हरियाणा की हिसार सीट पर BJP की टिकट को लेकर सीएम नायब सैनी सरकार के मंत्री कमल गुप्ता और कारोबारी जिंदल परिवार आमने-सामने है। इस बीच कुरूक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल ने दिल्ली में मुख्यमंत्री नायब सैनी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि नवीन जिंदल अपनी मां सावित्री जिंदल को चुनाव न लड़वाकर पत्नी शालू जिंदल या करीबी को चुनाव लड़वा सकते हैं। हालांकि जिंदल हाउस ऐसी किसी चर्चा से मना कर रहा है, जबकि गुप्ता खेमे का कहना है कि जिंदल हाउस ने चुनाव से कदम पीछे खींच लिए हैं। मगर भाजपा सूत्रों का दावा है कि हिसार की टिकट जिंदल हाउस के पास ही रहेगी। जिंदल हाउस ने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है और प्रचार भी शुरू कर दिया है। जिस तरह से कुरुक्षेत्र में नवीन जिंदल का चुनाव लड़ा गया, इसी तरह ही हिसार में भी वही टीम चुनाव प्रचार का जिम्मा उठाएगी। हिसार BJP की सेफ सीट
हिसार विधानसभा BJP की सेफ सीट मानी जाती है। डॉ. कमल गुप्ता यहां से 2 बार विधायक रह चुके हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में हिसार से भाजपा को 36605 की लीड मिली थी। इस कारण यहां दावेदारी जताने वालों में ऐसा नेता भी है जिनका धरातल पर कोई जनाधार भी नहीं है। मगर मौजूदा विधायक खुद के तैयार ग्राउंड पर किसी ओर को बैटिंग नहीं करना देना चाहते। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाने वाले डॉ. कमल गुप्ता ने अपनी दावेदारी को लेकर पूरी ताकत झोंक रखी है। मगर केंद्रीय मंत्री अमित शाह की सर्वे रिपोर्ट में मौजूदा विधायक की हालत खराब है। इस कारण उनका टिकट कटना तय माना जा रहा है। हिसार में दोनों नेताओं की दावेदारी मजबूत क्यों? कमल गुप्ता लगातार 2 चुनाव जीते, सावित्री जिंदल को भी हराया
कमल गुप्ता 2 बार हिसार सीट से चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने 2014 के बाद 2019 में भी लगातार चुनाव जीता। खास बात यह है कि 2014 में तो कमल गुप्ता ने सावित्री जिंदल को ही हराया था। उस समय सावित्री ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। चूंकि, गुप्ता सरकार में मंत्री हैं और सावित्री जिंदल को भी हरा चुके हैं, इसलिए वह मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। सावित्री जिंदल हिसार से 2 बार चुनाव जीत चुकीं, मंत्री भी रहीं
हिसार सीट पर सावित्री जिंदल का भी रसूख अच्छा है। वह 2 बार हिसार से चुनाव जीतकर विधायक बन चुकी हैं। पहला चुनाव उन्होंने 2005 में जीता था। तब उपचुनाव जीतकर वह भूपेंद्र हुड्डा की अगुआई वाली सरकार में शामिल हुई थीं। 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की। 2013 में भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था। गुप्ता-जिंदल परिवार में तनातनी के 3 उदाहरण 1. तिरंगा यात्रा में मंत्री ने सावित्री जिंदल का इंतजार नहीं किया
हाल ही में भाजपा की ओर से प्रदेश में तिरंगा यात्रा निकाली गई। हिसार विधानसभा में डॉ. कमल गुप्ता ने यात्रा की अगुआई की। इस यात्रा में सावित्री जिंदल देरी से पहुंचीं। जिंदल के आने से पहले ही कमल गुप्ता यात्रा लेकर आगे निकल पड़े। पूर्व मंत्री ने तिरंगा हाथ में लिया। फिर वह कुछ देर रुक कर वहां से नाराजगी जाहिर करते हुए निकल गईं। 2. मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का विरोध किया
हिसार के बस स्टैंड के शिफ्टिंग को लेकर भी दोनों में मतभेद नजर आए। कमल गुप्ता बस स्टैंड को शहर से बाहर शिफ्ट करना चाहते थे। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। बस स्टैंड शिफ्टिंग का व्यापारियों ने विरोध किया। सावित्री जिंदल की घर पर व्यापारियों की मीटिंग भी हुई। इसके बाद कमल गुप्ता नाराज हो गए और उन्हें प्रोजेक्ट टालना पड़ा। 3. एक-दूसरे को निमंत्रण नहीं भेज रहे
दोनों नेताओं के समर्थक अपने-अपने कार्यक्रमों में एक-दूसरे को निमंत्रण नहीं भेज रहे। ऐसे पार्षद और नेता जो सावित्री जिंदल के समर्थक थे और अब कमल गुप्ता के साथ हैं, वह गुप्ता से दूरी बनाए हुए हैं। कमल गुप्ता के समर्थक भी सावित्री जिंदल के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। दोनों नेता भी एक-दूसरे को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं कर रहे। हरियाणा की हिसार सीट पर BJP की टिकट को लेकर सीएम नायब सैनी सरकार के मंत्री कमल गुप्ता और कारोबारी जिंदल परिवार आमने-सामने है। इस बीच कुरूक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल ने दिल्ली में मुख्यमंत्री नायब सैनी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि नवीन जिंदल अपनी मां सावित्री जिंदल को चुनाव न लड़वाकर पत्नी शालू जिंदल या करीबी को चुनाव लड़वा सकते हैं। हालांकि जिंदल हाउस ऐसी किसी चर्चा से मना कर रहा है, जबकि गुप्ता खेमे का कहना है कि जिंदल हाउस ने चुनाव से कदम पीछे खींच लिए हैं। मगर भाजपा सूत्रों का दावा है कि हिसार की टिकट जिंदल हाउस के पास ही रहेगी। जिंदल हाउस ने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है और प्रचार भी शुरू कर दिया है। जिस तरह से कुरुक्षेत्र में नवीन जिंदल का चुनाव लड़ा गया, इसी तरह ही हिसार में भी वही टीम चुनाव प्रचार का जिम्मा उठाएगी। हिसार BJP की सेफ सीट
हिसार विधानसभा BJP की सेफ सीट मानी जाती है। डॉ. कमल गुप्ता यहां से 2 बार विधायक रह चुके हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में हिसार से भाजपा को 36605 की लीड मिली थी। इस कारण यहां दावेदारी जताने वालों में ऐसा नेता भी है जिनका धरातल पर कोई जनाधार भी नहीं है। मगर मौजूदा विधायक खुद के तैयार ग्राउंड पर किसी ओर को बैटिंग नहीं करना देना चाहते। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाने वाले डॉ. कमल गुप्ता ने अपनी दावेदारी को लेकर पूरी ताकत झोंक रखी है। मगर केंद्रीय मंत्री अमित शाह की सर्वे रिपोर्ट में मौजूदा विधायक की हालत खराब है। इस कारण उनका टिकट कटना तय माना जा रहा है। हिसार में दोनों नेताओं की दावेदारी मजबूत क्यों? कमल गुप्ता लगातार 2 चुनाव जीते, सावित्री जिंदल को भी हराया
कमल गुप्ता 2 बार हिसार सीट से चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने 2014 के बाद 2019 में भी लगातार चुनाव जीता। खास बात यह है कि 2014 में तो कमल गुप्ता ने सावित्री जिंदल को ही हराया था। उस समय सावित्री ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। चूंकि, गुप्ता सरकार में मंत्री हैं और सावित्री जिंदल को भी हरा चुके हैं, इसलिए वह मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। सावित्री जिंदल हिसार से 2 बार चुनाव जीत चुकीं, मंत्री भी रहीं
हिसार सीट पर सावित्री जिंदल का भी रसूख अच्छा है। वह 2 बार हिसार से चुनाव जीतकर विधायक बन चुकी हैं। पहला चुनाव उन्होंने 2005 में जीता था। तब उपचुनाव जीतकर वह भूपेंद्र हुड्डा की अगुआई वाली सरकार में शामिल हुई थीं। 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की। 2013 में भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था। गुप्ता-जिंदल परिवार में तनातनी के 3 उदाहरण 1. तिरंगा यात्रा में मंत्री ने सावित्री जिंदल का इंतजार नहीं किया
हाल ही में भाजपा की ओर से प्रदेश में तिरंगा यात्रा निकाली गई। हिसार विधानसभा में डॉ. कमल गुप्ता ने यात्रा की अगुआई की। इस यात्रा में सावित्री जिंदल देरी से पहुंचीं। जिंदल के आने से पहले ही कमल गुप्ता यात्रा लेकर आगे निकल पड़े। पूर्व मंत्री ने तिरंगा हाथ में लिया। फिर वह कुछ देर रुक कर वहां से नाराजगी जाहिर करते हुए निकल गईं। 2. मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का विरोध किया
हिसार के बस स्टैंड के शिफ्टिंग को लेकर भी दोनों में मतभेद नजर आए। कमल गुप्ता बस स्टैंड को शहर से बाहर शिफ्ट करना चाहते थे। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। बस स्टैंड शिफ्टिंग का व्यापारियों ने विरोध किया। सावित्री जिंदल की घर पर व्यापारियों की मीटिंग भी हुई। इसके बाद कमल गुप्ता नाराज हो गए और उन्हें प्रोजेक्ट टालना पड़ा। 3. एक-दूसरे को निमंत्रण नहीं भेज रहे
दोनों नेताओं के समर्थक अपने-अपने कार्यक्रमों में एक-दूसरे को निमंत्रण नहीं भेज रहे। ऐसे पार्षद और नेता जो सावित्री जिंदल के समर्थक थे और अब कमल गुप्ता के साथ हैं, वह गुप्ता से दूरी बनाए हुए हैं। कमल गुप्ता के समर्थक भी सावित्री जिंदल के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। दोनों नेता भी एक-दूसरे को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं कर रहे। हरियाणा | दैनिक भास्कर