गंगा उफान पर हैं। वॉर्निंग लेवल से 76 सेंटीमीटर ऊपर नदी बह रही है। सिर्फ 18 सेंटीमीटर पानी का लेवल और बढ़ जाए तो नदी खतरे के निशान को पार कर जाएगी। कानपुर में बिठूर से बैराज और कटरी से सटे 13 गांवों में 6 फीट तक पानी भरा है। गृहस्थी के सामान डूब गए हैं। 15 हजार आबादी के सामने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने का संकट खड़ा है। पांडु नदी का पानी कटरी के चैनपुरवा में सबसे ज्यादा भरा है। बिठूर से चैनपुरवा तक 8 गांवों का मेन सड़क से संपर्क टूट चुका है। कानपुर साउथ में भी स्थिति बदहाल है। आलम यह है कि जिन सड़कों पर गाड़ियां दौड़ती थीं, आज वहां नाव चल रही हैं। गांव के लोग गले तक गले तक पानी से होकर आने-जाने को मजबूर हैं। करीब 1 हजार बीघा फसल बर्बाद हो चुकी है। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट… 13 गांवों में नदियों का पानी, किसान बोले- हम बर्बाद हो गए
बाढ़ से घिरे लोगों का दर्द जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम मैनावती रोड से जोड़ने वाले रास्ते पर पहुंची। यहां घुटनों तक पानी भरा हुआ था। इसके आगे भोपालपुरवा गांव है। वहां पहुंचने के लिए नाव पर जाना था। नाव चला रहे व्यक्ति से हमने पूछा- पानी किन-किन गांव में पहुंचा है? उसने कहा- कुल 13 गांव बताए जा रहे हैं, जहां नदियों का पानी पहुंचा है। चैनपुरवा, भोपालपुरवा, धारमखेड़ा, देवनीपुरवा, नई बस्ती, मंगलपुरवा बड़ा, मंगलपुरवा छोटा, पहाड़ीपुर, कटरी शंकरपुर सराय, गंगा बैराज नई बस्ती, नत्थापुरवा, मेघनपुरवा और कल्लूपुरवा हैं। हम सबसे पहले भोपालपुरवा गांव पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात किसान कमलेश से हुई। उनके सिर पर मवेशियों के चारे की गठरी थी। हमने पूछा- चाचा कहां से आ रहे हो? तब वह बोले- हाईवे से आ रहे हैं। मवेशी घर पर ही बंधे हैं। उनको चारा देना है। हर तरफ पानी आ गया है। सड़कें डूबी हुई हैं। हमने पूछा – गांव में लोग कम दिख रहे हैं? वह कहते हैं – गांव में तो पानी आ चुका है। लोग ऊंची जगहों पर जा चुके हैं। कुछ अपने रिश्तेदारों के घर शिफ्ट हो गए। कितने लोग शिफ्ट हुए। वह बोले- ये मुझे कैसे पता होगा। नदी के पानी से खेत-खलिहान सब डूबे
यहां से आगे बढ़ते हुए हम बनियापुरवा गांव पहुंचे। यहां हमें अनिल मिले। उन्होंने बताया- पानी की वजह से खेत-खलिहान सब डूब गया। भगवानदीनपुरवा में बाढ़ से जीना मुहाल हो गया है। खाने-पीने तक की समस्या है। जानवरों को बाहर ले जाकर सड़क की तरफ बांधा है। घर में पानी घुस गया है। गांव में कुछ ही लोग बचे हैं। कानपुर बैराज के सभी 30 गेट खोले, गांव में राहत सामग्री बांटी जा रही
बिठूर से बैराज के बीच भगवानदीनपुरा और भोपालपुरवा में बाढ़ जैसे हालात हैं। वहीं बैराज से आगे की कटरी में चैनपुरवा भी बाढ़ की चपेट में है। कानपुर बैराज के सभी 30 गेट पूरी तरह खोल दिए गए हैं। इससे हालात और खराब हो गए हैं। नाव से गुजरते हुए हम भोपालपुरवा गांव से भगवानदीनपुरवा गांव तक गए। भगवानदीनपुरवा गांव तक नाव से पहुंचने में हमें करीब 1 घंटा लगा। यहां अधिकारी भी नाव से भगवानदीनपुरवा की तरफ बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री बांटने के लिए जाते हुए दिखे। बाढ़ का पानी करीब 10 फीट तक चढ़ा हुआ है। बीच में पड़ने वाले फॉर्म हाउस भी आधे से ज्यादा डूब गए हैं। सभी में ताला लगा हुआ है। गोद में उठाकर जानवरों को ले जा रहे ग्रामीण
