सोशल मीडिया पर कांग्रेस विधायक मामन खान के पक्ष में धमकी भरी वीडियो डालने के मामले में एक आरोपी की गिरफ्तारी हुई है। जिसकी पहचान असलम पुत्र हिम्मत निवासी गांव झिमरावट के रूप में हुई है। विरोधियों को गोली मारने की दे रहे थे धमकी साइबर थाना प्रभारी विमल कुमार के मुताबिक सोशल मीडिया के माध्यम से एक वीडियो सामने आई थी। जिसमें दो युवक चुनाव में मामन खान के विरोध करने वाले विरोधियों को गोली मारने और बुलडोजर चलाकर मकान ध्वस्त करने की बात कर रहे थे। मामन खान का समर्थक होने का कर रहे थे दावा नूंह साइबर थाना पुलिस ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए भारतीय न्याय संहिता के तहत केस दर्ज किया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिखाई दे रहे युवाओं ने अपने आप को कांग्रेस विधायक मामन खान का समर्थक होने का दावा किया। वायरल वीडियो में एक युवक ने दावा करते हुए साफ तौर पर कहा कि विधायक मामन अपनों के लिए मजबूती से आवाज उठाने वाला नेता है। इसलिए उन्हें सिर्फ मामन खान ही चाहिए, यदि किसी ने मामन खान को हराने की बात की तो उसे गोली मारेंगे। बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस ने तुरंत लिया एक्शन वीडियो में बोलने वाले एक युवक अपने आप को मेवात के झिमरावट का निवासी बता रहा है। जिन्होंने वीडियो मे कहा कि विकास नहीं चाहिए, सिर्फ मामन की जीत चाहिए। इसलिए उसे हराने की बात बर्दाश्त नहीं होगी। दोनों युवक वीडियो में अश्लील भाषा का भी प्रयोग करते दिख रहे हैं। शनिवार को अदालत में होंगे पेश एक युवक ने कहा कि मामन खान के हराने वालों को नहीं बख्शेंगे। स्वंय बुलडोजर से उनके मकानों को ध्वस्त करने के लिए खड़े होंगे। सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होने के बाद नूंह पुलिस द्वारा तुरंत संज्ञान ले लिया गया था। आरोपी असलम को शनिवार अदालत में पेश किया जाएगा। सोशल मीडिया पर कांग्रेस विधायक मामन खान के पक्ष में धमकी भरी वीडियो डालने के मामले में एक आरोपी की गिरफ्तारी हुई है। जिसकी पहचान असलम पुत्र हिम्मत निवासी गांव झिमरावट के रूप में हुई है। विरोधियों को गोली मारने की दे रहे थे धमकी साइबर थाना प्रभारी विमल कुमार के मुताबिक सोशल मीडिया के माध्यम से एक वीडियो सामने आई थी। जिसमें दो युवक चुनाव में मामन खान के विरोध करने वाले विरोधियों को गोली मारने और बुलडोजर चलाकर मकान ध्वस्त करने की बात कर रहे थे। मामन खान का समर्थक होने का कर रहे थे दावा नूंह साइबर थाना पुलिस ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए भारतीय न्याय संहिता के तहत केस दर्ज किया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिखाई दे रहे युवाओं ने अपने आप को कांग्रेस विधायक मामन खान का समर्थक होने का दावा किया। वायरल वीडियो में एक युवक ने दावा करते हुए साफ तौर पर कहा कि विधायक मामन अपनों के लिए मजबूती से आवाज उठाने वाला नेता है। इसलिए उन्हें सिर्फ मामन खान ही चाहिए, यदि किसी ने मामन खान को हराने की बात की तो उसे गोली मारेंगे। बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस ने तुरंत लिया एक्शन वीडियो में बोलने वाले एक युवक अपने आप को मेवात के झिमरावट का निवासी बता रहा है। जिन्होंने वीडियो मे कहा कि विकास नहीं चाहिए, सिर्फ मामन की जीत चाहिए। इसलिए उसे हराने की बात बर्दाश्त नहीं होगी। दोनों युवक वीडियो में अश्लील भाषा का भी प्रयोग करते दिख रहे हैं। शनिवार को अदालत में होंगे पेश एक युवक ने कहा कि मामन खान के हराने वालों को नहीं बख्शेंगे। स्वंय बुलडोजर से उनके मकानों को ध्वस्त करने के लिए खड़े होंगे। सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होने के बाद नूंह पुलिस द्वारा तुरंत संज्ञान ले लिया गया था। आरोपी असलम को शनिवार अदालत में पेश किया जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पूर्व सीएम पर बरसे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद:बड़ौली बोले- हुड्डा घर जाकर सो जाएं, किरण बोली- बाप-बेटे ने खराब किया हर व्यक्ति भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और राज्यसभा सांसद किरण चौधरी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जमकर बरसे। मोहन लाल बड़ौली ने कहा कि हुड्डा घर जाकर सो जाए। 8 अक्टूबर को जनता सुलाने का काम करेगी। वहीं किरण चौधरी ने कहा कि बाप-बेटे ने हर किसी को टिकट मिलने की थपकी देकर लोगों को खराब किया है। इसकी वीडियो सोशल मीडिया एक्स पर भी सांझा की है। प्रदेशाध्यक्ष बोले- हुड्डा घर जाकर बेधड़क सो जाए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने कहा कि तीसरी बार भाजपा की सरकार बनेगी। जनता ने मन बना लिया है। वहीं 56 दिन का समय नायब सिंह सैनी को मिला है। इस समय में जन कल्याण की योजनाओं को लागू किया है और गरीब की योजनाओं को गरीब के घर तक पहुंचाने का काम किया है। आज हर वर्ग ने मन बनाया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनेगी। उन्होंने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर निशाना साधते हुए कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा बेधड़क होकर घर में सो जाएं। 8 तारीख को रिजल्ट आएगा तो जनता उनको सुलाने का काम करेगी। सभी 90 विधानसभा सीटों पर केंद्रीय चुनाव समिति चर्चा कर चुकी है। जिस प्रकार से हरियाणा प्रदेश के बहुत से जन प्रतिनिधि भाजपा की तरफ आ रहे हैं और भाजपा मजबूत हो रही है। हुड्डा बाप-बेटे पर बरसी किरण चौधरी
राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने हुड्डा पिता-पुत्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इन बाप-बेटे ने ऐसी प्रथा डाल रखी है कि हर व्यक्ति को खराब करो। इसलिए हर व्यक्ति को थपकी लगाई। कांग्रेस में ऐसी प्रथा चली आ रही है। आज नतीजा यह है कि टिकट तो एक को मिलेगी। बाकी जो रह जाएंगे वे अपने आप को ठगा सा महसूस करेंगे। इन बापू-बेटे का बुरा हाल होने जा रहा है। देखना जनता क्या करती है। साथ ही कहा कि भाजपा तीसरी बार सरकार पूर्ण बहुमत से बनाएगी। हरियाणा कांग्रेस ने किया पलटवार
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के बयान पर हरियाणा कांग्रेस ने सोशल मीडिया एक्स पर पलटवार करते हुए रिप्लाई दिया। जिसमें लिखा कि “सुला तो आपको 4 जून को सतपाल ब्रह्मचारी ने दिया था, अब 8 अक्टूबर को जनता कंबल भी डाल देगी। ताकि आप आराम से लंबी नींद सो सके।”
यादों के झरोखे से विधानसभा चुनाव:उम्मीदवार लोगों को बताता- वोट कैसे डाला जाता है, चुनावी प्रचार में लोग गाड़ी को देखने जाते थे
यादों के झरोखे से विधानसभा चुनाव:उम्मीदवार लोगों को बताता- वोट कैसे डाला जाता है, चुनावी प्रचार में लोग गाड़ी को देखने जाते थे एक समय था, जब लोग नेताओं के चुनावी प्रचार में उनके भाषण सुनने नहीं, उनकी गाड़ी को देखने जाते थे। कच्ची सड़कों पर धूल उड़ती थी, फिर भी बच्चे गाड़ियों के पीछे पर्चे उठाने के लिए भागते थे और लोग सड़कों के किनारे कतार लगाकर खड़े होते थे। हरियाणा में जब पहली बार चुनाव हुआ तो माहौल में इतना चकाचौंध नहीं था, सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना भी नहीं था, उस वक्त चुनावी प्रचार करने में नेताओं के पसीने छूट जाया करते थे। एक गांव से दूसरे गांव पैदल चलकर जाना, घर-घर वोट मांगना, अपनी पहचान और पार्टी का नाम बताना और लोगों को वोट के महत्त्व के बारे में समझाना आज के समय से कहीं ज्यादा मुश्किल हुआ करता था। 1967 में हुआ था पहला विधानसभा चुनाव हरियाणा में कुछ ही दिनों बाद 15वां विधानसभा का चुनाव होने वाला है, सभी पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं, किसकी हार होगी और किसकी जीत? यह तो तय नहीं है, मगर ये जरूर तय है कि सत्ता की कुर्सी किसी एक को ही मिलेगी। चुनाव जीतने के लिए सभी पार्टियां करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, मगर एक वक्त था जब नेताओं के पास अपनी गाड़ी भी नहीं होती थी। उस वक्त चुनावी प्रचार के लिए नेता पैदल या साइकिल से जाते थे। उस दौर में लाउड स्पीकर/साउंड का जमाना नहीं था, इतने शोर-शराबे भी नहीं होते थे। ये बात उस समय की है जब देश अंग्रेजों के चंगुल से नया-नया आजाद हुआ था और पहली बार चुनाव हुआ। वो साल था 1951-52 का, लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे। तब हरियाणा और पंजाब एक ही राज्य हुआ करते थे। जब हरियाणा कटकर अलग हुआ तो 1967 में विधानसभा का पहला चुनाव हुआ। नेताओं के काफिले में बैलगाड़ी होती थी पलवल जिले के न्यू कॉलोनी में रहने वाले 92 वर्षीय तीर्थ दास रहेजा बताते हैं कि “पहले के समय में लोकसभा चुनाव को बड़ी वोट और विधानसभा की चुनाव को छोटी वोट बोला जाता था। आज के समय में उम्मीदवार पैसे को पानी की तरह बहाते हैं, लेकिन एक वक्त था जब उम्मीदवार पैदल-पैदल चलकर ही शहरों व गांवों में वोट मांगने जाया करते थे। उस समय सादगी पूर्ण तरीके से चुनाव प्रचार होता था। वो ऐसा वक्त था जब उम्मीदवार के पास न तो गाड़ी थी, न प्रचार के लिए माइक थे। गांवों में जाने के लिए पक्की सड़कें भी नहीं थी। प्रचार के लिए साधन के रूप में केवल साइकिल का इस्तेमाल होता था या फिर प्रत्याशी को पैदल ही जाना पड़ता था। आज के समय में नेताओं की रैली में हजारों लग्जरी गाड़ियों का काफिला निकलता है, पर उस समय रैली के नाम पर नेताओं के काफिले में बैलगाड़ी और तांगे चला करते थे। उसमें भी अधिकांश प्रत्याशी ऐसे होते, जो ये सुविधाएं भी नहीं जुटा पाते थे।” सोशल मीडिया और इंटरनेट का नहीं था जमाना तीर्थ दास बताते हैं, उस समय की भी अपनी कहानी है। आज के दौर में सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना है, लोग घर बैठे नेताओं के भाषण सुन लेते हैं, क्षण-क्षण बदलते उनके बयान सुन लेते हैं, टीवी और इंटरनेट पर छपे विज्ञापनों में नेताओं का प्रचार देख लेते हैं। मगर उस दौर में प्रत्याशी को अपनी पहचान बताने के लिए घर-घर जाना पड़ता था, एक-एक व्यक्ति से मिलना पड़ता था। हां मगर उस समय आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला नहीं था, नेता उल्टी-सीधी बयानबाजी भी नहीं करते थे। आज के समय में सोशल मीडिया पर केवल एक पोस्ट वायरल हो जाने से रातों-रात नेताओं की छवि बदल जाती है, जिसका सीधा असर चुनावी नतीजे पर पड़ता है पर उस दौर में ऐसा कुछ भी नहीं होता था। वैलेट पेपर पर डाले जाते थे वोट तीर्थ दास पुरानी यादों के बारे में बताते हुए उस दौर का जिक्र करते हैं, जब देश में पहली बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव हुआ था। एक समस्या ये भी थी, कितने लोगों को पता ही नहीं था कि वोट कैसे डाला जाता है, उस टाइम ईवीएम मशीन प्रचलन में नहीं था, वैलेट पेपर पर वोट डाले जाते थे। कितने वोट तो गलत तरीके से डालने के कारण रद्द हो जाते थे। प्रत्याशी चुनावी प्रचार के दौरान वैलेट पेपर का एक नमुना अपने साथ ले जाते और उसे दिखाकर लोगों को वोट डालने के तरीके के बारे में भी समझाते थे। उस समय प्रत्याशी जब चुनाव प्रचार के लिए किसी गांव में पहुंचता तो लोग उसे देखने के लिए इकट्ठे हो जाते थे। तब शहर और गांवों को जोड़ने के लिए कच्चे रास्ते होते थे, पक्की सड़कें या गाड़ी तो थी ही नहीं। उस समय के चुनावों में प्रचार का जिम्मा प्रत्याशी के गांव के लोग, रिश्तेदार व सगे- संबंधी खुद संभालते थे और पैदल-पैदल गांवों में जाकर सादगी के साथ वोट मांगा करते थे। 1967 से 2024 तक चुनावी सफर उस समय चुनावी प्रचार में न तो बैंडबाजे होते थे, न ही लाउड स्पीकर, न जातिवाद न संप्रदायवाद केवल विकास ही मुद्दा होता था। उन्होंने बताया कि 1966 में जब हरियाणा बना तो चुनाव प्रचार में कुछ बदलाव आया। माइक व प्रचार में एक-दो अंबेसडर गाड़ी आ चुकी थी। चुनाव प्रचार के लिए जब गाड़ी गांव में पहुंचती थी तो लोग चुनाव प्रचार को कम, गाड़ी को देखने के लिए ज्यादा एकत्रित होते थे। लेकिन उस समय भी कच्चे रास्ते होते थे, गाड़ी जब निकलती थी तो धूल उड़ती थी, लेकिन उसके बाद भी बच्चे पर्चे लेने के लिए गाड़ी के पीछे काफी दूर तक दौड़ा करते थे। आज के समय में बहुत कुछ बदल गया है, चुनावी प्रचार के तरीके बदल गए, वोट मांगने तरीकों में भी बदलाव आ गया और मुद्दे भी बदल गए। मगर आज भी हरियाणा के कई पिछड़े गांव विकास की राह निहार रहे हैं। जो पक्की सड़क, बेहतर शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था से आज भी अछूते हैं। कौन हैं तीर्थ दास रहेजा? न्यू कॉलोनी पलवल निवासी तीर्थ दास रहेजा की उम्र 92 साल है। उनका जन्म 25 अक्टूबर 1932 को जिला डेरा गाजिखान तहसील जामपुर के नौसरा बैस्ट गांव में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में पड़ता है। आठवीं तक की पढ़ाई भी उन्होंने पाकिस्तान के नौसरा बैस्ट गांव में ही की थी। उसके बाद अक्टूबर 1947 को जब हिन्दुस्तान-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वे जालंधर आ गए। पंजाब में जालंधर से प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें अप्रैल 1948 को पलवल भेज दिया। पलवल में आकर उन्होंने 1952 में दसवीं पास किया और 1953 में करनाल से जेबीटी की। उस समय हरियाणा, पंजाब व हिमाचल एक थे और करनाल में ही जेबीटी केंद्र था। सितंबर 1953 में मेवात के नंदरायपुर बास स्कूल में वे जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए और 31 अक्टूबर 1990 में सेवानिवृत हो गए।
पानीपत में दुकानदार की हत्या:लेनदेन के विवाद में सांस थमने तक लाठी-डंडों से पीटा, कत्ल के बाद आरोपी फरार
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पुलिस की टीमें आरोपी की तलाश में जुटी
वारदात के बाद मौके पर पुलिस की टीमें पहुंची। जिनमें पुराना औद्योगिक थाना पुलिस, तीनों सीआइए यूनिट, साइबर एक्सपर्ट टीम शामिल रही। सभी टीमें हर एंगल पर मामले की जांच कर रही है। मौके पर पूछताछ से मिले कुछ इनपुट के आधार पर टीमें आरोपी की पहचान और तलाश में जुट गई है। साथ ही मौके के थाना डीएसपी भी पहुंचे। जिन्होंने टीमों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।