हरियाणा में पेंशन घोटाले को लेकर सीबीआई ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए हरियाणा पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में इसे बेपरवाही और अपर्याप्त जांच करार देते हुए कहा गया है कि इस घोटाले में राज्य के कई उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का गबन हुआ है। 2017 में याची राकेश बैंस और सुखविंद्र सिंह ने वकील प्रदीप रापड़िया के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि मृत लोगों के नाम पर पेंशन बांटी जा रही है, जिसमें म्युनिसिपल कमेटी के प्रधान, पार्षद, सेक्रेटरी और जिला समाज कल्याण अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। सीबीआई की जांच में पता चला कि घोटाले में शामिल अफसरों ने मृत लाभार्थियों के नाम पर पेंशन जारी की और रिकवरी का दावा भी किया, लेकिन जब सीबीआई ने लाभार्थियों के परिजनों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उन्हें न तो पेंशन मिली और न ही कोई पैसा जमा करवाया। 50312 लाभार्थियों की हो चुकी मौत रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 17094 पेंशन लाभार्थी गायब हैं और 50312 लाभार्थियों की मृत्यु हो चुकी है। सीबीआई ने सुझाव दिया कि इस मामले में हर जिले में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और घोटाले में लिप्त अफसरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए। सीबीआई ने सिफारिश की है कि जांच में एसीबी और आर्थिक अपराध शाखा की मदद ली जाए और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय एवं आपराधिक कार्रवाई हो। हरियाणा में पेंशन घोटाले को लेकर सीबीआई ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए हरियाणा पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में इसे बेपरवाही और अपर्याप्त जांच करार देते हुए कहा गया है कि इस घोटाले में राज्य के कई उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का गबन हुआ है। 2017 में याची राकेश बैंस और सुखविंद्र सिंह ने वकील प्रदीप रापड़िया के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि मृत लोगों के नाम पर पेंशन बांटी जा रही है, जिसमें म्युनिसिपल कमेटी के प्रधान, पार्षद, सेक्रेटरी और जिला समाज कल्याण अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। सीबीआई की जांच में पता चला कि घोटाले में शामिल अफसरों ने मृत लाभार्थियों के नाम पर पेंशन जारी की और रिकवरी का दावा भी किया, लेकिन जब सीबीआई ने लाभार्थियों के परिजनों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उन्हें न तो पेंशन मिली और न ही कोई पैसा जमा करवाया। 50312 लाभार्थियों की हो चुकी मौत रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 17094 पेंशन लाभार्थी गायब हैं और 50312 लाभार्थियों की मृत्यु हो चुकी है। सीबीआई ने सुझाव दिया कि इस मामले में हर जिले में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और घोटाले में लिप्त अफसरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए। सीबीआई ने सिफारिश की है कि जांच में एसीबी और आर्थिक अपराध शाखा की मदद ली जाए और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय एवं आपराधिक कार्रवाई हो। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा:फिजिकल वैरिफिकेशन में कम मिला 4 हजार क्विंटल, राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू
करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा:फिजिकल वैरिफिकेशन में कम मिला 4 हजार क्विंटल, राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू हरियाणा के करनाल में फर्जी धान की खरीद का मामला एक फिर से उठा है। विभागीय जांच के दौरान 4 हजार क्विंटल धान गायब पाई गई है। मामला सुर्खियों में आने के बाद जिला उपायुक्त ने भी मामले पर संज्ञान लिया और गड़बड़ी वाली मिलों की भी पीवी करवाने के निर्देश जारी कर दिए। अब प्रशासन यह जानने का प्रयास कर रहा है कि आखिर गड़बड़ी कितनी हुई है। पहली ही पीवी में 4 हजार क्विंटल कम आईएएस अधिकारी योगेश सैनी के नेतृत्व में राइस मिल में फिजिकल वैरिफिकेशन की गई। प्रशासनिक जांच का यह पहला फेस था और पहले फेस ने ही बड़ा झटका दे दिया। करीब चार हजार क्विंटल धान कम मिली। जब पहले फेस में ही यह हालात है तो आगे फिजिकल वैरिफिकेशन होगी तो भ्रष्टाचार की ओर भी परते हटती नजर आएगी। इतनी स्पीड से काटे गए गेट पास जब भी गेट पास काटा जाता है तो उसे में औसतन दो से तीन मिनट लगता है। लेकिन जिले कई मंडियों में तो तेज रफ्तार से गेट पास काटकर रख दिए। शक ऐसे भी गहराता है कि जिस गेट पास को कटने में दो से तीन मिनट का टाइम लगता है, उन्हीं गेट पास को 41 सेकेंड दो बार और 2 मिनट 35 सेकेंड में तीन बार काट दिया जाता है। जिसके बाद निसिंग मंडी में 772 गेट पास कैंसिल किए गए। जिसका वजन 42 हजार 633 क्विंटल बनता था। निगदू, इंद्री, तरावड़ी, घरौंडा, करनाल और असंध की मंडियों गेट पास का यही तरीका है। वहीं डीएफएससी की माने तो पूरे मामले की जांच जारी है और गड़बड़ी करने वालों पर एक्शन लिया जाएगा। सवालों के घेरे में मंडी से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी और व्यापारी भ्रष्टाचार की जड़े कुरेदी गई और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की चूल्ले हिल गई। अब जिम्मेदार खुद को बचाने की जुगत में है और हड़बड़ी में उन राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू कर दी, जहां पर धान कम पाया गया है। ऐसे में अधिकारियों की हड़बड़ाहट ने कई सवाल खड़े कर दिए है। जिनकी तरफ आखिर प्रशासन का ध्यान नहीं जाता। कागजो में ही लिखी जाती है भ्रष्टाचार की पटकथा यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि फर्जी खरीद का खेल कोई एक अधिकारी या कर्मचारी या फिर मंडी से जुड़ा व्यक्ति नहीं कर सकता। इसके लिए पूरे टीम वर्क की जरूरत होती है। कैसे धान को कागजों में उगाना है? कैसे कागजों में ही धान का फर्जी गेट पास कटेगा? कैसे आढ़ती की दुकान के कागजों में चढ़ेगा? कैसे कागजों में ही खरीद एजेंसी धान की परचेज करेगी? कैसे मिलर्स कागजों में ही धान की बोरिया ट्रक में लोड होकर जाएगी? भ्रष्टाचार की पटकथा कागजों में ही लिखी जाती है और उसी में दब जाती है, लेकिन इस तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जाता। यह कार्य बिना किसी अधिकारी, आढ़ती या फिर सरकारी खरीद एजेंसियों के इंस्पेक्टरों की मर्जी के बिना नहीं हो सकता। कैसे रचा जाता है भ्रष्टाचार का चक्रव्यूह अक्सर यह सवाल मन में आते है कि मंडी में फर्जी खरीद होती कैसे है और कैसे भ्रष्टाचार होता है? उन्हीं को कुछ आसान तरीके से समझने का प्रयास करते है। एडवोकेट राकेश ढूल के मुताबिक, मंडी में किसान का धान आते ही गेट पर पास कट जाता है। इसमें अनुमानित वजह होता है। गेट पास के माध्यम से ही पता चलता है कि किस आढ़ती के पास धान आया और किस एजेंसी ने खरीदा और किस मिलर्स को भेजा गया। जे फार्म कटने के बाद धान की खरीद का पैसा ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाता है। फर्जी गेट पास से शुरू होता है भ्रष्टाचार का फर्स्ट फेस भ्रष्टाचार में फर्स्ट फेस फर्जी गेट पास से शुरू होता है। सेकेंड फेज धान की परचेज से शुरू होता है। इसमें खरीद एजेंसी का निरीक्षक और आढ़ती फर्जी गेट पास के नाम पर चढ़ी धान की सरकारी कागजों में खरीद दिखा देते है, अर्थात कागजों में धान उग जाती है। इसमें आढ़ती की अमाउंट प्रतिशत पहले से ही सेट होती है। किसी किसान के नाम पर धान का जे फार्म काट देते है और फिर किसी राइस मिलर्स को सीएसआर के लिए धान अलॉट कर दी जाती है। जे फार्म वाले किसान के खाते में पैसा आ जाता है और वह सब बंट जाता है और यह काम खरीद एजेंसी के जिम्मेदारों के मार्फत हो सकता है। गरीबों के चावल पर मिलर्स का डाका जो धान कागजों में थी उसको वास्तविक रूप में दिखाने के लिए मिलर्स यूपी और बिहार से गरीबों को मिलने वाले चावल को सस्ते रेट पर खरीद लेता है। इससे मिलर्स का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि वह मिलिंग का खर्च बचा लेता है और सस्ते में चावल खरीदकर एफसीआई को भेज देता है और यूपी व बिहार के चावल माफिया द्वारा यह कार्य किया जाता है। ऐसे में एमएसपी का लाभ किसान को न जाकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले चावल को फूड माफिया के जरिए मिलर्स डकार लेते है। खानापूर्ति तक सीमित रह जाता है सब कुछ आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज सैनी की माने तो फिजिकल वैरिफिकेशन महज खानापूर्ति तक सीमित है। जनता को लगे कि प्रशासन द्वारा एक्शन लिया जा रहा है, इसके लिए एक नोटिस जारी कर दिया जाता है और आगे की जांच भी इंस्पेक्टर को ही करनी होती है। यहां पर तो वह कहावत चरितार्थ हो जाती है कि दूध की रखवाली बिल्ली को ही दे दी। जब तक सिस्टम में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान नहीं होगा, इस तरह की खानापूर्ति चलती रहेगी। यह होता आया है और आगे भी इसी तरह से होता रहेगा। जांच के नाम पर महज खाना पूर्ति।
चरखी दादरी में भतीजे ने की चाचा की हत्या:रात में सोते समय कस्सी से किया हमला, बेटी के शोर मचाने पर भागा
चरखी दादरी में भतीजे ने की चाचा की हत्या:रात में सोते समय कस्सी से किया हमला, बेटी के शोर मचाने पर भागा हरियाणा के चरखी दादरी में रंजिश के चलते भतीजे ने 55 वर्षीय चाचा की कस्सी मारकर हत्या कर दी गई। आरोपी ने जिस समय घटना को अंजाम दिया, उस वक्त मृतक के बेटे सालासर दर्शन करने के लिए गए थे। आरोपी मृतक के पिता के भाई का पोता है। पुलिस ने मामला दर्ज कर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। घटना जिले के पिचौपा खुर्द गांव की है। मृतक की बेटी पूजा ने बताया कि उसके दोनों भाई प्रदीप व मोहित सालासर दर्शन करने के लिए ग थे। उसके पिता रामफल जो खेती बाड़ी का काम करते थे वो पशुओं की देखभाल के लिए घर के सामने पशुओं के समीप चारपाई डालकर हर रोज की भांति वहां सो रहे थे। जबकि वह और उसकी मां मकान के अंदर सो रही थी। बेटी के शोर मचाने पर भागा आरोपी रात को उनके मकान के सामने झगड़े का शोर सुनाई दिया। उसने मकान का गेट खोल कर देखा तो उनका पडौसी पवन कस्सी से उसके पिता रामफल को चोट मार रहा था। उसने शोर मचाया तो वह कस्सी को मौके पर ही छोड़कर वहां से भाग गया। बाद में ग्रामीण उसके पिता को लेकर चरखी दादरी के सिविल अस्पताल पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पूजा ने बताया कि आरोपी उनके घर के बाहर घूमता रहता था। जबकि उसके पिता उसे घर के बाहर घूमने से टोकते थे। उसी रंजिश के चलते उसने कस्सी मारकर उसके पिता की हत्या की है। बाढ़ड़ा थाना पुलिस ने मृतक की बेटी की शिकायत पर आरोपी पवन के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। मृतक के परिजन व पुलिस सिविल अस्पताल पहुंचे हैं जहां कागजी कार्रवाई के बाद शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंपा जाएगा।
नहर का स्लैब धंसने के बाद ग्रामीणों में डर बरकरार
नहर का स्लैब धंसने के बाद ग्रामीणों में डर बरकरार कुंजपुरा | तीन दिन पूर्व गांव कलवेहड़ी सुभरी के पास आवर्धन नहर के स्लैब टूटने के बाद पटरी में हुए कटाव भले ही बंद कर दिया गया। लेकिन, नहर में ज्यादा पानी आने पर दोबारा ऐसी स्थिति होने की आशंका से ग्रामीण डरे हुए हैं। उन्होंने निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की है। हालांकि डीसी उत्तम सिंह ने साफ चेतावनी दी थी कि निर्माण सामग्री की गुणवत्ता से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। मामले की जांच करवा कर उचित कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा। जिला प्रशासन पूरी तरह से मामले की निगरानी कर रहा है। दूसरी तरफ दो दिन पूर्व ताजेवाला हेड से यमुना में करीब 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद हरियाणा यूपी सीमा पर गांव शेरगढ़ टापू के पास हरियाणा की सीमा में बने पुल पर पानी भरने की आशंका को लेकर ग्रामीण चिंतित नजर आ रहे हैं। पूर्व सरपंच जरनैल सिंह का कहना है कि अभी तक यमुना में अधिकांश पानी उत्तर प्रदेश की दिशा में बह रहा है, लेकिन कुछ अधिक पानी छोड़ा गया तो हरियाणा की सीमा में बने पुल की ऊंचाई काफी कम होने के कारण पानी भरने पर आवागमन बंद हो जाएगा। उन्होंने जिला प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि हरियाणा की सीमा में पुल उत्तर प्रदेश की सीमा में यमुना पर बने पुल की अपेक्षा काफी नीचे बनाया हुआ है। इस पुल को उत्तरप्रदेश की सीमा में बने पुल की तर्ज पर बनाया जाए, ताकि बारिश अधिक होने पर भी पुल पानी में न डूबे। विशेष बात है कि बीते वर्ष पुल पर पानी भरने से सप्ताह भर आवागमन बंद रहा था। जिस कारण हरियाणा व उत्तर प्रदेश के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था।