ग्रामीण अपने जानवरों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं। जानवरों के बच्चों को ग्रामीण गोद में उठाकर ले जाते हुए दिखे। पूछने पर रमेश ने बताया- पानी लगातार बढ़ रहा है। जरूरत पड़ी तो हम नाव से चले जाएंगे, लेकिन जानवरों को कैसे ले जाएंगे। इसलिए बाढ़ के पानी के बीच ले जाने के लिए मजबूर हैं। वहीं कई ग्रामीण चारपाई, सिलेंडर, खाने-पीने का सामान लेकर गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे थे। इस बीच सभी को नाव न मिलने पर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। पानी में तैर रहे घर के सामान, 2 तस्वीरों में देखिए… इन गांवों में पहुंचा बाढ़ का पानी
नदी के बाएं तट पर स्थित ग्राम पंचायत लोधवा खेड़ा के चौनपुरवा, धारमखेड़ा, देवनीपुरवा, नई बस्ती, मंगलपुरवा बड़ा, मंगलपुरवा छोटा, पहाड़ीपुर, कटरी शंकरपुर सराय ग्राम पंचायत के ग्राम गंगा बैराज नई बस्ती, नत्थापुरवा, रामनिहालपुर, मेघनपुरवा, कल्लूपुरवा और कच्ची मड़ैया बाढ़ से घिर गए हैं। शहर की तरफ भी बढ़ा पानी
शहर के उत्तरी भाग में मकड़ीखेड़ा, सरस्वती विहार, गुप्ता सोसाइटी, वसुधा विहार और नवाबगंज से सटे कई मोहल्लों में भारी जलभराव है। इस वजह से भी लोग घरों को छोड़कर अन्यत्र पलायन करने लगे हैं। मकड़ीखेड़ा में तो बच्चों का स्कूल जाना ही मुश्किल हो गया है। घुटने से अधिक पानी में लोग घरों से पानी में घुसकर निकल रहे हैं। भैरवघाट के अंदर 10 साल बाद आया पानी
रविवार को गंगा का पानी कानपुर के शहरी क्षेत्र भैरवघाट के अंदर तक आ गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां करीब 10 साल बाद पानी भैरवघाट के अंदर आया है। घाट के बगल में बने मंदिर के अंदर तक पानी घुस गया है। मंदिर के अंदर करीब 6 फीट तक पानी घुस गया है। वहीं अटल घाट, सरसैयाघाट, भैरवघाट समेत अन्य घाटों पर एहतियात बरती जा रही है। डूबकर एक बच्चे की हो गई मौत
रविवार को बनियापुवा गांव निवासी 10 वर्षीय बच्चे की मौत बाढ़ के पानी में डूबकर हो गई। पिता राजकुमार भी डूबने से बचे। गंगा नदी अब भी खतरे के निशान से 18 सेंटीमीटर दूर रह गईं हैं। शुक्लागंज के क्षेत्र भी बाढ़ में डूबे
शुक्लागंज के निचले इलाकों की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। यहां वार्निंग पॉइंट से 15 सेंटीमीटर ऊपर गंगा का जलस्तर पहुंच चुका है। रविवार को यहां से इस सीजन का रिकॉर्ड 4.23 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। हालांकि सिंचाई विभाग का मानना है कि जल्द ही पानी घटना शुरू हो जाएगा। यह खबर भी पढ़ें:- भारत-बांग्लादेश दूसरे टेस्ट मैच के लिए ग्रीन पार्क तैयार: HBTU टीम ने ठीक की C बालकनी, 22 हजार दर्शक देख सकेंगे मैच कानपुर में भारत-बांग्लादेश के बीच दूसरा टेस्ट मैच 27 सितंबर को ग्रीन पार्क मैदान में खेला जाएगा। मैच को अब चार दिन बचे हैं। इससे पहले स्टेडियम की सबसे बड़ी बाधा दूर की गई। स्टेडियम की C बालकनी और स्टॉल में आई दरारों के कारण यह दर्शकों के बैठने के लिए असुरक्षित मानी जा रही थी। पढ़ें पूरी खबर… गंगा उफान पर हैं। वॉर्निंग लेवल से 76 सेंटीमीटर ऊपर नदी बह रही है। सिर्फ 18 सेंटीमीटर पानी का लेवल और बढ़ जाए तो नदी खतरे के निशान को पार कर जाएगी। कानपुर में बिठूर से बैराज और कटरी से सटे 13 गांवों में 6 फीट तक पानी भरा है। गृहस्थी के सामान डूब गए हैं। 