झांसी की प्रोफेसर शहनाज को मिला राष्ट्रपति पुरस्कार:फाइनल राउंड में देश के 106 टीचर थे, सिर्फ 16 को ये सम्मान मिलेगा

झांसी की प्रोफेसर शहनाज को मिला राष्ट्रपति पुरस्कार:फाइनल राउंड में देश के 106 टीचर थे, सिर्फ 16 को ये सम्मान मिलेगा

झांसी के BIET की प्रोफेसर डॉ. शहनाज अयूब को देश के सबसे बड़े शिक्षक सम्मान ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’ से नवाजा गया है। उनको ये अवॉर्ड आज विज्ञान भवन, दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रदान करेंगी। इस अवार्ड को पाने के लिए देशभर के हजारों टीचरों ने आवेदन किए थे। इसमें से 106 टीचर को शॉर्टलिस्ट किया गया था। उनके इंटरव्यू हुए। 35 टीचर को ये अवॉर्ड दिया जाना था, मगर मानक पर 16 टीचर ही खरे उतर पाए। आज शिक्षक दिवस पर इन 16 टीचर को राष्ट्रपति अवॉर्ड प्रदान करेंगी। 16 में से दो टीचर यूपी के हैं। दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने डॉ. शहनाज से फोन पर बात की, जानिए अवॉर्ड मिलने के 3 बड़े कारण 1.) पढ़ाने का तरीका, सबसे अनोखा
बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (BIET) के इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार अभियांत्रिकी विभाग में डॉ. शहनाज अयूब प्रोफेसर हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने बताया- मेरा पढ़ाने का तरीका सबसे अलग है। मैं प्रोजेक्ट बेस लर्निंग अपनाती हूं। मतलब- अगर थ्योरी का भी सब्जेक्ट है तो उसमें भी थ्योरी एग्जाम नहीं देना है। स्टूडेंट्स को उसमें सिलेबस से रिलेटिव कुछ न कुछ प्रोजेक्ट बनाना होता है। इससे बच्चों की स्किल डेवलप होती है। मैंने रिसर्च में भी अच्छा काम किया है। 2.) नौकरी देने वाला बनाना है, ये सोच विकसित की
डाॅ. शहनाज ने BIET में ‘आइडिया टू बिजनेस मॉडल’ पर एक क्रेडिट कोर्स शुरू किया। आज ये कोर्स बीटेक 6 सेमेस्टर में सभी स्टूडेंट्स को लेना होता है। इसमें सिखाया जाता है कि कैसे अपने आइडिया से एक बिजनेस को खड़ा किया जा सकता है। डॉ. शहनाज बताती हैं कि मैं स्टूडेंट्स को अच्छी जॉब मिल जाए, इसके लिए नहीं पढ़ाती। मैं उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए पढ़ाती हूं। उनमें जब तक उद्यमिता का इंटरेस्ट डेवलप नहीं करेंगे, तब तक वो इस लाइन में नहीं आएंगे। क्योंकि इसमें रिस्क होती है। इसलिए उनको प्रोत्साहित करने के लिए काफी इवेंट कराती हूं। अब तक लगभग 100 इवेंट करा चुकी हूं। मेरा मानना है कि एक परिवार अपने बच्चे को इंजीनियर बनाने के लिए 4 लाख से 25 लाख रुपए तक खर्च करता है। वहीं, बच्चा जॉब लेने की बजाय जॉब देने वाला बन जाए तो वो हमारे लिए बहुत बड़ा इन्वेस्टमेंट रहता है। अगर वो जॉब प्रोवाइडर बनेगा तो देश की इकोनॉमी के लिए भी बहुत अच्छा होगा। 3.) 35 स्टार्टअप को दिशा दी
2020 में सरकार ने स्टार्टअप पॉलिसी बनाई। इसके तहत BIET में स्थापित बुंदेलखंड इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर फाउंडेशन की निदेशक डॉ. शहनाज को बनाया गया। डॉ. शहनाज ने बुंदेलखंड के 35 नए स्टार्टअप को रजिस्टर्ड कराया। अब तक 6 स्टार्टअप को सरकार से ग्रांट दिला चुकी हैं और मेंटरिंग करती हैं, ताकि इन नए स्टार्टअप को दिशा मिल सके। इसके अलावा आउटरिच एक्टिविटी में भी उनको अहम योगदान है। नीति आयोग की अटल टिंकरिंग लैब की मिंटर ऑफ चेंज हैं। ये लैब 5 स्कूलों में चलती है। यहां वह टिंकरिंग करती है। मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब, फिर साइंटिस्ट बनीं और अब टीचर
महानगर के खातीबाबा स्थित दीनदयाल नगर की रहने वाली डॉ. शहनाज अयूब पहले मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती थी। इसके बाद सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में साइंटिस्ट रह चुकी है। फिर टीचिंग लाइन में आ गई। उनका इंडस्ट्रियल, रिसर्च और एकेडमिक का एक्सपीरिएंस अब बच्चों के बहुत काम आ रहा है। उम्मीद टूट गई थी, फोन आया तो रोने लगी
डॉ. शहनाज ने बताया- राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए हायर एजुकेशन और पॉलिटेक्निक कॉलेज के हजारों टीचर ने आवेदन किया था। इसमें मैं भी शामिल थी। इसमें से 106 को शॉर्टलिस्ट किया गया। इसके बाद 14 अगस्त को मेरा इंटरव्यू हुआ। मेरा इंटरव्यू बहुत अच्छा हुआ था। तभी उम्मीद बंध गई थी कि मुझे अवॉर्ड मिलेगा। मगर, 24 और 25 अगस्त फोन आ जाना चाहिए था। जब 26 अगस्त का दिन निकल गया तो मेरी उम्मीद टूट गई। मुझे लगा कि अब नहीं होगा। फिर 27 अगस्त की शाम को फोन आया कि कांग्रेचुलेशन…आपका सिलेक्शन हो गया है। तब मुझे बहुत खुशी हुई और आंखों से खुशी के आंसू निकल आए। पति भी प्रोफेसर, बेटा-बेटी पढ़ते हैं
डॉ. शहनाज के पति डॉ. मोहम्मद अयूब अंसारी बिपिन बिहारी डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर हैं। उनकी एक बेटी शहर चंडीगढ़ से क्लिनिकल साइकोलॉजी से एमफिल कर रही हैं। जबकि बेटा अयान राजस्थान में बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। ये भी पढ़ें:- दिसंबर में सिपाही भर्ती का रिजल्ट…6 महीने में नौकरी: जनवरी में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट यूपी सिपाही के लिए 60 हजार 244 पदों पर भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा का रिजल्ट दिसंबर के अंत तक आ जाएगा। भर्ती बोर्ड के अधिकारियों का कहना है, भर्ती की प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 6 महीने का समय लगेगा। बोर्ड परीक्षा की आंसर-की इसी हफ्ते वेबसाइट पर अपलोड कर देगा। लिखित परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद जनवरी तक डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन और फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट होगा। पढ़ें पूरी खबर… झांसी के BIET की प्रोफेसर डॉ. शहनाज अयूब को देश के सबसे बड़े शिक्षक सम्मान ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’ से नवाजा गया है। उनको ये अवॉर्ड आज विज्ञान भवन, दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रदान करेंगी। इस अवार्ड को पाने के लिए देशभर के हजारों टीचरों ने आवेदन किए थे। इसमें से 106 टीचर को शॉर्टलिस्ट किया गया था। उनके इंटरव्यू हुए। 35 टीचर को ये अवॉर्ड दिया जाना था, मगर मानक पर 16 टीचर ही खरे उतर पाए। आज शिक्षक दिवस पर इन 16 टीचर को राष्ट्रपति अवॉर्ड प्रदान करेंगी। 16 में से दो टीचर यूपी के हैं। दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने डॉ. शहनाज से फोन पर बात की, जानिए अवॉर्ड मिलने के 3 बड़े कारण 1.) पढ़ाने का तरीका, सबसे अनोखा
बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (BIET) के इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार अभियांत्रिकी विभाग में डॉ. शहनाज अयूब प्रोफेसर हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने बताया- मेरा पढ़ाने का तरीका सबसे अलग है। मैं प्रोजेक्ट बेस लर्निंग अपनाती हूं। मतलब- अगर थ्योरी का भी सब्जेक्ट है तो उसमें भी थ्योरी एग्जाम नहीं देना है। स्टूडेंट्स को उसमें सिलेबस से रिलेटिव कुछ न कुछ प्रोजेक्ट बनाना होता है। इससे बच्चों की स्किल डेवलप होती है। मैंने रिसर्च में भी अच्छा काम किया है। 2.) नौकरी देने वाला बनाना है, ये सोच विकसित की
डाॅ. शहनाज ने BIET में ‘आइडिया टू बिजनेस मॉडल’ पर एक क्रेडिट कोर्स शुरू किया। आज ये कोर्स बीटेक 6 सेमेस्टर में सभी स्टूडेंट्स को लेना होता है। इसमें सिखाया जाता है कि कैसे अपने आइडिया से एक बिजनेस को खड़ा किया जा सकता है। डॉ. शहनाज बताती हैं कि मैं स्टूडेंट्स को अच्छी जॉब मिल जाए, इसके लिए नहीं पढ़ाती। मैं उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए पढ़ाती हूं। उनमें जब तक उद्यमिता का इंटरेस्ट डेवलप नहीं करेंगे, तब तक वो इस लाइन में नहीं आएंगे। क्योंकि इसमें रिस्क होती है। इसलिए उनको प्रोत्साहित करने के लिए काफी इवेंट कराती हूं। अब तक लगभग 100 इवेंट करा चुकी हूं। मेरा मानना है कि एक परिवार अपने बच्चे को इंजीनियर बनाने के लिए 4 लाख से 25 लाख रुपए तक खर्च करता है। वहीं, बच्चा जॉब लेने की बजाय जॉब देने वाला बन जाए तो वो हमारे लिए बहुत बड़ा इन्वेस्टमेंट रहता है। अगर वो जॉब प्रोवाइडर बनेगा तो देश की इकोनॉमी के लिए भी बहुत अच्छा होगा। 3.) 35 स्टार्टअप को दिशा दी
2020 में सरकार ने स्टार्टअप पॉलिसी बनाई। इसके तहत BIET में स्थापित बुंदेलखंड इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर फाउंडेशन की निदेशक डॉ. शहनाज को बनाया गया। डॉ. शहनाज ने बुंदेलखंड के 35 नए स्टार्टअप को रजिस्टर्ड कराया। अब तक 6 स्टार्टअप को सरकार से ग्रांट दिला चुकी हैं और मेंटरिंग करती हैं, ताकि इन नए स्टार्टअप को दिशा मिल सके। इसके अलावा आउटरिच एक्टिविटी में भी उनको अहम योगदान है। नीति आयोग की अटल टिंकरिंग लैब की मिंटर ऑफ चेंज हैं। ये लैब 5 स्कूलों में चलती है। यहां वह टिंकरिंग करती है। मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब, फिर साइंटिस्ट बनीं और अब टीचर
महानगर के खातीबाबा स्थित दीनदयाल नगर की रहने वाली डॉ. शहनाज अयूब पहले मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती थी। इसके बाद सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में साइंटिस्ट रह चुकी है। फिर टीचिंग लाइन में आ गई। उनका इंडस्ट्रियल, रिसर्च और एकेडमिक का एक्सपीरिएंस अब बच्चों के बहुत काम आ रहा है। उम्मीद टूट गई थी, फोन आया तो रोने लगी
डॉ. शहनाज ने बताया- राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए हायर एजुकेशन और पॉलिटेक्निक कॉलेज के हजारों टीचर ने आवेदन किया था। इसमें मैं भी शामिल थी। इसमें से 106 को शॉर्टलिस्ट किया गया। इसके बाद 14 अगस्त को मेरा इंटरव्यू हुआ। मेरा इंटरव्यू बहुत अच्छा हुआ था। तभी उम्मीद बंध गई थी कि मुझे अवॉर्ड मिलेगा। मगर, 24 और 25 अगस्त फोन आ जाना चाहिए था। जब 26 अगस्त का दिन निकल गया तो मेरी उम्मीद टूट गई। मुझे लगा कि अब नहीं होगा। फिर 27 अगस्त की शाम को फोन आया कि कांग्रेचुलेशन…आपका सिलेक्शन हो गया है। तब मुझे बहुत खुशी हुई और आंखों से खुशी के आंसू निकल आए। पति भी प्रोफेसर, बेटा-बेटी पढ़ते हैं
डॉ. शहनाज के पति डॉ. मोहम्मद अयूब अंसारी बिपिन बिहारी डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर हैं। उनकी एक बेटी शहर चंडीगढ़ से क्लिनिकल साइकोलॉजी से एमफिल कर रही हैं। जबकि बेटा अयान राजस्थान में बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। ये भी पढ़ें:- दिसंबर में सिपाही भर्ती का रिजल्ट…6 महीने में नौकरी: जनवरी में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट यूपी सिपाही के लिए 60 हजार 244 पदों पर भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा का रिजल्ट दिसंबर के अंत तक आ जाएगा। भर्ती बोर्ड के अधिकारियों का कहना है, भर्ती की प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 6 महीने का समय लगेगा। बोर्ड परीक्षा की आंसर-की इसी हफ्ते वेबसाइट पर अपलोड कर देगा। लिखित परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद जनवरी तक डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन और फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट होगा। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर