हरियाणा में रेवाड़ी शहर की ऐतिहासिक धरोहर तेज सरोवर (बड़ा तालाब) और सोलहाराही तालाब के सौंर्दीयकरण के तहत चल रहे निर्माण कार्य की जांच के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग के जांच अधिकारियों की चंडीगढ़ और गुरुग्राम से दो टीमें पहुंची। इस दौरान टीम ने बड़ा तालाब में चल रहे निर्माण कार्य का जायजा लिया। साथ ही वहां के सैंपल भी एक एकत्रित किए। इसके बाद सेक्टर-एक स्थित सोलहाराही तालाब का भी निरीक्षण किया। इस दौरान बारीकी से टीम ने गुणवत्ता की जांच की। यहां से भी सैंपल एकत्रित किए गए हैं। गुणवत्ता की जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही यह पता चल पाएगा आखिर किस स्तर का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जब टीम जांच कर चली गई तो कर्मचारी और ठेकेदार बातचीत में उलझ गए। एक-दूसरे पर दीवार की मोटाई, चौड़ाई और लंबाई को लेकर बातें की जा रही थी, जिससे साफ झलक रहा था कि सैंपल से कर्मचारी और ठेकेदार चिंतित हैं। क्योंकि रिपोर्ट खिलाफ आती है तो इस पर बड़ा एक्शन भी लिया जा सकता है। एक्सईएन बोले-रूटीन चेकिंग पिछले दिनों लोगों ने सोलहाराही तालाब में घटिया सामग्री इस्तेमाल करने को लेकर आवाज उठाई थी। इसके बाद प्रशासन जिला प्रशासन की एक टीम ने भी तालाब का जायजा लिया था। अब चंडीगढ़ और गुरुग्राम से यहां पहुंची टीम ने सैंपल एकत्रित किए हैं। मामले में पीडब्ल्यूडी एक्सईएन आदित्य का कहना है कि यह एक रूटीन चेकिंग है। टीम में यहां पर आई थी और निरीक्षण करके गई हैं। साथ ही सैंपल भी एकत्रित किए गए हैं। टूट कर तालाब में गिरी दीवारें बता दें कि सितंबर माह में लगातार हो रही बरसात से निर्माणाधीन प्राचीन सोलहाराही तालाब की दीवार भरभरा कर गिर गई थी। जिससे मंदिर की सड़क में भी अब दरारें आ चुकी हैं, जिससे कभी भी सड़क धंस सकती है। उसके कुछ दिन बाद मंदिर की तरफ वाले मार्ग से तालाब की दो जगह से दीवारें टूटकर गिरी थी। करीब 20 प्रतिशत हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ था। मजदूरों को हमेशा यही डर लगता है की कहीं कार्य करते वक्त दीवार उन पर ना गिर जाए। लोगों का कहना है कि निर्माण करने से पहले दीवारों को दोबारा से तोड़ना चाहिए था। क्योंकि दीवारें काफी पुरानी हो चुकी है। दीवारों पर जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह तालाब के ही पुराने पत्थर हैं। इन पत्थरों को जोड़ने के लिए भट्ठे से तैयार पकी हुई ईटों को पहले मशीन से पीसा जाता है। उसके बाद लेप तैयार होता है, इससे इन पत्थरों को जोड़ा जाता है। सोलहाराही तालाब और बड़ा तालाब का 10 करोड़ से सौंर्दीयकरण किया जा रहा है। घाट, बावड़ियां व सीढ़ियों को संवारा जा रहा बता दें कि, बड़ा तालाब और सेक्टर-1 स्थित सोलहराही सरोवर के जीर्णोद्धार का कार्य जारी है। दोनों तालाबों में बने घाट, बावड़ियां व सीढ़ियों को संवारा जा रहा है। पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए इन तालाबों में भविष्य में नाव भी चलाई जा सकती है, क्योंकि इन सरोवरों की छठां देखते ही बनती है। प्राचीन होने के साथ ही इनकी बनावट भी बेहतर है। दिल्ली-जयपुर हाईवे के निकट होने के कारण यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। हरियाणा में रेवाड़ी शहर की ऐतिहासिक धरोहर तेज सरोवर (बड़ा तालाब) और सोलहाराही तालाब के सौंर्दीयकरण के तहत चल रहे निर्माण कार्य की जांच के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग के जांच अधिकारियों की चंडीगढ़ और गुरुग्राम से दो टीमें पहुंची। इस दौरान टीम ने बड़ा तालाब में चल रहे निर्माण कार्य का जायजा लिया। साथ ही वहां के सैंपल भी एक एकत्रित किए। इसके बाद सेक्टर-एक स्थित सोलहाराही तालाब का भी निरीक्षण किया। इस दौरान बारीकी से टीम ने गुणवत्ता की जांच की। यहां से भी सैंपल एकत्रित किए गए हैं। गुणवत्ता की जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही यह पता चल पाएगा आखिर किस स्तर का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जब टीम जांच कर चली गई तो कर्मचारी और ठेकेदार बातचीत में उलझ गए। एक-दूसरे पर दीवार की मोटाई, चौड़ाई और लंबाई को लेकर बातें की जा रही थी, जिससे साफ झलक रहा था कि सैंपल से कर्मचारी और ठेकेदार चिंतित हैं। क्योंकि रिपोर्ट खिलाफ आती है तो इस पर बड़ा एक्शन भी लिया जा सकता है। एक्सईएन बोले-रूटीन चेकिंग पिछले दिनों लोगों ने सोलहाराही तालाब में घटिया सामग्री इस्तेमाल करने को लेकर आवाज उठाई थी। इसके बाद प्रशासन जिला प्रशासन की एक टीम ने भी तालाब का जायजा लिया था। अब चंडीगढ़ और गुरुग्राम से यहां पहुंची टीम ने सैंपल एकत्रित किए हैं। मामले में पीडब्ल्यूडी एक्सईएन आदित्य का कहना है कि यह एक रूटीन चेकिंग है। टीम में यहां पर आई थी और निरीक्षण करके गई हैं। साथ ही सैंपल भी एकत्रित किए गए हैं। टूट कर तालाब में गिरी दीवारें बता दें कि सितंबर माह में लगातार हो रही बरसात से निर्माणाधीन प्राचीन सोलहाराही तालाब की दीवार भरभरा कर गिर गई थी। जिससे मंदिर की सड़क में भी अब दरारें आ चुकी हैं, जिससे कभी भी सड़क धंस सकती है। उसके कुछ दिन बाद मंदिर की तरफ वाले मार्ग से तालाब की दो जगह से दीवारें टूटकर गिरी थी। करीब 20 प्रतिशत हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ था। मजदूरों को हमेशा यही डर लगता है की कहीं कार्य करते वक्त दीवार उन पर ना गिर जाए। लोगों का कहना है कि निर्माण करने से पहले दीवारों को दोबारा से तोड़ना चाहिए था। क्योंकि दीवारें काफी पुरानी हो चुकी है। दीवारों पर जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह तालाब के ही पुराने पत्थर हैं। इन पत्थरों को जोड़ने के लिए भट्ठे से तैयार पकी हुई ईटों को पहले मशीन से पीसा जाता है। उसके बाद लेप तैयार होता है, इससे इन पत्थरों को जोड़ा जाता है। सोलहाराही तालाब और बड़ा तालाब का 10 करोड़ से सौंर्दीयकरण किया जा रहा है। घाट, बावड़ियां व सीढ़ियों को संवारा जा रहा बता दें कि, बड़ा तालाब और सेक्टर-1 स्थित सोलहराही सरोवर के जीर्णोद्धार का कार्य जारी है। दोनों तालाबों में बने घाट, बावड़ियां व सीढ़ियों को संवारा जा रहा है। पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए इन तालाबों में भविष्य में नाव भी चलाई जा सकती है, क्योंकि इन सरोवरों की छठां देखते ही बनती है। प्राचीन होने के साथ ही इनकी बनावट भी बेहतर है। दिल्ली-जयपुर हाईवे के निकट होने के कारण यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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चरखी दादरी के MLA सोमबीर सांगवान का इस्तीफा:कांग्रेस में शामिल होने की संभावना; 2019 में बबीता फौगाट को हराया था
चरखी दादरी के MLA सोमबीर सांगवान का इस्तीफा:कांग्रेस में शामिल होने की संभावना; 2019 में बबीता फौगाट को हराया था हरियाणा के चरखी दादरी में निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा हरियाणा विधानसभा स्पीकर को भेजा है। सोमबीर सांगवान के जल्द ही कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की संभावना है। 2019 के चुनाव में उन्होंने भाजपा से बागी होकर भाजपा उम्मीदवार बबीता फौगाट को हराया था। बता दे कि 2019 विधानसभा चुनाव से पहले सोमबीर सांगवान भारतीय जनता पार्टी में थे और विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांग रहे थे। लेकिन भाजपा द्वारा उनका टिकट काटकर बबीता फोगाट को दिया गया था। इसके चलते वे बागी हो गए थे। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। पीएम मोदी की रैली भी बबीता को जीत नहीं दिला सकी थी। सोमबीर ने भाजपा, जजपा, कांग्रेस आदि सभी पार्टियों के प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए 14272 वोटों से जीत हासिल की थी। उन्होंने सरकार बनाने के लिए भाजपा को अपना समर्थन दे दिया था। कुछ समय बाद उन्हें हरियाणा पशुधन बोर्ड का चेयरमेन भी बनाया गया था, लेकिन बाद में किसान आंदोलन के चलते उन्होंने चेयरमैनी को छोड़ दिया था। कुछ समय पहले हरियाणा के तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस लिया था, इनमें सोमबीर सांगवान भी शामिल थे। भाजपा से समर्थन वापस लेने का ऐलान करने के बाद हुड्डा खेमे से उनकी नजदीकी देखने को मिली है। इतना ही नहीं वे कई बार मीडिया के समक्ष भी कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने का इजहार कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि यदि कांग्रेस उन पर भरोसा जताती है तो वे चुनाव लड़ने को तैयार हैं और इस कार्यकाल में जो कार्य पूरे नहीं हो सके उन्हें पूरा करेंगे। विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद उनके कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की पूरी संभावना जताई जा रही है। हालांकि उनका क्या रुख है, उसको लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
विनेश फोगाट मामले में पूर्व सॉलिसिटर जनरल का दावा:साल्वे बोले- हम CAS के फैसले को स्विस कोर्ट में चुनौती देना चाहते थे, रेसलर ने इनकार किया
विनेश फोगाट मामले में पूर्व सॉलिसिटर जनरल का दावा:साल्वे बोले- हम CAS के फैसले को स्विस कोर्ट में चुनौती देना चाहते थे, रेसलर ने इनकार किया रेसलर विनेश फोगाट के पेरिस ओलिंपिक में भारतीय दल के कोई मदद न करने के आरोप पर देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे मीडिया के सामने आए हैं। एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए साल्वे ने कहा कि खेल कोर्ट (CAS) के फैसले को वह स्विस कोर्ट में चैलेंज करना चाहते थे। मगर, इस बारे में विनेश ने अपने वकीलों के जरिए आगे कोई कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। बता दें कि साल्वे ने खेल कोर्ट में सिल्वर मेडल के लिए विनेश के पक्ष में पैरवी की थी। साल्वे का यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि कुछ दिन पहले विनेश फोगाट ने एक इंटरव्यू में कहा था कि पेरिस ओलिंपिक में डिस्क्वालिफाई होने के बाद उन्हें कोई मदद नहीं मिली। खेल कोर्ट में भी उन्होंने खुद ही केस किया था। भारतीय दल ने तो उन्हें इसके बारे में बताया तक नहीं था। विनेश ने इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी ऊषा पर भी आरोप लगाए थे। विनेश ने कहा था कि अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान बिना परमिशन के उनकी फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाल दी गई। विनेश फोगाट ओलिंपिक में 100 ग्राम बढ़े वजन की वजह से फाइनल मुकाबले से बाहर हो गई थीं। इसके बाद उन्हें बिना मेडल लौटना पड़ा। देश लौटकर वे कांग्रेस में शामिल हो गईं। अब वे हरियाणा विधानसभा चुनाव में जींद की जुलाना सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। विनेश फोगाट को लेकर पूर्व सॉलिसिटर जनरल से सवाल-जवाब
सवाल: विनेश फोगाट ने कहा कि डिस्क्वालिफिकेशन के बाद IOA और पीटी ऊषा से सहयोग नहीं मिला?
साल्वे: इस बारे में पीटी ऊषा ही बता सकती हैं। इस मामले में शुरुआत में तालमेल की बहुत कमी थी। IOA ने बहुत अच्छे वकीलों को इंगेज किया था, लेकिन विनेश के वकीलों ने कहा कि हम आपके साथ कुछ शेयर नहीं करेंगे। आपको कुछ नहीं देंगे। हमें सब कुछ मिलने में बहुत देरी हुई। हालांकि, बाद में हमें सब कुछ मिल गया था। हमने पूरी मजबूती से केस लड़ा। हमने विनेश को सुझाव दिया था कि खेल कोर्ट के फैसले को हम स्विस कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं। मुझे उनके वकीलों ने कहा कि वह इसे आगे नहीं ले जाना चाहती थीं। सवाल: विनेश ने कहा कि किसी भी मौके पर सरकार की तरफ से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला?
साल्वे: इसमें सरकार का कोई रोल नहीं था। अगर सरकार को कोई रोल निभाना होता तो IOA बाहर हो जाती। IOA अपने आप में स्वतंत्र संस्था है। सवाल: क्या आपको लगता है कि यह मामला IOA की तरफ से बेहतर ढंग से हैंडल किया जा सकता था?
साल्वे: मुझे नहीं लगता। इसमें पीटी ऊषा से पूछ सकते हैं कि वह कितनी बेसब्री से विनेश फोगाट से मिलना चाहती थीं, लेकिन ओलिंपिक खत्म होने से पहले एथलीट को बाहर नहीं आने दिया जाता। विनेश ओलिंपिक गांव में थीं, वहां एक्सेस की प्रॉब्लम थी। पीटी ऊषा इस बारे में बता सकती हैं। सवाल: क्या आपको लगता है कि यह राजनीतिक मामला है, क्योंकि विनेश अब कांग्रेस में शामिल होकर हरियाणा चुनाव लड़ रही हैं?
साल्वे: मैं उन्हें नए करियर के लिए बेस्ट ऑफ लक कहता हूं। मैं सिर्फ उम्मीद करता हूं कि वह मिसगाइडेड कमेंट न करें। इस बारे में पीटी ऊषा बता सकती हैं कि हमने कितनी कोशिश की। विनेश ने कहा था- भारतीय दल ने मदद नहीं की
विनेश ने पिछले दिनों दावा किया था कि मेडल को लेकर उनके पास कानूनी विकल्प था, यह उन्हें भारतीय डेलिगेशन नहीं, बल्कि एक दोस्त ने बताया था। BJP वालों ने ओलिंपिक मेडल को मेरा मेडल समझा। मेरी कोई मदद नहीं की गई। केस भी मैंने किया था, ये लोग बाद में आए थे। वह मेरा नहीं, देश का मेडल था। देश चाहता तो ला सकता था। वह कौन नहीं लेकर आए, सबको पता है। विनेश फोगाट मामले में क्या हुआ, सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें… 1. पेरिस ओलिंपिक में 1 दिन में 3 पहलवानों को हराया
विनेश फोगाट ने 50 किग्रा वेट कैटेगरी में 6 अगस्त को 3 मैच खेले। प्री-क्वार्टर फाइनल में उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी को हरा दिया। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने यूक्रेन और सेमीफाइनल में क्यूबा की रेसलर को पटखनी दी। विनेश फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर बनी थीं। 2. डाइट से वजन बढ़ा, पूरी रात कोशिश बेकार गई
सेमीफाइनल तक 3 मैच खेलने के दौरान उन्हें प्रोटीन और एनर्जी के लिए खाना-पानी दिया गया। जिससे उनका वजन 52.700 kg तक बढ़ गया। भारतीय ओलिंपिक टीम के डॉक्टर डॉक्टर दिनशॉ पारदीवाला के मुताबिक विनेश का वेट वापस 50KG पर लाने के लिए टीम के पास सिर्फ 12 घंटे थे। पूरी टीम रातभर विनेश का वजन कम करने की कोशिश में लगी रही। विनेश पूरी रात नहीं सोईं और वजन को तय कैटेगरी में लाने के लिए जॉगिंग, स्किपिंग और साइकिलिंग जैसी एक्सरसाइज करती रहीं। विनेश ने अपने बाल और नाखून तक काट दिए थे। उनके कपड़े भी छोटे कर दिए गए थे। 3. वजन 100 ग्राम ज्यादा मिला, वजन घटाने को सिर्फ 15 मिनट थे
7 अगस्त की सुबह नियम के अनुसार दोबारा से विनेश के वजन की जांच की गई। उनका वजन ज्यादा निकला। उन्हें 15 मिनट मिले लेकिन आखिरी बार वजन में भी वे 100 ग्राम अधिक निकलीं। जिसके बाद उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया। 4. विनेश ने अयोग्य करार देने के खिलाफ अपील की
इसके बाद विनेश ने अयोग्य करार देने पर खेल कोर्ट (CAS) में अपील की। जिसमें विनेश ने फाइनल मुकाबला खेलने देने की अपील की। यह संभव नहीं था तो विनेश ने अपील बदलकर कहा कि सेमीफाइनल तक उसका वजन नियमों के अनुरूप था। उसे संयुक्त सिल्वर मेडल दिया जाए। 5. विनेश ने संन्यास का ऐलान किया
विनेश फोगाट ने 8 अगस्त को कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। उन्होंने सुबह 5.17 बजे सोशल मीडिया पोस्ट लिखी। विनेश ने लिखा, “मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई। माफ करना आपका सपना, मेरी हिम्मत सब टूट चुके। इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी। …माफी।”। 6. खेल कोर्ट ने याचिका खारिज की
विनेश फोगाट की याचिका पर खेल कोर्ट में सुनवाई चली। हालांकि पेरिस ओलिंपिक के बाद इसका फैसला आया, जिसमें उनकी याचिका खारिज कर दी गई। जिसके बाद विनेश बिना मेडल के ही देश वापस लौटीं। यहां दिल्ली एयरपोर्ट से लेकर पैतृक गांव बलाली तक उनका काफिला निकालकर स्वागत किया गया।
बागियों को मनाने निकले हरियाणा CM सैनी:अपनी ही बिरादरी का विरोध झेलना पड़ा, पूर्व मंत्री के घर भी पहुंचे; मीडिया से बात नहीं की
बागियों को मनाने निकले हरियाणा CM सैनी:अपनी ही बिरादरी का विरोध झेलना पड़ा, पूर्व मंत्री के घर भी पहुंचे; मीडिया से बात नहीं की बागियों को मनाने निकले हरियाणा के कार्यवाहक CM नायब सैनी आज महेंद्रगढ़ पहुंचे। यहां उन्होंने नारनौल विधानसभा सीट पर भाजपा की एक रूठी कार्यकर्ता भारती सैनी को मनाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी। उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। बड़ी बात यह है कि नायब सैनी का उनके ही सैनी समाज के लोगों ने विरोध किया। जब CM सैनी को मीटिंग से खाली हाथ लौटना पड़ा तो उन्होंने बाहर खड़े मीडियाकर्मियों से भी कोई बात नहीं की। इतनी ही नहीं, भारती सैनी के समर्थकों ने नायब सैनी की गाड़ी के सामने खड़े होकर ही भारती के समर्थन में जोरदार नारेबाजी की। इसके साथ ही नायब सैनी पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा के भी घर पहुंचे। उन्होंने रामबिलास से नाराजगी भुलाने की प्रार्थना की और चुनाव में सहयोग करने के लिए मनाने की कोशिश की। टिकट कटने से नाराज हैं भारती सैनी
बता दें कि भारती सैनी भाजपा की टिकट पर नारनौल सीट से दावेदारी जता रही थीं, लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काटकर ओम प्रकाश यादव को अपनी उम्मीदवार बनाया है। इससे भारती सैनी नाराज हैं। उन्हें मनाने के लिए CM सैनी ने नारनौल में सैनी समाज के लोगों के साथ आज एक मीटिंग रखी थी। इस मीटिंग में सैनी समाज के स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ उनकी पसंदीदा उम्मीदवार भारती सैनी भी मौजूद थीं। नायब सैनी करीब ढाई बजे मीटिंग में पहुंचे और करीब 1 घंटे बाद साढ़े 3 बजे मीटिंग से बाहर निकले। इस 1 घंटे की मीटिंग में कोई बात नहीं बनी। लोगों के हाथ जोड़े, मीडिया को मना किया
जब CM सैनी बाहर आए तो उन्होंने पहले बाहर मौजूद लोगों को हाथ जोड़कर प्रणाम किया। इसी के साथ ही बाहर मौजूद मीडियाकर्मी CM सैनी के पास पहुंचने की कोशिश करने लगे तो CM सैनी ने उनके सामने हाथ हिलाकर उनसे बात करने से मना कर दिया। CM सैनी के साथ मीटिंग रूम से बाहर सैनी समाज के पदाधिकारी और खुद भारती सैनी भी आईं। भारती के आने के साथ ही उनके समर्थकों ने नायब सैनी के ही सामने नारेबाजी शुरू कर दी। वे जोरदार नारेबाजी से भारती सैनी का समर्थन कर नायब सैनी के खिलाफ विरोध जाहिर कर रहे थे। हालांकि, इस दौरान नायब सैनी हंसते रहे। जब वह गाड़ी में बैठने को जा रहे थे तो उनके पास भारती सैनी हाथ जोड़कर पहुंची। यहां नायब सैनी ने भारती के सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद भी दिया। इसके बाद नायब सैनी अपनी गाड़ी में बैठकर चले गए और नारेबाजी जारी रही। अभी नहीं हुआ कोई फैसला
मुख्यमंत्री सैनी के जाने के बाद सैनी सभा के प्रधान बिशन सैनी ने बताया कि मुख्यमंत्री के सामने उन्होंने अपनी बात रखी है। मुख्यमंत्री ने भारती सैनी का नामांकन वापस लेने के लिए कहा है, लेकिन अभी सभा की ओर से इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अब सैनी सभा अपनी मीटिंग करेगी। इसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा। वहीं, सैनी समाज के अन्य लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि CM सैनी या भाजपा ने भारती सैनी का नामांकन वापस लेने का दबाव बनाया तो पूरा समाज कांग्रेस उम्मीदवार राव नरेंद्र सिंह का साथ देगा। बता दें कि भारती सैनी भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की जिला प्रधान थीं। पूर्व मंत्री की नाराजगी दूर करने का प्रयास
CM सैनी ने आज ही महेंद्रगढ़ में प्रोफेसर रामबिलास शर्मा से भी मिलने पहुंचे। रामबिलास शर्मा पूर्व मंत्री हैं। उन्होंने महेंद्रगढ़ से पार्टी के टिकट लिए दावेदारी पेश की थी। पूर्व मंत्री ने भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भी कर दिया था, लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। टिकट कटने के बाद रामबिलास शर्मा अपने समर्थकों के साथ भावुक हो गए थे। इसके बाद आज CM सैनी उन्हें मनाने के लिए उनके घर पहुंचे। यहां उन्होंने पूर्व मंत्री की नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया।