हरियाणा के पानीपत जिले के एक गांव में पति ने अपनी पत्नी को जहर पिला दिया। जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई। गंभीर हालत में महिला को तुरंत सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां वह उपचाराधीन है। दरअसल, महिला का आरोप है कि उसका पति उसके साथ अप्राकृतिक तरीके से संबंध बनाने के लिए प्रेशर डालता है। सोमवार को भी उसने इसी तरह करने के लिए उस पर दवाब डाला। वह नहीं मानी, तो आरोपी ने उसे मारा-पीटा और जहर पिला दिया। मामले की शिकायत पुलिस को दी गई है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। पहले दहेज के लिए करता था मारपीट जानकारी देते हुए महिला ने बताया कि वह यूपी के बागपत की रहने वाली है। करीब 5 साल पहले उसका निकाह सनौली खुर्द गांव के रहने वाले मुस्तफा के साथ हुआ था। निकाह के बाद से ही पति और ससुराल वालों ने उसे अक्सर कम दहेज लाने की बात कहकर पीटा। अक्सर उसके साथ गाली-गलौज की जाती थी। कई बार इस मामले का पंचायती तौर पर भी निपटारा हुआ। आरोपियों ने अपनी गलती मानी, लेकिन घर ले जाने के बाद उसका रवैया उसी तरीके का हो जाता था। एक-दो दिन बाद फिर उसके साथ मारपीट की जाती थी। वह दो बेटियों की मां है। बच्चों का क्या होगा, यही सोच कर वह ये सब प्रताड़तनाएं सहती रही। अप्राकृतिक संबंध से मना करने पर पीटा 19 अगस्त की देर रात करीब 2 बजे वह सो रही थी। इसी दौरान वहां उसके पति ने उस पर अप्राकृतिक संबंध बनाने का दवाब बनाया। उसने मना किया, तो उसके साथ मारपीट की शुरू कर दी गई। यहां तक की उसका गला घोंट कर भी हत्या करनी चाही। इससे भी बात नहीं बनी तो पति ने उसे जबरन जहर पिला दिया। आरोप पति पहले ही जहर लेकर आया था। हरियाणा के पानीपत जिले के एक गांव में पति ने अपनी पत्नी को जहर पिला दिया। जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई। गंभीर हालत में महिला को तुरंत सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां वह उपचाराधीन है। दरअसल, महिला का आरोप है कि उसका पति उसके साथ अप्राकृतिक तरीके से संबंध बनाने के लिए प्रेशर डालता है। सोमवार को भी उसने इसी तरह करने के लिए उस पर दवाब डाला। वह नहीं मानी, तो आरोपी ने उसे मारा-पीटा और जहर पिला दिया। मामले की शिकायत पुलिस को दी गई है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। पहले दहेज के लिए करता था मारपीट जानकारी देते हुए महिला ने बताया कि वह यूपी के बागपत की रहने वाली है। करीब 5 साल पहले उसका निकाह सनौली खुर्द गांव के रहने वाले मुस्तफा के साथ हुआ था। निकाह के बाद से ही पति और ससुराल वालों ने उसे अक्सर कम दहेज लाने की बात कहकर पीटा। अक्सर उसके साथ गाली-गलौज की जाती थी। कई बार इस मामले का पंचायती तौर पर भी निपटारा हुआ। आरोपियों ने अपनी गलती मानी, लेकिन घर ले जाने के बाद उसका रवैया उसी तरीके का हो जाता था। एक-दो दिन बाद फिर उसके साथ मारपीट की जाती थी। वह दो बेटियों की मां है। बच्चों का क्या होगा, यही सोच कर वह ये सब प्रताड़तनाएं सहती रही। अप्राकृतिक संबंध से मना करने पर पीटा 19 अगस्त की देर रात करीब 2 बजे वह सो रही थी। इसी दौरान वहां उसके पति ने उस पर अप्राकृतिक संबंध बनाने का दवाब बनाया। उसने मना किया, तो उसके साथ मारपीट की शुरू कर दी गई। यहां तक की उसका गला घोंट कर भी हत्या करनी चाही। इससे भी बात नहीं बनी तो पति ने उसे जबरन जहर पिला दिया। आरोप पति पहले ही जहर लेकर आया था। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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फतेहाबाद में बैंक्वेट हॉल में लगी भीषण आग:टेंट सहित सारा सामान जलकर हुआ राख, भीड़ नहीं होने से टला बड़ा हादसा फतेहाबाद जिले के टोहाना में आज तड़के एक बैंक्वेट हॉल में भयानक आग लग गई। जिससे लाखों रूपए का टेंट जल कर राख हो गया। गनीमत रही के उस समय हाल में लोग मौजूद नहीं थे। जिस कारण जानमाल का नुकसान होने से टल गया। सूचना मिलने के तुरंत बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंच गई। जिस कारण आग आगे फैलने से रुक गई। अज्ञात कारणों से लगी आग जानकारी के अनुसार टोहाना के हिसार रोड पर हरबंस सेठी का शाही बाग बैंक्वेट हॉल बना हुआ है। जिसमें आज तड़के करीब 6:15 बजे अज्ञात कारणों से डेकोरेटिव गेट के टेंट में आग लग गई। इसी दौरान वहां से गुजर रहे किसी व्यक्ति ने डायल 112 पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस द्वारा फायर ब्रिगेड को सूचित किया गया। दमकल विभाग ने पाया काबू तुरंत ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंची और आग पर काबू पा लिया गया। समय रहते आग बुझाने से बड़ा नुकसान होने से टल गया। हालांकि लाखों का टेंट जलकर राख हो गया। टेंट के अंदर रखा सजावट का सारा सामान जल कर राख हो गया। हादसा सुबह के समय होने के चलते बैंक्वेट हॉल में भीड़ नहीं थी। जिस कारण जान माल का नुकसान होने से भी टल गया।
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बनारसी दास को भाषण के दौरान गोली लगी:ट्रेन में छिपकर पत्नी के साथ लाहौर से भारत पहुंचे; कठपुतली मुख्यमंत्री कहा गया साल 1989, चौधरी देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर डिप्टी प्राइम मिनिस्टर बने और बेटे ओमप्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनवा दिया। तब ओम प्रकाश चौटाला विधायक नहीं थे। उन्हें 6 महीने के भीतर विधायक बनना था। ओमप्रकाश चौटाला, रोहतक जिले की महम सीट से उपचुनाव में उतरे। ये वो सीट थी जहां से लगातार तीन बार देवीलाल जीत चुके थे। जब चुनाव हुआ तो महम सीट हिंसा की भेंट चढ़ गई। 10 लोगों की जान चली गई। चुनाव रद्द हो गया। महम कांड की आंच चौटाला परिवार तक पहुंची। इधर, अप्रैल 1990, जनता दल में नए अध्यक्ष को लेकर गहमागहमी शुरू हो चुकी थी। रेस में दो नाम सबसे आगे थे। पहला- एसआर बोम्मई का, जिन्हें समाजवादी नेता चंद्रशेखर का समर्थन था। दूसरा- एस जयपाल रेड्डी का, जिनके खेमे में रामकृष्ण हेगड़े और अजीत सिंह जैसे नेता थे। देवीलाल, बोम्मई का समर्थन कर रहे थे। उन्हें लगता था कि बोम्मई अध्यक्ष बनते हैं, तो ओमप्रकाश चौटाला की कुर्सी बच जाएगी। उधर, रेड्डी को आशंका थी कि प्रधानमंत्री वीपी 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मुख्यमंत्री बनने के बाद बंसीलाल ने बनारसी दास को स्पीकर बनाया। बंसीलाल को इंदिरा का बुलावा और बनारसी दास सीएम बन गए स्पीकर बनने के बाद बनारसी दास गुप्ता ने विधानसभा का सारा काम हिंदी में करने का आदेश दिया। इससे वे चर्चा में आ गए। यह पहला मौका था जब किसी विधानसभा में सारा काम हिंदी में करने का आदेश जारी हुआ था। 1973 में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और बंसीलाल मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। उन्हें बिजली, सिंचाई, कृषि, सहकारिता, स्वास्थ्य और नागरिक प्रशासन मंत्रालय मिला। इसी बीच इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी ने बंसीलाल को दिल्ली बुला लिया। बंसीलाल हरियाणा की कमान अपने किसी करीबी को सौंपना चाहते थे। उन्होंने बनारसी दास को मुफीद माना। इस तरह 1 दिसंबर 1975 को बनारसी दास गुप्ता पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। हालांकि इस दौरान उन पर डमी सीएम होने का आरोप भी लगा। कहा जाता है कि भले ही बंसीलाल दिल्ली में रक्षा मंत्रालय की कमान संभाल रहे थे, लेकिन हरियाणा में हर फैसले में उनकी और उनके बेटे सुरेंद्र की दखल रहती थी। 1977 में कांग्रेस को 3 सीटें मिलीं, बनारसी दास ने पाला बदल लिया 1977 में इमरजेंसी हटने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 3 सीटों पर सिमट गई। बनारसी दास भी चुनाव हार गए। जनता पार्टी 75 सीटों के साथ सत्ता में आई। चौधरी देवीलाल मुख्यमंत्री बने। हालांकि दो साल बाद ही उनकी जगह भजनलाल को सीएम बना दिया गया। 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के अध्यक्ष संत हरचंद सिंह लोगोंवाल के बीच पंजाब में समझौता हुआ। इसमें चंड़ीगढ़ और रावी-व्यास के जल बंटवारे से जुड़ा मामला शामिल था। इसे लेकर हरियाणा में काफी आक्रोश था। देवीलाल ने 18 विधायकों के साथ विधानसभा से इस्तीफा देकर ‘न्याय युद्ध’ छेड़ दिया। बनारसी दास ने कांग्रेस को आंदोलन में शामिल होने की सलाह दी, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई। इसके बाद बनारसी दास कांग्रेस छोड़कर चौधरी देवीलाल के साथ आ गए। 1987 में विधानसभा चुनाव हुए तो चौधरी देवीलाल को 60 सीटें मिलीं। देवीलाल मुख्यमंत्री बने और बनारसी दास गुप्ता को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। ओमप्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा, बनारसी दास पर कठपुतली सीएम का ठप्पा लगा दो साल बाद केन्द्र में वीपी सिंह की सरकार बनी, तो देवीलाल को उप प्रधानमंत्री बनाया गया। देवीलाल राज्य की सत्ता बेटे ओमप्रकाश चौटाला को सौंप कर दिल्ली की तरफ बढ़ गए। चौटाला सीएम बने तो वे विधायक नहीं थे। उन्होंने महम सीट पर उपचुनाव में पर्चा भर दिया। खाप पंचायतों ने इसका विरोध किया और देवीलाल के करीबी रहे आनंद सिंह दांगी को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर समर्थन दे दिया। 27 फरवरी, 1990 को महम में वोटिंग हुई। आनंद सिंह दांगी ने चुनाव आयोग से आठ वोटिंग सेंटर्स पर बूथ कैप्चरिंग की शिकायत की। अगले दिन यानी 28 फरवरी को उन आठ बूथों पर फिर से वोटिंग हुई। उस दौरान भी भारी हिंसा हुई। भीड़ ने बचाव में जुटी CRPF के एक जवान की हत्या कर दी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने भीड़ पर गोलियां चला दीं जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सतीश त्यागी अपनी किताब ‘पॉलिटिक्स ऑफ चौधर’ में लिखते हैं- महम हिंसा के बाद जनता दल में अजीत सिंह, अरुण नेहरू, जॉर्ज फर्नांडिस और रामकृष्ण हेगड़े जैसे नेताओं ने वीपी सिंह पर चौटाला को हटाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। 3 मार्च को एक बैठक में देवीलाल और अजीत सिंह में जमकर गाली-गलौज हुई। इसी रात एक और बैठक हुई इसमें जनता दल शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए। बैठक में उत्तर प्रदेश के सीएम मुलायम सिंह यादव, बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव और ओडिशा के सीएम बीजू पटनायक ने चौटाला को हटाने की वकालत की। देवीलाल के खास शरद यादव भी चौटाला को हटाने के पक्ष में थे। हालांकि बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका। अब इसका फैसला करने का जिम्मा एक कमेटी को सौंप गया। कमेटी में अजीत सिंह, जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव, अरुण नेहरू और यशवंत सिन्हा शामिल थे। 4 मार्च को कमेटी ने तय किया कि पार्टी चुनाव आयोग से महम सीट पर फिर से वोटिंग कराने को कहे। साथ ही चौटाला इस्तीफा दें। आखिरकार 22 मई 1990 को चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। उसी दिन देवीलाल ने अपने करीबी और तब डिप्टी सीएम रहे बनारसी दास गुप्ता को सीएम बनाया। हालांकि दो महीने के भीतर ही ओमप्रकाश चौटाला दरबान कलां सीट से उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए। उन्होंने बनारसी दास गुप्ता से इस्तीफा ले लिया और खुद मुख्यमंत्री बन गए। बनारसी दास गुप्ता 51 दिन ही सीएम रह सके। बनारसी दास गुप्ता को गोली लगी, बाल-बाल बचे इसके बाद बनारसी दास गुप्ता के देवीलाल से वैचारिक मतभेद बढ़ गए। वे सक्रिय राजनीति से अलग-थलग रहने लगे थे। 23 सितंबर 1990 की बात है। बनारसी दास भिवानी में महाराजा अग्रसेन जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इसी दौरान अचानक उन पर फायरिंग हो गई। गोली उनके सीने को चीरती हुई पार निकल गई। हालांकि लंबे इलाज के बाद वे ठीक हो गए। इस घटना ने बनारसी दास को फिर से राजनीति में एक्टिव होने की ऊर्जा दे दी। राजीव गांधी के कहने पर बनारसी दास कांग्रेस में शामिल हो गए। 1996 में भजनलाल सरकार के दौरान उन्हें राज्यसभा भेजा गया। कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्होंने राजनीति से रिटायरमेंट ले लिया और समाजसेवा की तरफ बढ़ गए। 29 अगस्त 2007 को बनारसी दास का निधन हो गया।
कैथल में पंजाब के युवक की मौत:लाइन में खड़ी ट्राली के नीचे सो रहा था, ड्राइवर ने चला दिया ट्रैक्टर
कैथल में पंजाब के युवक की मौत:लाइन में खड़ी ट्राली के नीचे सो रहा था, ड्राइवर ने चला दिया ट्रैक्टर हरियाणा के कैथल जिले में पराली के बंडलों से भरी ट्राली के नीचे आने से एक युवक की मौत हो गई। युवक की पहचान लखबीर सिंह (35) के रूप में हुई है, जो पंजाब के मानसा जिला में हीरोकलां का निवासी था। मृतक लखविंदर खरकड़ा गांव से पराली के बंडलों से भरी ट्राली लेकर सुबह 6 बजे कांगथली में बने पराली प्लान में आया था, जो अपनी बारी के इंतजार में अन्य ट्रैक्टरों की लाइन में लगाकर ट्राली के नीचे सो गया। इसके कुछ देर बाद किसी अज्ञात व्यक्ति ने ट्रैक्टर को चलाकर आगे कर दिया जिसके नीचे सोए लखविंदर के ऊपर से पराली के बंडलों से भरी ट्राली निकल गई और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने के बाद सीवन थाना पुलिस मौके पर पहुंची कर कार्रवाई में जुटी है, उसके साथियों द्वारा मृतक के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए कैथल के नागरिक अस्पताल लाया गया। मृतक के घर में एक बूढ़ी मां, पत्नी और एक 10 साल का बेटा है। घर में कमाने वाला लखविंदर एकलौता था जो अपने परिवार का सहारा था। घटना के बाद पूरे परिवार में शोक का माहौल है।