‘मैं बिहार से यहां इंजीनियर बनने आई थी। मेरे पिताजी बचपन में गुजर गए, घर पर दो छोटे भाई और मां हैं। थोड़ी-सी खेती है, उससे हमारा गुजारा चलता है। इंजीनियर बनने के लिए मैंने दिन-रात मेहनत की। पॉलिटेक्निक एग्जाम पास कर इस सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया, फीस कम लगे। सोचा था, जल्द सफल होकर अपनी मां का सहारा बनूंगी…। लेकिन, 8 सब्जेक्ट में बैक आने के बाद मेरे पास अब कुछ नहीं बचा। मैं क्या मुंह लेकर घर लौटूं? ईयर-बैक करके पढ़ाई कैसे करूं? फीस, करियर, टाइम सब चला गया…मेरे पास लास्ट ऑप्शन बस सुसाइड करना है…।’ यह दर्द है मेरठ के मुख्तार सिंह राजकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज की उन छात्राओं का, जो घर से दूर इंजीनियर बनने का सपना लेकर मेरठ आई हैं। छात्राओं का कहना है, जब हम लोग HOD अरुण गौतम के यहां अपनी बात कहने गए, तो उन्होंने कहा कि सुंदर लड़कियां यहीं रहें, बाकी लड़कियां बीए या बीएससी कर लो। दैनिक भास्कर दौराला में उसी मुख्तार सिंह राजकीय महिला पॉलिटेक्निक पहुंचा और छात्राओं से पूरा मामला समझा… रितिका बोली- मेरी 8 सब्जेक्ट में बैक आई है
कॉलेज में हमें सबसे पहले रितिका यादव मिली। रितिका सीएस फर्स्ट ईयर की छात्रा है। उसकी 8 सब्जेक्ट में बैक आई है। 10वीं में रितिका के गणित में 80 फीसदी नंबर आए थे। वह कहती है- जिनके पिता नहीं होते उनको बहुत सुनना और सहना पढ़ता है। लोग यही समझेंगे कि लड़की ने कुछ गलत काम किया होगा। मेरी गणित में ही बैक आई है। यह बिल्कुल सही नहीं है। घरवाले किसी तरह पढ़ा रहे अब दोबारा फीस कहां से लाएं
गाजीपुर से यहां पढ़ने आई एक अन्य छात्रा ने कहा- मैं गांव से आई हूं। और भी छात्राएं हैं, जो परिवार से कमजोर हैं। हमारे मम्मी-पापा हम लोगों को किसी तरह पढ़ा रहे हैं। लेकिन, संस्थान या शासन को इससे मतलब नहीं। हम लोग तो फेल हो गए। अगर एक साथ इतनी लड़कियों की बैक आए, वो फेल हों तो ये संस्थान की भी जिम्मेदारी है। यहां के टीचर्स ने क्या पढ़ाया, जो बच्चे फेल हो गए? हम लोगों को करियर दांव पर लग गया। सारी मेहनत, पैसा और समय बर्बाद हो गया। अब दोबारा से 2 साल पढ़ाई करें, पूरी फीस भरें। यहां घर से दूर किराए पर रहते हैं। खाना, किराया का पैसा अलग से जाता है। यह अब फिर देना पड़ेगा। कहां से ये सब लाएं? हम लोग के पास तो कुछ भी नहीं बचा। 78 लड़कियां हो गई हैं फेल
इस संस्थान की ज्यादातर छात्राओं की यही कहानी है। ये महिलाओं के लिए सरकारी पॉलिटेक्निक है। यहां मेरिट के आधार पर छात्राओं को एडमिशन दिया जाता है। लेकिन, इस संस्थान में 104 छात्राओं में से 78 फेल हो गई हैं। कई छात्राओं की बैक आई है। छात्राओं ने कॉलेज स्टाफ पर बॉडी-शेमिंग का आरोप लगाया है। कहा, जब अपनी शिकायत लेकर वो टीचिंग स्टाफ के पास गईं तो उन्हें मेल टीचर ने कहा कि सुंदर लड़कियां यहीं रहकर पढ़ाई करें। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर साधा निशाना स्टूडेंट्स लगातार कर रहीं हंगामा कॉलेज में फेल होने वाली लड़कियां दूर-दराज के राज्यों से यहां पढ़ने आई हैं। उनका कहना है कि उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई की और परीक्षा भी अच्छी गई। अब अधिकांश छात्राओं के नंबर काफी कम आए हैं। टीचर कहते हैं कि 500 रुपए जमा कराकर दोबारा परीक्षा कॉपी की जांच करा लो। जिसको पढ़ना है पढ़ो, जिसे घर जाना है चले जाओ। छात्राओं की मांग है कि उनसे रिइवेलुएशन फीस न ली जाए। उन्हें फ्री कॉपी रीइवेलुएट कराने की सुविधा मिले। वहीं, तमाम छात्राएं अब तक इस बात को समझ ही नहीं पा रहीं कि जिस विषय में वो टॉपर थीं, उसी में अब फेल हैं। प्रिंसिपल बोले- चुनावी ड्यूटी में पढ़ाई प्रभावित हुई दैनिक भास्कर ने इस मामले में प्रिंसिपल मुकेश गुप्ता से बात की। उन्होंने कहा- छात्राओं ने स्टाफ पर जो आरोप लगाए हैं, हम उसकी जांच कराएंगे। अगर जांच में आरोप सही मिले, तो शासन को पत्र भेजेंगे। जिन छात्राओं के नंबर कम आए हैं, उसकी कॉपियां हमारे यहां चेक नहीं हुईं। शिक्षक चुनाव की ड्यूटी में लगे रहे। मैंने खुद चुनाव में ड्यूटी की है। इसलिए हम पूरी कक्षाएं नहीं ले सके। ये भी पढ़ें… डिप्टी रेंजर ने कार से 4 को रौंदा..2 की मौत, गोंडा में भीड़ ने दौड़ाकर पकड़ा; 100 की स्पीड में थी गाड़ी गोंडा में डिप्टी रेंजर ने 100 की स्पीड में कार से 4 लोगों को रौंद दिया। हादसे में मासूम समेत 2 लोगों की मौत हो गई। वारदात के बाद डिप्टी रेंजर भाग रहे थे। ग्रामीणों ने उन्हें दौड़कर पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया। पढ़ें पूरी खबर ‘मैं बिहार से यहां इंजीनियर बनने आई थी। मेरे पिताजी बचपन में गुजर गए, घर पर दो छोटे भाई और मां हैं। थोड़ी-सी खेती है, उससे हमारा गुजारा चलता है। इंजीनियर बनने के लिए मैंने दिन-रात मेहनत की। पॉलिटेक्निक एग्जाम पास कर इस सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया, फीस कम लगे। सोचा था, जल्द सफल होकर अपनी मां का सहारा बनूंगी…। लेकिन, 8 सब्जेक्ट में बैक आने के बाद मेरे पास अब कुछ नहीं बचा। मैं क्या मुंह लेकर घर लौटूं? ईयर-बैक करके पढ़ाई कैसे करूं? फीस, करियर, टाइम सब चला गया…मेरे पास लास्ट ऑप्शन बस सुसाइड करना है…।’ यह दर्द है मेरठ के मुख्तार सिंह राजकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज की उन छात्राओं का, जो घर से दूर इंजीनियर बनने का सपना लेकर मेरठ आई हैं। छात्राओं का कहना है, जब हम लोग HOD अरुण गौतम के यहां अपनी बात कहने गए, तो उन्होंने कहा कि सुंदर लड़कियां यहीं रहें, बाकी लड़कियां बीए या बीएससी कर लो। दैनिक भास्कर दौराला में उसी मुख्तार सिंह राजकीय महिला पॉलिटेक्निक पहुंचा और छात्राओं से पूरा मामला समझा… रितिका बोली- मेरी 8 सब्जेक्ट में बैक आई है
कॉलेज में हमें सबसे पहले रितिका यादव मिली। रितिका सीएस फर्स्ट ईयर की छात्रा है। उसकी 8 सब्जेक्ट में बैक आई है। 10वीं में रितिका के गणित में 80 फीसदी नंबर आए थे। वह कहती है- जिनके पिता नहीं होते उनको बहुत सुनना और सहना पढ़ता है। लोग यही समझेंगे कि लड़की ने कुछ गलत काम किया होगा। मेरी गणित में ही बैक आई है। यह बिल्कुल सही नहीं है। घरवाले किसी तरह पढ़ा रहे अब दोबारा फीस कहां से लाएं
