जगराओं की मंडी में नहीं बची जगह:खुले आसमान के नीचे पड़ा पौने 2 लाख बोरी धान, आढ़तियों ने खरीदारी करने से किया मना

जगराओं की मंडी में नहीं बची जगह:खुले आसमान के नीचे पड़ा पौने 2 लाख बोरी धान, आढ़तियों ने खरीदारी करने से किया मना

एशिया की दूसरी सबसे बड़ी आनाज मंडी जगराओं में धान की धीमी गति से खरीद के कारण मंडी में खुले आसमान के नीचे पौने 2 लाख बोरी धान पड़ा है। ऐसे में अगर और धान खरीदा गया तो उसे कहां रखा जाएगा, यह बड़ा सवाल बना हुआ है। आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान कन्हैया गुप्ता ने कहा कि लिफ्टिंग ना होने के कारण मंडी में हालात बद से बद्दतर बन चुके हैं। एशिया की दूसरी सब से बड़ी आनाज मंडी में पौने 2 लाख धान की बोरिया पड़ी हैं। मंडी में इस समय हालात यह बन चुके हैं कि पैर रखने को जगह नहीं बची है। उन्होंने कहा कि जिस धान की खरीद हो चुकी है, उसे बोरियों में भरकर मंडी में ढेर बनाकर लगा दिया गया है। जिस कारण मंडी में धान की बोरिया ही बोरियां नजर आ रही है। फसल उतारने को नहीं मिल रही जगह हालात यह बन चुके हैं कि किसानों को अपनी फसल उतारने के लिए भी जगह नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा मंडी में पड़ा धान उठाया नहीं जा रहा। ऐसे में अगर मंडी में और धान आता है तो उसे आढ़ती कहां पर रखेगा, इसे को लेकर आढ़ती एसोसिएशन ने फैसला किया है कि और धान नहीं लिया जाएगा। प्रधान कन्हैया ने कहा कि खरीद एजेसियों द्वारा खरीदे धान की लिफ्टिंग ना करवाने के कारण आढ़ती को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि गेहूं के सीजन में लिफ्टिंग लेट होने के कारण आढ़ती ने नुकसान झेला था, लेकिन इस बार आढ़ती नुकसान नहीं झेल सकते। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक खरीद की गई फसल को 72 घंटों में फसल को उठाना जरूरी है। लेकिन खरीद एजेंसियां इस तरफ ध्यान नहीं दे रही। उन्होंने साफ कहा जब तक सरकार 72 घंटों में लिफ्टिंग काम यकीनी नहीं करती, तब तक आढ़ती अपना काम बंद रखेंगे। वहीं खुले आसमान के नीचे पड़े माल की जिम्मेदारी भी सरकार की होगी। एशिया की दूसरी सबसे बड़ी आनाज मंडी जगराओं में धान की धीमी गति से खरीद के कारण मंडी में खुले आसमान के नीचे पौने 2 लाख बोरी धान पड़ा है। ऐसे में अगर और धान खरीदा गया तो उसे कहां रखा जाएगा, यह बड़ा सवाल बना हुआ है। आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान कन्हैया गुप्ता ने कहा कि लिफ्टिंग ना होने के कारण मंडी में हालात बद से बद्दतर बन चुके हैं। एशिया की दूसरी सब से बड़ी आनाज मंडी में पौने 2 लाख धान की बोरिया पड़ी हैं। मंडी में इस समय हालात यह बन चुके हैं कि पैर रखने को जगह नहीं बची है। उन्होंने कहा कि जिस धान की खरीद हो चुकी है, उसे बोरियों में भरकर मंडी में ढेर बनाकर लगा दिया गया है। जिस कारण मंडी में धान की बोरिया ही बोरियां नजर आ रही है। फसल उतारने को नहीं मिल रही जगह हालात यह बन चुके हैं कि किसानों को अपनी फसल उतारने के लिए भी जगह नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा मंडी में पड़ा धान उठाया नहीं जा रहा। ऐसे में अगर मंडी में और धान आता है तो उसे आढ़ती कहां पर रखेगा, इसे को लेकर आढ़ती एसोसिएशन ने फैसला किया है कि और धान नहीं लिया जाएगा। प्रधान कन्हैया ने कहा कि खरीद एजेसियों द्वारा खरीदे धान की लिफ्टिंग ना करवाने के कारण आढ़ती को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि गेहूं के सीजन में लिफ्टिंग लेट होने के कारण आढ़ती ने नुकसान झेला था, लेकिन इस बार आढ़ती नुकसान नहीं झेल सकते। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक खरीद की गई फसल को 72 घंटों में फसल को उठाना जरूरी है। लेकिन खरीद एजेंसियां इस तरफ ध्यान नहीं दे रही। उन्होंने साफ कहा जब तक सरकार 72 घंटों में लिफ्टिंग काम यकीनी नहीं करती, तब तक आढ़ती अपना काम बंद रखेंगे। वहीं खुले आसमान के नीचे पड़े माल की जिम्मेदारी भी सरकार की होगी।   पंजाब | दैनिक भास्कर