हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के लक्कड़ बाजार में बीती शाम को तेज बारिश के बाद एक बड़ा पेड़ सड़क पर गिर गया। गनीमत यह रही कि सड़क पर गुजर रही महिला और उसके बच्चे को चोट नहीं आई। पेड़ गिरने से एक दुकान के अगले हिस्से को काफी नुकसान जरूर हुआ है। सूचना के अनुसार, बीती शाम सवा सात बजे के करीब महिला अपने बच्चे के साथ लक्कड़ बाजार सड़क से गुजर रही थीं। इस दौरान बड़ा पेड़ सड़क पर गिर गया। इसके बाद रिज को आईजीएमसी-संजौली से जोड़ने वाली सड़क कुछ देर के लिए बंद हो गई। एंबुलेंस की आवाजाही कुछ देर को बंद सड़क बंद होने के बाद कुछ देर से लिए यहां से एंबुलेंस की आवाजाही भी बंद हो गई है। इससे पैदल चलने वालों को भी परेशानी झेलनी पड़ी और पेड़ को हटाने तक टहनियों के बीच से चलते देखे गए। देर शाम तक नगर निगम ने सड़क से पेड़ हटा दिया और इस सड़क को बहाल कर दिया। आमतौर पर पर्यटकों-स्थानीय लोगों से भरी रहती है सड़क आपको बता दें कि लक्कड़ बाजार सड़क से आईजीएमसी, भराड़ी, कुफ्टाधार, संजौली, ढली, भट्टाकुफर, इंद्रनगर इत्यादि क्षेत्रों के लोग शाम के समय पैदल चलते हैं। अमूमन यह सड़क स्थानीय लोगों सहित पर्यटकों से भरी रहती थी। मगर शाम को तेज बारिश के कारण कम लोग सड़कों पर थे। इस वजह से यहां बड़ा हादसा टल गया। हालांकि एक दुकान को काफी नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के लक्कड़ बाजार में बीती शाम को तेज बारिश के बाद एक बड़ा पेड़ सड़क पर गिर गया। गनीमत यह रही कि सड़क पर गुजर रही महिला और उसके बच्चे को चोट नहीं आई। पेड़ गिरने से एक दुकान के अगले हिस्से को काफी नुकसान जरूर हुआ है। सूचना के अनुसार, बीती शाम सवा सात बजे के करीब महिला अपने बच्चे के साथ लक्कड़ बाजार सड़क से गुजर रही थीं। इस दौरान बड़ा पेड़ सड़क पर गिर गया। इसके बाद रिज को आईजीएमसी-संजौली से जोड़ने वाली सड़क कुछ देर के लिए बंद हो गई। एंबुलेंस की आवाजाही कुछ देर को बंद सड़क बंद होने के बाद कुछ देर से लिए यहां से एंबुलेंस की आवाजाही भी बंद हो गई है। इससे पैदल चलने वालों को भी परेशानी झेलनी पड़ी और पेड़ को हटाने तक टहनियों के बीच से चलते देखे गए। देर शाम तक नगर निगम ने सड़क से पेड़ हटा दिया और इस सड़क को बहाल कर दिया। आमतौर पर पर्यटकों-स्थानीय लोगों से भरी रहती है सड़क आपको बता दें कि लक्कड़ बाजार सड़क से आईजीएमसी, भराड़ी, कुफ्टाधार, संजौली, ढली, भट्टाकुफर, इंद्रनगर इत्यादि क्षेत्रों के लोग शाम के समय पैदल चलते हैं। अमूमन यह सड़क स्थानीय लोगों सहित पर्यटकों से भरी रहती थी। मगर शाम को तेज बारिश के कारण कम लोग सड़कों पर थे। इस वजह से यहां बड़ा हादसा टल गया। हालांकि एक दुकान को काफी नुकसान हुआ है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में भूकंप के झटके:कांगड़ा व आसपास के क्षेत्रों में किए गए महसूस; 3.6 मापी गई तीवत्रा, 3 बार कांपी धरती
हिमाचल में भूकंप के झटके:कांगड़ा व आसपास के क्षेत्रों में किए गए महसूस; 3.6 मापी गई तीवत्रा, 3 बार कांपी धरती हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में आज दोपहर बाद भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिएक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.6 मापी गई। जमीन के भीतर इसकी गहराई 5 किलोमीटर रही। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, दोपहर दो बजकर 27 मिनट पर तीन बार हल्के झटके महसूस किए गए। जिन लोगों ने झटके महसूस किए, वह घरों से बाहर निकल आए। हालांकि झटकों की तीव्रता कम होने की वजह से ज्यादातर लोग इन्हें महसूस नहीं कर पाए। कांगड़ा जिला के अधिकांश क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील यानी जोन 5 में आता है। इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। अब जानिए भूकंप क्यों आता है? धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
शिमला में IGMC पहुंचे मरीज, नहीं थी हड़ताल की जानकारी:दिनभर डॉक्टरों की राह ताकते रहे, अंत में बिना इलाज लौटें, ऑपरेशन भी नहीं हुए
शिमला में IGMC पहुंचे मरीज, नहीं थी हड़ताल की जानकारी:दिनभर डॉक्टरों की राह ताकते रहे, अंत में बिना इलाज लौटें, ऑपरेशन भी नहीं हुए हिमाचल के सबसे बड़े हॉस्पिटल IGMC में डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है। यहां पर रोजाना OPD में 3000 से ज्यादा मरीज इलाज को पहुंचते हैं। मगर आज डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से किसी को भी उपचार नहीं मिल पाया। IGMC में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज पहुंचे, जिन्हें डॉक्टरों की हड़ताल की जानकारी नहीं थी। इसके दूर दराज के चंबा, सिरमौर, रामपुर इत्यादि क्षेत्रों से उपचार को पहुंचे मरीजों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। डॉक्टरों की हड़ताल की नहीं थी जानकारी: मूरत रामपुर से IGMC पहुंचे मूरत सिंह ने कहा कि पेट दर्द व चलने में दिक्कत के चलते वह इलाज को आए थे। लेकिन उन्हें यहां आकर पता चला की डॉक्टर हड़ताल पर है। उन्होंने कहा कि दर्द ज्यादा होने की वजह से वह घर भी नहीं जा सकते। ऐसे में वह अस्पताल में ही बिस्तर लगाएंगे और डॉक्टरों का इंतजार करेंगे। मूरत सिंह अपने बेटा-बहू के साथ उपचार को पहुंचे थे। सिरमौर से मां के इलाज को आए, पर डॉक्टर नहीं बैठे: शुभमन सिरमौर के राजगढ़ के बखोग निवासी शुभमन ने कहा, वह अपनी मां को इलाज के लिए IGMC लाए थे। मां की टांगों फ्रैक्चर है और चलने -फिरने में दिक्कत है। शिमला में किराए का कमरा लेकर रह रहे हैं। डॉक्टरों के अचानक हड़ताल पर जाने से बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अगर दाखिल नहीं हुए तो झेलनी पड़ेगी परेशानी: चमन लाल चंबा से आए चमन लाल ने कहा कि पिता काफी समय से बीमार है। उनका IGMC से उपचार चल रहा था। आज डॉक्टर ने उनके पिता को ऑपरेशन के लिए दाखिल करना था, उन्हें मालूम नहीं था कि डॉक्टर हड़ताल पर है। यदि आज पिता एडमिट नहीं हुए तो उन्हें परेशानी झेलनी पड़ेगी। ठीक ऐसी ही परेशानियां आईजीएमसी पहुंच रहे अनेकों मरीजों को झेलनी पड़ी। शिमला के ही कमला नेहरू अस्पताल में भी डॉक्टर ओपीडी में नहीं बैठे। इससे गर्भवती महिलाओं और गायनी रोग से जुड़ी महिलाओं को यहां भी परेशानियां झेलनी पड़ी। आपको बता दें कि देशभर के डॉक्टर कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर मामले में भड़के हुए है। इसके विरोध में देशभर में डॉक्टर हड़ताल पर है।
हिमाचल विधानसभा में पहली बार पति-पत्नी साथ में:CM के बाद पत्नी भी MLA बनीं; कांग्रेस ने 40 सीटें पूरी कीं, BJP को गुटबाजी ले डूबी
हिमाचल विधानसभा में पहली बार पति-पत्नी साथ में:CM के बाद पत्नी भी MLA बनीं; कांग्रेस ने 40 सीटें पूरी कीं, BJP को गुटबाजी ले डूबी हिमाचल विधानसभा के इतिहास में पहली बार CM और उनकी पत्नी सदन में बैठेंगी। यह स्थिति उपचुनाव के बाद आई है। जिसमें देहरा सीट से CM सुखविंदर सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर उपचुनाव जीती हैं। इससे पहले कभी पति-पत्नी एक साथ चुनाव नहीं जीते। यहां तक कि मुख्यमंत्री की पत्नी के भी उनके कार्यकाल में चुनाव जीतने का यह पहला मामला है। हिमाचल में सुखविंदर सुक्खू से पहले डॉ. यशवंत सिंह परमार, रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मगर इनमे से किसी की भी पत्नी विधायक नहीं चुनी गई। हालांकि वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह तीन बार सांसद चुनी जा चुकी है, लेकिन वे विधायक कभी नहीं रही। हालांकि पिता-पुत्र के तौर वीरभद्र सिंह और विक्रमादित्य साल 2017 में जरूर विधानसभा में पहुंचे थे। प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर भी पांच बार सांसद जरूर चुने जा चुके है, लेकिन वह भी विधायक नहीं बने। 3 उपचुनाव में कांग्रेस-भाजपा की हार-जीत क्यों? देहरा: CM की पत्नी का असर रहा, BJP को गुटबाजी ले डूबी
यहां पर कांग्रेस ने सीएम की पत्नी कमलेश ठाकुर को मैदान में उतारा, जबकि बीजेपी ने निर्दलीय विधायक पद से इस्तीफा देने वाले होशियार सिंह को प्रत्याशी बनाया। सीएम की पत्नी के चुनाव लड़ने और बीजेपी में गुटबाजी की वजह से इस सीट पर कांग्रेस की जीत हुई। BJP यहां पर पूर्व मंत्री रमेश धवाला को नहीं मना पाई। वह यहां से टिकट के दावेदार थे। धवाला ने वोटिंग वाले दिन भी भेड़ की खाल में भेड़िए को सबक सिखाएंगे बयान देकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। वहीं कांग्रेस ने बागी रुख दिखाने वाले डॉ. राजेश शर्मा को पार्टी ने मना लिया। नालागढ़: बागी को मना लेते तो BJP जीत जाती
इस सीट पर कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह के करीबी बावा हरदीप ने 8990 से चुनाव जीता। उन्हें कुल 34,608 वोट मिले। उनसे हारे भाजपा के केएल ठाकुर को 25,618 वोट मिले। केएल ठाकुर पहले निर्दलीय विधायक थे लेकिन भाजपा ने उन्हें पार्टी में शामिल कर टिकट दी। वहीं BJP से बागी होकर लड़े सह मीडिया प्रभारी हरप्रीत सिंह को 13,025 वोट मिले। अगर BJP हरप्रीत सैनी को मना लेती तो 38,643 वोट मिल जाते। ऐसे में BJP यह सीट जीत सकती थी। हमीरपुर: आशीष की व्यक्तिगत छवि के आगे CM का दबदबा फेल
हमीरपुर CM सुक्खू के गृह जिले की सीट है। यहां से कांग्रेस को चौंकाते हुए भाजपा उम्मीदवार आशीष शर्मा चुनाव जीत गए। कांग्रेस के पुष्पेंद्र वर्मा उनसे चुनाव हार गए। माना जाता है कि आशीष शर्मा की यहां व्यक्तिगत छवि काफी असरदार है। लोगों से हर सुख-दुख के कार्यक्रम में उनका शामिल होना ही CM के दबदबे को फेल कर गया। आशीष भी पहले निर्दलीय चुनाव जीते थे लेकिन बाद में भाजपा ने उन्हें टिकट दे दी। हिमाचल में 3 उपचुनाव के बड़े मायने… 1. CM सुक्खू की कुर्सी बची, गृह जिले में हार से कमजोर हुए
कांग्रेस की उप चुनाव में जीत से सुखविंदर सुक्खू की कुर्सी भी बच गई है। हालांकि गृह जिला हमीरपुर की सीट हारने से वह कमजोर हुए हैं। खास तौर पर इसलिए भी कि पहले कांग्रेस ने हमीरपुर सीट से लोकसभा चुनाव हारा। इसके बाद उपचुनाव में बड़सर सीट भी गंवा दी। हालांकि देहरा से पत्नी कमलेश ठाकुर की जीत और 9 उपचुनाव में 6 सीटें जीतने के बाद सुक्खू का नेतृत्व मजबूत हुआ है। सरकार के तौर पर उनके ऊपर आया खतरा टल गया है। 2. जयराम ठाकुर के लिए झटका
उपचुनाव के नतीजे BJP से ज्यादा नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के लिए झटका हैं। उन्हें उम्मीद थी कि पहले 6 और अब 3 उपचुनाव में भाजपा जीत हासिल करेगी। ऐसा हो जाता तो 2022 में विधानसभा चुनाव में जीती 25 सीटें और 9 नई सीटों से उनके विधायक 34 हो जाएंगे। कांग्रेस में भी 6 विधायकों के बागी होकर इस्तीफे के बाद 34 ही विधायक बचे थे। हालांकि पहले 6 उपचुनाव में भाजपा सिर्फ 2 सीटें जीत पाई। अब इन 3 उपचुनाव में सिर्फ 1 ही सीट जीत पाई। अब 68 विधानसभा सीटों और 35 के बहुमत वाली हिमाचल विधानसभा में भाजपा के 28 ही विधायक रह गए और कांग्रेस ने विधानसभा में 40 विधायकों वाली स्थिति दोबारा पा ली। 3. नालागढ़ सीट से होलीलॉज मजबूत
कांग्रेस ने नालागढ़ सीट पर भी शानदार जीत दर्ज की है। यहां पर कांग्रेस के बावा हरदीप सिंह ने बीजेपी के केएल ठाकुर को हराया है। हरदीप सिंह वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी थे। उनकी जीत से होलीलॉज खेमा मजबूत हुआ है। नालागढ़ सीट पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने प्रचार में जान फूंकी थी। होली लॉज की मजबूती सीएम सुक्खू और उनके ग्रुप के लिए चुनौती बनती रहेगी। लोगों ने इस्तीफा देने वाले 6 विधायक घर बिठाए
हिमाचल में लोगों ने जीत के 15 महीने बाद ही इस्तीफा देने वाले 6 विधायक घर बैठाए। शनिवार को आए उपचुनाव परिणाम में 2 पूर्व निर्दलीय विधायकों केएल ठाकुर और होशियार सिंह चुनाव हार गए। दोनों ने BJP के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इससे पहले 1 जून को 6 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी जनता ने बगावत करने वाले कांग्रेस के 4 पूर्व विधायक सुजानपुर से राजेंद्र राणा, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, गगरेट से चैतन्य शर्मा और कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो को भी चुनाव हरा दिया।