बार रिंग गई भी तो किसी ने कॉल नहीं उठाई। ऐसे में स्थानीय लोगों ने खुद ही कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। 4 साल पहले मैनपुरी से आया था परिवार
4 साल पहले दौलतराम नोएडा आया था और ई-रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण कर रहा था। उसने रिक्शा कर्ज पर लिया हुआ था। रिक्शा ही उसकी आजीविका का साधन है। उसके कई रिश्तेदार भी नोएडा में ही रहते हैं। हादसे के बाद से आसपास डर का माहौल है। जिस कमरे में दौलत राम रहते हैं उसके पीछे बनी पक्की झुग्गी में बीते साल फरवरी में आग लगी थी। उसमें नवजात समेत तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। तीन अन्य लोग भी हादसे में झुलस गए थे। सभी बच्चे जाते थे स्कूल
हादसे का शिकार हुए दौलतराम का बेटा हनी कोंडली के जीबीएसएस स्कूल में पांचवी का छात्र है। वहीं हादसे में जान गंवाने वाली आस्था पांचवी की,नैना तीसरी की और आराध्या नर्सरी की स्टूडेंट थी। तीनों कोंडली के प्राथमिक स्कूल में पढ़ती थीं। स्कूल प्रबंधन को भी हादसे की जानकारी स्थानीय लोगों ने दे दी है। एक साल के भीतर एक ही जगह पर हुए दो हादसों ने स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया है। यहां बनी सभी झुग्गियां अवैध
करीब ग्यारह साल पहले नोएडा प्राधिकरण की तरफ से झुग्गी झोपड़ी पुनर्वास योजना के तहत सेक्टर-122 में 3472 फ्लैट बनाए। इनको बनाने में करीब 40 करोड़ रुपए का खर्चा आया था। योजना के तहत ये फ्लैट सेक्टर-4,5,8,910 की झुग्गियों में रहने वाले लोगों के लिए थे। किसको यहां फ्लैट दिया जाए इसके लिए ड्रा निकाला गया। वर्तमान में यहां 1700 परिवार रहते हैं। जबकि कई फ्लैट अब भी खाली है। वर्तमान में करीब 1600 से ज्यादा झुग्गियां सील की गई। लेकिन ध्वस्तीकरण नहीं किया गया। ये झुग्गियां अब बड़े हादसे को दावत देने के लिए तैयार है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर