दो दिन पहले मैंने ना टीवी देखी ना अखबार पढ़ा और ना ही मैं सोशल मीडिया पर गया तो मुझे लगा कि वाह, कहीं कोई हादसा ही नहीं हुआ! पर उसी दिन शाम को एक पार्टी में जाना हुआ। शाम को क्लब में पार्टी थी। वहां पेमेंट करने का हादसा मेरे साथ हो सकता था, लेकिन मैं वॉश रूम चला गया। तब पार्टी का पेमेंट करने का हादसा मेरे साथी मित्रों के साथ हो गया। फोकट की पार्टी, वो भी उन्हें ही नसीब होती है, जिन्होंने पूर्व जन्म में कोई पुण्य किए हों। हम हादसा उसे मानते हैं, जिससे हम प्रभावित होते हैं। लेकिन सड़क पर कार चलाते हुए कोई दुर्घटना दिख जाए तो हम सहज भाव से निकल जाते हैं। देश में कई लोग बड़े-बड़े हादसों का शिकार हो जाते हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि जिम्मेदार लोगों की आंखें एक मिनट के लिए भी उन हादसों पर नम नहीं होतीं। जो पुल टूट गए, जो रेल दुर्घटनाग्रस्त हो गईं, उनके जिम्मेदार ठेकेदार, नौकरशाही एक पल के लिए भी अपराधबोध से ग्रस्त नहीं हुए। बल्कि वे इस बात से प्रसन्न हुए होंगे कि इन टूटे हुए पुलों को दोबारा बनाने का ठेका हथिया लेंगे। इसे कहते हैं, आपदा में अवसर तलाशना। हमारे राजनेता भी बेचारे क्या करें! उन्हें खुद के हादसों से फुर्सत मिले, तो वे देश के हादसों पर सोचें। एक पक्ष पीएम के हादसों पर बात करता है, दूसरा पक्ष नेहरू के हादसों पर बात करता है। देश में जहां भी निर्माण चल रहे हैं, उनमें मजबूती का पूरा ध्यान रखा जाता है। कहीं वे इतने मजबूत न हो जाएं कि उनमें हादसों की संभावना ही न बचे। बेरोजगारी खत्म करने में हादसे बहुत सहायक हैं। एक बिल्डिंग गिरती है तो कितने लोगों को उसका मलबा निकालने का काम मिलता है। फिर उसका पुनर्निर्माण होता है, तो कितने मजदूर वहां रोजगार पाते हैं। हादसे की जांच करने में रिटायर्ड जज, जांच आयोग के अध्यक्ष बनाए जाते हैं। उनके साथी कर्मचारियों के कई साल तो जांच पूरी करने में खप जाएंगे! कोई हादसा होता है, तो विरोधी दल के नेता उसके विरुद्ध धरना देने के लिए दिहाड़ी के हिसाब से लोग बुलाते हैं। उन सबको पैसा मिलता है, वो भी बिना जीएसटी के। एक बार की बात है कि एक परिचित व्यक्ति के निधन पर मैं निगम बोध घाट गया। वहां अंतिम संस्कार होने को ही था। इसी बीच मेरा एक परिचित मुझे वहां लगी एक बेंच की ओर ले गया, बोला चलिए वहां बैठते हैं, यहां धुआं भी लगेगा। हम वहां बेंच पर बैठ गए। साहब वो जनाब तो शुरू हो गए। बोले और साहब कवि सम्मेलन तो चल रहे हैं न? हमने कहां हां चलते ही रहते हैं। फिर वो सज्जन बोले और कुछ नया लिख रहे हैं कि नहीं? मैं बोला चलता रहता है, लिख लेते हैं। फिर बोले नई कविता किस विषय पर लिखी है? मैंने बोला व्यवस्था पर लिखी है। तो वे सज्जन बोले हो जाए एकाध नमूना बाहर निकलने में देर है हमें। मैंने क्रोध को मन में दबाते हुए बस इतना कहा कि भाई तेरे यहां जब कोई ऐसा काम हो तो बुला लइयो, जी भर के सुना दूंगा! मतलब संवेदना, आंसू, करुणा सबको भाड़ में जाने दो और हर हादसे पर ठहाका लगाओ, जश्न मनाओ कि वो हादसा हम पर नहीं घटा! दो दिन पहले मैंने ना टीवी देखी ना अखबार पढ़ा और ना ही मैं सोशल मीडिया पर गया तो मुझे लगा कि वाह, कहीं कोई हादसा ही नहीं हुआ! पर उसी दिन शाम को एक पार्टी में जाना हुआ। शाम को क्लब में पार्टी थी। वहां पेमेंट करने का हादसा मेरे साथ हो सकता था, लेकिन मैं वॉश रूम चला गया। तब पार्टी का पेमेंट करने का हादसा मेरे साथी मित्रों के साथ हो गया। फोकट की पार्टी, वो भी उन्हें ही नसीब होती है, जिन्होंने पूर्व जन्म में कोई पुण्य किए हों। हम हादसा उसे मानते हैं, जिससे हम प्रभावित होते हैं। लेकिन सड़क पर कार चलाते हुए कोई दुर्घटना दिख जाए तो हम सहज भाव से निकल जाते हैं। देश में कई लोग बड़े-बड़े हादसों का शिकार हो जाते हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि जिम्मेदार लोगों की आंखें एक मिनट के लिए भी उन हादसों पर नम नहीं होतीं। जो पुल टूट गए, जो रेल दुर्घटनाग्रस्त हो गईं, उनके जिम्मेदार ठेकेदार, नौकरशाही एक पल के लिए भी अपराधबोध से ग्रस्त नहीं हुए। बल्कि वे इस बात से प्रसन्न हुए होंगे कि इन टूटे हुए पुलों को दोबारा बनाने का ठेका हथिया लेंगे। इसे कहते हैं, आपदा में अवसर तलाशना। हमारे राजनेता भी बेचारे क्या करें! उन्हें खुद के हादसों से फुर्सत मिले, तो वे देश के हादसों पर सोचें। एक पक्ष पीएम के हादसों पर बात करता है, दूसरा पक्ष नेहरू के हादसों पर बात करता है। देश में जहां भी निर्माण चल रहे हैं, उनमें मजबूती का पूरा ध्यान रखा जाता है। कहीं वे इतने मजबूत न हो जाएं कि उनमें हादसों की संभावना ही न बचे। बेरोजगारी खत्म करने में हादसे बहुत सहायक हैं। एक बिल्डिंग गिरती है तो कितने लोगों को उसका मलबा निकालने का काम मिलता है। फिर उसका पुनर्निर्माण होता है, तो कितने मजदूर वहां रोजगार पाते हैं। हादसे की जांच करने में रिटायर्ड जज, जांच आयोग के अध्यक्ष बनाए जाते हैं। उनके साथी कर्मचारियों के कई साल तो जांच पूरी करने में खप जाएंगे! कोई हादसा होता है, तो विरोधी दल के नेता उसके विरुद्ध धरना देने के लिए दिहाड़ी के हिसाब से लोग बुलाते हैं। उन सबको पैसा मिलता है, वो भी बिना जीएसटी के। एक बार की बात है कि एक परिचित व्यक्ति के निधन पर मैं निगम बोध घाट गया। वहां अंतिम संस्कार होने को ही था। इसी बीच मेरा एक परिचित मुझे वहां लगी एक बेंच की ओर ले गया, बोला चलिए वहां बैठते हैं, यहां धुआं भी लगेगा। हम वहां बेंच पर बैठ गए। साहब वो जनाब तो शुरू हो गए। बोले और साहब कवि सम्मेलन तो चल रहे हैं न? हमने कहां हां चलते ही रहते हैं। फिर वो सज्जन बोले और कुछ नया लिख रहे हैं कि नहीं? मैं बोला चलता रहता है, लिख लेते हैं। फिर बोले नई कविता किस विषय पर लिखी है? मैंने बोला व्यवस्था पर लिखी है। तो वे सज्जन बोले हो जाए एकाध नमूना बाहर निकलने में देर है हमें। मैंने क्रोध को मन में दबाते हुए बस इतना कहा कि भाई तेरे यहां जब कोई ऐसा काम हो तो बुला लइयो, जी भर के सुना दूंगा! मतलब संवेदना, आंसू, करुणा सबको भाड़ में जाने दो और हर हादसे पर ठहाका लगाओ, जश्न मनाओ कि वो हादसा हम पर नहीं घटा! उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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विक्रमादित्य बोले- कंगना को थप्पड़ मारने के घटना निंदनीय:मगर किसी को आतंकवादी कह देना भी गैर-जिम्मेदाराना स्टेटमेंट, कहा- हिमाचल में चला मोदी मैजिक हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से नव निर्वाचित सांसद कंगना रनोट को थप्पड़ विवाद पर PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा, किसी भी महिला के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए। शनिवार को कांग्रेस दफ्तर पहुंचे विक्रमादित्य ने कहा, कंगना को थप्पड़ मारने की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। विक्रमादित्य ने कहा, हमारी संवेदनाएं किसानों के साथ हैं। कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी हैं। किसी को भी आतंकवादी कह देना भी गैर जिम्मेदाराना स्टेटमेंट है। मगर अपनी नाराजगी व विरोध को जाहिर करने का यह तरीका सही नहीं है। उन्होंने कहा, संविधान हमे अपनी बात रखने का अधिकार देता है। जिस महिला सुरक्षा कर्मी ने थप्पड़ मारा है, वह अन्य माध्यम से भी अपनी नाराजगी जाहिर व्यक्त कर सकती थी। विक्रमादित्य सिंह ने कहा, सीआईएफ और सरकार जो भी कार्रवाई इस मामले में करेगी, हम उसका स्वागत करते हैं। बता दें कि दो रोज पहले कंगना रनोट चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर दिल्ली जा रही थीं। सुरक्षा जांच के दौरान कंगना रनोट को कुलविंदर कौर नाम की सुरक्षा कर्मी ने थप्पड़ जड़ दिया। कुलविंदर कौर ने किसान आंदोलन के दौरान कंगना रनोट की बयानबाजी से आहत थी। इसलिए सुरक्षा कर्मी ने कंगना को थप्पड़ मार दिया। हालांकि अब सुरक्षा कर्मी के खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई है। राष्ट्रीय स्तर पर नहीं चला मोदी मैजिक विक्रमादित्य सिंह ने कहा, राष्ट्रीय स्तर पर लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक नहीं चला। मगर हिमाचल में चला है। इससे कांग्रेस की यहां हार हुई है। उन्होंने कहा कि हार के कारणों का मंथन किया जा रहा है। कमियों को दूर करके पार्टी को मजबूत किया जाएगा। हार के कारणों का मंथन करने पहुंचे विक्रमादित्य मंडी सीट से हार के विक्रमादित्य सिंह शनिवार को शिमला ग्रामीण कांग्रेस की मीटिंग लेने कांग्रेस दफ्तर राजीव भवन पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने ब्लाक कांग्रेस कमेटी के साथ हार के कारणों को लेकर मंथन किया क्योंकि विक्रमादित्य सिंह खुद मंडी सीट पर चुनाव प्रचार में डटे रहे। इस वजह से वह शिमला संसदीय सीट के लिए वक्त नहीं दे पाए थे। इससे उनकी शिमला ग्रामीण विधानसभा बीजेपी प्रत्याशी सुरेश कश्यप को छह हजार से ज्यादा मतों की लीड चली गई।
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हरियाणा में ताई की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या:चाचा चिल्लाया- इन्हें आज जिंदा नहीं छोड़ना; चाचा-ताऊ के परिवार में जमीन विवाद चल रहा हरियाणा के सोनीपत में आपसी विवाद में युवक ने अपनी ताई की ट्रैक्टर से कुचल कर निर्मम हत्या कर दी। इस दौरान परिवार की 2 महिलाओं ने साइड में छलांग लगा कर जान बचाई। परिवार में जमीन और ईंट भट्ठे की बिक्री पर विवाद चला आ रहा है। घायल महिला को लेकर बेटा रोहतक पीजीआई भी गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जानकारी के अनुसार खरखौदा क्षेत्र के बिधलान निवासी सुनील पुत्र बालकिशन ने बताया कि वह खेतीबाड़ी का काम करता है। 14 जून की शाम 7.30 बजे उसका भाई रवि अपने खेते मे ट्यूबवैल का पानी चला रहा था। उनका काफी दिनों से अपने चाचा सुशील के साथ जमीनी विवाद चला आ रहा है। पहले भी चाचा व उसके बेटे मोहित ने मारपीट की थी और उसकी मां कमला का सिर फोड़ दिया था। खेत में जाते हुए हुआ आमना-सामना
शुक्रवार को काफी इंतजार करने के बाद भी उसका भाई रवि खेत से घर नही आया। वह अपनी पत्नी रेखा, मां कमला व भाभी इंदु भाई रवि के पास खेत जा रहे थे। जब खेत मे जाने वाले पक्के रास्ते में पहुंचे तो उसी रास्ते से मोहित अपना ट्रैक्टर चलाता हुआ आया। मोहित के ट्रैक्टर के पीछे उसका पिता सुशील व उसकी माता बबली आ रहे थे। पिता ने हत्या के लिए उकसाया
सुनील ने बताया कि उन्होंने हमें देख कर एकदम से आवेश मे आकर सुशील चिल्लाने लगा कि मोहित इन्होंने हमारा भट्ठा बेच दिया है। इन्हें आज जिंदा नही छोड़ना। पिता सुशील के कहने पर मोहित ने उन पर जान से मारने की नीयत से ट्रैक्टर चढ़ाने लगा। वह, पत्नी रेखा व भाभी इंदु एकदम साइड मे हो गए। मोहित ने इसके बाद अपना ट्रैक्टर उसकी मां कमला पर चढ़ा दिया और उसे कुचल दिया। इसके बाद सभी धमकी देकर मौके से भाग गए। खेत में भाई को भी मारी चोटें