15 हजार आबादी के सामने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने का संकट खड़ा है। पांडु नदी का पानी कटरी के चैनपुरवा में सबसे ज्यादा भरा है। बिठूर से चैनपुरवा तक 8 गांवों का मेन सड़क से संपर्क टूट चुका है। कानपुर साउथ में भी स्थिति बदहाल है। आलम यह है कि जिन सड़कों पर गाड़ियां दौड़ती थीं, आज वहां नाव चल रही हैं। गांव के लोग गले तक गले तक पानी से होकर आने-जाने को मजबूर हैं। करीब 1 हजार बीघा फसल बर्बाद हो चुकी है। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट… 13 गांवों में नदियों का पानी, किसान बोले- हम बर्बाद हो गए
बाढ़ से घिरे लोगों का दर्द जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम मैनावती रोड से जोड़ने वाले रास्ते पर पहुंची। यहां घुटनों तक पानी भरा हुआ था। इसके आगे भोपालपुरवा गांव है। वहां पहुंचने के लिए नाव पर जाना था। नाव चला रहे व्यक्ति से हमने पूछा- पानी किन-किन गांव में पहुंचा है? उसने कहा- कुल 13 गांव बताए जा रहे हैं, जहां नदियों का पानी पहुंचा है। चैनपुरवा, भोपालपुरवा, धारमखेड़ा, देवनीपुरवा, नई बस्ती, मंगलपुरवा बड़ा, मंगलपुरवा छोटा, पहाड़ीपुर, कटरी शंकरपुर सराय, गंगा बैराज नई बस्ती, नत्थापुरवा, मेघनपुरवा और कल्लूपुरवा हैं। हम सबसे पहले भोपालपुरवा गांव पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात किसान कमलेश से हुई। उनके सिर पर मवेशियों के चारे की गठरी थी। हमने पूछा- चाचा कहां से आ रहे हो? तब वह बोले- हाईवे से आ रहे हैं। मवेशी घर पर ही बंधे हैं। उनको चारा देना है। हर तरफ पानी आ गया है। सड़कें डूबी हुई हैं। हमने पूछा – गांव में लोग कम दिख रहे हैं? वह कहते हैं – गांव में तो पानी आ चुका है। लोग ऊंची जगहों पर जा चुके हैं। कुछ अपने रिश्तेदारों के घर शिफ्ट हो गए। कितने लोग शिफ्ट हुए। वह बोले- ये मुझे कैसे पता होगा। नदी के पानी से खेत-खलिहान सब डूबे
यहां से आगे बढ़ते हुए हम बनियापुरवा गांव पहुंचे। यहां हमें अनिल मिले। उन्होंने बताया- पानी की वजह से खेत-खलिहान सब डूब गया। भगवानदीनपुरवा में बाढ़ से जीना मुहाल हो गया है। खाने-पीने तक की समस्या है। जानवरों को बाहर ले जाकर सड़क की तरफ बांधा है। घर में पानी घुस गया है। गांव में कुछ ही लोग बचे हैं। कानपुर बैराज के सभी 30 गेट खोले, गांव में राहत सामग्री बांटी जा रही
बिठूर से बैराज के बीच भगवानदीनपुरा और भोपालपुरवा में बाढ़ जैसे हालात हैं। वहीं बैराज से आगे की कटरी में चैनपुरवा भी बाढ़ की चपेट में है। कानपुर बैराज के सभी 30 गेट पूरी तरह खोल दिए गए हैं। इससे हालात और खराब हो गए हैं। नाव से गुजरते हुए हम भोपालपुरवा गांव से भगवानदीनपुरवा गांव तक गए। भगवानदीनपुरवा गांव तक नाव से पहुंचने में हमें करीब 1 घंटा लगा। यहां अधिकारी भी नाव से भगवानदीनपुरवा की तरफ बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री बांटने के लिए जाते हुए दिखे। बाढ़ का पानी करीब 10 फीट तक चढ़ा हुआ है। बीच में पड़ने वाले फॉर्म हाउस भी आधे से ज्यादा डूब गए हैं। सभी में ताला लगा हुआ है। गोद में उठाकर जानवरों को ले जा रहे ग्रामीण
ग्रामीण अपने जानवरों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं। जानवरों के बच्चों को ग्रामीण गोद में उठाकर ले जाते हुए दिखे। पूछने पर रमेश ने बताया- पानी लगातार बढ़ रहा है। जरूरत पड़ी तो हम नाव से चले जाएंगे, लेकिन जानवरों को कैसे ले जाएंगे। इसलिए बाढ़ के पानी के बीच ले जाने के लिए मजबूर हैं। वहीं कई ग्रामीण चारपाई, सिलेंडर, खाने-पीने का सामान लेकर गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे थे। इस बीच सभी को नाव न मिलने पर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। पानी में तैर रहे घर के सामान, 2 तस्वीरों में देखिए… इन गांवों में पहुंचा बाढ़ का पानी
नदी के बाएं तट पर स्थित ग्राम पंचायत लोधवा खेड़ा के चौनपुरवा, धारमखेड़ा, देवनीपुरवा, नई बस्ती, मंगलपुरवा बड़ा, मंगलपुरवा छोटा, पहाड़ीपुर, कटरी शंकरपुर सराय ग्राम पंचायत के ग्राम गंगा बैराज नई बस्ती, नत्थापुरवा, रामनिहालपुर, मेघनपुरवा, कल्लूपुरवा और कच्ची मड़ैया बाढ़ से घिर गए हैं। शहर की तरफ भी बढ़ा पानी
शहर के उत्तरी भाग में मकड़ीखेड़ा, सरस्वती विहार, गुप्ता सोसाइटी, वसुधा विहार और नवाबगंज से सटे कई मोहल्लों में भारी जलभराव है। इस वजह से भी लोग घरों को छोड़कर अन्यत्र पलायन करने लगे हैं। मकड़ीखेड़ा में तो बच्चों का स्कूल जाना ही मुश्किल हो गया है। घुटने से अधिक पानी में लोग घरों से पानी में घुसकर निकल रहे हैं। भैरवघाट के अंदर 10 साल बाद आया पानी
रविवार को गंगा का पानी कानपुर के शहरी क्षेत्र भैरवघाट के अंदर तक आ गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां करीब 10 साल बाद पानी भैरवघाट के अंदर आया है। घाट के बगल में बने मंदिर के अंदर तक पानी घुस गया है। मंदिर के अंदर करीब 6 फीट तक पानी घुस गया है। वहीं अटल घाट, सरसैयाघाट, भैरवघाट समेत अन्य घाटों पर एहतियात बरती जा रही है। डूबकर एक बच्चे की हो गई मौत
रविवार को बनियापुवा गांव निवासी 10 वर्षीय बच्चे की मौत बाढ़ के पानी में डूबकर हो गई। पिता राजकुमार भी डूबने से बचे। गंगा नदी अब भी खतरे के निशान से 18 सेंटीमीटर दूर रह गईं हैं। शुक्लागंज के क्षेत्र भी बाढ़ में डूबे
शुक्लागंज के निचले इलाकों की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। यहां वार्निंग पॉइंट से 15 सेंटीमीटर ऊपर गंगा का जलस्तर पहुंच चुका है। रविवार को यहां से इस सीजन का रिकॉर्ड 4.23 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। हालांकि सिंचाई विभाग का मानना है कि जल्द ही पानी घटना शुरू हो जाएगा। यह खबर भी पढ़ें:- भारत-बांग्लादेश दूसरे टेस्ट मैच के लिए ग्रीन पार्क तैयार: HBTU टीम ने ठीक की C बालकनी, 22 हजार दर्शक देख सकेंगे मैच कानपुर में भारत-बांग्लादेश के बीच दूसरा टेस्ट मैच 27 सितंबर को ग्रीन पार्क मैदान में खेला जाएगा। मैच को अब चार दिन बचे हैं। इससे पहले स्टेडियम की सबसे बड़ी बाधा दूर की गई। स्टेडियम की C बालकनी और स्टॉल में आई दरारों के कारण यह दर्शकों के बैठने के लिए असुरक्षित मानी जा रही थी। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर