सहारनपुर कोर्ट ने गैंगरेप के 3 आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। बेकसूर होने के बाद भी 6 माह तक जेल में रहना पड़ा। कोर्ट में नाबालिग की ओर से मुकदमा दर्ज कराने वाला चाचा के लड़के और पीड़िता भी बयान से मुकर गए। मेडिकल में भी रेप की पुष्टि नहीं हुई थी। पीड़िता ने कोर्ट में कहा-दरोगा को ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। कैसे लिख दिया, वजह नहीं बता सकती। पुलिस के दबाव और सिखाने पर बयान दिया था। कोर्ट ने बाइज्जत बरी किया
विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एवं अपर सत्र न्यायाधीश पिंकू कुमार की कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा-पीड़िता का चचेरा भाई जिसने मुकदमा दर्ज कराया था। वो अपने बयानों से पलट गया है। उस पर धारा-344 में मुकदमा दर्ज किया जाए। वहीं मेडिकल परीक्षण में रेप के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। तीनों अभियुक्त 25-25 हजार रुपए व्यक्तिगत बंधपत्र दाखिल करें। उनके द्वारा धारा-437-क भारतीय दंड संहिता के अनुपालन में दाखिल किए गए प्रतिभू 6 माह की समयावधि तक प्रभावी रहेंगे। ठोस सबूत नहीं पेश कर सकी पुलिस
बचाव पक्ष के वकील शक्ति सैनी ने बताया-कोर्ट में पुलिस कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी। पहले बालिग-नाबालिग को लेकर बहस चलती रही। उसके बाद मेडिकल परीक्षण में नाबालिग की उम्र 17 साल निकली। जबकि मुकदमे में पीड़िता की उम्र 12 साल बताई गई। लेकिन वादी ने मुकदमा दर्ज करने में 13 साल उम्र बताई गई। वहीं पीड़िता और वादी के बयानों में विरोधाभास मिला। पीड़िता ने बयान में पहले गय्यूर के मकान ले जाने और फिर जंगल में छोड़ने की बात कहीं गई। बाद में पीड़िता बयान से ही पलट गई। जबकि वादी ने ऐसी किसी भी घटना को लेकर इनकार कर दिया। साथ ही कोरे कागज पर अंगूठा लगाने की बात कहीं। मुकदमा लिखवाने वाला गवाही से मुकरा
थाना चिलकाना में 19 सितंबर 2018 को नाबालिग से रेप का मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोप था कि गांव के रहने वाले जावेद, गय्यूर और जाहिर ने नाबालिग के साथ गैंगरेप किया था। नाबालिग के चाचा के लड़के ने थाने में तहरीर देकर बताया गया था कि तीनों आरोपी घर में दीवार फांदकर घूसे थे। नाबालिग के मुंह में कपड़ा ठूसकर उठा ले गए। गय्यूर के मकान में ले जाकर गैंगरेप किया। नाबालिग ने शोर मचाया तो आरोपी फरार हो गए थे। लेकिन कोर्ट में नाबालिग का चचेरा भाई गवाही से पलट गया। उसने कहा-रात के समय शोर मच रहा था। तब वो अपने ताया के घर की ओर गया। लोगों की भीड़ लगी थी। लोग कह रहे थे कि बदमाश उठाकर ले गए थे लेकिन बच गई। गांव के लोग उसे भी थाने ले गए और किसी अनजान व्यक्ति ने तहरीर लिख दी। उसे बगैर पढ़ाए और सुनाए उसका अंगूठा लगवा लिया। उसने कहा-उसने तीनों युवकों को पीड़िता को उठाकर ले जाते नहीं देखा। न ही उन्होंने कोई रेप होते देखा। मुकदमा दर्ज होने पर जिन 6 लोगों ने गवाही दी थी, वो भी कोर्ट में पलट गए। कोर्ट में पीड़िता भी गवाही से पलटी
