वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को लेकर 20वीं सदी में सुभद्रा कुमार चौहान ने लिखा- बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। 1858 में जिस शौर्य और बहादुरी के साथ रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभाला, उसे भुलाया नहीं जा सकता है। पहले स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई के अंग्रेजों के साथ संघर्ष की पूरी कहानी देखिए ऊपर वीडियो क्लिक करके… कल देखिए: बलिया को आजाद कराने वाले चित्तू पांडे की कहानी, जब उन्होंने बलिया से अंग्रेजों की सत्ता को 14 दिनों के लिए उखाड़ फेंका था… कहानी- 1 यहां क्लिक कर देखें…काकोरी ट्रेन एक्शन के 100 साल पूरे…VIDEO: एक चादर से क्रांतिकारियों तक पहुंचे अंग्रेज, 4 को दी फांसी की सजा कहानी- 2 यहां क्लिक कर देखें…चंद्रशेखर के आखिरी वक्त की कहानी:15 साल की उम्र में खुद का नाम ‘आजाद’ रखा, अपनी पििस्टल को कहते थे ‘बमतुल बुखारा’ वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को लेकर 20वीं सदी में सुभद्रा कुमार चौहान ने लिखा- बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। 1858 में जिस शौर्य और बहादुरी के साथ रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभाला, उसे भुलाया नहीं जा सकता है। पहले स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई के अंग्रेजों के साथ संघर्ष की पूरी कहानी देखिए ऊपर वीडियो क्लिक करके… कल देखिए: बलिया को आजाद कराने वाले चित्तू पांडे की कहानी, जब उन्होंने बलिया से अंग्रेजों की सत्ता को 14 दिनों के लिए उखाड़ फेंका था… कहानी- 1 यहां क्लिक कर देखें…काकोरी ट्रेन एक्शन के 100 साल पूरे…VIDEO: एक चादर से क्रांतिकारियों तक पहुंचे अंग्रेज, 4 को दी फांसी की सजा कहानी- 2 यहां क्लिक कर देखें…चंद्रशेखर के आखिरी वक्त की कहानी:15 साल की उम्र में खुद का नाम ‘आजाद’ रखा, अपनी पििस्टल को कहते थे ‘बमतुल बुखारा’ उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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पानीपत में किराना दुकान में चोरी:महिला सामान का दाम पूछने कमरे में गई, युवक ने कैश बॉक्स से निकाले 45 हजार, सीसीटीवी में कैद हरियाणा के पानीपत जिले के इसराना उपमंडल में एक किराना दुकान में चोरी हो गई। यहां चोरों ने एक बुजुर्ग महिला को बातों में उलझा लिया। वे उसे एक सामान का दाम महंगा बताने लगे। जब महिला सामान का दाम पूछने कमरे के अंदर गई तो पीछे से युवकों ने दुकान के कैशबॉक्स से नकदी चोरी कर ली। यह वारदात दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। दुकानदार ने खुद ही चोरों की पहचान कर ली और मामले की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है। साथ ही सीसीटीवी फुटेज के आधार पर चोरों की तलाश शुरू कर दी है। दो दुकान में घुसे, तीसरा बाइक पर बैठा रहा इसराना थाना पुलिस को दी शिकायत में कृष्ण सिंह ने बताया कि वह गांव डाहर का रहने वाला है। उसकी किराना की दुकान है। 6 जुलाई को दोपहर करीब डेढ़ बजे उसकी मां केला (60) दुकान पर बैठी थी। इसी दौरान बाइक सवार तीन युवक वहां आए। उनमें से दो दुकान में घुस गए, जबकि तीसरा बाइक पर बैठा रहा। दुकान पर आए दो युवकों ने उसकी मां को बातों में उलझा लिया। वे अलग-अलग सामान मांगते रहे। उन्होंने कहा कि एक सामान का दाम महंगा है। महिला उसका दाम पूछने घर के अंदर चली गई। जब वह वापस लौटी तो देखा कि युवक जा चुके थे। शाम को जब वे दुकान बंद करने लगे तो कृष्ण ने कैश बॉक्स चेक किया। जिस दौरान उसने देखा कि उसमें से पैसे गायब थे। इसके बाद उसने सीसीटीवी कैमरे चेक किए। जिसमें उसने देखा कि उक्त युवक कैश बॉक्स से करीब 45 हजार रुपये की नकदी चोरी कर भाग गए। खुद तलाश करने और उनकी पहचान करने के बाद पुलिस को शिकायत दी गई। आरोपी महराणा गांव के रहने वाले हैं।
पंजाब के BSP प्रधान को पार्टी से निकाला:हाईकमान ने अनुशासनहीन बताकर फैसला लिया, अवतार सिंह करीमपुरी नए अध्यक्ष
पंजाब के BSP प्रधान को पार्टी से निकाला:हाईकमान ने अनुशासनहीन बताकर फैसला लिया, अवतार सिंह करीमपुरी नए अध्यक्ष बहुजन समाज पार्टी (BSP) के पंजाब प्रधान जसबीर सिंह गढ़ी को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। पार्टी हाई कमान की तरफ से यह फैसला लिया गया है। उन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। पार्टी ने अब उनकी जगह अवतार सिंह करीमपुरी को नया प्रधान बनाया है। इस संबंधी मंगलवार शाम को आदेश जारी कर दिए गया। करीमपुरी लंबे समय से पार्टी से जुडे़ हुए हैं। वह विधायक और सांसद रह चुके हैं। पार्टी की ओर से जारी किया लेटर… 2019 से प्रधान पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे
जसबीर सिंह गढ़ी साल 2019 से बसपा प्रधान की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनकी अध्यक्षता में ही साल 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ा गया था। इस चुनाव में पार्टी ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) के साथ गठबंधन किया था। उनकी अध्यक्षता में ही BSP महासचिव नच्छतर पाल सिंह ने नवांशहर से जीत हासिल की थी। वहीं, उन्होंने खुद भी फगवाड़ा से विधानसभा चुनाव लड़ा था। वह 31232 वोटों (24.41%) लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। पार्टी प्रधान रह चुके करीमपुरी
अवतार सिंह करीमपुरी पार्टी के पुराने नेताओं में से एक हैं। वह पहले 2014 से 2016 तक पार्टी प्रधान पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इसके बाद उन्हें पार्टी महासचिव बनाया गया था। वह 2008 से 2014 तक राज्यसभा मेंबर रहे। वह यूपी से चुनकर आए थे। इससे पहले वह 1992 से 97 तक विधायक रह चुके हैं। राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ी थी पार्टी
2024 के लोकसभा चुनाव में BSP ने राज्य में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया था। पार्टी ने अपने दम पर 13 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि, पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। इस चुनाव में पार्टी को 2.49 फीसदी वोट मिले थे। ओवरऑल पार्टी छठे नंबर पर रही थी। इसके बाद जालंधर वेस्ट के उप-चुनाव में भी पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा था, लेकिन पार्टी को यहां भी हार का मुंह देखना पड़ा था। अब पार्टी ने 4 विधानसभा सीटों पर हो रहे उप-चुनाव में भी अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। जबकि, दोआबा एरिया में पार्टी का मजबूत आधार माना जाता है। इस एरिया में होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, नवांशहर और फतेहगढ़ साहिब आते हैं।
सीएम योगी के काले कारनामे वाले बयान पर अखिलेश यादव बोले- ‘अच्छा-बुरा कोई रंग नहीं, नजरिया होता है’
सीएम योगी के काले कारनामे वाले बयान पर अखिलेश यादव बोले- ‘अच्छा-बुरा कोई रंग नहीं, नजरिया होता है’ <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> ने गुरुवार को कहा कि समाजवादी पार्टी के कारनामों से हर कोई परिचित है. पन्नों को पलटेंगे तो काले कारनामों से उनका इतिहास भरा है. सपा की “टोपी लाल, लेकिन कारनामे काले” हैं. अब सीएम योगी के इस बयान पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने पलटवार किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के जरिए लिखा, ‘जनता की संसद का प्रश्नकाल, प्रश्न- लाल और काले रंग को देखकर भड़कने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? दो-दो बिंदुओं में अंकित करें. उत्तर- रंगों का मन-मानस और मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है. यदि कोई रंग किसी को विशेष रूप से प्रिय लगता है तो इसके विशेष मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और यदि किसी रंग को देखकर कोई भड़कता है तो उसके भी कुछ नकारात्मक मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>सपा प्रमुख ने आगे लिखा, ‘प्रश्नगत ‘लाल’ और ‘काले’ रंग के संदर्भ में क्रमवार, इसके कारण निम्नवत हो सकते हैं. ‘लाल रंग’ मिलन का प्रतीक होता है. जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है वो अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं. लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसीलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है वो लाल रंग को चुनौती मानते हैं. इसी संदर्भ में ये मनोवैज्ञानिक-मिथक भी प्रचलित हो चला कि इसी कारण शक्तिशाली सांड भी लाल रंग देखकर भड़कता है.'</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/sultanpur-robbery-case-5-policemen-including-outpost-in-charge-suspended-2772118″>सुल्तानपुर में सर्राफा व्यापारी से लूट मामले में बड़ी कार्रवाई, चौकी प्रभारी समेत 5 पुलिसकर्मी निलंबित</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>काले रंग के प्रति दुर्भावना</strong><br />उन्होंने आगे लिखा, ‘’काला रंग’ भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है जैसे बुरी नज़र से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जानेवाला ‘काला’ टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का प्रयोग. जिनके जीवन में ममत्व या सौभाग्य तत्व का अभाव होता है, मनोवैज्ञानिक रूप से वो काले रंग के प्रति दुर्भावना पाल लेते हैं. पश्चिम में काला रंग ‘नकारात्मक शक्तियों और राजनीति का प्रतीक रहा जैसे तानाशाही फासीवादियों की काली टोपी. मानवता और सहृदयता विरोधी फासीवादी विचारधारा जब अन्य देशों में पहुँची तो उसके सिर पर भी काली टोपी ही रही.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>पूर्व सीएम ने कहा, ‘नकारात्मकता और निराशा का रंग भी काला ही माना गया है अत: जिनकी राजनीतिक सोच ‘डर’ और ‘अविश्वास’ जैसे काले-विचारों से फलती-फूलती है, वो इसे सिर पर लिए घूमते हैं. सच तो ये है कि हर रंग प्रकृति से ही प्राप्त होता है और सकारात्मक लोग किसी भी रंग को नकारात्मक नहीं मानते हैं. रंगों के प्रति सकारात्मक विविधता की जगह; जो लोग नकारात्मक विघटन-विभाजन की दृष्टि रखते हैं, उनके प्रति भी बहुंरगी सद्भाव रखना चाहिए क्योंकि ये उनका नहीं, उनकी प्रभुत्ववादी एकरंगी संकीर्ण सोच का कुपरिणाम है.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा, ‘ऐसे लोगों के मन-हृदय को परिवर्तित करने के लिए बस इतना समझाना होगा कि ‘काले रंग की अंधेरी रात के बाद ही लालिमा ली हुई सुबह’ का महत्व होता है, ये पारस्परिक रंग-संबंध ही जीवन में आशा और उत्साह का संचार करता है. अच्छा-बुरा कोई रंग नहीं; नजरिया होता है.'</p>