हिमाचल प्रदेश में मस्जिद विवाद के बीच मुस्लिम समुदाय के आधार कार्ड को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। इसकी वजह बाहरी राज्यों से आए ज्यादातर मुस्लिम कारोबारियों की डेट ऑफ बर्थ है। शिमला जिला के गुम्मा बाजार में भी ऐसा ही मामला सामने आया है। गुम्मा व्यापार मंडल ने कोटखाई पुलिस थाना में शिकायत दी है, जिसमें 88 कारोबारियों के दस्तावेज पुलिस को दिए और इनकी जांच की मांग की गई। व्यापार मंडल का दावा है कि 88 में से 46 लोगों की जन्म तिथि एक जनवरी है। बर्थ ईयर अलग अलग है। इनमें बाहरी राज्यों के चार हिंदू कारोबारी भी शामिल हैं। एक जैसी डेट ऑफ बर्थ होना संदिग्ध: देवेंद्र गुम्मा व्यापार मंडल के प्रधान देवेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने बाहरी राज्यों से आए कारोबारियों के दस्तावेज की जांच की तो पता चला कि इनमें ज्यादातर प्रवासी कारोबारियों की डेट ऑफ बर्थ एक जनवरी है। उन्होंने बताया कि एक जैसी जन्म तिथि वाले ज्यादातर कारोबारी उत्तर प्रदेश के है। इससे मामला संदिग्ध लग रहा है। 13 से 23 साल के युवाओं को भी अपनी जन्म तिथि याद नहीं देवेंद्र सिंह ने बताया कि संभव है कि अधैड़ लोगों को अपनी डेट ऑफ बर्थ याद न हो। इसलिए ज्यादातर ने अपनी जन्म तिथि एक जनवरी लिखा दी हो, लेकिन 2001 से 2009 के बीच जन्मे मुस्लिम युवाओं को भी अपनी जन्म तिथि याद नहीं है। इससे शक ओर गहरा जाता है। उन्होंने बताया कि गुम्मा बाजार में 16 ऐसे मुस्लिम लड़के हैं, जिनकी जन्म 2001 से 2009 के बीच हुआ है। लिहाजा इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने इसकी शिकायत कोटखाई पुलिस थाना और एसडीएम कोटखाई को दी है। संजौली मस्जिद के बाहर उठी बाहरी राज्यों से आए लोगों की वैरिफिकेशन की मांग शिमला के संजौली में मस्जिद विवाद के बाद प्रदेशभर में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए। इस दौरान बाहरी राज्यों से आए लोगों की वैरिफिकेशन की मांग की गई। जांच में सामने आ रहा है कि एक विशेष समुदाय के बहुत सारे लोगों की डेट ऑफ बर्थ एक जैसी है। मस्जिद विवाद शांत होने के बाद अब डेट ऑफ बर्थ को लेकर विवाद खड़ा हो रहा है। हिमाचल प्रदेश में मस्जिद विवाद के बीच मुस्लिम समुदाय के आधार कार्ड को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। इसकी वजह बाहरी राज्यों से आए ज्यादातर मुस्लिम कारोबारियों की डेट ऑफ बर्थ है। शिमला जिला के गुम्मा बाजार में भी ऐसा ही मामला सामने आया है। गुम्मा व्यापार मंडल ने कोटखाई पुलिस थाना में शिकायत दी है, जिसमें 88 कारोबारियों के दस्तावेज पुलिस को दिए और इनकी जांच की मांग की गई। व्यापार मंडल का दावा है कि 88 में से 46 लोगों की जन्म तिथि एक जनवरी है। बर्थ ईयर अलग अलग है। इनमें बाहरी राज्यों के चार हिंदू कारोबारी भी शामिल हैं। एक जैसी डेट ऑफ बर्थ होना संदिग्ध: देवेंद्र गुम्मा व्यापार मंडल के प्रधान देवेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने बाहरी राज्यों से आए कारोबारियों के दस्तावेज की जांच की तो पता चला कि इनमें ज्यादातर प्रवासी कारोबारियों की डेट ऑफ बर्थ एक जनवरी है। उन्होंने बताया कि एक जैसी जन्म तिथि वाले ज्यादातर कारोबारी उत्तर प्रदेश के है। इससे मामला संदिग्ध लग रहा है। 13 से 23 साल के युवाओं को भी अपनी जन्म तिथि याद नहीं देवेंद्र सिंह ने बताया कि संभव है कि अधैड़ लोगों को अपनी डेट ऑफ बर्थ याद न हो। इसलिए ज्यादातर ने अपनी जन्म तिथि एक जनवरी लिखा दी हो, लेकिन 2001 से 2009 के बीच जन्मे मुस्लिम युवाओं को भी अपनी जन्म तिथि याद नहीं है। इससे शक ओर गहरा जाता है। उन्होंने बताया कि गुम्मा बाजार में 16 ऐसे मुस्लिम लड़के हैं, जिनकी जन्म 2001 से 2009 के बीच हुआ है। लिहाजा इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने इसकी शिकायत कोटखाई पुलिस थाना और एसडीएम कोटखाई को दी है। संजौली मस्जिद के बाहर उठी बाहरी राज्यों से आए लोगों की वैरिफिकेशन की मांग शिमला के संजौली में मस्जिद विवाद के बाद प्रदेशभर में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए। इस दौरान बाहरी राज्यों से आए लोगों की वैरिफिकेशन की मांग की गई। जांच में सामने आ रहा है कि एक विशेष समुदाय के बहुत सारे लोगों की डेट ऑफ बर्थ एक जैसी है। मस्जिद विवाद शांत होने के बाद अब डेट ऑफ बर्थ को लेकर विवाद खड़ा हो रहा है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में क्रिप्टो करेंसी सरगना की जमीन सीज:SIT ने ऊना में की कार्रवाई, फ्रॉड सामने आने से पहले ही फरार हुआ सुभाष हिमाचल प्रदेश में 2500 करोड़ रुपए से ज्यादा के क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड के किंगपिन (सरगना) सुभाष की 70 कनाल जमीन सीज कर दी गई है। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने यह कार्रवाई ऊना में की है। SIT को अंदेशा है कि आरोपी द्वारा यह जमीन लोगों के साथ की गई ठगी करके खरीदी गई है। बता दें कि क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड बीते साल अक्टूबर माह में सामने आ गया था। मगर मंडी के सराज का रहने वाला सरगना सुभाष शर्मा इससे पहले ही देश छोड़कर दुबई भाग चुका था। पुलिस आरोपी को देश वापस लाने की औपचारिकताओं में जुटी हुई है। SIT ने इस केस में 4 लोगों सुभाष, हेम राज, अभिषेक और सुखदेव को मुख्य आरोपी बनाया है। सुभाष के अलावा 3 अन्य पुलिस की गिरफ्त में है। सबसे ज्यादा ठगी मंडी जिले के लोगों से हुई है। इसी तरह हमीरपुर, सोलन, कांगड़ा, बिलासपुर और शिमला में भी बड़ी संख्या में लोग ठगी का शिकार हुए हैं। पुलिस के लोग भी इस फ्रॉड में शामिल है। कुछ तो ऐसे हैं जिन्होंने नौकरी छोड़कर लोगों से क्रिप्टो करेंसी में इन्वेस्ट कराया। प्रदेश में क्रिप्टो करेंसी के नाम पर 2018-19 से फ्रॉड चल रहा है। लोगों को एक साल के भीतर ही पैसा डबल करने का झांसा दिया जाता था। इस काम के लिए एजेंटों को कमीशन दी जाती थी और लोगों से ऑनलाइन साइट के जरिए पैसा निवेश कराया जाता था। 70 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर वहीं क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड में SIT ने 70 लोगों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दायर कर दी है। पुलिस ने इस मामले में 4 लोगों को मुख्य आरोपी बनाया है। इनमें सुभाष, अभिषेक, हेमराज और सुखदेव शामिल हैं। सुभाष को छोड़कर अन्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं। आरोप है कि ठगी का पैसा चारों में बराबर बांटता था। लोगों को 11 महीने के भीतर डबल पैसा देने का झांसा यही लोग देते थे। एजेंटों को कमीशन दी जाती थी। सुभाष की पहले भी करोड़ों की संपत्ति सीज की जा चुकी इससे पहले भी SIT सुभाष शर्मा की करोड़ों रुपए की संपत्ति चंडीगढ़ और हरियाणा समेत कई जगह सीज कर चुकी है। सुभाष के अलावा दूसरे आरोपियों की प्रॉपर्टी को भी खंगाला जा रहा है। विधानसभा में होशियार सिंह ने उठाया था मामला क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड का मुद्दा बीते साल विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान उठाया गया था। सत्र में पूर्व निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने का यह मामला उठाया था। सदन में सीएम की गैर मौजूदगी में डिप्टी सीएम ने एसआईटी बनाने का भरोसा दिया और DIG अभिषेक दुल्लर की अगुआई में SIT बनाई गई। इसके बाद से SIT ने इस मामले में संलिप्त लोगों की धड़ाधड़ गिरफ्तारी की। 4 साल से चल रहा फ्रॉड प्रदेश में क्रिप्टो करेंसी के नाम पर 2018-19 से फ्रॉड चल रहा है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग जालसाजों की ठगी का शिकार हुए। पुलिस विभाग के कर्मचारी भी बड़ी संख्या में धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। SIT की कार्रवाई के बाद लोग प्रदेश के अलग अलग थानों में बड़ी संख्या में शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंच रहे हैं। देश छोड़ भागा किंगपिन: DIG एसआईटी प्रमुख डीआईजी उत्तरी रेंज अभिषेक दुल्लर ने माना कि क्रिप्टो करेंसी का सरगना सुभाष शर्मा देश छोड़कर फरार हो गया है। वह किस देश में है, ये पता लगाया जा रहा है।
हिमाचल के वीरों ने दिखाया था ‘पहाड़’ जैसा शौर्य:कारगिल युद्ध में 52 ने दी थी शहादत; आज पूरा देश कर रहा नमन; जगह-जगह कार्यक्रम
हिमाचल के वीरों ने दिखाया था ‘पहाड़’ जैसा शौर्य:कारगिल युद्ध में 52 ने दी थी शहादत; आज पूरा देश कर रहा नमन; जगह-जगह कार्यक्रम देश के साथ हिमाचल प्रदेश में भी कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। इस लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के 527 वीर सपूतों में 52 देवभूमि हिमाचल प्रदेश के थे। इसी वजह से हिमाचल को देवभूमि के साथ साथ वीरभूमि कहा जाता है। 25 मई से 26 जुलाई 1999 के बीच पाकिस्तान के साथ चली जंग में बलिदान देने वाले इन वीरभूमि के इन सपूतों को आज प्रदेश में याद किया जा रहा है और श्रद्धांजलि दी जा रही है। कारगिल युद्ध में सेना के सर्वोच्च सम्मान 2 परमवीर चक्र समेत अनेकों चक्र हिमाचल के वीरों के कंधे पर सुसज्जित हैं। कैप्टन विक्रम बतरा को (मरणोपरांत) और राइफलमैन संजय कुमार को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस युद्ध में शहादत पाने वालों में कांगड़ा जिले के 15 जवान, मंडी के 10, हमीरपुर के 8, बिलासपुर 7, शिमला 4, ऊना, सोलन व सिरमौर के 2-2 तथा चंबा व कुल्लू जिले से 1-1 जवान शामिल थे। बतरा ने 5140 चोटी से कहा, यह दिल मांगे मोर इस युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा की गर्जन से दहशत में आ जाती थी। पहली जून 1999 को उनकी टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प व रॉकी नाब स्थानों को जीतने के बाद उसी समय विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग की सबसे महत्वपूर्ण 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने की जिम्मेदीरी कैप्टन विक्रम बतरा को सौंपी गई। दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद विक्रम बतरा अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 की सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर 5140 चोटी को अपने कब्जे में ले लिया। विक्रम बतरा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय उद्घोष यह दिल मांगे मोर कहा तो सेना ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में उनका नाम छा गया। देवभूमि के इस सपूत को 15 दिन बंधी बनाकर दी अमानवीय यातनाएं कारगिल युद्ध में पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी सैनिकों ने 15 दिनों तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उन्हें कई अमानवीय यातनाएं दी गईं और वह अपनी पहली सैलरी लेने से पहले शहीद हो गए थे। शहादत के वक्त उनकी उम्र मात्र 22 साल थी। आज पूरा देश उन्हें इस शहादत के लिए याद कर रहा है। वीर सपूतों की कहानी ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (युद्ध सेवा मेडल) सेवानिवृत कारगिल हीरो ने बताया कि उनके पास 18 ग्रेनेडियर की कमान थी। हमारी युद्ध यूनिट ने तोलोलिंग की पहाड़ी और करगिल की पहाड़ी टाइगर हिल पर विजय पताका फहराई थी। 18 ग्रेनेडियर की इस यूनिट को 52 वीरता पुरस्कार मिले थे, जो अब तक का मिलिट्री इतिहास है। जब तोलोलिंग पर दुश्मन के साथ संघर्ष चल रहा था तो हमारे उपकमान अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल आर विश्वनाथन मेरी ही गोद में वीरगति को प्राप्त हुए। उस दृश्य को याद करता हूं तो सिहर उठता हूं। करगिल का युद्ध इतना कठिन था कि वहां छिपने के लिए खाली व सूखी पहाड़ियों के अलावा तिनका तक भी नहीं था। तोलोलिंग की लड़ाई हमने 22 दिन तक लड़ी। उसके बाद यूनिट ने द्रास सेक्टर की सबसे मुश्किल और मशहूर चोटी टाइगर हिल्स फतह की। करगिल की लड़ाई में मेरी यूनिट 18 ग्रेनेडियर को 52 वीरता पुरस्कार दिए गए। उन्होंने बताया कि आज भी उस घटनाक्रम को याद करता हूं तो रोमांच व साहस से भर जाता हूं। कारगिल युद्ध में शहादत पाने वाले 52 जवान… पहाड़ सा शौर्य, फिर भी अपनी रेजिमेंट नहीं हिमाचल का यह दुर्भाग्य है कि सेना के पहले परमवीर चक्र विजेता राज्य को आजादी के 77 साल बाद भी सेना की रेजिमेंट नहीं मिल पाई। कांगड़ा के मेजर सोमनाथ शर्मा ने पहला परमवीर चक्र मेडल हासिल कर हिमाचल के साहस की पहचान को शिखर पर पहुंचाया था। मेजर सोमनाथ के अलावा पालमपुर के कैप्टन विक्रम बतरा, धर्मशाला के लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस थापा और बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार ने परमवीर चक्र हासिल कर अदम्य साहस की परंपरा को आगे बढ़ाया। इसी तरह 1200 से ज्यादा गैलेंटरी अवार्ड और तमाम अवार्ड हिमाचल के रणबांकुरों के नाम हैं। फिर भी राज्य की अपनी रेंजिमेंट की कमी आज भी खल रही है।