<p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir Assembly Election 2024:</strong> जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा है कि अगर उनकी सरकार आई तो वे दरबार मूव (Darbar Move) को फिर से लागू करेंगे. अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर को तबाह कर दिया है. केवल नेशनल कॉन्फ्रेंस ही नहीं बल्कि अन्य पार्टियां जैसे कि कांग्रेस, अपनी पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी भी इसको दोबारा लागू करने का वादा कर रही हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि महाराजा ने इस प्रथा की शुरुआत की. कश्मीर और जम्मू के बीच संबंध था लेकिन बीजेपी ने इसे तोड़ दिया है. जम्मू के लोगों से पूछिए कि उन्हें कितना संघर्ष करना पड़ा है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने यह माना था कि दरबार मूव प्रथा के लिए कोई संवैधानिक आधार नहीं है. कोर्ट ने इस संबंध में कोई आदेश नहीं दिया था लेकिन सरकार ने खुद से इसे हटाने का फैसला किया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है दरबार मूव?</strong><br />दरबार मूव के तहत वर्ष में दो बार सत्ता का केंद्र बदला जाता था. सर्दी के मौसम में छह महीने के लिए जम्मू और गर्मी के समय में श्रीनगर से सरकार चलाई जाती थी. यह व्यवस्था 150 साल से भी ज्यादा पुरानी है. इसके कारण जम्मू-कश्मीर की राजधानी सर्दी और गर्मी में बदल जाती थी. सर्दी में जम्मू और गर्मी में श्रीनगर राजधानी बनाई जाती थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>जब राजधानी छह-छह महीने के लिए बदली जाती है तो फिर सभी सरकारी कार्य़ालय और यहां तक कि सचिवालय भी उसी अनुरूप छह महीने जम्मू और छह महीने के लिए श्रीनगर में शिफ्ट किया जाता था. इन सभी की शिफ्टिंग के लिए बड़ी संख्या में ट्रकों का इस्तेमाल होता है जिससे फाइलें भी जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू लाई जाती थी. हालांकि जुलाई 2021 में इस व्यवस्था पर रोक लगा दी गई थी. समय की बर्बादी को वजह बताते हुए इसे समाप्त कर दिया . अब श्रीनगर ही स्थायी राजधानी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसकी शुरुआत 1872 में हुई थी. बताया गया कि मौसम के कारण यह फैसला किया गया था लेकिन इसके पीछे केवल मौसम एक वजह नहीं थी. उस वक्त रूसी सेना की नजरें कश्मीर घाटी पर थी इसी डर से अंग्रेजी हुकूमत के दौरान इस व्यवस्था की शुरुआत की थी.</p>
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<p style=”text-align: justify;”>फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि महाराजा ने इस प्रथा की शुरुआत की. कश्मीर और जम्मू के बीच संबंध था लेकिन बीजेपी ने इसे तोड़ दिया है. जम्मू के लोगों से पूछिए कि उन्हें कितना संघर्ष करना पड़ा है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने यह माना था कि दरबार मूव प्रथा के लिए कोई संवैधानिक आधार नहीं है. कोर्ट ने इस संबंध में कोई आदेश नहीं दिया था लेकिन सरकार ने खुद से इसे हटाने का फैसला किया था.</p>
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<p style=”text-align: justify;”>जब राजधानी छह-छह महीने के लिए बदली जाती है तो फिर सभी सरकारी कार्य़ालय और यहां तक कि सचिवालय भी उसी अनुरूप छह महीने जम्मू और छह महीने के लिए श्रीनगर में शिफ्ट किया जाता था. इन सभी की शिफ्टिंग के लिए बड़ी संख्या में ट्रकों का इस्तेमाल होता है जिससे फाइलें भी जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू लाई जाती थी. हालांकि जुलाई 2021 में इस व्यवस्था पर रोक लगा दी गई थी. समय की बर्बादी को वजह बताते हुए इसे समाप्त कर दिया . अब श्रीनगर ही स्थायी राजधानी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसकी शुरुआत 1872 में हुई थी. बताया गया कि मौसम के कारण यह फैसला किया गया था लेकिन इसके पीछे केवल मौसम एक वजह नहीं थी. उस वक्त रूसी सेना की नजरें कश्मीर घाटी पर थी इसी डर से अंग्रेजी हुकूमत के दौरान इस व्यवस्था की शुरुआत की थी.</p>
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