ट्रैक्टर से कुचले जाने के बाद उसकी मां कमला लहूलुहान होकर गिर कर बेहोश हो गई। वे वाहन का प्रबंध कर कमला को रोहतक पीजीआई के ट्रॉमा सेंटर में लग गए। वहां पर जांच के बाद डॉक्टर ने उसकी मां को मृत घोषित कर दिया। सुनील ने बताया कि उसके चाचा, बेटे व अन्य ने पहले खेत मे जाकर उसके भाई रवि को चोटें मारी है। फिर पूरी योजना के साथ उसकी मां कमला को ट्रैक्टर से कुचल कर मार डाला। पुलिस ने किया केस दर्ज
खरखौदा थाना के SI संजय ने बताया कि टेलीफोन में थाना में सूचना मिली थी कि गांव बिधलान मे एक औरत के ऊपर ट्रैक्टर चढा दिया गया है। वह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचा। वहां से पता चला कि महिला कमला को रोहतक पीजीआई ले जाया गया है। वह वहां पर पहुंचा तो डॉक्टर ने महिला को ब्रेड डैड घोषित कर रखा था। महिला के बेटे सुनील ने पूरी वारदात की जानकारी दी। पुलिस ने थाना खरखौदा में धारा 302,120B, 34 IPC के तहत केस दर्ज कर लिया है। छानबीन जारी है।
Bareilly Metro: बरेली में जल्द दौड़ेगी मेट्रो ट्रेन, सर्वे पूरा, पहले चरण में बनेगा 22 KM कॉरिडोर
Bareilly Metro: बरेली में जल्द दौड़ेगी मेट्रो ट्रेन, सर्वे पूरा, पहले चरण में बनेगा 22 KM कॉरिडोर <p style=”text-align: justify;”><strong>Bareilly Metro Project:</strong> बरेली के लोगों को योगी सरकार बहुत बड़ी सौगात देने जा रही है. योगी सरकार जल्द ही बरेली में मेट्रो दौड़ाने की तैयारी कर रही है. बरेली में मेट्रो का सर्वे पूरा हो चुका है. 6000 करोड़ के इस प्रोजेक्ट से 22 किलोमीटर का मेट्रो कॉरिडोर बनकर तैयार होगा. बरेली विकास प्राधिकरण बरेली में मेट्रो चलाने के लिए लगातार प्रयासरत है. राइट्स ने सर्वे पूरा कर लिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बीडीए उपाध्यक्ष मनीकंडन ए ने बताया कि, बरेली के लोगो को जल्द ही मेट्रो की सुविधा मिलेगी. बरेली की जनता को जाम से निजात दिलाने और आवागमन को सुगम बनाने के लिए मेट्रो कॉरिडोर बनाया जाएगा. उन्होंने कहा इसका सर्वे भी पूरा हो गया है. उन्होंने बताया कि रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनामिक सर्विस (राइट्स) ने अपनी रिपोर्ट बरेली विकास प्रकरण को सौंप दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राइट्स ने मेट्रो संचालन के लिए जताई सहमति</strong><br />राइट्स ने अध्ययन रिपोर्ट में मेट्रो के संचालन पर भी सहमति जताई है. प्रमुख चौराहों पर मेट्रो स्टेशन बनेंगे इसकी जानकारी दी गई है. राइट्स ने अपनी रिपोर्ट में तकनीकी, आर्थिक परिवहन, सामाजिक व अन्य पहलुओं को रखने के बाद लाइट मेट्रो और मेट्रो परियोजना वाले रूट के मिट्टी के परीक्षण भी लिए हैं. सर्वे रिपोर्ट में 2031 की जनसंख्या के आधार पर 22 किलोमीटर कॉरिडोर बनाने की सहमति दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बीडीए उपाध्यक्ष मनीकंडन ए ने बताया कि कमिश्नर की अध्यक्षता वाली कमेटी के समक्ष राइट्स की रिपोर्ट रखी जाएगी. जिसके बाद डीपीआर तैयार की जायेगी. रेलवे जंक्शन, चौकी चौराहा, सैटलाइट बस स्टैंड, रुहेलखंड यूनिवर्सिटी, फन सिटी, बैरियर टू तिराहा, दूसरे रूट में चौकी चौराहा, पटेल चौक, कुतुबखाना चौराहा, कोहाड़ापीर, आदिनाथ तिराहा होते हुए बैरियर टू तिराहा तक मेट्रो चलाई जाएगी. इस परियोजना में करीब 6000 करोड रुपए की अनुमानित लागत तय की गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढे़ं : <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/bahraich-violence-ram-gopal-mishra-post-mortem-report-hit-30-pellets-and-blunt-object-on-his-eye-ann-2804845″><strong>बहराइच हिंसा: रामगोपाल को लगे थे करीब 30 छर्रे, आंख के ऊपर मारा गया था ब्लंट ऑब्जेक्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई खुलासे</strong></a></p>