गाजीपुर से यहां पढ़ने आई एक अन्य छात्रा ने कहा- मैं गांव से आई हूं। और भी छात्राएं हैं, जो परिवार से कमजोर हैं। हमारे मम्मी-पापा हम लोगों को किसी तरह पढ़ा रहे हैं। लेकिन, संस्थान या शासन को इससे मतलब नहीं। हम लोग तो फेल हो गए। अगर एक साथ इतनी लड़कियों की बैक आए, वो फेल हों तो ये संस्थान की भी जिम्मेदारी है। यहां के टीचर्स ने क्या पढ़ाया, जो बच्चे फेल हो गए? हम लोगों को करियर दांव पर लग गया। सारी मेहनत, पैसा और समय बर्बाद हो गया। अब दोबारा से 2 साल पढ़ाई करें, पूरी फीस भरें। यहां घर से दूर किराए पर रहते हैं। खाना, किराया का पैसा अलग से जाता है। यह अब फिर देना पड़ेगा। कहां से ये सब लाएं? हम लोग के पास तो कुछ भी नहीं बचा। 78 लड़कियां हो गई हैं फेल
इस संस्थान की ज्यादातर छात्राओं की यही कहानी है। ये महिलाओं के लिए सरकारी पॉलिटेक्निक है। यहां मेरिट के आधार पर छात्राओं को एडमिशन दिया जाता है। लेकिन, इस संस्थान में 104 छात्राओं में से 78 फेल हो गई हैं। कई छात्राओं की बैक आई है। छात्राओं ने कॉलेज स्टाफ पर बॉडी-शेमिंग का आरोप लगाया है। कहा, जब अपनी शिकायत लेकर वो टीचिंग स्टाफ के पास गईं तो उन्हें मेल टीचर ने कहा कि सुंदर लड़कियां यहीं रहकर पढ़ाई करें। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर साधा निशाना स्टूडेंट्स लगातार कर रहीं हंगामा कॉलेज में फेल होने वाली लड़कियां दूर-दराज के राज्यों से यहां पढ़ने आई हैं। उनका कहना है कि उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई की और परीक्षा भी अच्छी गई। अब अधिकांश छात्राओं के नंबर काफी कम आए हैं। टीचर कहते हैं कि 500 रुपए जमा कराकर दोबारा परीक्षा कॉपी की जांच करा लो। जिसको पढ़ना है पढ़ो, जिसे घर जाना है चले जाओ। छात्राओं की मांग है कि उनसे रिइवेलुएशन फीस न ली जाए। उन्हें फ्री कॉपी रीइवेलुएट कराने की सुविधा मिले। वहीं, तमाम छात्राएं अब तक इस बात को समझ ही नहीं पा रहीं कि जिस विषय में वो टॉपर थीं, उसी में अब फेल हैं। प्रिंसिपल बोले- चुनावी ड्यूटी में पढ़ाई प्रभावित हुई दैनिक भास्कर ने इस मामले में प्रिंसिपल मुकेश गुप्ता से बात की। उन्होंने कहा- छात्राओं ने स्टाफ पर जो आरोप लगाए हैं, हम उसकी जांच कराएंगे। अगर जांच में आरोप सही मिले, तो शासन को पत्र भेजेंगे। जिन छात्राओं के नंबर कम आए हैं, उसकी कॉपियां हमारे यहां चेक नहीं हुईं। शिक्षक चुनाव की ड्यूटी में लगे रहे। मैंने खुद चुनाव में ड्यूटी की है। इसलिए हम पूरी कक्षाएं नहीं ले सके। ये भी पढ़ें… डिप्टी रेंजर ने कार से 4 को रौंदा..2 की मौत, गोंडा में भीड़ ने दौड़ाकर पकड़ा; 100 की स्पीड में थी गाड़ी गोंडा में डिप्टी रेंजर ने 100 की स्पीड में कार से 4 लोगों को रौंद दिया। हादसे में मासूम समेत 2 लोगों की मौत हो गई। वारदात के बाद डिप्टी रेंजर भाग रहे थे। ग्रामीणों ने उन्हें दौड़कर पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर