यूपी में भाजपा विधायकों की कितनी सुनते हैं अफसर:103 विधायकों ने भास्कर को बताई दिल की बात, रिजल्ट के बाद सुधरे हालात…पूरी रिपोर्ट

यूपी में भाजपा विधायकों की कितनी सुनते हैं अफसर:103 विधायकों ने भास्कर को बताई दिल की बात, रिजल्ट के बाद सुधरे हालात…पूरी रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव में यूपी में हार के बाद भाजपा में दो सबसे बड़ी कंट्रोवर्सी सामने आईं। पहली- संगठन बड़ा या सरकार। दूसरी- भाजपा विधायक और कार्यकर्ताओं की अफसर नहीं सुनते। पहली कंट्रोवर्सी अभी चल रही है। दूसरी को काफी हद तक योगी सरकार ने कंट्रोल कर लिया है। दैनिक भास्कर ने इस मामले को लेकर सीधे भाजपा विधायकों से बात की। 251 भाजपा विधायकों में से 103 ने सुनवाई नहीं होने के सवाल पर जवाब दिए। क्या विधायक अब भी नाराज हैं? उनकी अफसर सुन रहे हैं या नहीं? ज्यादा परेशानी किन अफसरों से हो रही है? अफसरों से नाराजगी की बात यहां से उठने लगी… अब इन 3 विधायकों ने क्या कहा, जानिए … 1. जनहित की बातों को उठाते हैं तो सुना जाता है। कहीं-कहीं कुछ अधिकारी हैं, जो सपा या पुरानी पार्टियों के विचार से जुड़े हैं, वह आज भी गलतियां करते हैं। अधिकतर अधिकारी हमारी सुन रहे हैं। – मनीष जायसवाल, भाजपा विधायक, कुशीनगर 2. अधिकारी पूरी तरह से सुनते हैं। काम अच्छे से हो रहा है। सारे अधिकारी सही तरह से काम करते हैं। योगी जी के नेतृत्व में कानून व्यवस्था बेहतरीन तरीके से चल रही है। -रमेश जायसवाल, भाजपा विधायक, मुगलसराय क्षेत्र 3. हम लोगों के यहां ऐसी कोई शिकायत नहीं है। हम लोग जो भी बात रखते हैं, जो संभव हो अधिकारी करते हैं। 100 प्रतिशत चीजें अधिकारी के बस में नहीं होती हैं। नहीं भी हो पाता है। तो ये लोगों के मन में होता है कि सभी चीजें नहीं हो पाती हैं। – ऋषि त्रिपाठी, भाजपा विधायक नौतनवां एक महीने पहले यह तस्वीर नहीं थी। बैठकों में विधायक आरोप लगा रहे थे कि अफसर उनकी सुन नहीं रहे। सरकार इसी पर घिर रही थी। लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में हार के पीछे इसे प्रमुख वजह माना गया, लेकिन अब परिस्थितियां पूरी तरह बदल गई हैं। अब विधायकों की सुनवाई होने लगी है। जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान न केवल विधायकों के फोन उठाने लगे हैं, बल्कि उनके बताए काम भी करने लगे हैं। अब जानिए कितने विधायकों ने क्या कहा…
दैनिक भास्कर ने 251 भाजपा विधायकों में से 103 से बात की। कुछ विधायक कैमरे पर भी बोले। कुछ ने खुलकर कहा ‘यह योगी जी की सरकार है, अफसरों को सुनना ही पड़ेगा। कहां जाएंगे।’ इनमें से 72 भाजपा विधायक यानी 70% ने यह बात मानी कि उनकी पहले सुनवाई नहीं होती थी, लेकिन अब डीएम-एसपी फोन उठा रहे हैं। भाजपा के अधिकतर विधायकों ने कहा कि जिले में अधिकारी जायज काम तो एक बार फोन लगाने से करने लगे हैं। पहले वाजिब काम भी नहीं होते थे। 30 फीसदी ने कहा- पहले भी होती थी सुनवाई
103 विधायकों में से 30 फीसदी यानी 31 विधायकों का कहना है कि उनकी पहले भी सुनवाई होती थी और अब भी हो रही है। शाहगंज विधायक रमेश सिंह कहते हैं जो न्यायोचित कार्य होते हैं, जिनकी हम लोग पैरवी करते हैं। अधिकारी उस कार्य को बिल्कुल करते हैं। मेरी विधानसभा में जितने भी अधिकारी हैं, हमारी बात सुनते हैं। अच्छा कार्य कर रहे हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते हमें यही सुनिश्चित करना होता है। 20% विधायकों का दर्द यह भी है…
इन 103 विधायकों में से 20 फीसदी यानी 20-21 ये भी मानते हैं कि इसमें सपा और पुरानी सरकारों से संबंध रखने वाले अफसर रोड़ा हैं। इन्हें बदला जाना चाहिए। विधायकों का कहना है कि जिलों में अभी भी महत्वपूर्ण पदों पर विपक्षी दलों की मानसिकता के अधिकारी तैनात हैं। यह अधिकारी तो वाजिब काम भी नहीं करते हैं, काम करने का दबाव बनाया जाता है तो उसमें अड़ंगा लगाते हैं। हर जिले से ऐसे अफसरों का पता लगाकर उन्हें हटाया जाना चाहिए। लोनी से विधायक नंदकिशोर गुर्जर का अब भी यही कहना है कि ‘जिले में तो कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है, अधिकारी बैठक से सुधरने वाले नहीं हैं। गाजियाबाद जिले में कार्यकर्ता के छोटे-छोटे काम भी नहीं होते हैं।’ धनघटा से भाजपा विधायक गणेश चंद्र चौहान कहते हैं- जो जनता की और जनप्रतिनिधि की अपेक्षा रहती है, वह अपेक्षित है। किसी की इच्छा और आवश्यकता दो चीजें होती हैं। दोनों की भरपाई कोई कभी नहीं कर सकता। सुनवाई होती है, लेकिन वो प्रतिशत थोड़ा कम रहता है। पहले अफसर अपने स्तर पर सब निर्णय लेते थे…क्या बदला
कानपुर शहर के एक भाजपा विधायक ने बताया पहले डीएम, पुलिस कमिश्नर जिले से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में अपने स्तर से ही निर्णय लेते थे। किसी जनप्रतिनिधि से पूछते तक नहीं थे। लेकिन अब छोटे-छोटे मामलों में भी निर्णय लेने से पहले पूछने लगे हैं। हमीरपुर विधायक डॉ. मनोज कुमार प्रजापति के मुताबिक, अधिकारी पूरी तरह से हम लोगों की बातों का संज्ञान लेकर कार्रवाई करते हैं। अगर कोई शिकायत जाती है तो मुख्यमंत्री जी उसका संज्ञान लेते हैं, कार्रवाई भी होती है। अभी हाल ही में एक एसडीएम सस्पेंड किया गया। आखिर यह बदला‌व क्यों आया? 1. मंडल की समीक्षा बैठक: सीएम योगी ने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद सभी 18 मंडलों के विधायक और सांसदों के साथ चुनाव परिणाम की समीक्षा बैठक की। विधायकों ने खुले तौर पर कहा था कि अधिकारी सुनवाई नहीं करते हैं। खास तौर पर थाना-तहसील में जनता, कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं होती है। भाजपा विधायकों का कहना है कि सीएम की बैठक के बाद फील्ड में असर दिख रहा है। डीएम, एसएसपी, एडीएम, सीओ, तहसीलदार और थानाध्यक्ष स्तर के अधिकारी जनप्रतिनिधियों की बात सुनने लगे हैं। 2. टकराव का भी असर: लोकसभा चुनाव के बाद से योगी सरकार और संगठन में खींचतान चल रही है। विधायकों ने दबी आवाज में स्वीकार किया कि बदली हुई परिस्थिति उस टकराव का भी नतीजा है। सूत्रों की मानें तो सरकार विरोधी गुट ने केंद्रीय नेतृत्व को इस बारे में फीडबैक दिया है। इसमें कहा गया कि उप चुनाव सहित 2027 में भाजपा की जीत के लिए जिलों में पुलिस-प्रशासन की व्यवस्था में सुधार आवश्यक है। 3. विधानसभा में भी गूंजा मामला: विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष की ओर से यह मुद्दा उठाया गया। सपा विधायकों का कहना था कि अधिकारी विधायक के प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं। फोन नहीं उठाते हैं, सुनवाई नहीं करते हैं। मामले में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने दखल दिया। उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना को निर्देश दिया कि विधायकों के प्रोटोकॉल के लिए मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेशों का पालन होना चाहिए। विधायकों के प्रोटोकॉल का पालन नहीं होना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं हैं। 4. सीएम की बदली कार्यशैली का नतीजा: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं- हम देख रहे हैं कि बीते दो महीने से सीएम योगी आदित्यनाथ के व्यवहार में बदलाव आया है। सीएम ने खुद भी तमाम विधायकों और सांसदों से बात की है। वह लगातार जनप्रतिनिधियों से भी मिल रहे हैं। नौकरशाही तो सीएम के रुख के अनुसार ही काम करती है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट सिद्धार्थ कलहंस भी कुछ ऐसा ही मानते हैं। कहते हैं- भाजपा ने लोकसभा चुनाव परिणाम में हार की समीक्षा की थी। जिसमें सामने आया था कि विधायकों और जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं हो रही है। लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं। अगर हार के कारणों पर काम नहीं किया गया तो इससे 2027 में दिक्कत होगी। सरकार में सुनवाई के लिए दो ओएसडी
2017 में योगी सरकार बनते ही सरकार का भाजपा और आरएसएस से समन्वय बैठाने के लिए मुख्यमंत्री के दो विशेष कार्याधिकारी तैनात किए गए। ओएसडी संजीव सिंह आरएसएस और सरवन बघेल भाजपा से समन्वय के लिए तैनात हैं। सूत्रों का कहना है कि योगी सरकार 1.0 में भाजपा विधायकों और पदाधिकारियों के सरकार से समन्वय में गड़बड़ी नहीं थी। योगी सरकार 2.0 में यह समस्या लगातार बढ़ी। हालांकि, संघ और सरकार का तालमेल बेहतर है। ये भी पढ़ें… योगी बोले-सबूत के साथ करें अफसरों की शिकायत, एक्शन लेंगे सीएम योगी ने बुधवार को बरेली और मुरादाबाद मंडल के जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की। विधायकों की अधिकारियों के न सुनने की शिकायत पर योगी ने कहा कि यदि कोई अधिकारी नहीं सुन रहा है तो उसके खिलाफ पक्के सबूत के साथ शिकायत करें, तभी उस अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने विधायकों को क्षेत्र की जनता से बराबर संवाद बनाए रखने और उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनने की भी सलाह दी। पढ़ें पूरी खबर लोकसभा चुनाव में यूपी में हार के बाद भाजपा में दो सबसे बड़ी कंट्रोवर्सी सामने आईं। पहली- संगठन बड़ा या सरकार। दूसरी- भाजपा विधायक और कार्यकर्ताओं की अफसर नहीं सुनते। पहली कंट्रोवर्सी अभी चल रही है। दूसरी को काफी हद तक योगी सरकार ने कंट्रोल कर लिया है। दैनिक भास्कर ने इस मामले को लेकर सीधे भाजपा विधायकों से बात की। 251 भाजपा विधायकों में से 103 ने सुनवाई नहीं होने के सवाल पर जवाब दिए। क्या विधायक अब भी नाराज हैं? उनकी अफसर सुन रहे हैं या नहीं? ज्यादा परेशानी किन अफसरों से हो रही है? अफसरों से नाराजगी की बात यहां से उठने लगी… अब इन 3 विधायकों ने क्या कहा, जानिए … 1. जनहित की बातों को उठाते हैं तो सुना जाता है। कहीं-कहीं कुछ अधिकारी हैं, जो सपा या पुरानी पार्टियों के विचार से जुड़े हैं, वह आज भी गलतियां करते हैं। अधिकतर अधिकारी हमारी सुन रहे हैं। – मनीष जायसवाल, भाजपा विधायक, कुशीनगर 2. अधिकारी पूरी तरह से सुनते हैं। काम अच्छे से हो रहा है। सारे अधिकारी सही तरह से काम करते हैं। योगी जी के नेतृत्व में कानून व्यवस्था बेहतरीन तरीके से चल रही है। -रमेश जायसवाल, भाजपा विधायक, मुगलसराय क्षेत्र 3. हम लोगों के यहां ऐसी कोई शिकायत नहीं है। हम लोग जो भी बात रखते हैं, जो संभव हो अधिकारी करते हैं। 100 प्रतिशत चीजें अधिकारी के बस में नहीं होती हैं। नहीं भी हो पाता है। तो ये लोगों के मन में होता है कि सभी चीजें नहीं हो पाती हैं। – ऋषि त्रिपाठी, भाजपा विधायक नौतनवां एक महीने पहले यह तस्वीर नहीं थी। बैठकों में विधायक आरोप लगा रहे थे कि अफसर उनकी सुन नहीं रहे। सरकार इसी पर घिर रही थी। लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में हार के पीछे इसे प्रमुख वजह माना गया, लेकिन अब परिस्थितियां पूरी तरह बदल गई हैं। अब विधायकों की सुनवाई होने लगी है। जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान न केवल विधायकों के फोन उठाने लगे हैं, बल्कि उनके बताए काम भी करने लगे हैं। अब जानिए कितने विधायकों ने क्या कहा…
दैनिक भास्कर ने 251 भाजपा विधायकों में से 103 से बात की। कुछ विधायक कैमरे पर भी बोले। कुछ ने खुलकर कहा ‘यह योगी जी की सरकार है, अफसरों को सुनना ही पड़ेगा। कहां जाएंगे।’ इनमें से 72 भाजपा विधायक यानी 70% ने यह बात मानी कि उनकी पहले सुनवाई नहीं होती थी, लेकिन अब डीएम-एसपी फोन उठा रहे हैं। भाजपा के अधिकतर विधायकों ने कहा कि जिले में अधिकारी जायज काम तो एक बार फोन लगाने से करने लगे हैं। पहले वाजिब काम भी नहीं होते थे। 30 फीसदी ने कहा- पहले भी होती थी सुनवाई
103 विधायकों में से 30 फीसदी यानी 31 विधायकों का कहना है कि उनकी पहले भी सुनवाई होती थी और अब भी हो रही है। शाहगंज विधायक रमेश सिंह कहते हैं जो न्यायोचित कार्य होते हैं, जिनकी हम लोग पैरवी करते हैं। अधिकारी उस कार्य को बिल्कुल करते हैं। मेरी विधानसभा में जितने भी अधिकारी हैं, हमारी बात सुनते हैं। अच्छा कार्य कर रहे हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते हमें यही सुनिश्चित करना होता है। 20% विधायकों का दर्द यह भी है…
इन 103 विधायकों में से 20 फीसदी यानी 20-21 ये भी मानते हैं कि इसमें सपा और पुरानी सरकारों से संबंध रखने वाले अफसर रोड़ा हैं। इन्हें बदला जाना चाहिए। विधायकों का कहना है कि जिलों में अभी भी महत्वपूर्ण पदों पर विपक्षी दलों की मानसिकता के अधिकारी तैनात हैं। यह अधिकारी तो वाजिब काम भी नहीं करते हैं, काम करने का दबाव बनाया जाता है तो उसमें अड़ंगा लगाते हैं। हर जिले से ऐसे अफसरों का पता लगाकर उन्हें हटाया जाना चाहिए। लोनी से विधायक नंदकिशोर गुर्जर का अब भी यही कहना है कि ‘जिले में तो कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है, अधिकारी बैठक से सुधरने वाले नहीं हैं। गाजियाबाद जिले में कार्यकर्ता के छोटे-छोटे काम भी नहीं होते हैं।’ धनघटा से भाजपा विधायक गणेश चंद्र चौहान कहते हैं- जो जनता की और जनप्रतिनिधि की अपेक्षा रहती है, वह अपेक्षित है। किसी की इच्छा और आवश्यकता दो चीजें होती हैं। दोनों की भरपाई कोई कभी नहीं कर सकता। सुनवाई होती है, लेकिन वो प्रतिशत थोड़ा कम रहता है। पहले अफसर अपने स्तर पर सब निर्णय लेते थे…क्या बदला
कानपुर शहर के एक भाजपा विधायक ने बताया पहले डीएम, पुलिस कमिश्नर जिले से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में अपने स्तर से ही निर्णय लेते थे। किसी जनप्रतिनिधि से पूछते तक नहीं थे। लेकिन अब छोटे-छोटे मामलों में भी निर्णय लेने से पहले पूछने लगे हैं। हमीरपुर विधायक डॉ. मनोज कुमार प्रजापति के मुताबिक, अधिकारी पूरी तरह से हम लोगों की बातों का संज्ञान लेकर कार्रवाई करते हैं। अगर कोई शिकायत जाती है तो मुख्यमंत्री जी उसका संज्ञान लेते हैं, कार्रवाई भी होती है। अभी हाल ही में एक एसडीएम सस्पेंड किया गया। आखिर यह बदला‌व क्यों आया? 1. मंडल की समीक्षा बैठक: सीएम योगी ने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद सभी 18 मंडलों के विधायक और सांसदों के साथ चुनाव परिणाम की समीक्षा बैठक की। विधायकों ने खुले तौर पर कहा था कि अधिकारी सुनवाई नहीं करते हैं। खास तौर पर थाना-तहसील में जनता, कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं होती है। भाजपा विधायकों का कहना है कि सीएम की बैठक के बाद फील्ड में असर दिख रहा है। डीएम, एसएसपी, एडीएम, सीओ, तहसीलदार और थानाध्यक्ष स्तर के अधिकारी जनप्रतिनिधियों की बात सुनने लगे हैं। 2. टकराव का भी असर: लोकसभा चुनाव के बाद से योगी सरकार और संगठन में खींचतान चल रही है। विधायकों ने दबी आवाज में स्वीकार किया कि बदली हुई परिस्थिति उस टकराव का भी नतीजा है। सूत्रों की मानें तो सरकार विरोधी गुट ने केंद्रीय नेतृत्व को इस बारे में फीडबैक दिया है। इसमें कहा गया कि उप चुनाव सहित 2027 में भाजपा की जीत के लिए जिलों में पुलिस-प्रशासन की व्यवस्था में सुधार आवश्यक है। 3. विधानसभा में भी गूंजा मामला: विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष की ओर से यह मुद्दा उठाया गया। सपा विधायकों का कहना था कि अधिकारी विधायक के प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं। फोन नहीं उठाते हैं, सुनवाई नहीं करते हैं। मामले में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने दखल दिया। उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना को निर्देश दिया कि विधायकों के प्रोटोकॉल के लिए मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेशों का पालन होना चाहिए। विधायकों के प्रोटोकॉल का पालन नहीं होना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं हैं। 4. सीएम की बदली कार्यशैली का नतीजा: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं- हम देख रहे हैं कि बीते दो महीने से सीएम योगी आदित्यनाथ के व्यवहार में बदलाव आया है। सीएम ने खुद भी तमाम विधायकों और सांसदों से बात की है। वह लगातार जनप्रतिनिधियों से भी मिल रहे हैं। नौकरशाही तो सीएम के रुख के अनुसार ही काम करती है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट सिद्धार्थ कलहंस भी कुछ ऐसा ही मानते हैं। कहते हैं- भाजपा ने लोकसभा चुनाव परिणाम में हार की समीक्षा की थी। जिसमें सामने आया था कि विधायकों और जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं हो रही है। लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं। अगर हार के कारणों पर काम नहीं किया गया तो इससे 2027 में दिक्कत होगी। सरकार में सुनवाई के लिए दो ओएसडी
2017 में योगी सरकार बनते ही सरकार का भाजपा और आरएसएस से समन्वय बैठाने के लिए मुख्यमंत्री के दो विशेष कार्याधिकारी तैनात किए गए। ओएसडी संजीव सिंह आरएसएस और सरवन बघेल भाजपा से समन्वय के लिए तैनात हैं। सूत्रों का कहना है कि योगी सरकार 1.0 में भाजपा विधायकों और पदाधिकारियों के सरकार से समन्वय में गड़बड़ी नहीं थी। योगी सरकार 2.0 में यह समस्या लगातार बढ़ी। हालांकि, संघ और सरकार का तालमेल बेहतर है। ये भी पढ़ें… योगी बोले-सबूत के साथ करें अफसरों की शिकायत, एक्शन लेंगे सीएम योगी ने बुधवार को बरेली और मुरादाबाद मंडल के जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की। विधायकों की अधिकारियों के न सुनने की शिकायत पर योगी ने कहा कि यदि कोई अधिकारी नहीं सुन रहा है तो उसके खिलाफ पक्के सबूत के साथ शिकायत करें, तभी उस अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने विधायकों को क्षेत्र की जनता से बराबर संवाद बनाए रखने और उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनने की भी सलाह दी। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर