पंजाब के DGP गौरव यादव एक्शन मोड में आ गए हैं। आज उन्होंने मोहाली के फेज-11 के थाने का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने लोगों को दी जा सुविधाओं का जायजा लिया। साथ ही मुलाजिमों की दिक्कतों को जाना। इस दौरान उन्होंने थाने के एसएचओ रूम, मुंशी रूम, आईओ रूम और बैरक का निरीक्षण किया। DGP ने सांझ केंद्र का भी निरीक्षण किया, जहां उन्होंने महिला मित्रों से बातचीत की और उन्हें समुदाय की सेवा के प्रति निरंतर काम करने के लिए प्रेरित किया। तस्वीरों में डीजीपी की चेकिंग डीजीपी पहले बलौंगी गए, फिर थाने की चेकिंग की पंजाब पुलिस की तरफ से आज पूरे राज्य में CASO ऑपरेशन चलाया गया था। इसकी अगुवाई खुद DGP कर रहे थे। पहले डीजीपी ने बलौंगी एरिया का दौरा किया था। इसके बाद वह चंडीगढ़ से सटे फेज-11 के थाने में पहुंचे। इस दौरान उनके साथ पुलिस के सीनियर अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने सारे थाने का जायजा लिया। केस दर्ज करवाने आए से लोगों की मुश्किलों को जाना । हालांकि किसी तरह कोई खामी चेकिंग में सामने नहीं आई। इस दौरान अन्य थानों के अधिकारी भी वहां पर पहुंच गए। उन्होंने मुलाजिमों से उनका वर्किंग भी समझा। मुलाजिमों की संख्या से लेकर सारी दिक्कतों का जाना डीजीपी ने सबसे पहले थाने के मुंशी के कमरों का जायजा लिया। जहां पर उन्होंने शिकायत दर्ज करवाने आए लोगों से सवाल जवाब किए। अधिकतर इमिग्रेशन वाले वहां पर आए हुए थे। इसके बाद उन्होंने सीनियर अधिकारियों से पूछा कि एक थाने में कितने मुलाजिम तैनात है। अधिकारियों ने बताया कि 20 से 25 मुलाजिम। फिर थानों की संख्या पूछी गई। अधिकारियों ने कहा कि 21 थाने है। इस हिसाब से मुलाजिमों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 600 के करीब मुलाजिम काम कर रहे है। ऐसे में इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है। पंजाब के DGP गौरव यादव एक्शन मोड में आ गए हैं। आज उन्होंने मोहाली के फेज-11 के थाने का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने लोगों को दी जा सुविधाओं का जायजा लिया। साथ ही मुलाजिमों की दिक्कतों को जाना। इस दौरान उन्होंने थाने के एसएचओ रूम, मुंशी रूम, आईओ रूम और बैरक का निरीक्षण किया। DGP ने सांझ केंद्र का भी निरीक्षण किया, जहां उन्होंने महिला मित्रों से बातचीत की और उन्हें समुदाय की सेवा के प्रति निरंतर काम करने के लिए प्रेरित किया। तस्वीरों में डीजीपी की चेकिंग डीजीपी पहले बलौंगी गए, फिर थाने की चेकिंग की पंजाब पुलिस की तरफ से आज पूरे राज्य में CASO ऑपरेशन चलाया गया था। इसकी अगुवाई खुद DGP कर रहे थे। पहले डीजीपी ने बलौंगी एरिया का दौरा किया था। इसके बाद वह चंडीगढ़ से सटे फेज-11 के थाने में पहुंचे। इस दौरान उनके साथ पुलिस के सीनियर अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने सारे थाने का जायजा लिया। केस दर्ज करवाने आए से लोगों की मुश्किलों को जाना । हालांकि किसी तरह कोई खामी चेकिंग में सामने नहीं आई। इस दौरान अन्य थानों के अधिकारी भी वहां पर पहुंच गए। उन्होंने मुलाजिमों से उनका वर्किंग भी समझा। मुलाजिमों की संख्या से लेकर सारी दिक्कतों का जाना डीजीपी ने सबसे पहले थाने के मुंशी के कमरों का जायजा लिया। जहां पर उन्होंने शिकायत दर्ज करवाने आए लोगों से सवाल जवाब किए। अधिकतर इमिग्रेशन वाले वहां पर आए हुए थे। इसके बाद उन्होंने सीनियर अधिकारियों से पूछा कि एक थाने में कितने मुलाजिम तैनात है। अधिकारियों ने बताया कि 20 से 25 मुलाजिम। फिर थानों की संख्या पूछी गई। अधिकारियों ने कहा कि 21 थाने है। इस हिसाब से मुलाजिमों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 600 के करीब मुलाजिम काम कर रहे है। ऐसे में इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल तनखैया करार:अकाल तख्त ने दी धार्मिक सजा, जत्थेदार बोले- गुनाहों की माफी मांगें, राम रहीम को दी थी माफी
अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल तनखैया करार:अकाल तख्त ने दी धार्मिक सजा, जत्थेदार बोले- गुनाहों की माफी मांगें, राम रहीम को दी थी माफी पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को धार्मिक सजा सुना दी गई है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर को तनखैया करार दे दिया है। सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने का आरोप लगा था। ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा- ”अकाली दल प्रधान और डिप्टी सीएम रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप को अकसर को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ। 2007 से 2017 वाले सिख कैबिनेट मंत्री भी अपना स्पष्टीकरण दें।” अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि सुखबीर बादल एक साधारण सिख की तरह अकाल तख्त पर आकर अपने गुनाहों की माफी मांगें। सुखबीर बादल 15 दिन के भीतर अकाल तख्त पर पेश हों। अकाली दल के प्रवक्ता विरसा सिंह वल्टोहा ने कहा कि अब सुखबीर बादल अकाल तख्त में पेश होंगे। उसके बाद उन्हें गुनाह बताए जाएंगे, जिस पर सुखबीर बादल अपना पक्ष रखेंगे। बैठक से पहले अकाली दल ने बनाया कार्यकारी प्रधान
अकाली दल ने पांचों तख्तों की बैठक से पहले ही बीते दिन बलविंदर सिंह भूंदड़ को कार्यकारी प्रधान नियुक्त कर दिया। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बगावत झेल रहे अकाली दल ने ये निर्णय संवेदनशीलता को देखते हुए लिया है। कई सिख जत्थेबंदियों ने श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचकर सुखबीर बादल के इस्तीफे की मांग की थी। कार्यकारी प्रधान नियुक्त किए गए बलविंदर सिंह भूंदड़ बादल परिवार के करीबी रहे हैं। अब सिलसिलेवार पढ़िए पूरा मामला…. अकाली दल के बागी गुट ने सौंपा था माफीनामा
अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त पहुंचा था। इस दौरान यहां जत्थेदार को माफीनामा दिया था। जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों पर माफी मांगी गई। जिसमें डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने की गलती मानी गई है। 2015 में फरीदकोट के बरगाड़ी में बेअदबी की सही जांच न होने के लिए भी माफी मांगी गई। वहीं IPS अधिकारी सुमेध सैनी को DGP बनाने और मुहम्मद इजहार आलम की पत्नी को टिकट देने की भी गलती मानी गई। बागी गुट के अकाल तख्त को सौंपे माफीनामे में कबूली 4 गलतियां… 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत: 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचाया था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में SAD सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी: श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस फैसले से पीछे हटना पड़ा। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई: 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। शिरोमणि अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में सफल नहीं हुए। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ: SAD सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया था। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पुलिसकर्मी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। बताना चाहते हैं कि 2012 में बनी SAD सरकार और पिछली अकाली सरकारों ने भी राज्य में झूठे पुलिस मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच करने और पीड़ितों को राहत देने के लिए एक आयोग बनाकर लोगों से किए वादे विफल रहे। 14 जुलाई को स्पष्टीकरण मांगा, 24 को बंद लिफाफे में जवाब दिया
इसके बाद 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई। जिसमें 15 दिन के अंदर सुखबीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। इसके बाद 24 जुलाई को सुखबीर बादल ने बंद लिफाफे में श्री अकाल तख्त साहिब को स्पष्टीकरण दिया था। ये दिया था स्पष्टीकरण…
सुखबीर बादल ने लिखा था कि पंजाब का प्रशासनिक मुखिया होने के नाते मुझे इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। मैंने सौंपे गए कर्तव्यों का पूरी लगन और परिश्रम से पालन करने की कोशिश की है, लेकिन अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते समय कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जो अचानक घटित होता है। इससे आपका मन गहरी पीड़ा से गुजरता है और आप आत्मिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इस मामले में हमारी पश्चाताप की भावना प्रबल है। ऐसे समय में वे आंतरिक पीड़ा से भी गुजर रहे हैं, ऐसी भावना के साथ, वे गुरु को नमन कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि गुरु साहब शक्ति और दया प्रदान करें।