हरियाणा के अनुसूचित जाति मोर्चा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सत्यप्रकाश जरवाता सोमवार को कुरूक्षेत्र में पहुंचे। जहां पर उन्होंने एक होटल में पत्रकार वार्ता की। उन्होंने कहा कि हमारे दलित समाज के लिए अनुसूचित जाति समाज के लिए एक ऑक्सीजन है। हमारे देश के अंदर हम बिना आरक्षण और प्रतिनिधित्व कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते जिस तरह से एक मनुष्य के शरीर में खून निकाल दिया जाए। भेदभाव का शिकार होना पड़ा इस तरह रिजर्वेशन हमारा प्रेजेंटेशन सुनिश्चित करता है। हजारों साल तक हमारे दलित समाज को ,हमारे पूर्वजों को राजनीतिक तौर पर, सामाजिक तौर पर आर्थिक तौर पर, शैक्षणिक तौर पर और तरह-तरह के भेदभाव का शिकार होना पड़ा है। बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने 1932 एक्ट के समय प्रतिनिधित्व का अधिकार अनुसूचित जाति के समाज को दिलाया था। आजादी को 50 साल से ज्यादा हो गए जब सरकार उसके बाद बनी 2014 तक उन लोगों का दायित्व था कि जब देश की आजादी को 50 साल से ज्यादा हो गए और तब तक भी दलित समाज को अपनी बराबरी का हक नहीं दिला पाए, तो निश्चित तौर पर जो देश के अंदर शासन चलाने का उन लोगों का दायित्व बनता है कि एक लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी का शासन हमारे देश में रहा और जब जब दलित समाज का युवा कोई भी हो। राहुल के बयान का बेस बहुत पुराना भारत के संविधान को बाबा साहब को पढ़ता है, तो उनको पता लगता है कि किस तरह से कांग्रेस पार्टी ने दलित समाज के साथ अत्याचार किया और यह जो कहानी आज राहुल गांधी ने कांग्रेस के नेता ने अमेरिका में यूनिवर्सिटी में कही है कि मुझे मौका मिला तुम्हें रिजर्वेशन खत्म कर दूंगा। यह ऐसे ही नहीं कहा इसका बेस बहुत पुराना है। हरियाणा के अनुसूचित जाति मोर्चा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सत्यप्रकाश जरवाता सोमवार को कुरूक्षेत्र में पहुंचे। जहां पर उन्होंने एक होटल में पत्रकार वार्ता की। उन्होंने कहा कि हमारे दलित समाज के लिए अनुसूचित जाति समाज के लिए एक ऑक्सीजन है। हमारे देश के अंदर हम बिना आरक्षण और प्रतिनिधित्व कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते जिस तरह से एक मनुष्य के शरीर में खून निकाल दिया जाए। भेदभाव का शिकार होना पड़ा इस तरह रिजर्वेशन हमारा प्रेजेंटेशन सुनिश्चित करता है। हजारों साल तक हमारे दलित समाज को ,हमारे पूर्वजों को राजनीतिक तौर पर, सामाजिक तौर पर आर्थिक तौर पर, शैक्षणिक तौर पर और तरह-तरह के भेदभाव का शिकार होना पड़ा है। बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने 1932 एक्ट के समय प्रतिनिधित्व का अधिकार अनुसूचित जाति के समाज को दिलाया था। आजादी को 50 साल से ज्यादा हो गए जब सरकार उसके बाद बनी 2014 तक उन लोगों का दायित्व था कि जब देश की आजादी को 50 साल से ज्यादा हो गए और तब तक भी दलित समाज को अपनी बराबरी का हक नहीं दिला पाए, तो निश्चित तौर पर जो देश के अंदर शासन चलाने का उन लोगों का दायित्व बनता है कि एक लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी का शासन हमारे देश में रहा और जब जब दलित समाज का युवा कोई भी हो। राहुल के बयान का बेस बहुत पुराना भारत के संविधान को बाबा साहब को पढ़ता है, तो उनको पता लगता है कि किस तरह से कांग्रेस पार्टी ने दलित समाज के साथ अत्याचार किया और यह जो कहानी आज राहुल गांधी ने कांग्रेस के नेता ने अमेरिका में यूनिवर्सिटी में कही है कि मुझे मौका मिला तुम्हें रिजर्वेशन खत्म कर दूंगा। यह ऐसे ही नहीं कहा इसका बेस बहुत पुराना है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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यमुनानगर में जल खंडित होने पर भड़के कांवड़िया:हरिद्वार मार्ग किया जाम; रोड़वेज बस ने कांवड़ को मार दी थी टक्कर यमुनानगर जिले के रादौर अनाज मंडी के पास आज हरिद्वार से जल लेकर जा रहे कावड़िये को हरियाणा रोडवेज की बस से टकराकर जल खंडित होने पर कांवड़िये भड़क गए और उन्होंने हाइवे पर कुरुक्षेत्र से हरिद्वार मार्ग पर जाम लगा दिया। रादौर पुलिस को सूचना मिलती है पुलिस मौके पर पहुंची और उन्होंने स्थिति का जायजा लिया। रादौर में सुबह सहारनपुर- कुरुक्षेत्र हाईवे मार्ग पर अनाज मंडी के पास रोडवेज की बस की साइड लग जाने के कारण एक कांवड़िये का जल खंडित हो गया। जिसके बाद भड़के कांवड़ियों ने हाइवे मार्ग जाम कर दिया, जिससे सड़क के दोनों और वाहनों की लम्बी लाइन लग गई। पुलिस ने कड़ी मशक्क्त कर कांवड़ियों को मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद कांवड़ियों ने जाम खोल दिया। कांवड़ियों ने की कार्रवाई की मांग कैथल के कस्बा राजौंद के गांव कोटड़ा निवासी सत्यवान ने बताया कि वे रादौर अनाजमंडी में लगे शिविर से चंद कदम ही चले थे की रोडवेज के बस चालक ने उनके एक साथी अमन की कांवड़ को साइड से टक्कर मार दी, जिससे उसकी कांवड़ सड़क पर गिरकर खंडित हो गई। लेकिन इस बीच बस चालक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा की कांवड़ियां ठीक है या नहीं। जिससे आक्रोशित कांवड़ियों ने जाम लगाया है। सत्यवान ने कहा कि उनकी मांग है कि उनका जो जल खंडित हुआ है उसे दोबारा हरिद्वार से लाया जाए और आरोपी बस चालक की पहचान कर उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। पुलिस की और कांवड़ियों में हुई बहस रादौर थाना प्रभारी महेंद्र सिंह और कांवड़ियों के बीच काफी बहस हुई। लेकिन बाद में पुलिस ने कांवड़ियों को मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद कांवड़ियों ने जाम खोल दिया और वो आगे अपने गंतव्य की और बढ़ गए। थाना प्रभारी महेंद्र सिंह ने बताया कि बस की फुटेज चेक करेंगे अगर नंबर आ जाता है तो कार्रवाई करेंगे।
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तलाक के बाद भी बच्चों पर मां का अधिकार:पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश, कहा- लिव-इन रिलेशनशिप का कोई प्रभाव नहीं पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि तलाक के बाद किसी अन्य व्यक्ति के साथ रिश्ते में आने से मां का अपने नाबालिग बच्चों पर अधिकार समाप्त नहीं होता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मां और बच्चे के बीच का प्राकृतिक संबंध अटूट है, जिसे वैवाहिक संबंध टूटने के बावजूद खत्म नहीं किया जा सकता। इस फैसले के तहत एक महिला को तलाक के 8 साल बाद अपने बच्चों की कस्टडी सौंपने का आदेश दिया गया, भले ही वह लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी। क्या है पूरा मामला यह मामला 2009 में हुई एक शादी से जुड़ा है। जिसमें 2010 और 2013 में दंपती दो बच्चों के माता-पिता बने। लेकिन आपसी विवादों के चलते पति ने पत्नी पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया, जिसके बाद 2016 में दोनों ने तलाक ले लिया। तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी को लेकर विवाद खड़ा हो गया और कुरुक्षेत्र (हरियाणा) की पारिवारिक अदालत ने बच्चों की कस्टडी पिता को सौंप दी, जबकि महिला को प्रति माह बच्चों से मिलने की अनुमति दी गई। महिला की याचिका और हाईकोर्ट का फैसला महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बच्चों की कस्टडी की मांग की, जिसमें उसने तर्क दिया कि भले ही वह लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है, लेकिन इससे उसके मातृत्व का अधिकार प्रभावित नहीं होता। उसने यह भी आरोप लगाया कि बच्चे अपने दादा-दादी के साथ रह रहे हैं, जहां उनके साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है। दूसरी ओर, पति ने अदालत में दलील दी कि महिला के अन्य पुरुषों से संबंध होने के कारण उसे बच्चों की कस्टडी नहीं दी जानी चाहिए। इस दावे के समर्थन में कुछ वीडियो और साक्ष्य भी पेश किए गए थे। हाईकोर्ट का तर्क हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वैवाहिक संबंध टूटने के बाद भी मां का अपने बच्चों पर अधिकार बना रहता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि बच्चों के लिए मां और पिता दोनों का प्यार और देखभाल आवश्यक है, ताकि वे अपने जीवन में बेहतर विकास कर सकें। कोर्ट ने यह भी कहा कि मां के लिव-इन में रहने से उसके मातृत्व अधिकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और बच्चों की भलाई के लिए उसे उनकी कस्टडी सौंपना उचित है। इस प्रकार, हाईकोर्ट ने महिला को बच्चों की कस्टडी सौंपने का आदेश दिया, जिससे यह स्पष्ट संदेश गया कि तलाक और नए रिश्ते बच्चों पर मां के अधिकार को समाप्त नहीं कर सकते।
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हरियाणा में फर्जी डॉक्यूमेंट से डॉक्टरों ने ली एनओसी:मध्यप्रदेश और उड़ीसा भेजी HMC की जांच में खुलासा; 5 के रजिस्ट्रेशन किए रद्द हरियाणा मेडिकल काउंसिल ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने वाले डॉक्टरों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है। ऐसे ही 7 डॉक्टरों की एनओसी फर्जी मिलने पर काउंसिल की तरफ से कार्रवाई अमल में लाई गई है। एचएमसी ने 5 डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है, 2 का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की तैयारी चल रही है। बाकायदा इन सभी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई जाएगी। जिसे लेकर काउंसिल की तरफ से डीजीएचएस डॉ. मनीष बंसल और डा. कुलदीप को भी जानकारी मुहैया करवा दी गई है। इस पूरे फर्जीवाड़े की पोल काउंसिल के चेयरमैन डॉ. आरके अनेजा ने गहन जांच के बाद खोली है। जिसके तहत अब उन्होंने पुलिस को एफआईआर के लिए पत्र भी लिखा है। ऐसे ही एक अन्य मामले में भी काउंसिल ने लीगल ओपिनियन के लिए केस भेजा है, जिस पर राय मिलते ही डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। इन डॉक्टरों का रद हुआ रजिस्ट्रेशन हरियाणा मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. मनदीप सचेदवा ने बताया कि जिन 5 डॉक्टरों ने फर्जी एनओसी के बल पर रजिस्ट्रेशन के लिए काउंसिल के पास आवेदन किया था। उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है। इनमें डॉ. प्रवेश कुमार ने फर्जी एनओसी दी थी, जिसकी मध्य प्रदेश से सत्यता पता लगाई गई। मध्य प्रदेश ने यह एनओसी फर्जी होने की बात कही। इसी तरह से डॉ. अंकित त्यागी की फर्जी एनओसी को पता लगाने के लिए एमएमयू मुलाना भेजा गया था। जहां से उसके फर्जी होने का पता चला। डॉ. शत्रुघन यादव की एनओसी को मध्य प्रदेश ने फर्जी बताया है। डॉ. प्रदीप कुमार जयसवाल की एनओसी को एमएमयू मुलाना ने फर्जी बताया है। इसके अलावा डॉ. कुनाल की एनओसी को भी उड़ीसा ने फर्जी बताया है। हेल्थ मिनिस्टर के निर्देश पर शुरू हुई जांच हरियाणा मेडिकल काउंसिल ने यह जांच हेल्थ मिनिस्टर आरती राव के निर्देश पर शुरू की है। जांच के दौरान काउंसिल के पास रजिस्ट्रेशन के लिए पहुंचने वाली हर एनओसी की सत्यता का पता लगाया जाता है, जिसके बाद ही चिकित्सकों को रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। बाकायदा काउंसिल की कार्रवाई से डीजीएचएस को भी जानकारी दी जाती है। फर्जी डॉक्टरों के गैंग का पता लगाएगी काउंसिल मामले में काउंसिल से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अगर किसी की एनओसी फर्जी पाई जाती है तो एक तरह से वह फर्जी डॉक्टर ही होता है। काउंसिल आगे इस निष्कर्ष तक भी पहुंचने का प्रयास करेगी कि आखिर ऐसे गलत लोगों को फर्जी एनओसी कौन जारी करता और इसमें कौन लोग शामिल हैं। जांच के बाद ही रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।