हिमाचल प्रदेश के मंडी में आज सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.3 मापी गई। जमीन के अंदर इसकी गहराई 5 किलोमीटर रही। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, सुबह 9:53 बजे 3 बार हल्के झटके महसूस किए गए। जिन लोगों को झटके महसूस हुए वे अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, तीव्रता कम होने की वजह से ज्यादातर लोग इन्हें महसूस नहीं कर पाए। बता दें कि चंबा, शिमला, कुल्लू, लाहौल स्पीति, कांगड़ा, किन्नौर व मंडी के कई क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन-5 में आते है। इसलिए यहां बार बार भूकंप आता रहता है। अब जानिए भूकंप क्यों आता है? धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। हिमाचल प्रदेश के मंडी में आज सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.3 मापी गई। जमीन के अंदर इसकी गहराई 5 किलोमीटर रही। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, सुबह 9:53 बजे 3 बार हल्के झटके महसूस किए गए। जिन लोगों को झटके महसूस हुए वे अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, तीव्रता कम होने की वजह से ज्यादातर लोग इन्हें महसूस नहीं कर पाए। बता दें कि चंबा, शिमला, कुल्लू, लाहौल स्पीति, कांगड़ा, किन्नौर व मंडी के कई क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन-5 में आते है। इसलिए यहां बार बार भूकंप आता रहता है। अब जानिए भूकंप क्यों आता है? धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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दिवाली मनाकर दिल्ली लौटे जेपी नड्डा:बिलासपुर में बागछाल पुल का मुआयना किया, 330 मीटर लंबा ब्रिज, चंडीगढ़ की दूरी हुई कम दिवाली पर्व मनाने के लिए अपने घर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा शनिवार को वापस लौट गए। वापसी के समय उन्होंने झंडूता और नयनादेवी विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ने वाले बागछाल पुल का मुआयना किया। इस दौरान नयनादेवी के विधायक रणधीर शर्मा, झंडूता के विधायक जीतराम कटवाल, सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल, पूर्व मंत्री राजेंद्र गर्ग व भाजपा के जिला अध्यक्ष स्वतंत्र सांख्यान आदि भी उनके साथ थे। देश में सबसे अधिक 185 मीटर लंबे कैंटीलीवर स्पैन के इस पुल को देखकर नड्डा बेहद प्रभावित हुए। इस पुल के निर्माण के लिए उन्होंने झंडूता के विधायक जीतराम कटवाल के प्रयासों की विशेष तौर से सराहना की। 2005 में शुरु हुआ था निर्माण कार्य गौरतलब है कि गोविंद सागर पर बागछाल पुल का काम वर्ष 2005 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शुरू करवाया था, लेकिन दो वर्ष बाद ही पिल्लर धंसने जैसे तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए काम बंद कर दिया गया था। एक दशक तक इसका काम पूरी तरह से ठप रहा था। वर्ष 2017 में झंडूता के विधायक बने जीतराम कटवाल ने इसके निर्माण की प्रक्रिया फिर से शुरू करवाई। केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार की मदद से उन्होंने क्षेत्रवासियों का इस पुल का सपना साकार किया। 185 मीटर लंबे कैंटीलीवर स्पैन वाला पुल जेपी नड्डा को पुल की जानकारी देते हुए जीतराम कटवाल ने बताया कि कुल 330 मीटर लंबा यह पुल देश में सबसे अधिक 185 मीटर लंबे कैंटीलीवर स्पैन वाला है। झंडूता और नयनादेवी विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ने के साथ ही इस पुल के निर्माण से चंडीगढ़, दिल्ली, हमीरपुर व कांगड़ा आदि की दूरी भी काफी कम हुई है। यह एक तरह से ‘गोल्डन गेट ऑफ हिमाचल’ बन गया है। जेपी नड्डा ने पुल के निर्माण में इंजीनियरिंग स्किल्स की सराहना करते हुए एक से दूसरे छोर तक उसका मुआयना किया।
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