70 दिन में 9 बार ट्रेन पलटाने की साजिश:देशभर में यूपी टॉप पर, इसके पीछे पाकिस्तान तो नहीं; रेलवे ने क्या कदम उठाए?

70 दिन में 9 बार ट्रेन पलटाने की साजिश:देशभर में यूपी टॉप पर, इसके पीछे पाकिस्तान तो नहीं; रेलवे ने क्या कदम उठाए?

24 अक्टूबर की रात करीब 9 बजकर 5 मिनट पर लखनऊ में मलिहाबाद-काकोरी रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन पलटाने की साजिश की गई। पटरी पर लकड़ी का करीब 6 किलो वजनी टुकड़ा और पत्थर रखे थे। इनसे बरेली-वाराणसी एक्सप्रेस (14236) के इंजन का एक्सल टूट गया। सिग्नल डिवाइस को भी नुकसान पहुंचा। लोको पायलट की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया। इससे पहले 8 अक्टूबर को भी रायबरेली में ट्रेन पलटाने की साजिश हुई थी। सतना से सीमेंट क्लिंकर (पत्थर) लेकर कुंदनगंज मालगाड़ी रायबरेली की तरफ आ रही थी। देर रात लक्ष्मणपुर और दरियापुर स्टेशन के बीच रेलवे क्रासिंग के पास ट्रैक पर रखे सीमेंटेड स्लीपर से मालगाड़ी टकरा गई। यूपी में ट्रेन को पलटाने की साजिश की ये कोई एक-दो घटनाएं नहीं हैं। 70 दिन में 9 बार ऐसा हुआ। ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, पंजाब में भी ऐसे मामले आए हैं। लेकिन, सबसे ज्यादा मामले यूपी के हैं। उसके बाद राजस्थान में 4 घटनाएं हुई हैं। ट्रेन से बड़ी संख्या में लोग सफर करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन घटनाओं के पीछे कौन है? कुछ दिनों के अंदर एक जैसी कई घटनाओं का होना सिर्फ इत्तेफाक तो नहीं हो सकता। सरकार भी इसे लेकर काफी गंभीर दिखाई दे रही है। यूपी में ट्रेन पलटाने की घटना कब और कहां हुईं? इनके पीछे किसका हाथ हो सकता है? रेलवे इससे बचाव के लिए क्या कर रहा? जानिए भास्कर एक्सप्लेनर में… हाल में यूपी में सबसे ज्यादा हादसे किस रूट पर हुए?
यूपी देश का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य है। कानपुर बड़ा जंक्शन है। कई बड़ी ट्रेनों की आवाजाही यहां से होती है। हाल के दिनों में ट्रेन पलटाने की सबसे ज्यादा साजिश कानपुर या उसके आसपास ही हुईं। कानपुर में 2 बार, रायबरेली और कासगंज के आसपास भी 2 बार ट्रेन पलटाने की साजिश हुई। कानपुर में तो 16 अगस्त को साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे और इंजन पटरी से भी उतर गए। साजिशकर्ताओं ने एक बार ट्रैक पर मिट्टी का डंपर डालकर ट्रेन पलटाने की साजिश की, तो 2 बार रेलवे ट्रैक पर गैस सिलेंडर मिला। एक बार सीमेंटेड स्लीपर ही रेलवे ट्रैक पर रख दिए गए। अब ताजा मामला लखनऊ में महिलाबाद-काकोरी स्टेशन के बीच सामने आया है। यहां ट्रैक पर लकड़ी का बड़ा टुकड़ा रखा मिला। कुछ पत्थर भी रखे थे। रेलवे ने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए?
हाल के दिनों में ट्रेन पलटाने की कई साजिशें होने के बाद रेलवे भी इस मामले को लेकर गंभीर हो गया है। इन घटनाओं से बचने के लिए 4 बड़े कदम उठाए… 1- RPF और GRP को किया सक्रिय: पिछले 70 दिन में रेल को डिरेल करने की 9 बार साजिश हुई। इसे देखते हुए रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए RPF और GRP की सक्रियता बढ़ा दी है। RPF केंद्र सरकार, तो GRP राज्य सरकार के अधीन आती हैं। RPF का काम रेलवे की संपत्तियों की सुरक्षा और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है। GRP का काम रेलवे स्टेशन पर कानून-व्यवस्था बनाए रखना होता है। अगर RPF किसी अपराधी को पकड़ती है, तो मामले की आगे की जांच के लिए उसे GRP (राजकीय रेलवे पुलिस) को सौंपना पड़ता है। 2- ‘रेलवे मित्र’ बनाने की कवायद: रेलवे इसके लिए ट्रैक के किनारे बसे गांवों में स्थानीय लोगों से संपर्क करके उन्हें ‘रेलवे मित्र’ बना रही है। साथ ही चौपालों के जरिए ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। ‘रेलवे मित्र’ का मुख्य उद्देश्य ट्रैक के आसपास घूमने वाले संदिग्ध व्यक्तियों और सामाजिक तत्वों पर नजर रखना है। ये ‘रेलवे मित्र’ किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत RPF और GRP को देंगे, जिससे ट्रैक से संबंधित संभावित खतरों को पहले ही निपटाया जा सके। रेलवे मित्रों के नाम और संपर्क नंबर उच्च अधिकारियों को भेज दिए गए हैं। जिससे जरूरत पड़ने पर उनसे संपर्क किया जा सके। 3- लोगों को किया जा रहा जागरूक: रेलवे विभाग ट्रैक के किनारे बसे गांवों में नुक्कड़ सभाएं कर लोगों को जागरूक कर रहा है। साथ ही ग्रामीणों को ये भी समझाया जा रहा है कि अगर ट्रैक के पास कोई असामाजिक तत्व दिखे तो तुरंत सूचना दें। ग्रामीणों को अधिकारियों के नंबर भी दिए जा रहे हैं। 4- ट्रेनों में कवच लगाने का काम तेजी से किया जा रहा: ट्रेनों में कवच लगाने का काम तेजी से किया जा रहा है। यूपी में इसका ट्रायल भी हुआ है। रेल कवच एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। इसे ‘ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम’ यानी TCAS कहते हैं। यह भारत में 2012 में बनकर तैयार हुआ था। इंजन और पटरियों में लगे इस डिवाइस की मदद से ट्रेन की ओवर स्पीडिंग को कंट्रोल किया जाता है। इस तकनीक में किसी खतरे का अंदेशा होने पर ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाता है। तकनीक का मकसद ये है कि ट्रेनों की स्पीड चाहे कितनी भी हो, लेकिन कवच के चलते ट्रेनें आपस में टकराएंगी नहीं। सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल 4 सर्टिफाइड रेल कवच को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) ने बनाया है। यूपी में रेल का नेटवर्क कितना बड़ा है?
देश में सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क उत्तर प्रदेश का है। ट्रेन से सबसे ज्यादा यात्रा करने वाले लोग उत्तर प्रदेश से ही हैं। यूपी में फैले रेलवे ट्रैक की कुल लंबाई 9077.45 किलोमीटर है। प्रदेश के हर जिले में रेलवे का नेटवर्क मौजूद है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन सबसे व्यस्त स्टेशनों में से एक है। प्रदेश में कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर और मुगलसराय के रेलवे स्टेशन भी काफी व्यस्त रहते हैं। लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से रोजाना 300 से ज्यादा ट्रेनों का आवागमन होता है। यहां 15 प्लेटफॉर्म हैं। कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से रोजाना 280 ट्रेनों का आवागमन होता है। गोरखपुर में तो दुनिया का सबसे बड़ा प्लेफॉर्म होता था, लेकिन बाद में कर्नाटक के हुबली में सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म बन गया। रेलवे की सुरक्षा के लिए RPF और GRP किस तरह काम करती है और इसकी संख्या कितनी है?
GRP सामान्य पुलिस बल की एक अलग ब्रांच है। यह 1861 के अधिनियम 5 के तहत नामांकित है। GRP के पास 65 पुलिस थाने और 43 चौकियां हैं। इनमें लिपिकीय संवर्ग समेत लगभग 6 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। GRP उत्तर प्रदेश में 922 रेलवे स्टेशन, 9000 से ज्यादा किमी रेलवे लाइन को कवर करता है और 780 ट्रेनों में पहरा भी देता है। GRP का हेड अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) होता है। उनके अधीनस्थ दो पुलिस महानिरीक्षक और दो पुलिस उपमहानिरीक्षक भी होते हैं। RPF रेल मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है। यह GRP के साथ मिलकर भारतीय रेलवे के यात्रियों और संपत्ति की सुरक्षा करता है। रेलवे की संपत्ति चुराने, उसे नुकसान पहुंचाने या अवैध रूप से अपने पास रखने वाले लोगों को गिरफ्तार करने और उन पर मुकदमा चलाने का काम भी RPF ही करती है। ट्रेन और यात्री आवागमन में आने वाली बाधाओं को हटाकर रेलवे यातायात का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने का काम भी RPF ही करती है। RPF की कमान सीनियर आईपीएस अफसर के हाथ में होती है। इसका सबसे बड़ा अधिकारी DG होता है। इसमें सक्रिय कर्मचारियों की संख्या 75 हजार से ज्यादा है। हाल में हो रही ट्रेन को पलटाने की साजिश के पीछे किसका हाथ है?
यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि यूपी में रेल जिहाद चल रहा है। ये कभी पत्थर, कभी सिलेंडर और पेट्रोल रखकर ट्रेन दुर्घटना करवाना चाहते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X में इस तरह की खबरें चल रही हैं। जिन्हें बड़ी संख्या में लाइक और रि-ट्वीट किया जा रहा है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि इसमें कहीं न कहीं पाकिस्तान का हाथ है। पाकिस्तानी आतंकी फरहतुल्लाह ने वीडियो पोस्ट कर स्लीपर सेल को मैसेज दिया था। इस वीडियो में उसने भारत में ट्रेनों पर हमला करने के साथ ही इसे बाधित करने की बात कही थी। आतंकी फरहतुल्लाह ने टेलीग्राम पर जारी किए इस वीडियो में स्लीपर सेल से दिल्ली, मुंबई और देश के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर ट्रेनों को पटरी से उतारने का आह्वान किया है। फरहतुल्लाह को गृह मंत्रालय ने 2020 में आतंकी घोषित किया था। उसके वीडियो और सोशल मीडिया में चल रही बातों से इस संभावना को बल मिलता है कि हाल में ही हो रही ट्रेन को पलटाने की साजिश के पीछे कहीं पाकिस्तान कनेक्शन तो नहीं है। ———————– ये भी पढ़ें… रेलवे-ट्रैक पर 6 किलो वजनी लकड़ी का टुकड़ा रखा, लखनऊ में ट्रेन का एक्सल टूटा लखनऊ में मलिहाबाद और काकोरी रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन पलटाने की साजिश सामने आई है। अराजकतत्वों ने पटरी पर लकड़ी का 6 किलो वजनी टुकड़ा और पत्थर रख दिया था, जिससे ट्रेन का एक्सल टूट गया। घटना की जानकारी पर सीनियर अधिकारियों ने मौके पर जांच की। उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मंडल ने इस घटना की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है। RPF, GRP और रेलवे की संयुक्त टीम ने मामले की जांच शुरू कर चुकी है। स्थानीय पुलिस भी इनपुट जुटा रही है। आसपास के गांव के लोगों से पूछताछ की जा रही है। पढ़ें पूरी खबर… 24 अक्टूबर की रात करीब 9 बजकर 5 मिनट पर लखनऊ में मलिहाबाद-काकोरी रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन पलटाने की साजिश की गई। पटरी पर लकड़ी का करीब 6 किलो वजनी टुकड़ा और पत्थर रखे थे। इनसे बरेली-वाराणसी एक्सप्रेस (14236) के इंजन का एक्सल टूट गया। सिग्नल डिवाइस को भी नुकसान पहुंचा। लोको पायलट की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया। इससे पहले 8 अक्टूबर को भी रायबरेली में ट्रेन पलटाने की साजिश हुई थी। सतना से सीमेंट क्लिंकर (पत्थर) लेकर कुंदनगंज मालगाड़ी रायबरेली की तरफ आ रही थी। देर रात लक्ष्मणपुर और दरियापुर स्टेशन के बीच रेलवे क्रासिंग के पास ट्रैक पर रखे सीमेंटेड स्लीपर से मालगाड़ी टकरा गई। यूपी में ट्रेन को पलटाने की साजिश की ये कोई एक-दो घटनाएं नहीं हैं। 70 दिन में 9 बार ऐसा हुआ। ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, पंजाब में भी ऐसे मामले आए हैं। लेकिन, सबसे ज्यादा मामले यूपी के हैं। उसके बाद राजस्थान में 4 घटनाएं हुई हैं। ट्रेन से बड़ी संख्या में लोग सफर करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन घटनाओं के पीछे कौन है? कुछ दिनों के अंदर एक जैसी कई घटनाओं का होना सिर्फ इत्तेफाक तो नहीं हो सकता। सरकार भी इसे लेकर काफी गंभीर दिखाई दे रही है। यूपी में ट्रेन पलटाने की घटना कब और कहां हुईं? इनके पीछे किसका हाथ हो सकता है? रेलवे इससे बचाव के लिए क्या कर रहा? जानिए भास्कर एक्सप्लेनर में… हाल में यूपी में सबसे ज्यादा हादसे किस रूट पर हुए?
यूपी देश का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य है। कानपुर बड़ा जंक्शन है। कई बड़ी ट्रेनों की आवाजाही यहां से होती है। हाल के दिनों में ट्रेन पलटाने की सबसे ज्यादा साजिश कानपुर या उसके आसपास ही हुईं। कानपुर में 2 बार, रायबरेली और कासगंज के आसपास भी 2 बार ट्रेन पलटाने की साजिश हुई। कानपुर में तो 16 अगस्त को साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे और इंजन पटरी से भी उतर गए। साजिशकर्ताओं ने एक बार ट्रैक पर मिट्टी का डंपर डालकर ट्रेन पलटाने की साजिश की, तो 2 बार रेलवे ट्रैक पर गैस सिलेंडर मिला। एक बार सीमेंटेड स्लीपर ही रेलवे ट्रैक पर रख दिए गए। अब ताजा मामला लखनऊ में महिलाबाद-काकोरी स्टेशन के बीच सामने आया है। यहां ट्रैक पर लकड़ी का बड़ा टुकड़ा रखा मिला। कुछ पत्थर भी रखे थे। रेलवे ने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए?
हाल के दिनों में ट्रेन पलटाने की कई साजिशें होने के बाद रेलवे भी इस मामले को लेकर गंभीर हो गया है। इन घटनाओं से बचने के लिए 4 बड़े कदम उठाए… 1- RPF और GRP को किया सक्रिय: पिछले 70 दिन में रेल को डिरेल करने की 9 बार साजिश हुई। इसे देखते हुए रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए RPF और GRP की सक्रियता बढ़ा दी है। RPF केंद्र सरकार, तो GRP राज्य सरकार के अधीन आती हैं। RPF का काम रेलवे की संपत्तियों की सुरक्षा और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है। GRP का काम रेलवे स्टेशन पर कानून-व्यवस्था बनाए रखना होता है। अगर RPF किसी अपराधी को पकड़ती है, तो मामले की आगे की जांच के लिए उसे GRP (राजकीय रेलवे पुलिस) को सौंपना पड़ता है। 2- ‘रेलवे मित्र’ बनाने की कवायद: रेलवे इसके लिए ट्रैक के किनारे बसे गांवों में स्थानीय लोगों से संपर्क करके उन्हें ‘रेलवे मित्र’ बना रही है। साथ ही चौपालों के जरिए ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। ‘रेलवे मित्र’ का मुख्य उद्देश्य ट्रैक के आसपास घूमने वाले संदिग्ध व्यक्तियों और सामाजिक तत्वों पर नजर रखना है। ये ‘रेलवे मित्र’ किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत RPF और GRP को देंगे, जिससे ट्रैक से संबंधित संभावित खतरों को पहले ही निपटाया जा सके। रेलवे मित्रों के नाम और संपर्क नंबर उच्च अधिकारियों को भेज दिए गए हैं। जिससे जरूरत पड़ने पर उनसे संपर्क किया जा सके। 3- लोगों को किया जा रहा जागरूक: रेलवे विभाग ट्रैक के किनारे बसे गांवों में नुक्कड़ सभाएं कर लोगों को जागरूक कर रहा है। साथ ही ग्रामीणों को ये भी समझाया जा रहा है कि अगर ट्रैक के पास कोई असामाजिक तत्व दिखे तो तुरंत सूचना दें। ग्रामीणों को अधिकारियों के नंबर भी दिए जा रहे हैं। 4- ट्रेनों में कवच लगाने का काम तेजी से किया जा रहा: ट्रेनों में कवच लगाने का काम तेजी से किया जा रहा है। यूपी में इसका ट्रायल भी हुआ है। रेल कवच एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। इसे ‘ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम’ यानी TCAS कहते हैं। यह भारत में 2012 में बनकर तैयार हुआ था। इंजन और पटरियों में लगे इस डिवाइस की मदद से ट्रेन की ओवर स्पीडिंग को कंट्रोल किया जाता है। इस तकनीक में किसी खतरे का अंदेशा होने पर ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाता है। तकनीक का मकसद ये है कि ट्रेनों की स्पीड चाहे कितनी भी हो, लेकिन कवच के चलते ट्रेनें आपस में टकराएंगी नहीं। सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल 4 सर्टिफाइड रेल कवच को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) ने बनाया है। यूपी में रेल का नेटवर्क कितना बड़ा है?
देश में सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क उत्तर प्रदेश का है। ट्रेन से सबसे ज्यादा यात्रा करने वाले लोग उत्तर प्रदेश से ही हैं। यूपी में फैले रेलवे ट्रैक की कुल लंबाई 9077.45 किलोमीटर है। प्रदेश के हर जिले में रेलवे का नेटवर्क मौजूद है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन सबसे व्यस्त स्टेशनों में से एक है। प्रदेश में कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर और मुगलसराय के रेलवे स्टेशन भी काफी व्यस्त रहते हैं। लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से रोजाना 300 से ज्यादा ट्रेनों का आवागमन होता है। यहां 15 प्लेटफॉर्म हैं। कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से रोजाना 280 ट्रेनों का आवागमन होता है। गोरखपुर में तो दुनिया का सबसे बड़ा प्लेफॉर्म होता था, लेकिन बाद में कर्नाटक के हुबली में सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म बन गया। रेलवे की सुरक्षा के लिए RPF और GRP किस तरह काम करती है और इसकी संख्या कितनी है?
GRP सामान्य पुलिस बल की एक अलग ब्रांच है। यह 1861 के अधिनियम 5 के तहत नामांकित है। GRP के पास 65 पुलिस थाने और 43 चौकियां हैं। इनमें लिपिकीय संवर्ग समेत लगभग 6 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। GRP उत्तर प्रदेश में 922 रेलवे स्टेशन, 9000 से ज्यादा किमी रेलवे लाइन को कवर करता है और 780 ट्रेनों में पहरा भी देता है। GRP का हेड अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) होता है। उनके अधीनस्थ दो पुलिस महानिरीक्षक और दो पुलिस उपमहानिरीक्षक भी होते हैं। RPF रेल मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है। यह GRP के साथ मिलकर भारतीय रेलवे के यात्रियों और संपत्ति की सुरक्षा करता है। रेलवे की संपत्ति चुराने, उसे नुकसान पहुंचाने या अवैध रूप से अपने पास रखने वाले लोगों को गिरफ्तार करने और उन पर मुकदमा चलाने का काम भी RPF ही करती है। ट्रेन और यात्री आवागमन में आने वाली बाधाओं को हटाकर रेलवे यातायात का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने का काम भी RPF ही करती है। RPF की कमान सीनियर आईपीएस अफसर के हाथ में होती है। इसका सबसे बड़ा अधिकारी DG होता है। इसमें सक्रिय कर्मचारियों की संख्या 75 हजार से ज्यादा है। हाल में हो रही ट्रेन को पलटाने की साजिश के पीछे किसका हाथ है?
यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि यूपी में रेल जिहाद चल रहा है। ये कभी पत्थर, कभी सिलेंडर और पेट्रोल रखकर ट्रेन दुर्घटना करवाना चाहते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X में इस तरह की खबरें चल रही हैं। जिन्हें बड़ी संख्या में लाइक और रि-ट्वीट किया जा रहा है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि इसमें कहीं न कहीं पाकिस्तान का हाथ है। पाकिस्तानी आतंकी फरहतुल्लाह ने वीडियो पोस्ट कर स्लीपर सेल को मैसेज दिया था। इस वीडियो में उसने भारत में ट्रेनों पर हमला करने के साथ ही इसे बाधित करने की बात कही थी। आतंकी फरहतुल्लाह ने टेलीग्राम पर जारी किए इस वीडियो में स्लीपर सेल से दिल्ली, मुंबई और देश के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर ट्रेनों को पटरी से उतारने का आह्वान किया है। फरहतुल्लाह को गृह मंत्रालय ने 2020 में आतंकी घोषित किया था। उसके वीडियो और सोशल मीडिया में चल रही बातों से इस संभावना को बल मिलता है कि हाल में ही हो रही ट्रेन को पलटाने की साजिश के पीछे कहीं पाकिस्तान कनेक्शन तो नहीं है। ———————– ये भी पढ़ें… रेलवे-ट्रैक पर 6 किलो वजनी लकड़ी का टुकड़ा रखा, लखनऊ में ट्रेन का एक्सल टूटा लखनऊ में मलिहाबाद और काकोरी रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन पलटाने की साजिश सामने आई है। अराजकतत्वों ने पटरी पर लकड़ी का 6 किलो वजनी टुकड़ा और पत्थर रख दिया था, जिससे ट्रेन का एक्सल टूट गया। घटना की जानकारी पर सीनियर अधिकारियों ने मौके पर जांच की। उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मंडल ने इस घटना की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है। RPF, GRP और रेलवे की संयुक्त टीम ने मामले की जांच शुरू कर चुकी है। स्थानीय पुलिस भी इनपुट जुटा रही है। आसपास के गांव के लोगों से पूछताछ की जा रही है। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर