यूपी में भेड़िया…दहशत के 54 दिन:खौफ में जी रहे 50 गांव के 80 हजार लोग, कहां तक पहुंचा सर्च ऑपरेशन?

यूपी में भेड़िया…दहशत के 54 दिन:खौफ में जी रहे 50 गांव के 80 हजार लोग, कहां तक पहुंचा सर्च ऑपरेशन?

बहराइच की महसी तहसील के आसपास के करीब 50 गांव वाले 54 दिन से डर के साए में जी रहे हैं। 17 जुलाई, 2024 को पहला हमला हुआ था, जिसके बाद से आदमखोर भेड़िए 10 लोगों को शिकार बना चुके हैं। भेड़ियों के सॉफ्ट टारगेट 10 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। आदमखोर के हमले पड़ोसी जिले सीतापुर में भी हो रहे हैं। वन विभाग की टीमें 25 किलोमीटर का पूरा इलाका खंगाल रही हैं, बावजूद इसके हमले थम नहीं रहे हैं। 54 दिन से 80 हजार लोग कैसे खौफ में जी रहे हैं? अब तक भेड़िए को पकड़ने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए? कितनी कामयाबी मिली? आखिर में वन विभाग के चीफ कंजरवेटर से जानेंगे पूरा ऑपरेशन कैसे चल रहा है। विस्तार से पढ़िए… महसी तहसील के 50 गांव का हाल, माएं रात भर जागकर पहरा दे रहीं
महसी तहसील में भेड़िए का पहला हमला 17 जुलाई को सिकंंदरपुर गांव के मक्कापुरवा में हुआ। यहां मां के साथ लेटे एक साल के अख्तर को भेड़िया उठा ले गया। शव गांव से कुछ दूरी पर मिला। शरीर के कुछ हिस्से गायब थे। 26 जुलाई को हरदी के नकवा गांव में भेड़िया मां के साथ सो रही तीन साल की बच्ची प्रतिभा को उठा ले गया। अगले दिन शव गन्ने के खेत में मिला। भेड़िया शरीर के कई अंग खा गया। इसके बाद से आदमखोर के हमलों का सिलसिला नहीं थमा। भेड़िए 10 लोगों को मार चुके हैं। वहीं, हमले में करीब 40 लोग घायल हैं। भेड़ियों के खौफ से 50 गांव के लोग टोली बनाकर रात-रातभर पहरा दे रहे हैं। शाम होते ही महिलाएं और बच्चे निकलने से डर रहे हैं। माएं बच्चों को अकेला नहीं छोड़ रहीं। बच्चे सोते हैं तो मां लाठी-डंडा लेकर सिरहाने पर पहरा दे रही हैं। तस्वीरों में देखिए खौफ का आलम लोहे की जाली लगवाईं…ताकि आदमखोर के हमले से बचा जा सके
आदमखोर के हमले से बचने के लिए कुछ गांववालों ने घर के खुले इलाके में लोहे की जाली लगवाई है। परिवार के सभी सदस्य एक साथ नहीं सो रहे हैं। कोई न कोई सदस्य पहरा देता है, तब बाकी लोग सोते हैं। गांव के लोगों ने खेतों में मचान बना रखी है, वह बराबर पहरेदारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुरक्षा के लिए अगर आदमखोर को मारना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे। अब जानिए वन विभाग की कितनी टीमें भेड़िए पकड़ने में लगीं आदमखोर को पकड़ने के लिए वन विभाग की 25 टीमें लगाई गई हैं, हर टीम में 12 से 15 लोग हैं। ये सभी पूरे इलाके का चप्पा-चप्पा छान रहे हैं। गन्ने के खेतों के ऊपर ड्रोन और थर्मल कैमरों से निगरानी की जा रही है। अब तक चार भेड़िए पकड़े जा चुके हैं। बाकी भेड़ियों को मारने के लिए 9 शार्प शूटर लगाए गए हैं। भेड़ियों के संभावित स्थानों पर शिकार रखा गया है। ताकि भेड़िए खाने के लिए आएं तो पहले से तैनात शूटर उन्हें निशाना बना सकें। यूपी के दो जिलों में जिस तरह से भेड़ियों का खौफ है, उसे लेकर दैनिक भास्कर ने वन विभाग के चीफ कंजरवेटर अशोक प्रसाद सिन्हा से बात की। उनसे पूरे ऑपरेशन के बारे में जानने की कोशिश की। वह पूरी टीम को किस तरह से गाइड कर रहे हैं? टीम को क्या निर्देश दिए गए हैं, गांव वालों को क्या सुरक्षात्मक कदम उठाने चाहिए? चीफ कंजरवेटर अशोक प्रसाद सिन्हा ने बताया कि साढ़े सात हजार हेक्टेयर एरिया में सर्च ऑपरेशन चलाया गया है। आमतौर पर भेड़िया बच्चों पर हमला नहीं करता है। ऐसा तभी होता है जब भेड़िया अपने ग्रुप से निकाल दिया गया हो। टीम एनालिसिस कर रही है कि कहीं ऐसा तो नहीं हुआ। साठ से 70 फीसदी इसकी संभावना है। देखते ही न्यूट्रलाइज किया जाएगा भेड़िया
अशोक प्रसाद सिन्हा ने बताया कि कई टीमें बनाई गई हैं, जो पूरा इलाका खंगाल रही हैं। सबके पास बंदूकें हैं। देखते ही गोली मारने के आदेश हैं, तो जैसे ही वह दिखाई देगा उसे न्यूट्रलाइज करने की कोशिश की जाएगी। भेड़ियों की संख्या को लेकर पूछने पर उन्होंने कहा कि हो सकता है अकेला भेड़िया ये सब कर रहा हो। गांववालों को मच्छरदानी में बच्चे सुलाने की सलाह
चीफ कंजरवेटर ने भेड़िए के हमले से बचने के लिए कई उपाय भी बताए। उनका कहना है कि गांववाले मच्छरदानी लगाकर बच्चों को सुलाएं। ऐसा करने से भेड़िया हमला कर बच्चों को आसानी से नहीं ले जा पाएगा। टीम को निर्देश दिए हैं कि गांव वालों को सुरक्षात्मक कदम उठाने के प्रति जागरूक करें। जो लोग ज्यादा गरीब हैं, दरवाजा नहीं लगवा सकते वह बांस की जाली बनाकर दरवाजे पर रखें। ऐसा करने से भेड़िया अंदर नहीं घुस पाएगा। इसके साथ ही परिवार के एक सदस्य को जागने की भी सलाह दी गई है। रात 9 से सुबह पांच बजे तक अलर्ट पर टीमें
चीफ कंजरवेटर ने बताया कि ज्यादातर हमले रात 10 से सुबह 4 बजे के बीच हुए हैं। ऐसे में वन विभाग की टीमों को रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक विशेष रूप से अलर्ट रहने को कहा गया है। अगर भेड़िया 10-12 दिन तक शिकार नहीं कर पाएगा तो एरिया छोड़कर चला जाएगा। बहराइच में अब तक चार भेड़िए पकड़े जा चुके हैं। ये भी पढ़ें… बहराइच में भेड़िया ज्यादातर के हाथ-पैर खा गया:पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर बोले-किसी लाश पर दांतों की संख्या 8 तो किसी पर 20 जंगली जानवर ने बहुत ही निर्ममता से मारा था साहब ! ज्यादातर मरने वालों के हाथ-पैर खा गया। सभी की गर्दन पर गहरे निशान थे। कुछ के तो सीने और पेट का हिस्सा भी खा गया। लेकिन, हर लाश पर दांतों की संख्या अलग-अलग थी। लग रहा था, शिकार अलग-अलग भेड़िए ने किया है। पूरी खबर पढ़ें… बहराइच की महसी तहसील के आसपास के करीब 50 गांव वाले 54 दिन से डर के साए में जी रहे हैं। 17 जुलाई, 2024 को पहला हमला हुआ था, जिसके बाद से आदमखोर भेड़िए 10 लोगों को शिकार बना चुके हैं। भेड़ियों के सॉफ्ट टारगेट 10 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। आदमखोर के हमले पड़ोसी जिले सीतापुर में भी हो रहे हैं। वन विभाग की टीमें 25 किलोमीटर का पूरा इलाका खंगाल रही हैं, बावजूद इसके हमले थम नहीं रहे हैं। 54 दिन से 80 हजार लोग कैसे खौफ में जी रहे हैं? अब तक भेड़िए को पकड़ने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए? कितनी कामयाबी मिली? आखिर में वन विभाग के चीफ कंजरवेटर से जानेंगे पूरा ऑपरेशन कैसे चल रहा है। विस्तार से पढ़िए… महसी तहसील के 50 गांव का हाल, माएं रात भर जागकर पहरा दे रहीं
महसी तहसील में भेड़िए का पहला हमला 17 जुलाई को सिकंंदरपुर गांव के मक्कापुरवा में हुआ। यहां मां के साथ लेटे एक साल के अख्तर को भेड़िया उठा ले गया। शव गांव से कुछ दूरी पर मिला। शरीर के कुछ हिस्से गायब थे। 26 जुलाई को हरदी के नकवा गांव में भेड़िया मां के साथ सो रही तीन साल की बच्ची प्रतिभा को उठा ले गया। अगले दिन शव गन्ने के खेत में मिला। भेड़िया शरीर के कई अंग खा गया। इसके बाद से आदमखोर के हमलों का सिलसिला नहीं थमा। भेड़िए 10 लोगों को मार चुके हैं। वहीं, हमले में करीब 40 लोग घायल हैं। भेड़ियों के खौफ से 50 गांव के लोग टोली बनाकर रात-रातभर पहरा दे रहे हैं। शाम होते ही महिलाएं और बच्चे निकलने से डर रहे हैं। माएं बच्चों को अकेला नहीं छोड़ रहीं। बच्चे सोते हैं तो मां लाठी-डंडा लेकर सिरहाने पर पहरा दे रही हैं। तस्वीरों में देखिए खौफ का आलम लोहे की जाली लगवाईं…ताकि आदमखोर के हमले से बचा जा सके
आदमखोर के हमले से बचने के लिए कुछ गांववालों ने घर के खुले इलाके में लोहे की जाली लगवाई है। परिवार के सभी सदस्य एक साथ नहीं सो रहे हैं। कोई न कोई सदस्य पहरा देता है, तब बाकी लोग सोते हैं। गांव के लोगों ने खेतों में मचान बना रखी है, वह बराबर पहरेदारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुरक्षा के लिए अगर आदमखोर को मारना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे। अब जानिए वन विभाग की कितनी टीमें भेड़िए पकड़ने में लगीं आदमखोर को पकड़ने के लिए वन विभाग की 25 टीमें लगाई गई हैं, हर टीम में 12 से 15 लोग हैं। ये सभी पूरे इलाके का चप्पा-चप्पा छान रहे हैं। गन्ने के खेतों के ऊपर ड्रोन और थर्मल कैमरों से निगरानी की जा रही है। अब तक चार भेड़िए पकड़े जा चुके हैं। बाकी भेड़ियों को मारने के लिए 9 शार्प शूटर लगाए गए हैं। भेड़ियों के संभावित स्थानों पर शिकार रखा गया है। ताकि भेड़िए खाने के लिए आएं तो पहले से तैनात शूटर उन्हें निशाना बना सकें। यूपी के दो जिलों में जिस तरह से भेड़ियों का खौफ है, उसे लेकर दैनिक भास्कर ने वन विभाग के चीफ कंजरवेटर अशोक प्रसाद सिन्हा से बात की। उनसे पूरे ऑपरेशन के बारे में जानने की कोशिश की। वह पूरी टीम को किस तरह से गाइड कर रहे हैं? टीम को क्या निर्देश दिए गए हैं, गांव वालों को क्या सुरक्षात्मक कदम उठाने चाहिए? चीफ कंजरवेटर अशोक प्रसाद सिन्हा ने बताया कि साढ़े सात हजार हेक्टेयर एरिया में सर्च ऑपरेशन चलाया गया है। आमतौर पर भेड़िया बच्चों पर हमला नहीं करता है। ऐसा तभी होता है जब भेड़िया अपने ग्रुप से निकाल दिया गया हो। टीम एनालिसिस कर रही है कि कहीं ऐसा तो नहीं हुआ। साठ से 70 फीसदी इसकी संभावना है। देखते ही न्यूट्रलाइज किया जाएगा भेड़िया
अशोक प्रसाद सिन्हा ने बताया कि कई टीमें बनाई गई हैं, जो पूरा इलाका खंगाल रही हैं। सबके पास बंदूकें हैं। देखते ही गोली मारने के आदेश हैं, तो जैसे ही वह दिखाई देगा उसे न्यूट्रलाइज करने की कोशिश की जाएगी। भेड़ियों की संख्या को लेकर पूछने पर उन्होंने कहा कि हो सकता है अकेला भेड़िया ये सब कर रहा हो। गांववालों को मच्छरदानी में बच्चे सुलाने की सलाह
चीफ कंजरवेटर ने भेड़िए के हमले से बचने के लिए कई उपाय भी बताए। उनका कहना है कि गांववाले मच्छरदानी लगाकर बच्चों को सुलाएं। ऐसा करने से भेड़िया हमला कर बच्चों को आसानी से नहीं ले जा पाएगा। टीम को निर्देश दिए हैं कि गांव वालों को सुरक्षात्मक कदम उठाने के प्रति जागरूक करें। जो लोग ज्यादा गरीब हैं, दरवाजा नहीं लगवा सकते वह बांस की जाली बनाकर दरवाजे पर रखें। ऐसा करने से भेड़िया अंदर नहीं घुस पाएगा। इसके साथ ही परिवार के एक सदस्य को जागने की भी सलाह दी गई है। रात 9 से सुबह पांच बजे तक अलर्ट पर टीमें
चीफ कंजरवेटर ने बताया कि ज्यादातर हमले रात 10 से सुबह 4 बजे के बीच हुए हैं। ऐसे में वन विभाग की टीमों को रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक विशेष रूप से अलर्ट रहने को कहा गया है। अगर भेड़िया 10-12 दिन तक शिकार नहीं कर पाएगा तो एरिया छोड़कर चला जाएगा। बहराइच में अब तक चार भेड़िए पकड़े जा चुके हैं। ये भी पढ़ें… बहराइच में भेड़िया ज्यादातर के हाथ-पैर खा गया:पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर बोले-किसी लाश पर दांतों की संख्या 8 तो किसी पर 20 जंगली जानवर ने बहुत ही निर्ममता से मारा था साहब ! ज्यादातर मरने वालों के हाथ-पैर खा गया। सभी की गर्दन पर गहरे निशान थे। कुछ के तो सीने और पेट का हिस्सा भी खा गया। लेकिन, हर लाश पर दांतों की संख्या अलग-अलग थी। लग रहा था, शिकार अलग-अलग भेड़िए ने किया है। पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर