‘भाजपा ने 400 पार का हव्वा बनाया हुआ था, वह खत्म हो गया। हरियाणा में जो 10 साल में हुआ, इन्हें पता लग गया। इसलिए इन्होंने मुख्यमंत्री बदला। इसके बाद भी पार्टी को मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के अलग-अलग स्वर सुनने को मिल रहे हैं। इन लोगों में तालमेल की कमी है, ये क्या राज देंगे।’ यह बात कांग्रेस महासचिव और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने कही। हरियाणा में कांग्रेस के CM फेस पर कुमारी सैलजा ने कहा कि आखिरी वर्ड हाईकमान का होगा। यही टिकट वितरण में होता है और यही मुख्यमंत्री के नाम पर भी होगा। दैनिक भास्कर से कुमारी सैलजा ने सांसदों के चुनाव लड़ने, हुड्डा पिता-पुत्र की पार्टी में चलने, किरण चौधरी के भाजपा में जाने समेत अन्य चीजों पर खुलकर बातचीत की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… भास्कर : हरियाणा में चुनाव को लेकर तैयारियां कैसी चल रही हैं? सैलजा : तैयारी पूरी है। कांग्रेस की भी तैयारी है और हरियाणावासियों की भी तैयारी पूरी है। भास्कर : क्या यह तय माना जाए कि आप विधानसभा चुनाव लड़ेंगी? सैलजा : नहीं-नहीं, यह तय नहीं होता। मैने इच्छा जाहिर की थी और साथ में ये भी कहा था कि हाईकमान ही इसका फैसला करेगा। वो बताएंगे कि चुनाव लड़ना है या नहीं। भास्कर : हरियाणा में कांग्रेस 10 साल से सत्ता से बाहर है। आपके हिसाब से इसकी वजहें क्या रहीं? सैलजा : 2 बार जैसे केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। लोगों को बरगलाकर सब्जबाग दिखाते थे, जुमलेबाजी करते थे। ये मत भूलिए केंद्र में सरकार होने के बावजूद पहली बार इनकी 46-47 सीटें आई थीं। बहुमत मार्जिन से थोड़ा ऊपर। इसके बाद 75 पार का नारा देने के बावजूद इनकी केवल 40 सीटें आईं और दूसरे के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाई। पिछली बार तो इनको सरकार बनाने का मैंडेट नहीं मिला था। जनता ने 10 साल इनकी कार्यशैली देखी है, जमीन पर कुछ काम नहीं हुए। वैसे भी इनका लोगों के साथ कोई जुड़ाव नहीं है, कोई कनेक्ट नहीं है। जहां भी जाएंगे, स्थानीय बातें भी हैं, राज्य और राष्ट्रीय बातें भी हैं। इन्होंने एक केंद्र का हव्वा बनाया हुआ था 400 पार का, वो खत्म हो गया है। इनकी बातें खोखली साबित रहीं। हरियाणा में खासतौर पर जो 10 साल में हुआ, शायद इन्हें भी इस चीज का पता लगा होगा, जो इन्होंने मुख्यमंत्री बदले। इसके बाद भी इन्होंने देख लिया कि कैसे रोज इनके अलग-अलग से स्वर सुनने में आते हैं। इनके प्रदेश अध्यक्ष कुछ कह रहे हैं और मुख्यमंत्री जी कुछ कह रहे हैं। इसमें तालमेल की भारी कमी दिख रही है, तो ये क्या राज देंगे?। भास्कर : प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने पहले कहा कि सांसद चुनाव नहीं लड़ेंगे। फिर कहा कि सीएम चुने गए विधायकों में से होगा। फिर वह बोले कि CM कोई भी हो सकता है। ये इतना सारा कन्फ्यूजन क्यों है? सैलजा : देखो ये बात तो आप उन्हीं से पूछिए, लेकिन ये तो हमारी पार्टी का सिस्टम है कि फाइनल वर्ड तो हाईकमान का ही होता है, चाहे टिकट वितरण की बात हो या मुख्यमंत्री की बात हो। सबसे अहम बात हो जाती है, जब राज्य में सरकार बनने जा रही हो। यह राजनीतिक फैसला होता है और हाईकमान ही सभी पहलुओं को देखते हुए अपना फैसला देता है। भास्कर : विपक्षी कहते हैं कि कांग्रेस में सिर्फ हुड्डा बाप-बेटे की चल रही है। प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष भी उन्हीं के पक्ष वाले हैं। ऐसे में तो टिकट बंटवारे में उन्हीं की चलेगी? जैसी लोकसभा चुनाव में चली। सैलजा : देखिए, ऐसी कोई बात नहीं है। हमारी स्क्रीनिंग कमेटी अपना कार्य कर रही है। हमारी केंद्रीय चुनाव समिति सब बातें देखते हुए काम कर रही है। राज्य में 90 सीट हैं, और 90 पर पूरा गहरा मंथन करते हुए ही फैसला होगा। भास्कर : क्या आप मानती हैं कि अगर लोकसभा चुनाव में टिकट बांटते समय सभी पक्षों को सुना जाता तो कांग्रेस हरियाणा में कुछ और सीटें जीत सकती थी? सैलजा : ये पुरानी बात हो गई। अब हम इस चुनाव में हैं और इस चुनाव की बात कर रहे हैं। भास्कर : किरण चौधरी कांग्रेस में आपकी करीबी थीं। भाजपा ने उन्हें 2 महीने में राज्यसभा भेज दिया। आपको लगता है कि भाजपा में उनका सियासी फ्यूचर अच्छा रहेगा? सैलजा : देखो, अब वो दूसरी पार्टी में चली गई हैं और वो अपना भविष्य वहीं पर देख रही हैं। पार्टी में रहती तो बेहतर होता। इसमें दोराय नहीं है, लेकिन उन्होंने जो फैसला किया है वो उनका राजनीतिक फैसला है। भास्कर : हुड्डा पर रोहतक के लिए दूसरे इलाकों की अनदेखी का आरोप राव इंद्रजीत भी लगाते रहे और इसी वजह से वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे। अब किरण चौधरी ने भी कहा है कि हुड्डा की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार में भिवानी से पाकिस्तान जैसा सलूक हुआ। क्या सिरसा-अंबाला के लिए आप भी ऐसा कुछ मानती हैं? सैलजा : देखो, अब हमें 10 साल बीत गए हैं। अगले 10 साल की सोचनी है। आगे के 10 साल में पूरे हरियाणा के बारे में, हरियाणावासियों के बारे में सोचना है। जो 10 साल भाजपा का कुशासन रहा और पूरा हरियाणा जिस तरह से पिछड़ गया, उससे अब हमें आगे बढ़ना है। हरियाणा को आगे बढ़ाना है। नौकरी, रोजगार, अच्छी शिक्षा हमारे हरियाणा को मिले, हरियाणा के युवाओं को मिले, इन सब चीजों की ओर आने वाले समय में ध्यान देना है। भास्कर : जजपा के पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने आपकी मदद की, लेकिन प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने उनको टिकट से इनकार कर दिया और प्रदेश अध्यक्ष से मिलने को कह दिया। सैलजा : देखो, ये तो पार्टी की अंदरूनी बातें है, इसको हम पार्टी के प्लेटफॉर्म पर लाएंगे। भास्कर : आपने सवाल उठाया कि प्रदेश में अनुसूचित जाति से आने वाला कोई शख्स सीएम क्यों नहीं बन सकता। क्या आप सीएम कुर्सी के लिए अपना दावा पेश कर रही हैं? सैलजा : मैंने सवाल नहीं उठाया। मुझसे सवाल पूछा गया तो मैंने कहा कि किसी भी 36 बिरादरी में से कोई भी हो सकता है। चाहे दलित हो या कोई भी हो, वो तो पार्टी हाईकमान फैसला करती है। भास्कर : अंबाला सिटी और कैंट सीट से कांग्रेस में चर्चा है कि अंबाला से निर्मल सिंह और कैंट से उनकी बेटी टिकट की दावेदार हैं। क्या एक ही परिवार में दो टिकट देने चाहिए या ये गलत है। आप क्या कहेंगी? सैलजा : 90 सीटों पर चर्चाएं चल रही है। बाजार गर्म है, लेकिन अभी प्रक्रिया चल रही है। स्क्रीनिंग कमेटी की और जैसा मैंने कहा कि हाईकमान तक बातें जाएंगी और अंतिम फैसला वहां किया जाएगा। 2500 से ज्यादा आवेदन आएं हैं, तो बहुत से दावे चलते हैं। भास्कर : जो नेता 2 या उससे ज्यादा बार चुनाव हार चुके हैं। आपका क्या मानना है, उन्हें टिकट देने चाहिए? या नए चेहरों को मौका मिलना चाहिए? सैलजा : ये पैमाने स्क्रीनिंग कमेटी तय कर रही है। भास्कर : कांग्रेस के टिकट बहुत लेट आते हैं। ऐसे में उम्मीदवारों, न बागियों को मनाने का मौका मिल पाता है और न बाकी तैयारियां कर पाते हैं। आपको नहीं लगता कि कांग्रेस अगर अपने टिकट जल्दी अनाउंस कर दे तो कैंडिडेट्स ज्यादा बेहतर तरीके से चुनाव लड़ पाएंगे? सैलजा : ऐसी कोई बात नहीं है। उचित समय पर उचित फैसले होते हैं। हमारे यहां पूरा प्रोसेस है। हमारी एक डेमोक्रेटिक पार्टी है। पूरा प्रोसेस देखते हुए फैसला समय पर हो जाता है। दो-चार बातें ऐसी होती हैं, जिस पर कभी-कभी राजनीतिक फैसले लेने होते हैं, ये हर पार्टी में होता है। ‘भाजपा ने 400 पार का हव्वा बनाया हुआ था, वह खत्म हो गया। हरियाणा में जो 10 साल में हुआ, इन्हें पता लग गया। इसलिए इन्होंने मुख्यमंत्री बदला। इसके बाद भी पार्टी को मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के अलग-अलग स्वर सुनने को मिल रहे हैं। इन लोगों में तालमेल की कमी है, ये क्या राज देंगे।’ यह बात कांग्रेस महासचिव और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने कही। हरियाणा में कांग्रेस के CM फेस पर कुमारी सैलजा ने कहा कि आखिरी वर्ड हाईकमान का होगा। यही टिकट वितरण में होता है और यही मुख्यमंत्री के नाम पर भी होगा। दैनिक भास्कर से कुमारी सैलजा ने सांसदों के चुनाव लड़ने, हुड्डा पिता-पुत्र की पार्टी में चलने, किरण चौधरी के भाजपा में जाने समेत अन्य चीजों पर खुलकर बातचीत की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… भास्कर : हरियाणा में चुनाव को लेकर तैयारियां कैसी चल रही हैं? सैलजा : तैयारी पूरी है। कांग्रेस की भी तैयारी है और हरियाणावासियों की भी तैयारी पूरी है। भास्कर : क्या यह तय माना जाए कि आप विधानसभा चुनाव लड़ेंगी? सैलजा : नहीं-नहीं, यह तय नहीं होता। मैने इच्छा जाहिर की थी और साथ में ये भी कहा था कि हाईकमान ही इसका फैसला करेगा। वो बताएंगे कि चुनाव लड़ना है या नहीं। भास्कर : हरियाणा में कांग्रेस 10 साल से सत्ता से बाहर है। आपके हिसाब से इसकी वजहें क्या रहीं? सैलजा : 2 बार जैसे केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। लोगों को बरगलाकर सब्जबाग दिखाते थे, जुमलेबाजी करते थे। ये मत भूलिए केंद्र में सरकार होने के बावजूद पहली बार इनकी 46-47 सीटें आई थीं। बहुमत मार्जिन से थोड़ा ऊपर। इसके बाद 75 पार का नारा देने के बावजूद इनकी केवल 40 सीटें आईं और दूसरे के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाई। पिछली बार तो इनको सरकार बनाने का मैंडेट नहीं मिला था। जनता ने 10 साल इनकी कार्यशैली देखी है, जमीन पर कुछ काम नहीं हुए। वैसे भी इनका लोगों के साथ कोई जुड़ाव नहीं है, कोई कनेक्ट नहीं है। जहां भी जाएंगे, स्थानीय बातें भी हैं, राज्य और राष्ट्रीय बातें भी हैं। इन्होंने एक केंद्र का हव्वा बनाया हुआ था 400 पार का, वो खत्म हो गया है। इनकी बातें खोखली साबित रहीं। हरियाणा में खासतौर पर जो 10 साल में हुआ, शायद इन्हें भी इस चीज का पता लगा होगा, जो इन्होंने मुख्यमंत्री बदले। इसके बाद भी इन्होंने देख लिया कि कैसे रोज इनके अलग-अलग से स्वर सुनने में आते हैं। इनके प्रदेश अध्यक्ष कुछ कह रहे हैं और मुख्यमंत्री जी कुछ कह रहे हैं। इसमें तालमेल की भारी कमी दिख रही है, तो ये क्या राज देंगे?। भास्कर : प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने पहले कहा कि सांसद चुनाव नहीं लड़ेंगे। फिर कहा कि सीएम चुने गए विधायकों में से होगा। फिर वह बोले कि CM कोई भी हो सकता है। ये इतना सारा कन्फ्यूजन क्यों है? सैलजा : देखो ये बात तो आप उन्हीं से पूछिए, लेकिन ये तो हमारी पार्टी का सिस्टम है कि फाइनल वर्ड तो हाईकमान का ही होता है, चाहे टिकट वितरण की बात हो या मुख्यमंत्री की बात हो। सबसे अहम बात हो जाती है, जब राज्य में सरकार बनने जा रही हो। यह राजनीतिक फैसला होता है और हाईकमान ही सभी पहलुओं को देखते हुए अपना फैसला देता है। भास्कर : विपक्षी कहते हैं कि कांग्रेस में सिर्फ हुड्डा बाप-बेटे की चल रही है। प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष भी उन्हीं के पक्ष वाले हैं। ऐसे में तो टिकट बंटवारे में उन्हीं की चलेगी? जैसी लोकसभा चुनाव में चली। सैलजा : देखिए, ऐसी कोई बात नहीं है। हमारी स्क्रीनिंग कमेटी अपना कार्य कर रही है। हमारी केंद्रीय चुनाव समिति सब बातें देखते हुए काम कर रही है। राज्य में 90 सीट हैं, और 90 पर पूरा गहरा मंथन करते हुए ही फैसला होगा। भास्कर : क्या आप मानती हैं कि अगर लोकसभा चुनाव में टिकट बांटते समय सभी पक्षों को सुना जाता तो कांग्रेस हरियाणा में कुछ और सीटें जीत सकती थी? सैलजा : ये पुरानी बात हो गई। अब हम इस चुनाव में हैं और इस चुनाव की बात कर रहे हैं। भास्कर : किरण चौधरी कांग्रेस में आपकी करीबी थीं। भाजपा ने उन्हें 2 महीने में राज्यसभा भेज दिया। आपको लगता है कि भाजपा में उनका सियासी फ्यूचर अच्छा रहेगा? सैलजा : देखो, अब वो दूसरी पार्टी में चली गई हैं और वो अपना भविष्य वहीं पर देख रही हैं। पार्टी में रहती तो बेहतर होता। इसमें दोराय नहीं है, लेकिन उन्होंने जो फैसला किया है वो उनका राजनीतिक फैसला है। भास्कर : हुड्डा पर रोहतक के लिए दूसरे इलाकों की अनदेखी का आरोप राव इंद्रजीत भी लगाते रहे और इसी वजह से वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे। अब किरण चौधरी ने भी कहा है कि हुड्डा की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार में भिवानी से पाकिस्तान जैसा सलूक हुआ। क्या सिरसा-अंबाला के लिए आप भी ऐसा कुछ मानती हैं? सैलजा : देखो, अब हमें 10 साल बीत गए हैं। अगले 10 साल की सोचनी है। आगे के 10 साल में पूरे हरियाणा के बारे में, हरियाणावासियों के बारे में सोचना है। जो 10 साल भाजपा का कुशासन रहा और पूरा हरियाणा जिस तरह से पिछड़ गया, उससे अब हमें आगे बढ़ना है। हरियाणा को आगे बढ़ाना है। नौकरी, रोजगार, अच्छी शिक्षा हमारे हरियाणा को मिले, हरियाणा के युवाओं को मिले, इन सब चीजों की ओर आने वाले समय में ध्यान देना है। भास्कर : जजपा के पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने आपकी मदद की, लेकिन प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने उनको टिकट से इनकार कर दिया और प्रदेश अध्यक्ष से मिलने को कह दिया। सैलजा : देखो, ये तो पार्टी की अंदरूनी बातें है, इसको हम पार्टी के प्लेटफॉर्म पर लाएंगे। भास्कर : आपने सवाल उठाया कि प्रदेश में अनुसूचित जाति से आने वाला कोई शख्स सीएम क्यों नहीं बन सकता। क्या आप सीएम कुर्सी के लिए अपना दावा पेश कर रही हैं? सैलजा : मैंने सवाल नहीं उठाया। मुझसे सवाल पूछा गया तो मैंने कहा कि किसी भी 36 बिरादरी में से कोई भी हो सकता है। चाहे दलित हो या कोई भी हो, वो तो पार्टी हाईकमान फैसला करती है। भास्कर : अंबाला सिटी और कैंट सीट से कांग्रेस में चर्चा है कि अंबाला से निर्मल सिंह और कैंट से उनकी बेटी टिकट की दावेदार हैं। क्या एक ही परिवार में दो टिकट देने चाहिए या ये गलत है। आप क्या कहेंगी? सैलजा : 90 सीटों पर चर्चाएं चल रही है। बाजार गर्म है, लेकिन अभी प्रक्रिया चल रही है। स्क्रीनिंग कमेटी की और जैसा मैंने कहा कि हाईकमान तक बातें जाएंगी और अंतिम फैसला वहां किया जाएगा। 2500 से ज्यादा आवेदन आएं हैं, तो बहुत से दावे चलते हैं। भास्कर : जो नेता 2 या उससे ज्यादा बार चुनाव हार चुके हैं। आपका क्या मानना है, उन्हें टिकट देने चाहिए? या नए चेहरों को मौका मिलना चाहिए? सैलजा : ये पैमाने स्क्रीनिंग कमेटी तय कर रही है। भास्कर : कांग्रेस के टिकट बहुत लेट आते हैं। ऐसे में उम्मीदवारों, न बागियों को मनाने का मौका मिल पाता है और न बाकी तैयारियां कर पाते हैं। आपको नहीं लगता कि कांग्रेस अगर अपने टिकट जल्दी अनाउंस कर दे तो कैंडिडेट्स ज्यादा बेहतर तरीके से चुनाव लड़ पाएंगे? सैलजा : ऐसी कोई बात नहीं है। उचित समय पर उचित फैसले होते हैं। हमारे यहां पूरा प्रोसेस है। हमारी एक डेमोक्रेटिक पार्टी है। पूरा प्रोसेस देखते हुए फैसला समय पर हो जाता है। दो-चार बातें ऐसी होती हैं, जिस पर कभी-कभी राजनीतिक फैसले लेने होते हैं, ये हर पार्टी में होता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
लोकसभा चुनाव हारने के बाद JJP को बड़ा झटका:सोनीपत से लोकसभा प्रत्याशी भूपेंद्र मलिक और चेयरमैन रहे पवन खरखौदा BJP में शामिल
लोकसभा चुनाव हारने के बाद JJP को बड़ा झटका:सोनीपत से लोकसभा प्रत्याशी भूपेंद्र मलिक और चेयरमैन रहे पवन खरखौदा BJP में शामिल हरियाणा में लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद जननायक जनता पार्टी (JJP) को चुनावी नतीजे आने के एक सप्ताह बाद के अंदर दो बड़े झटके लगे हैं। सोनीपत से JJP के उम्मीदवार रहे भूपेंद्र मलिक और खरखोदा विधानसभा सीट से जेजेपी उम्मीदवार रहे पूर्व चेयरमैन पवन खरखौदा ने पार्टी को अलविदा कहकर BJP ज्वाइन कर ली है। दोनों नेता चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अगुवाई में भाजपा में शामिल हुए हैं। दोनों नेताओं ने मतगणना के अगले ही दिन जजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।
भूपेंद्र सिंह मलिक ने सोनीपत से हाल ही में लोकसभा का चुनाव लड़ा था और उनकी जमानत जब्त हो गई थी। भूपेंद्र मलिक को चुनाव में 7820 वोट मिले थे। वह करीब 540862 वोटों से कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी से हारे थे। इस चुनाव में वह पांचवें नंबर पर रहे। कांग्रेस से JJP में आए थे भूपेंद्र मलिक बता दें कि भूपेंद्र मलिक इससे पहले कांग्रेस में थे। उन्होंने वर्ष 2019 में जजपा का दामन थामकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। वो तीसरे स्थान पर रहे थे। गांव भैंसवाल कलां निवासी भूपेंद्र मलिक का पैतृक गांव बरोदा विधानसभा में हैं। वर्तमान में वह परिवार के साथ गोहाना में पार्क रोड पर रहते हैं। कांग्रेस में रहते हुए उनके व उनके परिवार के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार के साथ नजदीकी संबंध थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उनको मार्केट कमेटी गोहाना का चेयरमैन बनाया था। भूपेंद्र मलिक ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बरोदा सीट पर टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस छोड़ दी थी। हरियाणा में 10 सीटों पर जमानत नहीं बचा पाई JJP
हरियाणा में इनेलो पार्टी से अलग होकर बनी जननायक जनता पार्टी (JJP) इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है। 2019 में सत्ता की चाबी हाथ में लेकर चलने वाली JJP को हरियाणा के लोकसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी और 10 की 10 लोकसभा सीटों पर ना केवल हार हुई बल्कि जमानत भी जब्त हो गई।
जजपा का वोट शेयर पूरे हरियाणा में 0.87 प्रतिशत रहा, जो बसपा और इनेलो से भी कम है। पूरे हरियाणा में पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। यह हाल तब रहा जब हरियाणा में उप मुख्यमंत्री पद जैसे कई बड़े विभाग JJP के पास थे। जजपा के प्रदेशाध्यक्ष छोड़ चुके हैं पार्टी आपको बता दें कि हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले JJP में बगावत शुरू हो गई थी। प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह भी पार्टी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वहीं इसके अलावा जजपा की राष्ट्रीय महासचिव और नारनौल नगर परिषद की चेयरपर्सन कमलेश सैनी ने भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद JJP की प्रदेश महासचिव रेखा शाक्य ने भी पार्टी को अलविदा कर दिया था। वहीं JJP प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र लेगा ने भी चुनाव से पहले पार्टी को गुड-बाय बोल दिया था। फतेहाबाद में पार्टी की प्रदेश महिला सचिव ममता कटारिया सहित अनेक नेता पार्टी को पूर्व में अलविदा कर चुके हैं। जजपा की सभी इकाइयां हो चुकी भंग जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने अपनी सभी प्रमुख इकाइयों भंग हो चुकी है। जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला ने पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श के बाद तीन दिन पहले महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। जेजेपी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी, प्रदेश कार्यकारिणी, सभी जिला और हलका स्तर की कार्यकारिणी को तुरंत प्रभाव से भंग कर दिया है। हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों की कार्यकारिणी के पदाधिकारियों को भी उनके पदों से मुक्त कर दिया गया है। अब जेजेपी जल्द ही नए पदाधिकारियों की घोषणा करेगी। जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला ने कहा कि जेजेपी अपने संगठन में बदलाव कर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेगी।
हरियाणा में खिलाड़ियों को नौकरी पर दीपेंद्र से भिड़ीं बबीता:बोलीं- मैं DSP डिजर्व करती थी, सब इंस्पेक्टर बनाया; गीता फोगाट को कोर्ट जाना पड़ा
हरियाणा में खिलाड़ियों को नौकरी पर दीपेंद्र से भिड़ीं बबीता:बोलीं- मैं DSP डिजर्व करती थी, सब इंस्पेक्टर बनाया; गीता फोगाट को कोर्ट जाना पड़ा हरियाणा की दंगल गर्ल व भाजपा नेता बबीता फोगाट खिलाड़ियों को नौकरी देने पर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा से भिड़ गईं। संसद में दीपेंद्र हुड्डा ने भाजपा सरकार पर खिलाड़ियों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। जिस पर बबीता फोगोट ने भी सोशल मीडिया अकाउंट X (पूर्व ट्विटर ) पर पोस्ट डालकर पलटवार किया। उन्होंने भी कांग्रेस पर खिलाड़ियों से भेदभाव करने का आरोप लगाया। बबीता ने कहा कि पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने नजदीकियों को नौकरियां दी। इस दौरान उन्होंने अपनी और बहन की नौकरी का भी जिक्र किया। बबीता फोगाट की पोस्ट… अब विस्तार से पढ़िए दोनों नेताओं ने क्या कहा… दीपेंद्र हुड्डा बोले- भाजपा ने हुड्डा सरकार की नीति रोकी
22 जुलाई को संसद में सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार में खिलाड़ियों से भेदभाव हो रहा है। कांग्रेस की सरकार में जो खिलाड़ियों को मान-सम्मान मिलता था वह नहीं मिल रहा। खिलाड़ियों को नौकरी नहीं मिल रही। ग्रुप C और D में नौकरी नहीं दी जा रही। कांग्रेस की हुड्डा सरकार की जो ‘पदक लाओ, पद पाओ’ की नीति थी, दुर्भाग्य से पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार ने इस नीति को रोक दिया। हरियाणा सरकार ने पिछले ओलिंपिक पदक विजेता खिलाड़ियों को अब तक कोई नियुक्ति नहीं दी है। दीपेंद्र ने कहा कि हमारी बेटी साक्षी मलिक को आज तक हरियाणा में नौकरी नहीं मिली है। यहां तक खिलाड़ियों को कैश अवॉर्ड भी नहीं दिया गया है। बबीता ने X पर पोस्ट कर कहा- गुमराह करना बंद करो
दीपेंद्र हुड्डा के इस बयान के बाद बबीता फोगाट ने पलटवार किया। उन्होंने X पर लिखा- दीपेंद्र भाई आपने झूठे तथ्य रखकर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर एवं उन अन्य महान विभूतियों को अपमानित करने का काम किया है, जिन्होंने सदन व संविधान की गरिमा की खातिर अपना जीवन समर्पित किया। इसलिए लोकतंत्र के मंदिर सदन को गुमराह करना बंद कीजिए। आपने फोगाट बहनों के साथ नौकरी देने में न्याय नहीं किया था। मैं DSP की जॉब डिजर्व करती थी पर आपके पिताजी और आपकी कांग्रेस सरकार ने मुझे सब इंस्पेक्टर की नौकरी दी , मेरी बहन गीता फोगाट को न्यायिक व्यवस्था का सहारा लेना पड़ा। तब उसे DSP की नौकरी मिली। वहीं जो लोग आपके नजदीकी थे या जिनके साथ आपका उठना बैठना था उन्हें आपने नौकरी दी, लेकिन अन्य खिलाड़ियों के साथ हमेशा अन्याय हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद से खेल और खिलाड़ियों को वास्तविक में सम्मान मिलना शुरू हुआ है। फोगाट बहनों ने कोर्ट में लड़ी थी नौकरी के लिए लड़ाई
बता दें कि गीता फोगाट को हुड्डा सरकार ने SI की नौकरी दी थी, जबकि गीता फोगाट के दौर के खिलाड़ियों को DSP पद दिया था। इसके बाद गीता फोगाट ने कोर्ट का रुख किया था।
इसी तरह बबीता फोगाट को भी SI की नौकरी मिली थी। दोनों बहनों को भाजपा सरकार में उच्च पद पर नौकरी मिली। गीता फोगाट DSP बनी और बबीता फोगाट को स्पोर्ट्स में डिप्टी डायरेक्टर बनाया गया। इसके बाद 2019 में बबीता ने इस पद से इस्तीफा देकर राजनीति में एंट्री की थी। वहीं गीता फोगाट आज भी DSP के पद पर काबिज हैं। गीता और बबीता फोगाट की अब तक की उपलब्धियां
गीता फोगाट ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में गोल्ड मेडल जीता। कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप 2009 व 2011 में गोल्ड और 2013 में एक सिल्वर मेडल जीता है। वर्ल्ड चैम्पियनशिप 2012 में एक ब्रॉन्ज व एशियन चैम्पियनशिप 2012 व 2015 में ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। बबीता ने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला सिल्वर मेडल जीता था। उसके बाद कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में गोल्ड मेडल और 2018 में सिल्वर मेडल जीता। वर्ल्ड चैम्पियनशिप 2012 में ब्रॉन्ज मेडल जीता। एशियन चैम्पियनशिप 2013 में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता और 2016 में रियो ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। चरखी दादरी में सक्रिय बबीता फोगाट
बबीता फोगाट इन दिनों चरखी दादरी में सक्रिय हैं। वह डोर-टू-डोर कैंपेन कर रही हैं। वह भाजपा से चरखी दादरी से टिकट की दावेदार हैं। 2019 विधानसभा में भी चरखी दादरी से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। इस दौरान वह तीसरे नंबर पर रही थीं। निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने उनको हराया था। अब फिर से बबीता चरखी दादरी विधानसभा से तैयारी कर रही हैं।
जींद में हादसे में 2 युवकों की मौत:बारिश से बचने के लिए रोड किनारे खड़े थे; तेज रफ्तार कार ने मारी टक्कर
जींद में हादसे में 2 युवकों की मौत:बारिश से बचने के लिए रोड किनारे खड़े थे; तेज रफ्तार कार ने मारी टक्कर हरियाणा के जींद में पानीपत रोड पर सफीदों क्षेत्र की सीमा के पास एक डस्टर कार ने खड़ी बाइक में टक्कर मार दी। हादसे में बाइक पर सवार दो युवकों की मौत हो गई। मृतक युवकों की पहचान सफीदों उपमंडल के गांव सिंघपुरा निवासी विकास (22) व गांव अरड़ाना (असंध) निवासी अजय (21) के रूप में हुई है। इस घटना में कार में सवार भी घायल बताए जा रहे हैं। मृतकों के शव के पानीपत के सामान्य अस्पताल के शवगृह में रखवा दिए गए हैं। शुक्रवार सुबह दोनों के शवों का पोस्टमार्टम होगा। दोनों युवक गांव नारा स्थित एक कालेज के विद्यार्थी बताए जाते हैं। जानकारी के अनुसार वीरवार शाम साढ़े 5 बजे बूंदाबांदी हो रही थी। बूंदाबांदी से बचने के लिए दोनों युवक सड़क किनारे बाइक रोककर खड़े हुए थे। इसी दौरान तेज रफ्तार से डस्टर कार आई और दोनों युवकों को जबरदस्त टक्कर दे मारी। जिसके बाद डस्टर कार एक पेड़ को तोड़ते हुए सड़क किनारे खेतों में जा घुसी और कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। राहगीरों के द्वारा डस्टर कार में सवारों को पानीपत ले जाया गया। वहीं दोनों बाइक सवार दोनों युवकों को भी इलाज के लिए पानीपत ले जाया गया था, जहां पर डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। दोनों युवक गांव नारा स्थित परशुराम कालेज में पढ़ते थे और एनसीसी में कैडेट्स थे। विकास की मौत के बाद गांव सिंघपुरा में मातम पसर गया है और परिवार को ढांढस बंधाने के लिए गांव वालों का तांता लग गया है। मृतक विकास का परिवार बेहद गरीबी की हालत में है। विकास के पिता की कई वर्ष पहले मौत हो चुकी है।