कांग्रेस के विपक्ष नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आज अमृतसर में ऐलान किया कि संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किए जा रहे बंद को वह पूर्ण समर्थन देंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान को घेरते हुए कहा कि वह इधर-उधर के दौरे बंद करें और पंजाब की मंडियों की तरफ ध्यान दें। जहां धान की बिक्री नहीं हो रही है। प्रताप बाजवा ने सांसद रवनीत बिट्टू पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि वह राज्यस्थान से राज्यसभा सांसद बनाए गए हैं इसीलिए पंजाब की बात ना करें। प्रताप सिंह बाजवा की ओर से आज अमृतसर में एक प्रेस कान्फ्रेंस की। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के सेक्रेटरी आलोक शर्मा, पूर्व डिप्टी सीएम ओम प्रकाश सोनी, सांसद गुरजीत सिंह औजला सहित अन्य नेता मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने धान की फसल का मुद्दा उठाया और कहा कि पंजाब के 5500 शेलर हैं जिन्होंने पिछले साल भी भगवंत मान सरकार की सरकार के कारण नुकसान झेला और इस बार भी नुकसान की कगार पर है। मंडियों में नहीं हो रही धान की खरीद उन्होंने कहा कि मंडियों में धान आ रही है, लेकिन ना तो संभाली जा रही है और ना ही उसकी बिक्री हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द से जल्द इसका हल नहीं किया गया को बंद पूर्ण समर्थन दिया जाएगा और संघर्ष किया जाएगा। प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान बीजेपी के साथ हैं तभी मंडियों में धान की समय से बिक्री नहीं हो रही ताकि फिर कम दामों पर इसे अडानी-अंबानी के एजेंट खरीद सकें। प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि इससे पंजाब के किसानों की रीढ़ की हड्डी टूट जाएगी। पंजाब एग्रो बेस्ड स्टेट है लेकिन भगवंत मान और आप की गलत पालिसीज़ के कारण पंजाब को नुकसान हो रहा है। सचिव और एडवाइजर बदलने पर कसा तंज उन्होंने भगवंत मान द्वारा सेक्रेटरी और एडवाइजर बदलने पर तंज कसते हुए कहा कि अब फिर से टोपी बदल कर पंजाब को लूटा जाएगा। पहले भी 2.50 साल तक लोगों को लूटा गया और अब फिर से एक नई एडिमिनिस्ट्रेशन पंजाब से पैसा दिल्ली इलेक्शन के लिए इकट्ठा करेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब में भी बेहद काबिल आफिसर हैं, लेकिन दिल्ली से सारे आफिसर लगाने का मतलब वही है जो कि महाराजा रंजीत सिंह के बाद अंग्रेजों का आना और देश पर कब्जा करना था। उन्होंने कहा कि पंजाब में ऐसा क्राइसिस आ रहा है जो कि 1947 के बाद से अब तक नहीं आया। उन्होंने हरियाणा इलेक्शन पर भी बात करते हुए कहा कि वहाँ की कई सीटों पर धांधली हुई है। कांग्रेस के विपक्ष नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आज अमृतसर में ऐलान किया कि संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किए जा रहे बंद को वह पूर्ण समर्थन देंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान को घेरते हुए कहा कि वह इधर-उधर के दौरे बंद करें और पंजाब की मंडियों की तरफ ध्यान दें। जहां धान की बिक्री नहीं हो रही है। प्रताप बाजवा ने सांसद रवनीत बिट्टू पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि वह राज्यस्थान से राज्यसभा सांसद बनाए गए हैं इसीलिए पंजाब की बात ना करें। प्रताप सिंह बाजवा की ओर से आज अमृतसर में एक प्रेस कान्फ्रेंस की। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के सेक्रेटरी आलोक शर्मा, पूर्व डिप्टी सीएम ओम प्रकाश सोनी, सांसद गुरजीत सिंह औजला सहित अन्य नेता मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने धान की फसल का मुद्दा उठाया और कहा कि पंजाब के 5500 शेलर हैं जिन्होंने पिछले साल भी भगवंत मान सरकार की सरकार के कारण नुकसान झेला और इस बार भी नुकसान की कगार पर है। मंडियों में नहीं हो रही धान की खरीद उन्होंने कहा कि मंडियों में धान आ रही है, लेकिन ना तो संभाली जा रही है और ना ही उसकी बिक्री हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द से जल्द इसका हल नहीं किया गया को बंद पूर्ण समर्थन दिया जाएगा और संघर्ष किया जाएगा। प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान बीजेपी के साथ हैं तभी मंडियों में धान की समय से बिक्री नहीं हो रही ताकि फिर कम दामों पर इसे अडानी-अंबानी के एजेंट खरीद सकें। प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि इससे पंजाब के किसानों की रीढ़ की हड्डी टूट जाएगी। पंजाब एग्रो बेस्ड स्टेट है लेकिन भगवंत मान और आप की गलत पालिसीज़ के कारण पंजाब को नुकसान हो रहा है। सचिव और एडवाइजर बदलने पर कसा तंज उन्होंने भगवंत मान द्वारा सेक्रेटरी और एडवाइजर बदलने पर तंज कसते हुए कहा कि अब फिर से टोपी बदल कर पंजाब को लूटा जाएगा। पहले भी 2.50 साल तक लोगों को लूटा गया और अब फिर से एक नई एडिमिनिस्ट्रेशन पंजाब से पैसा दिल्ली इलेक्शन के लिए इकट्ठा करेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब में भी बेहद काबिल आफिसर हैं, लेकिन दिल्ली से सारे आफिसर लगाने का मतलब वही है जो कि महाराजा रंजीत सिंह के बाद अंग्रेजों का आना और देश पर कब्जा करना था। उन्होंने कहा कि पंजाब में ऐसा क्राइसिस आ रहा है जो कि 1947 के बाद से अब तक नहीं आया। उन्होंने हरियाणा इलेक्शन पर भी बात करते हुए कहा कि वहाँ की कई सीटों पर धांधली हुई है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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लुधियाना में क्रेटा कार चकनाचूर:शादी समारोह से लौट रहे दूध कारोबारी की सड़क हादसे में मौत, बहु व बच्चे घायल पंजाब के लुधियाना में बीती रात करीब 11 बजे कोचर मार्केट के पास एक क्रेटा कार चालक द्वारा रॉन्ग साइड से आ रही सेंटरों कार से खुद का बचाव करने की कोशिश की लेकिन वह खंभे से टकरा गया। हादसा इतना भयावक था कि क्रेटा कार बुरी तरह से चकनाचूर हो गई। कार की छत्त फट गई। लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद कार ड्राइव कर रहे व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों को बाहर निकाला। कार में एक व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक का नाम सतपाल छाबड़ा (58) निवासी न्यू मॉडल टाउन है। सतपाल दूध कारोबारी है। हंबड़ा रोड पर डेयरी चलाते है। शादी समारोह से आ रहे थे वापस जानकारी देते हुए राकेश कालड़ा और रमेश कालड़ा ने कहा कि उनके मामा सतपाल छाबड़ा परिवार के साथ किसी शादी समारोह में गए हुए थे। समारोह से वापस आते समय उनकी कार गलत साइड से आ रही एक अन्य कार से बचाव करते समय खंभे से टकरा गई। लोगों ने उनके मामा, बहु और बच्चों को डीएमसी पहुंचाया। रमेश मुताबिक उन्हें अस्पताल से सूचना मिली है कि सतपाल छाबड़ा की मौत हो गई है। वहीं सेंटरों कार चालक अभी फरार है। हादसे के बाद पूरी तरह से पलट गई कार इलाका निवासी मानव ने कहा कि क्रेट कार में दो महिलाएं और बच्चे सवार थे। गाड़ी पूरी तरह से पलट गई थी। लोगों की मदद से गाड़ी को सीधा किया। जिसके बाद ड्राइवर सीट पर स्टीयरिंग के बीच फसे सतपाल छाबड़ा को बाहर निकाला। हादसे के समय कार का बेलून (एयरबेग) नहीं खुला। सीसीटीवी से पता चलेगा कैसे हुए एक्सीडेंट- SHO विजय कुमार लोगों ने मामले की सूचना थाना डिवीजन नंबर 5 की पुलिस को दी। घटना स्थल पर SHO विजय कुमार पहुंचे। जिन्होंने कहा कि दिन के समय हादसे की सीसीटीवी चैक करवाई जाएगी। उसके बाद एक्सीडेंट के असल कारणों का पता चल पाएगा। फिलहाल दोनों कारों को पुलिस ने कब्जे में ले लिया है।
एसजीपीसी अंतरिम कमेटी की बैठक आज:सुखबीर बादल पर हमले के बाद बुलाई; प्रधान व कमेटी सदस्य कर चुके जत्थेदार से मुलाकात
एसजीपीसी अंतरिम कमेटी की बैठक आज:सुखबीर बादल पर हमले के बाद बुलाई; प्रधान व कमेटी सदस्य कर चुके जत्थेदार से मुलाकात शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अंतरिम कमेटी की बैठक आज सोमवार होने जा रही है। श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से सजा सुनाए जाने और सुखबीर बादल पर हमले के बाद ये पहली बैठक है। इस बैठक का मुख्य एजेंडा भी सुखबीर बादल पर हुआ हमला ही रखा गया है। इसके अलावा कुछ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की जानी है। इस बैठक की घोषणा से पहले कमेटी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और घोषणा के बाद अंतरिम कमेटी के सदस्य श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मिलने भी पहुंचे थे। वहीं, सुखबीर बादल की सजा अभी भी चल रही है। तीन गुरुद्वारों पर सेवा के बाद अब दमदमा साहिब और श्री मुक्तसर साहिब में सुखबीर बादल को सजा पूरी करने के लिए जाना है। विज्ञापन का 90 लाख भी वसूलना है एसजीपीसी ने सुखबीर बादल को सजा सुनाए जाने के बाद डेरा सच्चा साध की सजा माफी के बाद दिए गए 90 लाख के विज्ञापन पर भी श्री अकाल तख्त साहिब ने टिप्पणी की थी। श्री अकाल तख्त साहिब ने साफ किया था कि सुखबीर बादल व उनके सहयोगियों से ब्याज सहित इस राशि को वसूला जाना है। इस पैसे को वसूलने की जिम्मेदारी एसजीपीसी को दी गई है। अनुमान है कि इस बैठक में ये पैसा वापस लेने की प्रक्रिया पर भी चर्चा की जाएगी। 13 दिसंबर को होगी सुखबीर बादल की सजा पूरी सुखबीर बादल की सजा 3 दिसंबर को गोल्डन टेंपल से शुरू हुई थी, जो 13 दिसंबर को पूरी होगी। श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से सुखबीर बादल व अन्य के दिए गए इस्तीफों को परवान करने और इसकी रिपोर्ट भेजने का भी आदेश दिया गया है। लेकिन अकाली दल ने सजा के चलते श्री अकाल तख्त साहिब से इसे मंजूर करने व रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांग लिया था और उनकी इस मांग को श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से मान भी लिया गया है। वहीं, सुखबीर बादल का इस्तीफा मंजूर करने में देरी पर बागी गुट एक बार फिर अलग नजर आया। बागी गुट ने सुखबीर बादल के इस्तीफे को मंजूर करने में देरी को श्री अकाल तख्त साहिब के हुकमों का निरादर बताया है। बादल सरकार को 4 मामलों में सजा मिली 1. राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस ली- 2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने सिखों के 10वें गुरू श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़े पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। इस पर राम रहीम के खिलाफ पुलिस केस दर्ज किया गया था, लेकिन बादल सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने माफी दिलवाई थी- श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए राम रहीम को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। सुखबीर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए राम रहीम को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिखों के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने राम रहीम को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई- बादल सरकार के कार्यकाल के दौरान 1 जून 2015 को कुछ लोगों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए और बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को इंसाफ नहीं दे पाए- अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। उन्हें राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने का दोषी माना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।
पंजाब में सुखबीर बादल को लेकर SAD में फूट:बागी गुट अकाल तख्त पहुंचा; राम रहीम को माफी, DGP सुमेध सैनी समेत 4 गलतियां कबूलीं
पंजाब में सुखबीर बादल को लेकर SAD में फूट:बागी गुट अकाल तख्त पहुंचा; राम रहीम को माफी, DGP सुमेध सैनी समेत 4 गलतियां कबूलीं पंजाब में पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के बेटे शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के खिलाफ बड़ी बगावत हो गई है। अकाली दल का बागी गुट सोमवार को अमृतसर में श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा। यहां उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के आगे पेश होकर माफीनामा दिया। जिसमें 4 पॉइंट पर माफी मांगी गई है। जिसमें डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने की गलती मानी गई है। 2015 में फरीदकोट के बरगाड़ी में बेअदबी की सही जांच न होने के लिए भी माफी मांगी गई है। वहीं IPS अधिकारी सुमेध सैनी को DGP बनाने और मुहम्मद इजहार आलम की पत्नी को टिकट देने की भी गलती मानी गई है। इस दौरान बागी गुट ने तलवंडी साबो स्थित तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से भी मुलाकात की। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने दोनों पक्षों को बैठकर इसका हल निकालने के लिए कहा। वहीं बागी गुट का अध्यक्ष बनाने की मांग को लेकर ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि उन्हें प्रधान बनाने के लिए किसी ने पहुंच नहीं की है। अगर समूची पार्टी उन्हें इस पद के लिए चुनेगी तो वे इस पर विचार करेंगे। अन्यथा गुटबाजी का वे हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। अकाल तख्त पर पेश होने के बाद बागी गुट के नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा- ”आज हम सिर्फ हाजिरी देकर व माफी लेने आए हैं। पार्टी से जो गलतियां हुई हैं, लिखित में उसके लिए माफी मांगने आए हैं। अकाली दल को जो तगड़ा करने के लिए काम कर सकता है, उस तक एप्रोच किया गया है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह तक भी जाएंगे। श्री अकाल तख्त साहिब से माफी मांगना और गुरु साहिब के आगे पार्टी को मजबूत करने के लिए अरदास करना बागीपन नहीं है। सुखबीर बादल के अकाल तख्त साहिब पर माफी मांगने के लिए आने की बात पर चंदूमाजरा ने कहा कि वे अपनी गलतियों के लिए माफी मांगने आए हैं। उन्होंने माफी मांगनी है या नहीं, ये उन पर डिपेंड करता है। हमसे से माफी मांगने में जो देरी हुई, उसके लिए ही माफी मांगने आए हैं। वहीं, बीबी जगीर कौर ने कहा कि हम जल्द ही सब कुछ बताएंगे। एक बार श्री अकाल तख्त साहिब पर नतमस्तक हो जाएं। चंदूमाजरा की अध्यक्षता में चल रहा विरोधी गुट
सुखबीर बादल के खिलाफ अकाली दल के बागी गुट की अगुआई प्रेम सिंह चंदूमाजरा कर रहे हैं। उनके साथ सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला भी हैं। ये गुट लगातार झूंदा कमेटी, जिसे 2022 में भी लागू करने की मांग उठी थी, पर विचार करने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि इसमें पार्टी प्रधान बदलने का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन ये लिखा गया है कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होगा। जाने क्या लिखा था झूंदा रिपोर्ट में
झूंदा रिपोर्ट पर जब अमल नहीं हुआ तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। झूंदा ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया था कि 117 विधानसभा हलकों में से 100 में जाकर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में कुछ जानकारियां 2022 में सांझी की थी। तब अकाली नेताओं ने कहा था कि झूंदा रिपोर्ट में 42 सुझाव दिए गए हैं। पार्टी प्रधान को बदले जाने का रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन, भविष्य में पार्टी प्रधान के चुने जाने की तय सीमा जरूर तय की गई है। ये भी बात उठाई गई कि अकाली दल अपने मूल सिद्धांतों से भटका है और राज्य सत्ता में रहने के मकसद से कई कमियां आई हैं। 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा
शिरोमणि अकाली दल पर पिछले 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा है। 1995 में सरदार प्रकाश सिंह बादल अकाली दल के प्रमुख बने थे। इस पद पर वे 2008 तक बने रहे। 2008 के बाद शिअद की कमान उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के हाथ में आ गई। किसी जमाने में पंजाब ही नहीं भारतीय राजनीति में अकाली दल की तूती बोलती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभुत्व समाप्त होता चला गया। आलम ये है कि अब इसके पास लोकसभा की केवल एक सीट है। विधानसभा में भी इसका प्रभाव लगातार खत्म हो रहा है। जाने कब बना अकाली दल
14 दिसंबर, 1920 को एक SAD का गठन किया गया था। इसके पीछे उद्देश्य यह बताया गया था कि गुरुद्वारों को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त महंतों (पुजारियों) के नियंत्रण से मुक्त कराया जाएगा। SAD के गठन से एक महीना पहले 15 नवंबर को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) का गठन हुआ था। ननकाना साहिब में मत्था टेकते समय एक डिप्टी कमिश्नर की बेटी के साथ छेड़छाड़ की घटना हुई थी और इस वजह से लोगों में गुस्सा था। तब यह मांग उठी थी कि गुरुद्वारों को महंतों से मुक्त कराया जाना चाहिए। SAD ने इसके खिलाफ संघर्ष छेड़ा और यह 4 साल तक चला। इस दौरान महंतों और ब्रिटिश प्रशासन के हमलों में 4 हजार लोगों की मौत हुई थी। आखिरकार सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 बनाया गया और सभी गुरुद्वारे एसजीपीसी के नियंत्रण में आ गए। अकाली दल ने देश की आजादी से पहले कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया था। SAD के नेता मास्टर तारा सिंह की वजह से ही बंटवारे के दौरान पंजाब के आधे हिस्से को पाकिस्तान में जाने से रोका गया था। ज्यादातर नेता सुखबीर बादल के साथ अकाली दल में एक तरफ बगावत तेज हो रही है तो दूसरी तरफ सुखबीर भी अपने ग्रुप को मजबूत करने में जुटे हैं। फिलहाल पार्टी के मौजूदा 35 जिला जत्थेदारों में से 33 और मौजूदा 105 हलका प्रभारियों में से 96 ने सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व की सराहना कर रहे हैं।