हरियाणा में नई सरकार के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने कवायद तेज कर दी है। मंत्रिमंडल के लिए 15 विधायकों के नाम शॉर्टलिस्ट किए गए हैं। इन विधायकों में से 7 मंत्री और एक डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने नाम को अंतिम रूप देने से पहले इन MLA की प्रोफाइल मंगवाई है। हरियाणा में मिनिस्टर बनने के लिए जो चेहरे शॉर्टलिस्ट किए गए हैं, उनमें नायब सैनी, अनिल विज, राव नरबीर सिंह, विपुल गोयल, मूलचंद शर्मा, कृष्णा गहलावत, कृष्णलाल पंवार, हरविंदर कल्याण, रणबीर गंगवा, महिपाल ढांडा, बिमला चौधरी, लक्ष्मण यादव, घनश्याम सर्राफ, आरती राव और श्रुति चौधरी शामिल हैं। 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया था। भाजपा ने 48, कांग्रेस ने 37, इनेलो ने 2 और 3 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की। तीनों निर्दलीय विधायक भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। जिसके बाद भाजपा के पास विधायकों की संख्या 51 हो गई है। कल पंचकूला में विधायक दल की मीटिंग होगी। मीटिंग में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ऑब्जर्वर के तौर पर मौजूद रहेंगे। सिलसिलेवार ढंग से जानिए, किसकी दावेदारी क्यों मजबूत…. 1. राव नरबीर सिंह : बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते राव नरबीर सिंह अहीरवाल बेल्ट के बड़े नेता कहे जाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी रहे हैं। पूरे इलाके में राव नरबीर ही इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर न केवल हाईकमान से सीधे टिकट हासिल की, बल्कि इस इलाके में सबसे बड़ी जीत भी दर्ज की है। नरबीर सिंह 2014 में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में पावरफुल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनके सीधे हाईकमान से अच्छे संबंध है। उनकी कैबिनेट मंत्री के पद पर दावेदारी काफी मजबूत है। इसकी दूसरी वजह उनका राव इंद्रजीत सिंह का विरोधी होना भी है। 10 विधायकों में राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी में इकलौते राव नरबीर ही है। भाजपा नरबीर को मंत्री बनाकर इलाके में राव इंद्रजीत सिंह के बराबर नेता खड़ा कर सकती है। 2. बिमला चौधरी : बिमला चौधरी ने पटौदी विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। वह 2014 में भी इसी सीट से विधायक बनी थीं। 2019 में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था। वह राव इंद्रजीत सिंह की करीबी हैं। बिमला चौधरी की दावेदारी इसलिए भी मजबूत है, क्योंकि वह जातीय संतुलन के हिसाब से राव इंद्रजीत सिंह के कोटे में वह फिट बैठती हैं। इसके अलावा उन्हें विधायक रहते हुए प्रशासनिक अनुभव भी है। 3. लक्ष्मण यादव : वह रेवाड़ी सीट से चुनाव जीते है। वह 2019 में कोसली से विधायक चुने गए थे। राव इंद्रजीत सिंह और संगठन दोनों की पसंद की वजह से उन्हें टिकट मिला। अहीरवाल इलाके में यादवों की वोट एक तरह से एक तरफा भाजपा के पक्ष में पड़ा। 2019 में भले ही रेवाड़ी सीट पर भाजपा जीत दर्ज नहीं कर पाई, लेकिन 2014 में यहां पहली बार कमल खिला था।अहीरवाल बेल्ट की राजधानी कहे जाने वाले रेवाड़ी को पिछले 10 सालों में मंत्रीपद नहीं मिल पाया। ऐसे में लक्ष्मण सिंह यादव के नाम पर राव इंद्रजीत सिंह भी सहमति जता सकते हैं। 4. आरती राव : राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने अटेली से चुनाव जीता है। पिछले 3 चुनाव में अटेली में भाजपा उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इलाके में खुद के प्रभाव के चलते ही राव इंद्रजीत सिंह ने बेटी को टिकट दिलाया। ऐसे में आरती राव को मंत्रिमंडल में शामिल कराकर राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ जिले को मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। 5. विपुल गोयल : यह वैश्य समुदाय से आते हैं। 2014 में चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। हालांकि फरीदाबाद सांसद कृष्ण पाल गुर्जर के मतभेदों के कारण टिकट काट दिया गया था। इस बार सीधी हाईकमान में पकड़ होने के कारण इनको टिकट मिला, इसके साथ ही नए मंत्रिमंडल में इसी कारण से कैबिनेट मंत्री के रूप में मजबूत दावेदार बने हुए हैं। 6 मूलचंद शर्मा: भाजपा में ब्राह्मणों के सबसे बड़े चेहरे के रूप में पंडित रामबिलास शर्मा का नाम आता था, लेकिन 2019 में उनके चुनाव हारने के बाद उनके ही रिश्तेदार बल्लभगढ़ से विधायक मूलचंद शर्मा को मनोहर लाल के दूसरे टर्म में परिवहन मंत्री बनाया गया। मूलचंद शर्मा लगातार तीसरी बार इस सीट से विधायक चुने गए हैं। 5 साल मंत्री रहने के दौरान उनकी परफॉर्मेंस ठीक रही, जिसकी वजह से वह इस बार भी कैबिनेट मंत्री पद के दावेदार हैं। उनकी दावेदारी की दूसरी बड़ी वजह इस बार के चुनाव में ब्राह्मण वोटर्स का एकतरफा झुकाव भाजपा की तरफ रहना भी है। 7. महिपाल ढांडा: पानीपत ग्रामीण से विधायक बने हैं। पार्टी का बड़ा जाट चेहरा बनकर उभरे हैं। नायब सैनी के सीएम बनाए जाने के बाद ढांडा को राज्यमंत्री बनाया गया था। अपने छोटे से कार्यकाल में काफी एक्टिव दिखाई दिए थे। जिसके बाद भाजपा ने इन्हें तीसरी बार फिर टिकट दिया। ढांडा की सबसे बड़ी बात यह भी है कि उनके ऊपर अभी तक कोई भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं। 8. कृष्णा गहलावत: राई विधानसभा सीट पर कृष्णा गहलावत ने जीत दर्ज की है। ये सीट पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ मानी जाती है। जाट समुदाय से आने वाली कृष्णा गहलावत 1996 में बंसीलाल सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। भाजपा सोनीपत, रोहतक और झज्जर की जाट बेल्ट में अपना आधार बढ़ाने के लिए उन्हें कैबिनेट में जगह दे सकती है। 9. श्रुति चौधरी: तोशाम विधानसभा सीट पर भाजपा से श्रुति चौधरी ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर उनका मुकाबला अपने चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी से था। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रही श्रुति चौधरी को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिला था। इसके बाद वे अपनी मां किरण चौधरी के साथ बीजेपी में शामिल हो गईं। तोशाम पर बंसीलाल परिवार का खासा प्रभाव रहा है। इससे पहले किरण चौधरी इस सीट से लगातार जीत हासिल करती रही हैं। उन्हें अब राज्यसभा भेज दिया गया है। ऐसे में श्रुति चौधरी कैबिनेट में मंत्रीपद के मजबूत दावेदारी मानी जा रही है। 10. हरविंदर कल्याण: ये रोड़ समाज से आते हैं। प्रदेश की घरौंडा सीट से इन्होंने जीत दर्ज की है। 2019 में भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। मनोहर लाल खट्टर के बाद नायब सैनी के कार्यकाल में भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो पाए थे, इस बार इस समाज को बीजेपी नई सरकार में प्रतिनिधित्व देना चाहती है, इसलिए दावेदारी मजबूत है। ये पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाते हैं। 11. कृष्ण लाल पंवार: बतौर राज्यसभा सांसद रहते हुए इसराना से विधानसभा चुनाव लड़ा। अब तक 6 बार के विधायक रह चुके हैं। सीनियोरिटी के हिसाब से बीजेपी में दूसरे नंबर पर आते हैं। इनसे पहले अनिल विज सात बार के विधायक बन चुके हैं। दलित समाज से आते हैं। इस चुनाव में दलितों के समर्थन मिलने के बाद बीजेपी में पंवार की मजबूत दावेदारी है। इसके साथ ही पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के भी काफी करीबी हैं। 12. रणबीर गंगवा: संसदीय मामलों के अच्छे जानकार हैं। मनोहर लाल खट्टर और नायब सैनी की सरकार में डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। गंगवा इस बार बरवाला सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचेंगे। इस नई सरकार में उन्हें स्पीकर या डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी दी जा सकती है। 13. घनश्याम सर्राफ: भिवानी से लगातार चार बार विधायक हैं। 2014 में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में राज्य मंत्री रह चुके हैं। वैश्य समाज से आते हैं। बीजेपी ने इस चुनाव में 36 बिरादरी को साथ लेकर चलने का वादा किया है, ऐसे में उनके अनुभव को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व उन्हें राज्य मंत्री पद की जिम्मेदारी दे सकता है। 14. अनिल विज: हरियाणा में इस बार विधानसभा में सबसे सीनियर अनिल विज होंगे। इसकी वजह यह है कि यह ऐसे पहले विधायक बने हैं, जिन्होंने सात बार लगातार विधानसभा चुनाव जीता है। मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में सेकेंड पोजीशन पर रहे। हालांकि नायब सैनी के कार्यकाल में उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन इस बार वह फिर से कैबिनेट में अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। पार्टी यदि डिप्टी सीएम फॉर्मूला लाती है तो विज को डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है। अनिल विज पंजाबी समुदाय से आते हैं। Add Cover Image Header Preview Image avatarNo file chosen Caption (Optional) Graphics Editor Carousel Template (Optional) Video / Audio Summary (Optional) Save Content Upload Video / Audio Summary Category URL haryana-bjp-cabinet-ministers-list-nayab-saini-anil-vij-133809601 Meta Title (English) Haryana BJP Cabinet Ministers List; Nayab Singh Saini Anil Vij | Arti Rao Meta Description Haryana CM Nayab Singh Saini Cabinet Ministers List Update; हरियाणा में नई सरकार के लिए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने कवायद शुरू कर दी है। मंत्रिमंडल के लिए 16 विधायकों के नाम शॉर्टलिस्ट किए जा चुके हैं। SEO Keyword Haryana Cabinet, BJP MLA, Haryana New Government, BJP, Aarti Rao, Tosham MLA Shruti Chaudhary, Krishna Gehlawat News Type (Multi Selection) Related News (Optional) शाह मौजूद रहेंगे; बड़ौली बोले- 17 को शपथग्रहण में PM समेत 37 CM-डिप्टी CM, केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे × चीफ सेक्रेटरी प्रसाद की 31 को रिटायरमेंट; CM के प्रिंसिपल सेक्रेटरी उमाशंकर दिल्ली जाने के इच्छुक × कई दिन से मिल रही थी धमकियां; शिकायत के बावजूद पुलिस ने नहीं की कार्रवाई × असंध मंडी से लौट रहे थे, कार जलकर राख, संतुलन बिगड़ने से हुआ हादसा × Add Related News Edit Type Major Minor हरियाणा में नई सरकार के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने कवायद तेज कर दी है। मंत्रिमंडल के लिए 15 विधायकों के नाम शॉर्टलिस्ट किए गए हैं। इन विधायकों में से 7 मंत्री और एक डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने नाम को अंतिम रूप देने से पहले इन MLA की प्रोफाइल मंगवाई है। हरियाणा में मिनिस्टर बनने के लिए जो चेहरे शॉर्टलिस्ट किए गए हैं, उनमें नायब सैनी, अनिल विज, राव नरबीर सिंह, विपुल गोयल, मूलचंद शर्मा, कृष्णा गहलावत, कृष्णलाल पंवार, हरविंदर कल्याण, रणबीर गंगवा, महिपाल ढांडा, बिमला चौधरी, लक्ष्मण यादव, घनश्याम सर्राफ, आरती राव और श्रुति चौधरी शामिल हैं। 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया था। भाजपा ने 48, कांग्रेस ने 37, इनेलो ने 2 और 3 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की। तीनों निर्दलीय विधायक भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। जिसके बाद भाजपा के पास विधायकों की संख्या 51 हो गई है। कल पंचकूला में विधायक दल की मीटिंग होगी। मीटिंग में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ऑब्जर्वर के तौर पर मौजूद रहेंगे। सिलसिलेवार ढंग से जानिए, किसकी दावेदारी क्यों मजबूत…. 1. राव नरबीर सिंह : बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते राव नरबीर सिंह अहीरवाल बेल्ट के बड़े नेता कहे जाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी रहे हैं। पूरे इलाके में राव नरबीर ही इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर न केवल हाईकमान से सीधे टिकट हासिल की, बल्कि इस इलाके में सबसे बड़ी जीत भी दर्ज की है। नरबीर सिंह 2014 में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में पावरफुल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनके सीधे हाईकमान से अच्छे संबंध है। उनकी कैबिनेट मंत्री के पद पर दावेदारी काफी मजबूत है। इसकी दूसरी वजह उनका राव इंद्रजीत सिंह का विरोधी होना भी है। 10 विधायकों में राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी में इकलौते राव नरबीर ही है। भाजपा नरबीर को मंत्री बनाकर इलाके में राव इंद्रजीत सिंह के बराबर नेता खड़ा कर सकती है। 2. बिमला चौधरी : बिमला चौधरी ने पटौदी विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। वह 2014 में भी इसी सीट से विधायक बनी थीं। 2019 में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था। वह राव इंद्रजीत सिंह की करीबी हैं। बिमला चौधरी की दावेदारी इसलिए भी मजबूत है, क्योंकि वह जातीय संतुलन के हिसाब से राव इंद्रजीत सिंह के कोटे में वह फिट बैठती हैं। इसके अलावा उन्हें विधायक रहते हुए प्रशासनिक अनुभव भी है। 3. लक्ष्मण यादव : वह रेवाड़ी सीट से चुनाव जीते है। वह 2019 में कोसली से विधायक चुने गए थे। राव इंद्रजीत सिंह और संगठन दोनों की पसंद की वजह से उन्हें टिकट मिला। अहीरवाल इलाके में यादवों की वोट एक तरह से एक तरफा भाजपा के पक्ष में पड़ा। 2019 में भले ही रेवाड़ी सीट पर भाजपा जीत दर्ज नहीं कर पाई, लेकिन 2014 में यहां पहली बार कमल खिला था।अहीरवाल बेल्ट की राजधानी कहे जाने वाले रेवाड़ी को पिछले 10 सालों में मंत्रीपद नहीं मिल पाया। ऐसे में लक्ष्मण सिंह यादव के नाम पर राव इंद्रजीत सिंह भी सहमति जता सकते हैं। 4. आरती राव : राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने अटेली से चुनाव जीता है। पिछले 3 चुनाव में अटेली में भाजपा उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इलाके में खुद के प्रभाव के चलते ही राव इंद्रजीत सिंह ने बेटी को टिकट दिलाया। ऐसे में आरती राव को मंत्रिमंडल में शामिल कराकर राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ जिले को मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। 5. विपुल गोयल : यह वैश्य समुदाय से आते हैं। 2014 में चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। हालांकि फरीदाबाद सांसद कृष्ण पाल गुर्जर के मतभेदों के कारण टिकट काट दिया गया था। इस बार सीधी हाईकमान में पकड़ होने के कारण इनको टिकट मिला, इसके साथ ही नए मंत्रिमंडल में इसी कारण से कैबिनेट मंत्री के रूप में मजबूत दावेदार बने हुए हैं। 6 मूलचंद शर्मा: भाजपा में ब्राह्मणों के सबसे बड़े चेहरे के रूप में पंडित रामबिलास शर्मा का नाम आता था, लेकिन 2019 में उनके चुनाव हारने के बाद उनके ही रिश्तेदार बल्लभगढ़ से विधायक मूलचंद शर्मा को मनोहर लाल के दूसरे टर्म में परिवहन मंत्री बनाया गया। मूलचंद शर्मा लगातार तीसरी बार इस सीट से विधायक चुने गए हैं। 5 साल मंत्री रहने के दौरान उनकी परफॉर्मेंस ठीक रही, जिसकी वजह से वह इस बार भी कैबिनेट मंत्री पद के दावेदार हैं। उनकी दावेदारी की दूसरी बड़ी वजह इस बार के चुनाव में ब्राह्मण वोटर्स का एकतरफा झुकाव भाजपा की तरफ रहना भी है। 7. महिपाल ढांडा: पानीपत ग्रामीण से विधायक बने हैं। पार्टी का बड़ा जाट चेहरा बनकर उभरे हैं। नायब सैनी के सीएम बनाए जाने के बाद ढांडा को राज्यमंत्री बनाया गया था। अपने छोटे से कार्यकाल में काफी एक्टिव दिखाई दिए थे। जिसके बाद भाजपा ने इन्हें तीसरी बार फिर टिकट दिया। ढांडा की सबसे बड़ी बात यह भी है कि उनके ऊपर अभी तक कोई भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं। 8. कृष्णा गहलावत: राई विधानसभा सीट पर कृष्णा गहलावत ने जीत दर्ज की है। ये सीट पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ मानी जाती है। जाट समुदाय से आने वाली कृष्णा गहलावत 1996 में बंसीलाल सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। भाजपा सोनीपत, रोहतक और झज्जर की जाट बेल्ट में अपना आधार बढ़ाने के लिए उन्हें कैबिनेट में जगह दे सकती है। 9. श्रुति चौधरी: तोशाम विधानसभा सीट पर भाजपा से श्रुति चौधरी ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर उनका मुकाबला अपने चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी से था। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रही श्रुति चौधरी को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिला था। इसके बाद वे अपनी मां किरण चौधरी के साथ बीजेपी में शामिल हो गईं। तोशाम पर बंसीलाल परिवार का खासा प्रभाव रहा है। इससे पहले किरण चौधरी इस सीट से लगातार जीत हासिल करती रही हैं। उन्हें अब राज्यसभा भेज दिया गया है। ऐसे में श्रुति चौधरी कैबिनेट में मंत्रीपद के मजबूत दावेदारी मानी जा रही है। 10. हरविंदर कल्याण: ये रोड़ समाज से आते हैं। प्रदेश की घरौंडा सीट से इन्होंने जीत दर्ज की है। 2019 में भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। मनोहर लाल खट्टर के बाद नायब सैनी के कार्यकाल में भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो पाए थे, इस बार इस समाज को बीजेपी नई सरकार में प्रतिनिधित्व देना चाहती है, इसलिए दावेदारी मजबूत है। ये पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाते हैं। 11. कृष्ण लाल पंवार: बतौर राज्यसभा सांसद रहते हुए इसराना से विधानसभा चुनाव लड़ा। अब तक 6 बार के विधायक रह चुके हैं। सीनियोरिटी के हिसाब से बीजेपी में दूसरे नंबर पर आते हैं। इनसे पहले अनिल विज सात बार के विधायक बन चुके हैं। दलित समाज से आते हैं। इस चुनाव में दलितों के समर्थन मिलने के बाद बीजेपी में पंवार की मजबूत दावेदारी है। इसके साथ ही पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के भी काफी करीबी हैं। 12. रणबीर गंगवा: संसदीय मामलों के अच्छे जानकार हैं। मनोहर लाल खट्टर और नायब सैनी की सरकार में डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। गंगवा इस बार बरवाला सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचेंगे। इस नई सरकार में उन्हें स्पीकर या डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी दी जा सकती है। 13. घनश्याम सर्राफ: भिवानी से लगातार चार बार विधायक हैं। 2014 में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में राज्य मंत्री रह चुके हैं। वैश्य समाज से आते हैं। बीजेपी ने इस चुनाव में 36 बिरादरी को साथ लेकर चलने का वादा किया है, ऐसे में उनके अनुभव को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व उन्हें राज्य मंत्री पद की जिम्मेदारी दे सकता है। 14. अनिल विज: हरियाणा में इस बार विधानसभा में सबसे सीनियर अनिल विज होंगे। इसकी वजह यह है कि यह ऐसे पहले विधायक बने हैं, जिन्होंने सात बार लगातार विधानसभा चुनाव जीता है। मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में सेकेंड पोजीशन पर रहे। हालांकि नायब सैनी के कार्यकाल में उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन इस बार वह फिर से कैबिनेट में अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। पार्टी यदि डिप्टी सीएम फॉर्मूला लाती है तो विज को डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है। अनिल विज पंजाबी समुदाय से आते हैं। Add Cover Image Header Preview Image avatarNo file chosen Caption (Optional) Graphics Editor Carousel Template (Optional) Video / Audio Summary (Optional) Save Content Upload Video / Audio Summary Category URL haryana-bjp-cabinet-ministers-list-nayab-saini-anil-vij-133809601 Meta Title (English) Haryana BJP Cabinet Ministers List; Nayab Singh Saini Anil Vij | Arti Rao Meta Description Haryana CM Nayab Singh Saini Cabinet Ministers List Update; हरियाणा में नई सरकार के लिए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने कवायद शुरू कर दी है। मंत्रिमंडल के लिए 16 विधायकों के नाम शॉर्टलिस्ट किए जा चुके हैं। SEO Keyword Haryana Cabinet, BJP MLA, Haryana New Government, BJP, Aarti Rao, Tosham MLA Shruti Chaudhary, Krishna Gehlawat News Type (Multi Selection) Related News (Optional) शाह मौजूद रहेंगे; बड़ौली बोले- 17 को शपथग्रहण में PM समेत 37 CM-डिप्टी CM, केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे × चीफ सेक्रेटरी प्रसाद की 31 को रिटायरमेंट; CM के प्रिंसिपल सेक्रेटरी उमाशंकर दिल्ली जाने के इच्छुक × कई दिन से मिल रही थी धमकियां; शिकायत के बावजूद पुलिस ने नहीं की कार्रवाई × असंध मंडी से लौट 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हरियाणा मानवाधिकार आयोग को मिलेगा नया अध्यक्ष:CM सैनी ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग; HC लगा चुका फटकार, 14 महीने से खाली पड़ा पद
हरियाणा मानवाधिकार आयोग को मिलेगा नया अध्यक्ष:CM सैनी ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग; HC लगा चुका फटकार, 14 महीने से खाली पड़ा पद हरियाणा मानवाधिकार आयोग को जल्द नया अध्यक्ष मिल जाएगा। इसको लेकर मुख्यमंत्री नायब सैनी ने एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में सीएम सैनी के साथ विधानसभा स्पीकर हरिवंद्र कल्याण और एक कांग्रेस विधायक के शामिल होने की उम्मीद है। इस मीटिंग में आयोग के अध्यक्ष और अन्य दो सदस्यों के नामों पर मंथन किया जाएगा। संभावना है कि मीटिंग के बाद आयोग में नियुक्ति के ऑर्डर सरकार की ओर से जारी कर दिए जाएं। आयोग में चेयरमैन और सदस्यों के पद करीब 14 माह से खाली हैं। मीटिंग में गृह सचिव अनुराग रस्तोगी के भी भाग लेने की संभावना है। 14 महीने से शिकायतें पेंडिंग पड़ी हरियाणा मानवाधिकार आयोग में हर महीने सैकड़ों की संख्या में शिकायतें आती हैं। इन शिकायतों का समाधान आयोग द्वारा किया भी जाता रहा है। लेकिन जब से पद खाली हैं, तब से शिकायतों का हल रुक गया है। इससे आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आयोग में एक पद चेयरमैन का होता है, जबकि दो पद सदस्यों के होते हैं। सूत्रों का कहना है कि बड़ी संख्या में शिकायतें पेंडिंग पड़ी हैं। लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। हाईकोर्ट लगा चुका फटकार हरियाणा में मानवाधिकार आयोग में चेयरमैन व सदस्य न होने के चलते कामकाज ठप पड़ने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट सरकार को दिन पहले फटकार लगा चुका है। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि अगली सुनवाई तक पद नहीं भरे गए तो संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होगा और याचिकाकर्ता को मुकदमे की लागत के रूप में 50,000 रुपए अपनी जेब से देने होंगे। कैथल निवासी शिवचरण ने याचिका दाखिल करते हुए मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन व सदस्यों के पद भरने की मांग की थी। सरकार ने लिया था 30 मार्च तक का टाइम याचिका पर सरकार ने पहले 30 मार्च तक और बाद में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद चेयरमैन और सदस्य के पद भरने का कोर्ट को विश्वास दिलाया था। याची के वकील ने कोर्ट को बताया कि एक समय में देश का सबसे बेहतर मानवाधिकार आयोग का माने जाने वाला हरियाणा मानवाधिकार आयोग अब अपने अधिकारों के लिए मोहताज हैं। अब आयोग में न तो चेयरमैन है न ही कोई सदस्य। इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है, अब वो अपने अधिकारों के लिए किसके आगे गुहार लगाएंगे। अब तक इनके सहारा चलता रहा आयोग राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस के मित्तल हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन पद से और सदस्य जस्टिस केसी पुरी अप्रैल 2023 में सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद एकमात्र सदस्य दीप भाटिया के सहारे आयोग सितम्बर 2023 तक चलता रहा। भाटिया के सेवानिवृत्त होने के बाद आयोग पूरी तरह से चेयरमैन और सदस्य विहीन है। किसी भी मामले में सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसलिए अब मजबूरी में इस विषय को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर निर्देश देने की मांग की गई है।
रोहतक में 2 रोडवेज सहित 5 वाहनों का एक्सीडेंट:पिकअप चालक की मौके पर मौत, क्रेन और ट्रैक्टर से उखाड़कर निकाला शव
रोहतक में 2 रोडवेज सहित 5 वाहनों का एक्सीडेंट:पिकअप चालक की मौके पर मौत, क्रेन और ट्रैक्टर से उखाड़कर निकाला शव रोहतक में नेशनल हाईवे पर गांव बहु अकबरपुर के नजदीक 2 रोडवेज सहित 5 वाहनों का एक्सीडेंट हो गया। इस हादसे में पिकअप चालक की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं युवक पिकअप में बुरी तरह से फंस गया। जिसके शव को ट्रैक्टर व क्रेन की मदद से उखाड़कर बाहर निकाला गया। वहीं मौके पर पहुंची पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है। रोहतक से होकर गुजरने वाले नेशनल हाईवे नंबर 9 पर शुक्रवार को गांव बहु अकबरपुर के पास 5 वाहन आपस में भिड़ गए। पुलिस के अनुसार पहले पिकअप की किसी अज्ञात वाहन के साथ भिड़ंत हुई है। वहीं इसके बाद पीछे से आ रही 2 रोडवेज बसें व एक छोटा हाथी की भी उससे टक्कर हो गई। इस हादसे में पिकअप चालक की मौत हो गई। जिसकी पहचान जींद के नरवाना निवासी करीब 30 वर्षीय विनोद के रूप में हुई है। क्रेन व ट्रैक्टर से उखाड़कर निकाला शव
हादसा इतना भयानक था कि पिकअप चालक एक्सीडेंट के बाद पिकअप में ही फंस गया। वहीं काफी मशक्कत के बाद भी शव नहीं निकला तो ट्रैक्टर व क्रेन की मदद से पिकअप की बॉडी को दूर किया गया और शव को बाहर निकाला गया। वहीं शव को रोहतक पीजीआई में लाया गया। पुलिस मामले की जांच में जुट गई। पांच वाहन टकराए
एसएचओ प्रकाश चंद ने बताया कि एक्सीडेंट की सूचना मिली थी। जिसके बाद वे मौके पर पहुंचे तो यहां देखा कि नरवाना निवासी पिकअप युवक का किसी अज्ञात वाहन के साथ एक्सीडेंट हो रखा था। एक्सीडेंट के बाद युवक पिकअप में ही फंस गया, जिसको काफी मशक्कत के बाद निकाला। इसके अलावा रोडवेज की बसों की भी इस पिकअप के साथ टक्कर हुई। वहीं एक छोटा हाथी भी टकरा गया। धुंध में तेज रफ्तार होने के कारण यह हादसा हुआ है। पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई। मृतक के परिजन आने के बाद बयान दर्ज करके जांच की जाएगी।