बंदी सिखों की रिहाई के लिए खालिस्तान समर्थक व खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह के पिता आज गोल्डन टेंपल पहुंचे। अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह के साथ करीब 35 ऐसे परिवार पहुंचे, जिन्हें अमृतपाल की गिरफ्तारी से पहले अरेस्ट किया गया था। उन्होंने अमृतपाल व बंदी सिखों के साथ उन्हें भी छुड़ाने की अरदास श्री अकाल तख्त साहिब पर की। तरसेम सिंह ने बताया कि आज श्री अकाल तख्त साहिब पर अरदास की है। जिस तरह गुरु महाराज ने 52 राजाओं को जेल मुक्त करवाया था, अरदास है कि उसी तरह जेल में बंद बंदी सिखों को भी रिहा किया जाए, जो जुल्म व हुक्म के खिलाफ हक-सच की लड़ाई लड़ी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान गलत बोल रहे हैं कि डिब्रूगढ़ की जेल में बंद अमृतपाल व अन्य साथियों के अलावा सभी को रिहा कर दिया गया है। पर उनके ध्यान में लाना चाह रहे थे कि 30-35 के करीब कुछ अभी भी हैं, जो जेलों में बंद हैं। इनमें से अधिकतर अजनाला पुलिस स्टेशन की घटना में भी शामिल नहीं थे। ऐसे में सीएम भगवंत मान गलत बयानबाजी ना करें, अगर वे अनजान हैं तो अपने अधिकारियों से रिपोर्ट मांगो। इस मामले में हो रही राजनीति तरसेम सिंह का कहना है कि अमृतपाल के साथ डिब्रूगढ़ जेल में बंद साथियों के अलावा अन्य बंदियों को रिहा करने के मामले में राजनीति हो रही है। छोटी-छोटी धाराओं के साथ जेलों में बंद युवाओं को डेढ़ डेढ़ साल से अधिक समय से छोड़ा नहीं गया। अगर 302 धारा में 6 महीनों में बेल मिल जाती है, लेकिन छोटी धाराओं में बेल नहीं दी जा रही। जज साहिबों पर भी क्या दबाव है कि वे उनकी बात सुनने के लिए भी तैयार नहीं हैं। हाईकोर्ट का भी रुख किया गया, लेकिन वहां भी जमानत नहीं मिली। बंदी सिखों की रिहाई के लिए खालिस्तान समर्थक व खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह के पिता आज गोल्डन टेंपल पहुंचे। अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह के साथ करीब 35 ऐसे परिवार पहुंचे, जिन्हें अमृतपाल की गिरफ्तारी से पहले अरेस्ट किया गया था। उन्होंने अमृतपाल व बंदी सिखों के साथ उन्हें भी छुड़ाने की अरदास श्री अकाल तख्त साहिब पर की। तरसेम सिंह ने बताया कि आज श्री अकाल तख्त साहिब पर अरदास की है। जिस तरह गुरु महाराज ने 52 राजाओं को जेल मुक्त करवाया था, अरदास है कि उसी तरह जेल में बंद बंदी सिखों को भी रिहा किया जाए, जो जुल्म व हुक्म के खिलाफ हक-सच की लड़ाई लड़ी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान गलत बोल रहे हैं कि डिब्रूगढ़ की जेल में बंद अमृतपाल व अन्य साथियों के अलावा सभी को रिहा कर दिया गया है। पर उनके ध्यान में लाना चाह रहे थे कि 30-35 के करीब कुछ अभी भी हैं, जो जेलों में बंद हैं। इनमें से अधिकतर अजनाला पुलिस स्टेशन की घटना में भी शामिल नहीं थे। ऐसे में सीएम भगवंत मान गलत बयानबाजी ना करें, अगर वे अनजान हैं तो अपने अधिकारियों से रिपोर्ट मांगो। इस मामले में हो रही राजनीति तरसेम सिंह का कहना है कि अमृतपाल के साथ डिब्रूगढ़ जेल में बंद साथियों के अलावा अन्य बंदियों को रिहा करने के मामले में राजनीति हो रही है। छोटी-छोटी धाराओं के साथ जेलों में बंद युवाओं को डेढ़ डेढ़ साल से अधिक समय से छोड़ा नहीं गया। अगर 302 धारा में 6 महीनों में बेल मिल जाती है, लेकिन छोटी धाराओं में बेल नहीं दी जा रही। जज साहिबों पर भी क्या दबाव है कि वे उनकी बात सुनने के लिए भी तैयार नहीं हैं। हाईकोर्ट का भी रुख किया गया, लेकिन वहां भी जमानत नहीं मिली। पंजाब | दैनिक भास्कर
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