बच्चों में होने वाली लाइलाज एंब्लियोपिया (लेजी-आइस) बीमारी का अब इलाज संभव हो गया है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में इसका इलाज किया जा रहा है। पहले इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था। केवल आंखों में पैचिंग कर रोशनी को वापस लाने का प्रयास किया जाता था। खास बात तो ये है कि इस विधि से खेल-खेल में बच्चे की आंख की रोशनी वापस आ जाएगी। अभी तक प्रदेश के अंदर इस बीमारी का इलाज नहीं था, लेकिन अब हैलट अस्पताल में इसका सफल इलाज किया जा रहा है। क्या है एंब्लियोपिया बीमारी नेत्र रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि एंब्लियोपिया बीमारी बच्चों के जन्म के समय पर ही होती है। इसमें बच्चे को एक आंख से कम दिखाई देता है और दूसरी आंख से पूरा दिखाई देता है। इस कारण बचपन में बच्चे खुद भी इस बीमारी को नहीं बता पाते हैं, जब तक वह बड़े होते है तब तक मर्ज काफी बढ़ चुका होता है। पहले ऐसे होता है इलाज डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि पहले हम लोग बच्चों की आंखों में पैच लगाते थे, लेकिन बच्चे इस ट्रीटमेंट को पूरा नहीं कर पाते थे। ऐसे में उनकी आंखों की रोशनी को लाना काफी मुश्किल होता है। इसके अलावा और दूसरा कोई भी इलाज नहीं था। नई डिवाइस से किया जा रहा इलाज मुंम्बई आईआईटी ने ‘कॉगनी हब’ के नाम से एक डिवाइस बनाई हैं। इस डिवाइस को बच्चों के आंखों में लगा देते है। इसमें वीडियो गेम लगा होता है और बच्चे खेल-खेल में अपनी आंखों की एक्सरसाइज करते रहते हैं। ये एक्सरसाइज 10 मिनट सुबह और 10 मिनट शाम को करनी रहती है। ये डिवाइस AI पर बेसड है। इस डिवाइस को जब पहनाते है तो जो नॉर्मल आंख होती है उसको कुछ नहीं दिखाई देता है। दूसरी आंख में प्रोजेक्ट काम करता हैं। डिवाइस के फिक्सल के माध्यम और उससे निकलने वाली किरणों के माध्यम से पूरी एक्सरसाइज आंखों की होती रहती है। बच्चा हाथ में रिमोट लेकर उसे खेलता रहता है। एक माह में दिख रहा असर इस डिवाइस को डॉ. शालिनी मोहन ने सामाजिक संस्था के माध्यम से अस्पताल में डोनेट कराया था, जिसे ट्रायल के रूप में प्रयोग किया गया। इस डिवाइस को मरीज को दे दिया जाता है। मरीज रोज घर पर इसका अभ्यास करता है। डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि मरीजों में एक माह के अंदर इसका असर दिखाई देने लगता है। अभी तक करीब 15 मरीजों पर इसका ट्रायल किया जा चुका है। सभी में 90 से 100 प्रतिशत तक रोशनी वापस आ गई है। बच्चों में होने वाली लाइलाज एंब्लियोपिया (लेजी-आइस) बीमारी का अब इलाज संभव हो गया है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में इसका इलाज किया जा रहा है। पहले इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था। केवल आंखों में पैचिंग कर रोशनी को वापस लाने का प्रयास किया जाता था। खास बात तो ये है कि इस विधि से खेल-खेल में बच्चे की आंख की रोशनी वापस आ जाएगी। अभी तक प्रदेश के अंदर इस बीमारी का इलाज नहीं था, लेकिन अब हैलट अस्पताल में इसका सफल इलाज किया जा रहा है। क्या है एंब्लियोपिया बीमारी नेत्र रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि एंब्लियोपिया बीमारी बच्चों के जन्म के समय पर ही होती है। इसमें बच्चे को एक आंख से कम दिखाई देता है और दूसरी आंख से पूरा दिखाई देता है। इस कारण बचपन में बच्चे खुद भी इस बीमारी को नहीं बता पाते हैं, जब तक वह बड़े होते है तब तक मर्ज काफी बढ़ चुका होता है। पहले ऐसे होता है इलाज डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि पहले हम लोग बच्चों की आंखों में पैच लगाते थे, लेकिन बच्चे इस ट्रीटमेंट को पूरा नहीं कर पाते थे। ऐसे में उनकी आंखों की रोशनी को लाना काफी मुश्किल होता है। इसके अलावा और दूसरा कोई भी इलाज नहीं था। नई डिवाइस से किया जा रहा इलाज मुंम्बई आईआईटी ने ‘कॉगनी हब’ के नाम से एक डिवाइस बनाई हैं। इस डिवाइस को बच्चों के आंखों में लगा देते है। इसमें वीडियो गेम लगा होता है और बच्चे खेल-खेल में अपनी आंखों की एक्सरसाइज करते रहते हैं। ये एक्सरसाइज 10 मिनट सुबह और 10 मिनट शाम को करनी रहती है। ये डिवाइस AI पर बेसड है। इस डिवाइस को जब पहनाते है तो जो नॉर्मल आंख होती है उसको कुछ नहीं दिखाई देता है। दूसरी आंख में प्रोजेक्ट काम करता हैं। डिवाइस के फिक्सल के माध्यम और उससे निकलने वाली किरणों के माध्यम से पूरी एक्सरसाइज आंखों की होती रहती है। बच्चा हाथ में रिमोट लेकर उसे खेलता रहता है। एक माह में दिख रहा असर इस डिवाइस को डॉ. शालिनी मोहन ने सामाजिक संस्था के माध्यम से अस्पताल में डोनेट कराया था, जिसे ट्रायल के रूप में प्रयोग किया गया। इस डिवाइस को मरीज को दे दिया जाता है। मरीज रोज घर पर इसका अभ्यास करता है। डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि मरीजों में एक माह के अंदर इसका असर दिखाई देने लगता है। अभी तक करीब 15 मरीजों पर इसका ट्रायल किया जा चुका है। सभी में 90 से 100 प्रतिशत तक रोशनी वापस आ गई है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Aircraft Crash: मध्य प्रदेश के गुना में एयरक्राफ्ट क्रैश, गिरते ही हुए दो टुकड़े, 1 पायलट जख्मी
Aircraft Crash: मध्य प्रदेश के गुना में एयरक्राफ्ट क्रैश, गिरते ही हुए दो टुकड़े, 1 पायलट जख्मी <p style=”text-align: justify;”><strong>Guna Aircraft Crash:</strong> मध्य प्रदेश के गुना में एयरक्राफ्ट क्रैश (Aircraft Crash) होने की जानकारी सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि संभवतः इंजन फेल होने के कारण यह हादसा हुआ है. जिस वक्त एयरक्राफ्ट क्रैश हुआ उसमें दो पायलट सवार थे. उड़ान के 40 मिनट बाद ही एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यह एयरक्राफ्ट गुना के एयरस्ट्रिप एरिया में गिरा है. य़ह शिव अकादमी का एयरक्राफ्ट था जिसे दो पायलट टेस्ट फ्लाइट के लिए लेकर उड़े थे. घटना में दोनों पायलट घायल हो गए हैं. घटना की जानकारी मिलते ही रेस्क्यू टीम पहुंची और घायलों को अस्पताल ले जाया गया. मौके पर कैंट पुलिस समेत शिव अकादमी के अधिकारी मौजूद हैं. </p>
<p><strong>गिरते ही विमान के हो गए दो टुकड़े</strong><br />मध्य प्रदेश पुलिस ने बताया कि गुना जिले में एक प्राइवेट एविएशन कंपनी का दो सीटर विमान क्रैश हो गया है जिसमें पायलट घायल हो गए हैं. बताया जा रहा है कि इस विमान ने दोपहर करीब एक बजे उड़ान भरी थी और उड़ान के 40 मिनट बाद ही एयरस्ट्रिप एरिया में क्रैश हो गई. दुर्घटनास्थल की तस्वीरें भी सामने आई हैं जिसमें सफेद और नीलें रंग का विमान नजर आ रहा है जो कि गिरते ही दो टुकड़ों में टूट गया. </p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>गुना में टू सीटर एयरक्राफ्ट क्रैश<br />- टेस्ट फ्लाइट के लिए भरी थी उड़ान, दोनों पालयट घायल <a href=”https://twitter.com/ABPNews?ref_src=twsrc%5Etfw”>@ABPNews</a> <a href=”https://twitter.com/abplive?ref_src=twsrc%5Etfw”>@abplive</a> <a href=”https://t.co/KBP9bBr3ZZ”>pic.twitter.com/KBP9bBr3ZZ</a></p>
— Nitinthakur (Abp NEWS) (@Nitinreporter5) <a href=”https://twitter.com/Nitinreporter5/status/1822568776971551060?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 11, 2024</a></blockquote>
<p>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
</p>
<p><strong>टेस्टिंग के लिए गुना लाया गया था विमान</strong><br />घायल हुए एक पायलट की पहचान कैप्टन वीसी ठाकुर के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि ये पायलट शनिवार को ही कर्नाटक के बेलगावी से गुना आए थे. दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है. ऐसी जानकारी भी सामने आ रही है कि यह कर्नाटक के एक इंस्टिट्यूट का विमान था. जिसे टेस्टिंग और मेंटेनेंस के काम के लिए गुना के शिव एकेडमी लाया गया था. दोनों पायलट हैदराबाद के रहने वाले हैं. </p>
<p><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”Ujjain Crime: उज्जैन के रिटायर्ड बैंक अधिकारी को साइबर ठगों ने किया डिजिटल अरेस्ट, खाते से उड़ाए 51 लाख रुपये” href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/mp-cyber-thugs-digitally-arrest-retired-bank-officer-in-ujjain-stole-51-lakh-rupees-from-bank-account-ann-2758557″ target=”_self”>Ujjain Crime: उज्जैन के रिटायर्ड बैंक अधिकारी को साइबर ठगों ने किया डिजिटल अरेस्ट, खाते से उड़ाए 51 लाख रुपये</a></strong></p>