कोर्ट में रेप पीड़िता को जब बयान पढ़कर सुनाया गया। पीड़िता ने कहा-उसने दरोगा को ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। कैसे लिख लिया, इसकी वजह नहीं बता सकती हूं। पीड़िता ने बताया कि वो रात में अपने घर में चादर ओढ़कर सोई हुई थी। तभी 4-5 लोगों ने उसे चादर समेत उठा लिया और जंगल ले जाने लगे। कुछ दूर जाने पर जैस ही उनका हाथ उसके मुंह से हटा उसने शोर मचा दिया तो वो सब उसे छोड़कर अंधेरे में भाग गए। पीड़िता ने कहा-आरोपी गय्यूर, नदीम और जावेद ने उसे नहीं उठाया था। न उसके साथ रेप किया। जिस कारण कोर्ट ने पीड़िता को भी पक्षद्रोही घोषित कर दिया। वहीं पीड़िता ने आरोपी जावेद को भी पहचानने से इनकार कर दिया। मेडिकल में नहीं हुई रेप की पुष्टि
महिला अस्पताल की डॉ.प्रतिभा ने नाबालिग का मेडिकल किया था। डॉ.प्रतिभा ने कोर्ट को बताया-पीड़िता को जब अस्पताल लाया गया तो वो होश हवास में थी। शरीर पर किसी प्रकार की कोई चोट, सूजन या निशान नहीं पाया गया। पीड़िता का हाइमन पुराना फटा हुआ था। पैथोलॉजी रिपोर्ट में भी कोई मृत या जीवित शुक्राणु भी होना नहीं पाया गया। पीड़िता के शरीर पर जबरदस्ती रेप किए जाने का कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिला। पुलिस के 5 वीक पाइंट ये खबर भी पढ़ें… अयोध्या का वो गैंगरेप कांड…जो सदन में गूंजा:योगी बोले-आरोपी सपा सांसद की टीम का हिस्सा; उनके साथ उठता-बैठता…पर एक्शन नहीं अयोध्या में 16 साल की लड़की से गैंगरेप का मामला गुरुवार को सदन में उठा। CM योगी ने खुद इसका जिक्र किया। अयोध्या से सपा सांसद को घेरा। कहा- एक बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना हुई। सपा नेता मोईद खान इस कृत्य में शामिल पाया गया, जो अयोध्या सांसद का करीबी है। उन्हीं के साथ उठता-बैठता है। उनकी ही टीम का सदस्य है। लेकिन, सपा ने उस पर कोई एक्शन नहीं लिया। बच्ची अति पिछड़ी जाति से है। पढ़ें पूरी खबर सहारनपुर कोर्ट ने गैंगरेप के 3 आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। बेकसूर होने के बाद भी 6 माह तक जेल में रहना पड़ा। कोर्ट में नाबालिग की ओर से मुकदमा दर्ज कराने वाला चाचा के लड़के और पीड़िता भी बयान से मुकर गए। मेडिकल में भी रेप की पुष्टि नहीं हुई थी। पीड़िता ने कोर्ट में कहा-दरोगा को ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। कैसे लिख दिया, वजह नहीं बता सकती। पुलिस के दबाव और सिखाने पर बयान दिया था। कोर्ट ने बाइज्जत बरी किया
विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एवं अपर सत्र न्यायाधीश पिंकू कुमार की कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा-पीड़िता का चचेरा भाई जिसने मुकदमा दर्ज कराया था। वो अपने बयानों से पलट गया है। उस पर धारा-344 में मुकदमा दर्ज किया जाए। वहीं मेडिकल परीक्षण में रेप के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। तीनों अभियुक्त 25-25 हजार रुपए व्यक्तिगत बंधपत्र दाखिल करें। उनके द्वारा धारा-437-क भारतीय दंड संहिता के अनुपालन में दाखिल किए गए प्रतिभू 6 माह की समयावधि तक प्रभावी रहेंगे। ठोस सबूत नहीं पेश कर सकी पुलिस
बचाव पक्ष के वकील शक्ति सैनी ने बताया-कोर्ट में पुलिस कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी। पहले बालिग-नाबालिग को लेकर बहस चलती रही। उसके बाद मेडिकल परीक्षण में नाबालिग की उम्र 17 साल निकली। जबकि मुकदमे में पीड़िता की उम्र 12 साल बताई गई। लेकिन वादी ने मुकदमा दर्ज करने में 13 साल उम्र बताई गई। वहीं पीड़िता और वादी के बयानों में विरोधाभास मिला। पीड़िता ने बयान में पहले गय्यूर के मकान ले जाने और फिर जंगल में छोड़ने की बात कहीं गई। बाद में पीड़िता बयान से ही पलट गई। जबकि वादी ने ऐसी किसी भी घटना को लेकर इनकार कर दिया। साथ ही कोरे कागज पर अंगूठा लगाने की बात कहीं। मुकदमा लिखवाने वाला गवाही से मुकरा
थाना चिलकाना में 19 सितंबर 2018 को नाबालिग से रेप का मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोप था कि गांव के रहने वाले जावेद, गय्यूर और जाहिर ने नाबालिग के साथ गैंगरेप किया था। नाबालिग के चाचा के लड़के ने थाने में तहरीर देकर बताया गया था कि तीनों आरोपी घर में दीवार फांदकर घूसे थे। नाबालिग के मुंह में कपड़ा ठूसकर उठा ले गए। गय्यूर के मकान में ले जाकर गैंगरेप किया। नाबालिग ने शोर मचाया तो आरोपी फरार हो गए थे। लेकिन कोर्ट में नाबालिग का चचेरा भाई गवाही से पलट गया। उसने कहा-रात के समय शोर मच रहा था। तब वो अपने ताया के घर की ओर गया। लोगों की भीड़ लगी थी। लोग कह रहे थे कि बदमाश उठाकर ले गए थे लेकिन बच गई। गांव के लोग उसे भी थाने ले गए और किसी अनजान व्यक्ति ने तहरीर लिख दी। उसे बगैर पढ़ाए और सुनाए उसका अंगूठा लगवा लिया। उसने कहा-उसने तीनों युवकों को पीड़िता को उठाकर ले जाते नहीं देखा। न ही उन्होंने कोई रेप होते देखा। मुकदमा दर्ज होने पर जिन 6 लोगों ने गवाही दी थी, वो भी कोर्ट में पलट गए। कोर्ट में पीड़िता भी गवाही से पलटी
कोर्ट में रेप पीड़िता को जब बयान पढ़कर सुनाया गया। पीड़िता ने कहा-उसने दरोगा को ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। कैसे लिख लिया, इसकी वजह नहीं बता सकती हूं। पीड़िता ने बताया कि वो रात में अपने घर में चादर ओढ़कर सोई हुई थी। तभी 4-5 लोगों ने उसे चादर समेत उठा लिया और जंगल ले जाने लगे। कुछ दूर जाने पर जैस ही उनका हाथ उसके मुंह से हटा उसने शोर मचा दिया तो वो सब उसे छोड़कर अंधेरे में भाग गए। पीड़िता ने कहा-आरोपी गय्यूर, नदीम और जावेद ने उसे नहीं उठाया था। न उसके साथ रेप किया। जिस कारण कोर्ट ने पीड़िता को भी पक्षद्रोही घोषित कर दिया। वहीं पीड़िता ने आरोपी जावेद को भी पहचानने से इनकार कर दिया। मेडिकल में नहीं हुई रेप की पुष्टि
महिला अस्पताल की डॉ.प्रतिभा ने नाबालिग का मेडिकल किया था। डॉ.प्रतिभा ने कोर्ट को बताया-पीड़िता को जब अस्पताल लाया गया तो वो होश हवास में थी। शरीर पर किसी प्रकार की कोई चोट, सूजन या निशान नहीं पाया गया। पीड़िता का हाइमन पुराना फटा हुआ था। पैथोलॉजी रिपोर्ट में भी कोई मृत या जीवित शुक्राणु भी होना नहीं पाया गया। पीड़िता के शरीर पर जबरदस्ती रेप किए जाने का कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिला। पुलिस के 5 वीक पाइंट ये खबर भी पढ़ें… अयोध्या का वो गैंगरेप कांड…जो सदन में गूंजा:योगी बोले-आरोपी सपा सांसद की टीम का हिस्सा; उनके साथ उठता-बैठता…पर एक्शन नहीं अयोध्या में 16 साल की लड़की से गैंगरेप का मामला गुरुवार को सदन में उठा। CM योगी ने खुद इसका जिक्र किया। अयोध्या से सपा सांसद को घेरा। कहा- एक बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना हुई। सपा नेता मोईद खान इस कृत्य में शामिल पाया गया, जो अयोध्या सांसद का करीबी है। उन्हीं के साथ उठता-बैठता है। उनकी ही टीम का सदस्य है। लेकिन, सपा ने उस पर कोई एक्शन नहीं लिया। बच्ची अति पिछड़ी जाति से है। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर