जो साथ थे-अब खिलाफ हैं… 9 विधानसभा सीटों में उपचुनाव होने हैं। दो साल पहले रालोद और सपा गठबंधन में थे। लेकिन, लोकसभा चुनाव में गठबंधन टूटा। जयंत चौधरी एंड पार्टी भाजपा के साथ हो गई। उपचुनाव में भी दोनों साथ हैं। एक सीट पर रालोद कैंडिडेट को टिकट दिया गया है। मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट मुस्लिम बहुल हैं। दोनों सीटों पर भाजपा-सपा के बीच टक्कर है। कुंदरकी में भाजपा ने रामवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा ने तीन बार के विधायक रह चुके हाजी रिजवान को। लेकिन, यहां बसपा और AIMIM प्रत्याशी सपा का समीकरण बिगाड़ रहे हैं। माहौल भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है। मीरापुर में भाजपा और सपा दोनों से महिला कैंडिडेट चुनावी मैदान में हैं। रालोद ने नॉन मुस्लिम कैंडिडेट मिथिलेश पाल को उतारा है। सपा ने सुम्बुल राणा को टिकट दिया है। यहां बसपा और AIMIM के अलावा चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी भी चुनावी मैदान में है। इन तीनों ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारकर सपा का गणित बिगाड़ा है। ऐसे में रालोद का पलड़ा भारी दिख रहा है। कुंदरकी और मीरापुर सीट पर क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं? क्या यहां बड़ा उलटफेर होगा? अभी हवा का रुख क्या है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। सबसे पहले चलते हैं कुंदरकी… मुरादाबाद जिला मुख्यालय से करीब 18 किमी दूर कुंदरकी ग्रामीण इलाका है। अब कुंदरकी में मुद्दे नहीं, प्रत्याशियों की बात हो रही है। माहौल पूरी तरह चुनावी है। यहां के लोगों का मुख्य पेशा खेती-लघु उद्योग और पशुपालन है। हम यहां करीब 150 लोगों से मिले। मेन मार्केट में हमें जूता व्यापारी मोहम्मद उवैस पाशा मिले। वह कहते हैं- मुकाबला सपा और भाजपा के बीच है। ये सपा का गढ़ है। लेकिन, इस बार उम्मीद भाजपा की ज्यादा लग रही है। क्योंकि ये उपचुनाव है। उपचुनाव सत्ता का ही होता है। जाहिर है भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह के जीतने पर यहां विकास के काम होंगे, क्योंकि उनकी पार्टी की सरकार है। विपक्ष का विधायक जीतता है, तो वो काम नहीं करा पाएगा। इसलिए मुस्लिमों का भी समर्थन भाजपा प्रत्याशी को मिल रहा है। व्यापारी मोहम्मद शारिक कहते हैं- इस बार चुनाव एकतरफा नहीं है। चुनाव मैदान में कई तुर्क कैंडिडेट हैं। AIMIM और आजाद समाज पार्टी भी यहां ठीक-ठाक वोट बटोरेगी। भाजपा प्रत्याशी के साथ इस बार खुलेआम मुसलमानों की भीड़ नजर आ रही है। चक फाजलपुर गांव में रहने वाले मोहम्मद रेहान ने कहा- सपा और भाजपा में मुकाबला है। लेकिन, नतीजे नहीं बदलेंगे। जीत सपा की ही होगी। बस जीत का अंतर कम हो सकता है। ये सपा का गढ़ है। धर्मवीर ने कहा- यहां चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी बहुत मजबूती से लड़ रही है। इसलिए इस बार मुकाबला भाजपा और आजाद समाज पार्टी में हो सकता है। चंद्रशेखर की जनसभा के बाद से मुसलमान बड़ी तादाद में आजाद समाज पार्टी को सपोर्ट कर रहे हैं। मूंढापांडे में शिवप्रसाद सैनी ने कहा- सपा-भाजपा में कांटे की टक्कर है। लड़ाई रिजवान और रामवीर की नहीं, बल्कि योगी और अखिलेश की है। लेकिन, सपा इस सीट को तभी बचा पाएगी, जब अखिलेश यादव इसे दिल पर लेकर यहां चुनाव मैदान में खुद उतरेंगे। लोगों से बातचीत के आधार पर हमें यहां का जो सियासी समीकरण दिखा, उसे 5 पॉइंट में समझिए… 1. रामवीर पुराने भाजपाई हैं। ये उनका चौथा चुनाव है। तीन चुनाव हारने के बाद भी रामवीर लगातार क्षेत्र में पब्लिक के बीच बने रहे। लोगों में सहानुभूति है कि रामवीर को एक बार मौका मिलना चाहिए। रामवीर दिन-रात मुस्लिम बहुल इलाकों में काम कराने भी पहुंचते हैं। मुस्लिम वोटर में यह चर्चा भी है कि इस उपचनुाव से सरकार पर कोई फर्क पड़ना नहीं है। 2. रामवीर को मुस्लिम वोटर का समर्थन मिल रहा है। कुंदरकी सीट पर 60% मुस्लिम और 40% हिंदू वोटर हैं। रामवीर जब चुनाव हारे, तब सत्ता सपा-बसपा की थी। पहला मौका है, जब भाजपा सरकार के रहते, वो चुनावी मैदान में हैं। इसलिए भी वह चुनाव में मजबूत नजर आ रहे हैं। 3. कुंदरकी विधानसभा ग्रामीण क्षेत्र है। यह एरिया पशुओं के अवैध कटान का हब रहा है। सपा सरकार में गांवों में किसानों काे गोलियां मारकर पशु लूटने की तमाम घटनाएं यहां हुईं। अब लोग बेहतर कानून व्यवस्था से खुश हैं। सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान का अपने बेटे हाजी कल्लन की दबंगई की वजह से मुस्लिमों में विरोध भी है। इसका फायदा रामवीर को मिल सकता है। 4. कुंदरकी सीट पर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी भी मजबूती से मैदान में है। ओवैसी का इस बेल्ट में ठीक-ठाक असर है। 2022 में उनके कैंडिडेट को 14 हजार से अधिक वोट मिले थे। नगर पंचायत का चुनाव भी ओवैसी की पार्टी ने जीता था। ऐसे में ये दोनों नेता इस सीट के नतीजों में उलट-फेर कर सकते हैं। 5. ओवैसी ने यहां तुर्क प्रत्याशी हाफिज मोहम्मद वारिस को मैदान में उतारा है। बसपा से भी तुर्क प्रत्याशी रफतउल्ला उर्फ नेता छिद्दा मैदान में हैं। चंद्रशेखर ने भी मुस्लिम प्रत्याशी हाजी चांद बाबू को मैदान में उतारा है। 80 हजार तुर्क वोट वाली सीट पर तुर्कों का बंटवारा निर्णायक हो सकता है। अब उन समीकरणों को समझिए, जो हवा के रुख को बदल सकते हैं… 1. कुंदरकी में अगर सपा मुस्लिम वोटर को साधे रखने में कामयाब रहती है, तब चुनाव उसके पक्ष में रहेगा। कुंदरकी में 15 बार चुनाव हुआ है। ट्रैक रिकॉर्ड बताते हैं कि भाजपा ने 1993 में एक ही बार यहां जीत दर्ज की थी। पिछले 3 दशक में तो इस तुर्क बाहुल्य सीट पर सिर्फ तुर्क नेता ही जीतते आए हैं। 2. हाजी रिजवान इस सीट से 3 बार विधायक रह चुके हैं। यहां उनका अपना जनाधार है। मौजूदा भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह को वो पहले भी 2 बार हरा चुके हैं। यह सपा के लिए प्लस पॉइंट है। 3. भाजपा नेताओं के कट्टर हिंदुत्ववादी बयान मुस्लिम वोटर्स को एकजुट कर सकते हैं। सपा और कांग्रेस नेता भी यहां भड़काऊ बयानबाजी करके मुस्लिम ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव की तरह अगर सपा PDA फॉर्मूले को जनता के बीच ले जाने में कामयाब होती है, तो पुराना माहौल बन सकता है। 4. कुंदरकी में करीब 45 हजार एससी वोटर्स हैं। परंपरागत रूप से ये बसपा के वोटर हैं। लोकसभा चुनावों में संविधान-आरक्षण जैसे मुद्दों के बाद यह सपा की तरफ शिफ्ट हुए थे। ऐसे में सपा को लोकसभा चुनाव जैसा गणित बैठाना होगा। 5. कुंदरकी पूर्व सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क की कर्मभूमि रही है। बर्क के पोते जियाउर्रहमान यहां से विधायक थे। शफीकुर्रहमान बर्क के इंतकाल के बाद सपा ने उनके पोते जियाउर्रहमान को बर्क की सियासी विरासत सौंपी। उन्हें लोकसभा प्रत्याशी बनाया और जीत दर्ज की। यहां बर्क परिवार का अच्छा जनाधार है। यह सपा के लिए प्लस पॉइंट है। अब जानते हैं कि पॉलिटिकल एक्सपर्ट क्या कहते हैं…. कुंदरकी की राजनीति को करीब से समझने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट सुनील सिंह ने कहा- भाजपा की सरकार है, अभी माहौल भाजपा के पक्ष में नजर आ रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे। माहौल चुनावी होगा और बदल भी सकता है। भाजपा के साथ अभी मुस्लिम मतदाता नजर आ रहे हैं। यह सरकार की नीतियों के चलते हो रहा है। लेकिन, इन्हें साधकर रखना बड़ी चुनौती होगा। सुनील सिंह ने कहा- उपचुनाव में माहौल हमेशा सत्ताधारी दल के पक्ष में होता है। भाजपा यहां रामपुर मॉडल पर उतरी है। रामपुर में भी मुस्लिम वोटर की संख्या अधिक थी। लेकिन, भाजपा ने जीत दर्ज करा ली। …………… अब चलते हैं मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर मुजफ्फरनगर में परिसीमन के बाद मोरना को मीरापुर के नाम से जाना गया। यह ऐसी विधानसभा है, जहां की जनता अपने विधायकों को सांसदी का आशीर्वाद भी देती रही है। ऐसे 6 नेता रहे, जो विधायक से सांसद बने। बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली मीरापुर सीट में शुकतीर्थ, पंचमुखी मंदिर संभावहेड़ा, शीतला माता मंदिर, सहित मुस्लिम समाज के कई बड़े मदरसे हैं। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से यहां के हालात बदले। जबरदस्त ध्रुवीकरण देखने को मिला। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी मैजिक चला, कांटे की लड़ाई में भाजपा सिर्फ 193 वोटों से जीती। मुजफ्फरनगर से करीब 48 किमी दूर मीरापुर ग्रामीण एरिया है। यहां लोगों का मुख्य पेशा खेती और पशुपालन है। इसके अलावा लघु उद्योग-धंधे संचालित होते हैं। क्षेत्र में हमने करीब 100 लोगों से बात की। मुख्य मुद्दा सड़क-पानी का दिखाई दिया। किसान आंदोलन का प्रभाव भी है। हम सबसे पहले उस कवाल गांव पहुंचे, जहां मुजफ्फरनगर दंगा हुआ था। यहां हमारी मुलाकात समाजसेवी सुरेश वर्मा से हुई। सुरेश वर्मा कहते हैं- हमारे गांव का माहौल तो बढ़िया चल रहा है। शासन की देन थी, जो हमारे गांव में धब्बा लग गया। चुनाव का अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। जो प्रत्याशी लोगों से जुड़ा है, उसी को जनता जिताती है। प्रत्याशी देखकर ही वोटिंग होगी। मीरापुर मेन मार्केट में व्यापारी अमित डागा ने कहा- आज के माहौल के हिसाब से मिथलेश पाल मजबूत दिख रही हैं। व्यापारी वर्ग भाजपा का पुराना हितैषी है। लेकिन मुद्दे की बात करें, तो भाजपा को वोट नहीं बनता है। भाजपा ने व्यापारियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। लेकिन, हमारे पास कोई और ऑप्शन नहीं है। मजबूरी यही है। अच्छी बात यह कि अब हम सेफ हैं। पहले तो लूट हो जाती थी, गन पाइंट पर ले लिया जाता था। इस सरकार का लॉ एंड ऑर्डर अच्छा है। मेन चौक चौराहे पर हम कई व्यापारियों से मिले। सभी ने रालोद के पक्ष में बात की। मुद्दे बताते हुए कहा- यहां जलभराव की समस्या है। स्थाई बस स्टैंड नहीं है। सड़कों की स्थिति भी खराब है। सरकारी अस्पताल में ज्यादा सुविधा नहीं है। कवाल गांव के रईस अहमद हमें मेन चौक पर मिले। उन्होंने कहा- इलेक्शन के हालात पब्लिक बताएगी, हम एमआईएमआई को वोट देंगे। ओवैसी साहब सभी वर्गों की आवाज उठा रहे हैं। उन्हीं को वोट देंगे। मीरापुर थाना एरिया में हमें मोहम्मद अशफाक मिले। उन्होंने कहा- यहां भाजपा के फेवर में सीट दिखाई दे रही है। साफ सुथरी बात यही है। चार मुस्लिम कैंडिडेट हैं, तो वोट कटेगा। ओवैसी और सपा गठबंधन में वोट कटेंगे। यहां कोई विकास नहीं करा रहा है। इसलिए पब्लिक चारों तरफ बिखर रही है। किसान सिराजुद्दीन ने कहा- कादिर राणा की बहू चुनाव जीत सकती हैं। हम तो मजदूर किसान आदमी हैं। हम यही चाहते हैं कि कोई भी चुनाव जीते, लेकिन हमारे बारे में सोचे। लोगों की बात के आधार पर यहां के जो समीकरण दिखे, उन्हें 4 पॉइंट में समझिए… 1. भाजपा-रालोद ने 2009 का फॉर्मूला अपनाया है। तब दोनों गठबंधन में था। तब यहां उपचुनाव हुए, रालोद ने मिथलेश पाल को कैंडिडेट बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की। 2. सपा-बसपा-एआईएमआईएम और आजाद समाज पार्टी ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं। यहां मुस्लिम वोट बैंक बंटा, तो इसका फायदा रालोद को मिलेगा। 3. यह सीट रालोद के पास थी। लोगों का मानना है कि जिसकी सरकार होती है, उपचुनाव वही जीतता है। जयंत चौधरी खुद इस सीट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 3. मीरापुर में मिथलेश पाल एक्टिव लीडर हैं। 2009 के बाद वह 2012 में भी चुनावी मैदान में उतरीं और दूसरे नंबर पर रहीं। ऐसे में वह यह जानती हैं कि कौन सा इलाका उनका है और किस इलाके में सबसे ज्यादा कैंपेनिंग करनी होगी। 4. बसपा ने 2012 में मुस्लिम कैंडिडेट उतार चुनाव जीता। बसपा का कोर वोटर अभी भी उसके साथ दिखाई दे रहा है। ऐसे में सपा के लिए लड़ाई मुश्किल दिखाई दे रही है। अब उन समीकरणों को समझिए, जो हवा के रुख को बदल सकते हैं… 1. मीरापुर सीट पर अगर मुस्लिम एकमत रहे। सपा इन्हें अपने फेवर में लाने में कामयाब हुई, तब यहां हवा का रुख बदल सकता है। 2. पूर्व सांसद कादिर राणा की इलाके में अच्छी पकड़ है। सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा उनकी बहू हैं। लोग उन्हें कादिर राणा की वजह से जान रहे हैं। यह सपा के लिए प्लस पॉइंट है। 3. भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही रालोद ने ऐन मौके पर प्रत्याशी के नाम का ऐलान किया। मिथलेश पाल ने नामांकन के अंतिम दिन पर्चा भरा। रालोद की सभा में दो चेहरे- पूर्व सांसद राजपाल सैनी और पूर्व जिलाध्यक्ष अजीत राठी नहीं पहुंचे। चर्चा है कि दोनों टिकट की दावेदारी कर रहे थे, अब नाराज हैं। अगर यह नाराजगी चुनाव तक रही, तब सपा को फायदा मिल सकता है। 4. इलाके में किसानों का मुद्दा बड़ा है। इसके अलावा सेना में तैयारी करने वाले युवा भी हैं। लोकसभा चुनाव की तरह अगर सपा पीडीए फॉर्मूला, अग्निवीर योजना, पेपरलीक जैसे मुद्दों को धार देने में कामयाब रहती है, तब माहौल बदल सकता है। क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट… राकेश शर्मा ने कहा- रालोद और सपा के बीच लड़ाई दिखाई दे रही है। रालोद ने अति पिछड़ा वर्ग की महिला उम्मीदवार मिथलेश पाल को मैदान में उतारा है। इस सीट पर मुसलमान भी सवा लाख से अधिक हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी सहित चार प्रमुख राजनीतिक दलों से मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में है। ऐसे में मुस्लिम मतों के इन सभी प्रत्याशियों में विभाजन होने की आशंका है। यदि मुस्लिम वोटों का विभाजन कम हुआ तो रालोद और सपा के बीच कड़ी टक्कर होगी। क्षेत्र की राजनीति को जानने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट एम रहमान ने कहा- चुनाव काफी दिलचस्प होगा। इसकी शुरुआत कई मुद्दों से हुई है। लेकिन, अंत सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से ही होगा। यदि ध्रुवीकरण हुआ तो रालोद को लाभ मिलेगा। क्योंकि प्रमुख राजनीतिक दलों से केवल एक हिंदू प्रत्याशी मैदान में है, जबकि चार दलों से मुस्लिम प्रत्याशी होने के कारण इस वर्ग के मतदाताओं में विभाजन की आशंका है। अब जानते हैं कुंदरकी और मीरापुर में पिछले तीन चुनाव के नतीजे ………………………………………. यह खबर भी पढ़ें कटेहरी और मझवां में भाजपा मजबूत:अंबेडकरनगर में अवधेश की नाराजगी, मिर्जापुर में संजय निषाद की कंट्रोवर्सी बदल सकती है समीकरण रामनगरी अयोध्या से सटी अंबेडकरनगर की कटेहरी और मां विंध्यवासिनी धाम मिर्जापुर की मझवां सीट पर नेता प्रचार में जुटे हैं। ‘दिवाली मिलन सम्मेलन’ आयोजित किए जा रहे हैं। त्योहार के बहाने ही सही, लोगों को अपनी तरफ जुटाने की पूरी कोशिश की जा रही है। पढ़ें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट जो साथ थे-अब खिलाफ हैं… 9 विधानसभा सीटों में उपचुनाव होने हैं। दो साल पहले रालोद और सपा गठबंधन में थे। लेकिन, लोकसभा चुनाव में गठबंधन टूटा। जयंत चौधरी एंड पार्टी भाजपा के साथ हो गई। उपचुनाव में भी दोनों साथ हैं। एक सीट पर रालोद कैंडिडेट को टिकट दिया गया है। मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट मुस्लिम बहुल हैं। दोनों सीटों पर भाजपा-सपा के बीच टक्कर है। कुंदरकी में भाजपा ने रामवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा ने तीन बार के विधायक रह चुके हाजी रिजवान को। लेकिन, यहां बसपा और AIMIM प्रत्याशी सपा का समीकरण बिगाड़ रहे हैं। माहौल भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है। मीरापुर में भाजपा और सपा दोनों से महिला कैंडिडेट चुनावी मैदान में हैं। रालोद ने नॉन मुस्लिम कैंडिडेट मिथिलेश पाल को उतारा है। सपा ने सुम्बुल राणा को टिकट दिया है। यहां बसपा और AIMIM के अलावा चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी भी चुनावी मैदान में है। इन तीनों ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारकर सपा का गणित बिगाड़ा है। ऐसे में रालोद का पलड़ा भारी दिख रहा है। कुंदरकी और मीरापुर सीट पर क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं? क्या यहां बड़ा उलटफेर होगा? अभी हवा का रुख क्या है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। सबसे पहले चलते हैं कुंदरकी… मुरादाबाद जिला मुख्यालय से करीब 18 किमी दूर कुंदरकी ग्रामीण इलाका है। अब कुंदरकी में मुद्दे नहीं, प्रत्याशियों की बात हो रही है। माहौल पूरी तरह चुनावी है। यहां के लोगों का मुख्य पेशा खेती-लघु उद्योग और पशुपालन है। हम यहां करीब 150 लोगों से मिले। मेन मार्केट में हमें जूता व्यापारी मोहम्मद उवैस पाशा मिले। वह कहते हैं- मुकाबला सपा और भाजपा के बीच है। ये सपा का गढ़ है। लेकिन, इस बार उम्मीद भाजपा की ज्यादा लग रही है। क्योंकि ये उपचुनाव है। उपचुनाव सत्ता का ही होता है। जाहिर है भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह के जीतने पर यहां विकास के काम होंगे, क्योंकि उनकी पार्टी की सरकार है। विपक्ष का विधायक जीतता है, तो वो काम नहीं करा पाएगा। इसलिए मुस्लिमों का भी समर्थन भाजपा प्रत्याशी को मिल रहा है। व्यापारी मोहम्मद शारिक कहते हैं- इस बार चुनाव एकतरफा नहीं है। चुनाव मैदान में कई तुर्क कैंडिडेट हैं। AIMIM और आजाद समाज पार्टी भी यहां ठीक-ठाक वोट बटोरेगी। भाजपा प्रत्याशी के साथ इस बार खुलेआम मुसलमानों की भीड़ नजर आ रही है। चक फाजलपुर गांव में रहने वाले मोहम्मद रेहान ने कहा- सपा और भाजपा में मुकाबला है। लेकिन, नतीजे नहीं बदलेंगे। जीत सपा की ही होगी। बस जीत का अंतर कम हो सकता है। ये सपा का गढ़ है। धर्मवीर ने कहा- यहां चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी बहुत मजबूती से लड़ रही है। इसलिए इस बार मुकाबला भाजपा और आजाद समाज पार्टी में हो सकता है। चंद्रशेखर की जनसभा के बाद से मुसलमान बड़ी तादाद में आजाद समाज पार्टी को सपोर्ट कर रहे हैं। मूंढापांडे में शिवप्रसाद सैनी ने कहा- सपा-भाजपा में कांटे की टक्कर है। लड़ाई रिजवान और रामवीर की नहीं, बल्कि योगी और अखिलेश की है। लेकिन, सपा इस सीट को तभी बचा पाएगी, जब अखिलेश यादव इसे दिल पर लेकर यहां चुनाव मैदान में खुद उतरेंगे। लोगों से बातचीत के आधार पर हमें यहां का जो सियासी समीकरण दिखा, उसे 5 पॉइंट में समझिए… 1. रामवीर पुराने भाजपाई हैं। ये उनका चौथा चुनाव है। तीन चुनाव हारने के बाद भी रामवीर लगातार क्षेत्र में पब्लिक के बीच बने रहे। लोगों में सहानुभूति है कि रामवीर को एक बार मौका मिलना चाहिए। रामवीर दिन-रात मुस्लिम बहुल इलाकों में काम कराने भी पहुंचते हैं। मुस्लिम वोटर में यह चर्चा भी है कि इस उपचनुाव से सरकार पर कोई फर्क पड़ना नहीं है। 2. रामवीर को मुस्लिम वोटर का समर्थन मिल रहा है। कुंदरकी सीट पर 60% मुस्लिम और 40% हिंदू वोटर हैं। रामवीर जब चुनाव हारे, तब सत्ता सपा-बसपा की थी। पहला मौका है, जब भाजपा सरकार के रहते, वो चुनावी मैदान में हैं। इसलिए भी वह चुनाव में मजबूत नजर आ रहे हैं। 3. कुंदरकी विधानसभा ग्रामीण क्षेत्र है। यह एरिया पशुओं के अवैध कटान का हब रहा है। सपा सरकार में गांवों में किसानों काे गोलियां मारकर पशु लूटने की तमाम घटनाएं यहां हुईं। अब लोग बेहतर कानून व्यवस्था से खुश हैं। सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान का अपने बेटे हाजी कल्लन की दबंगई की वजह से मुस्लिमों में विरोध भी है। इसका फायदा रामवीर को मिल सकता है। 4. कुंदरकी सीट पर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी भी मजबूती से मैदान में है। ओवैसी का इस बेल्ट में ठीक-ठाक असर है। 2022 में उनके कैंडिडेट को 14 हजार से अधिक वोट मिले थे। नगर पंचायत का चुनाव भी ओवैसी की पार्टी ने जीता था। ऐसे में ये दोनों नेता इस सीट के नतीजों में उलट-फेर कर सकते हैं। 5. ओवैसी ने यहां तुर्क प्रत्याशी हाफिज मोहम्मद वारिस को मैदान में उतारा है। बसपा से भी तुर्क प्रत्याशी रफतउल्ला उर्फ नेता छिद्दा मैदान में हैं। चंद्रशेखर ने भी मुस्लिम प्रत्याशी हाजी चांद बाबू को मैदान में उतारा है। 80 हजार तुर्क वोट वाली सीट पर तुर्कों का बंटवारा निर्णायक हो सकता है। अब उन समीकरणों को समझिए, जो हवा के रुख को बदल सकते हैं… 1. कुंदरकी में अगर सपा मुस्लिम वोटर को साधे रखने में कामयाब रहती है, तब चुनाव उसके पक्ष में रहेगा। कुंदरकी में 15 बार चुनाव हुआ है। ट्रैक रिकॉर्ड बताते हैं कि भाजपा ने 1993 में एक ही बार यहां जीत दर्ज की थी। पिछले 3 दशक में तो इस तुर्क बाहुल्य सीट पर सिर्फ तुर्क नेता ही जीतते आए हैं। 2. हाजी रिजवान इस सीट से 3 बार विधायक रह चुके हैं। यहां उनका अपना जनाधार है। मौजूदा भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह को वो पहले भी 2 बार हरा चुके हैं। यह सपा के लिए प्लस पॉइंट है। 3. भाजपा नेताओं के कट्टर हिंदुत्ववादी बयान मुस्लिम वोटर्स को एकजुट कर सकते हैं। सपा और कांग्रेस नेता भी यहां भड़काऊ बयानबाजी करके मुस्लिम ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव की तरह अगर सपा PDA फॉर्मूले को जनता के बीच ले जाने में कामयाब होती है, तो पुराना माहौल बन सकता है। 4. कुंदरकी में करीब 45 हजार एससी वोटर्स हैं। परंपरागत रूप से ये बसपा के वोटर हैं। लोकसभा चुनावों में संविधान-आरक्षण जैसे मुद्दों के बाद यह सपा की तरफ शिफ्ट हुए थे। ऐसे में सपा को लोकसभा चुनाव जैसा गणित बैठाना होगा। 5. कुंदरकी पूर्व सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क की कर्मभूमि रही है। बर्क के पोते जियाउर्रहमान यहां से विधायक थे। शफीकुर्रहमान बर्क के इंतकाल के बाद सपा ने उनके पोते जियाउर्रहमान को बर्क की सियासी विरासत सौंपी। उन्हें लोकसभा प्रत्याशी बनाया और जीत दर्ज की। यहां बर्क परिवार का अच्छा जनाधार है। यह सपा के लिए प्लस पॉइंट है। अब जानते हैं कि पॉलिटिकल एक्सपर्ट क्या कहते हैं…. कुंदरकी की राजनीति को करीब से समझने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट सुनील सिंह ने कहा- भाजपा की सरकार है, अभी माहौल भाजपा के पक्ष में नजर आ रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे। माहौल चुनावी होगा और बदल भी सकता है। भाजपा के साथ अभी मुस्लिम मतदाता नजर आ रहे हैं। यह सरकार की नीतियों के चलते हो रहा है। लेकिन, इन्हें साधकर रखना बड़ी चुनौती होगा। सुनील सिंह ने कहा- उपचुनाव में माहौल हमेशा सत्ताधारी दल के पक्ष में होता है। भाजपा यहां रामपुर मॉडल पर उतरी है। रामपुर में भी मुस्लिम वोटर की संख्या अधिक थी। लेकिन, भाजपा ने जीत दर्ज करा ली। …………… अब चलते हैं मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर मुजफ्फरनगर में परिसीमन के बाद मोरना को मीरापुर के नाम से जाना गया। यह ऐसी विधानसभा है, जहां की जनता अपने विधायकों को सांसदी का आशीर्वाद भी देती रही है। ऐसे 6 नेता रहे, जो विधायक से सांसद बने। बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली मीरापुर सीट में शुकतीर्थ, पंचमुखी मंदिर संभावहेड़ा, शीतला माता मंदिर, सहित मुस्लिम समाज के कई बड़े मदरसे हैं। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से यहां के हालात बदले। जबरदस्त ध्रुवीकरण देखने को मिला। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी मैजिक चला, कांटे की लड़ाई में भाजपा सिर्फ 193 वोटों से जीती। मुजफ्फरनगर से करीब 48 किमी दूर मीरापुर ग्रामीण एरिया है। यहां लोगों का मुख्य पेशा खेती और पशुपालन है। इसके अलावा लघु उद्योग-धंधे संचालित होते हैं। क्षेत्र में हमने करीब 100 लोगों से बात की। मुख्य मुद्दा सड़क-पानी का दिखाई दिया। किसान आंदोलन का प्रभाव भी है। हम सबसे पहले उस कवाल गांव पहुंचे, जहां मुजफ्फरनगर दंगा हुआ था। यहां हमारी मुलाकात समाजसेवी सुरेश वर्मा से हुई। सुरेश वर्मा कहते हैं- हमारे गांव का माहौल तो बढ़िया चल रहा है। शासन की देन थी, जो हमारे गांव में धब्बा लग गया। चुनाव का अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। जो प्रत्याशी लोगों से जुड़ा है, उसी को जनता जिताती है। प्रत्याशी देखकर ही वोटिंग होगी। मीरापुर मेन मार्केट में व्यापारी अमित डागा ने कहा- आज के माहौल के हिसाब से मिथलेश पाल मजबूत दिख रही हैं। व्यापारी वर्ग भाजपा का पुराना हितैषी है। लेकिन मुद्दे की बात करें, तो भाजपा को वोट नहीं बनता है। भाजपा ने व्यापारियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। लेकिन, हमारे पास कोई और ऑप्शन नहीं है। मजबूरी यही है। अच्छी बात यह कि अब हम सेफ हैं। पहले तो लूट हो जाती थी, गन पाइंट पर ले लिया जाता था। इस सरकार का लॉ एंड ऑर्डर अच्छा है। मेन चौक चौराहे पर हम कई व्यापारियों से मिले। सभी ने रालोद के पक्ष में बात की। मुद्दे बताते हुए कहा- यहां जलभराव की समस्या है। स्थाई बस स्टैंड नहीं है। सड़कों की स्थिति भी खराब है। सरकारी अस्पताल में ज्यादा सुविधा नहीं है। कवाल गांव के रईस अहमद हमें मेन चौक पर मिले। उन्होंने कहा- इलेक्शन के हालात पब्लिक बताएगी, हम एमआईएमआई को वोट देंगे। ओवैसी साहब सभी वर्गों की आवाज उठा रहे हैं। उन्हीं को वोट देंगे। मीरापुर थाना एरिया में हमें मोहम्मद अशफाक मिले। उन्होंने कहा- यहां भाजपा के फेवर में सीट दिखाई दे रही है। साफ सुथरी बात यही है। चार मुस्लिम कैंडिडेट हैं, तो वोट कटेगा। ओवैसी और सपा गठबंधन में वोट कटेंगे। यहां कोई विकास नहीं करा रहा है। इसलिए पब्लिक चारों तरफ बिखर रही है। किसान सिराजुद्दीन ने कहा- कादिर राणा की बहू चुनाव जीत सकती हैं। हम तो मजदूर किसान आदमी हैं। हम यही चाहते हैं कि कोई भी चुनाव जीते, लेकिन हमारे बारे में सोचे। लोगों की बात के आधार पर यहां के जो समीकरण दिखे, उन्हें 4 पॉइंट में समझिए… 1. भाजपा-रालोद ने 2009 का फॉर्मूला अपनाया है। तब दोनों गठबंधन में था। तब यहां उपचुनाव हुए, रालोद ने मिथलेश पाल को कैंडिडेट बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की। 2. सपा-बसपा-एआईएमआईएम और आजाद समाज पार्टी ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं। यहां मुस्लिम वोट बैंक बंटा, तो इसका फायदा रालोद को मिलेगा। 3. यह सीट रालोद के पास थी। लोगों का मानना है कि जिसकी सरकार होती है, उपचुनाव वही जीतता है। जयंत चौधरी खुद इस सीट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 3. मीरापुर में मिथलेश पाल एक्टिव लीडर हैं। 2009 के बाद वह 2012 में भी चुनावी मैदान में उतरीं और दूसरे नंबर पर रहीं। ऐसे में वह यह जानती हैं कि कौन सा इलाका उनका है और किस इलाके में सबसे ज्यादा कैंपेनिंग करनी होगी। 4. बसपा ने 2012 में मुस्लिम कैंडिडेट उतार चुनाव जीता। बसपा का कोर वोटर अभी भी उसके साथ दिखाई दे रहा है। ऐसे में सपा के लिए लड़ाई मुश्किल दिखाई दे रही है। अब उन समीकरणों को समझिए, जो हवा के रुख को बदल सकते हैं… 1. मीरापुर सीट पर अगर मुस्लिम एकमत रहे। सपा इन्हें अपने फेवर में लाने में कामयाब हुई, तब यहां हवा का रुख बदल सकता है। 2. पूर्व सांसद कादिर राणा की इलाके में अच्छी पकड़ है। सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा उनकी बहू हैं। लोग उन्हें कादिर राणा की वजह से जान रहे हैं। यह सपा के लिए प्लस पॉइंट है। 3. भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही रालोद ने ऐन मौके पर प्रत्याशी के नाम का ऐलान किया। मिथलेश पाल ने नामांकन के अंतिम दिन पर्चा भरा। रालोद की सभा में दो चेहरे- पूर्व सांसद राजपाल सैनी और पूर्व जिलाध्यक्ष अजीत राठी नहीं पहुंचे। चर्चा है कि दोनों टिकट की दावेदारी कर रहे थे, अब नाराज हैं। अगर यह नाराजगी चुनाव तक रही, तब सपा को फायदा मिल सकता है। 4. इलाके में किसानों का मुद्दा बड़ा है। इसके अलावा सेना में तैयारी करने वाले युवा भी हैं। लोकसभा चुनाव की तरह अगर सपा पीडीए फॉर्मूला, अग्निवीर योजना, पेपरलीक जैसे मुद्दों को धार देने में कामयाब रहती है, तब माहौल बदल सकता है। क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट… राकेश शर्मा ने कहा- रालोद और सपा के बीच लड़ाई दिखाई दे रही है। रालोद ने अति पिछड़ा वर्ग की महिला उम्मीदवार मिथलेश पाल को मैदान में उतारा है। इस सीट पर मुसलमान भी सवा लाख से अधिक हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी सहित चार प्रमुख राजनीतिक दलों से मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में है। ऐसे में मुस्लिम मतों के इन सभी प्रत्याशियों में विभाजन होने की आशंका है। यदि मुस्लिम वोटों का विभाजन कम हुआ तो रालोद और सपा के बीच कड़ी टक्कर होगी। क्षेत्र की राजनीति को जानने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट एम रहमान ने कहा- चुनाव काफी दिलचस्प होगा। इसकी शुरुआत कई मुद्दों से हुई है। लेकिन, अंत सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से ही होगा। यदि ध्रुवीकरण हुआ तो रालोद को लाभ मिलेगा। क्योंकि प्रमुख राजनीतिक दलों से केवल एक हिंदू प्रत्याशी मैदान में है, जबकि चार दलों से मुस्लिम प्रत्याशी होने के कारण इस वर्ग के मतदाताओं में विभाजन की आशंका है। अब जानते हैं कुंदरकी और मीरापुर में पिछले तीन चुनाव के नतीजे ………………………………………. यह खबर भी पढ़ें कटेहरी और मझवां में भाजपा मजबूत:अंबेडकरनगर में अवधेश की नाराजगी, मिर्जापुर में संजय निषाद की कंट्रोवर्सी बदल सकती है समीकरण रामनगरी अयोध्या से सटी अंबेडकरनगर की कटेहरी और मां विंध्यवासिनी धाम मिर्जापुर की मझवां सीट पर नेता प्रचार में जुटे हैं। ‘दिवाली मिलन सम्मेलन’ आयोजित किए जा रहे हैं। त्योहार के बहाने ही सही, लोगों को अपनी तरफ जुटाने की पूरी कोशिश की जा रही है। पढ़ें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Tejashwi Yadav: क्राइम बुलेटिन जारी कर तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश को घेरा, ढहते पुलों का जिक्र कर पूछा सवाल
Tejashwi Yadav: क्राइम बुलेटिन जारी कर तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश को घेरा, ढहते पुलों का जिक्र कर पूछा सवाल <p style=”text-align: justify;”><strong>Tejashwi Yadav:</strong> नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इन दिनों लगातार अपराध को लेकर बुलेटिन जारी कर नीतीश सरकार पर हमला बोल रहे हैं. वहीं, रविवार को सोशल मीडिया एक्स पर उन्होंने सीएम नीतीश को लेकर बड़ा सवाल किया है. उन्होंने लोगों से पूछा है कि ‘सीएम नीतीश कुमार को बिहार में प्रतिदिन गिरती सैंकड़ों लाशों और ढहते पुलों पर बोलते सुना? वहीं, इसके साथ उन्होंने राज्य में हुई 71 आपराधिक घटनाओं के डिटेल को जारी कर सरकार पर निशाना साधा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>तेजस्वी यादव ने एक्स पर लिखा कि ‘बीजेपी शासित डबल इंजन सरकार में बिहार में ट्रबलिंग क्राइम रिकॉर्ड! क्या आपने सीएम नीतीश कुमार को रिकॉर्डतोड़ अपराध, अनियंत्रित भ्रष्टाचार तथा बिहार में प्रतिदिन गिरती सैंकड़ों लाशों और ढहते पुलों पर बोलते सुना? सुनेंगे भी नहीं?</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आपके सूचनार्थ और ध्यानार्थ पेश है विगत 3-4 दिनों की चंद आपराधिक घटनाएं:-</strong></p>
<ul style=”text-align: justify;”>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏. सीवान में बीजेपी कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐. पटना में बीजेपी नेता अजय साह की गोली मारकर हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑. राजगीर में घूमने आए पर्यटक की गोली मार कर हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒. कैमूर में गोली मार एक शख्स की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓. सहरसा में दिनदहाड़े जेडीयू नेता की गोली मारकर हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔. सुपौल में मछली व्यापारी की गोली मारकर हत्या </li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟕. पूर्णिया में चाकू से गोद युवक की बेरहमी से हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟖. बेगूसराय में अपराधियों ने युवक को मारी गोली</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟗. पटना में अपराधियों ने घर में घुस 𝟑𝟎 लाख के जेवर लूटे फिर गला दबाकर की अधिवक्ता की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏𝟎. जमुई में एक व्यक्ति की निर्मम हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏𝟏. बेगूसराय में युवक पर तेल छिड़क जिंदा जलाकर हुई हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏𝟐. बेगूसराय में पति-पत्नी व बच्चों का गला काट तीन की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏𝟑. जमुई में ट्रिपल मर्डर, तीन की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏𝟒. आरा में जमीन विवाद में मां-बेटों सहित तीन की निर्मम हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏𝟓. मुंगेर में मासूम की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏𝟔. पटना में एक युवक का शव मिला, अपराधियों ने की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏𝟕. मधुबनी में युवक को छत से फेंककर की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏𝟖. छपरा में युवक की हत्या कर शव कुएं में फेंका</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟏𝟗. जहानाबाद में घर में घुस महिला की गोली मारकर हत्या </li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐𝟎. नालंदा में पीट-पीटकर महिला की निर्मम हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐𝟏. मुजफ्फरपुर के बरुराज में युवक की बेरहमी से हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐𝟐. पटना में मिस्त्री की गोली मारकर हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐𝟑. आरा में बदमाशों ने युवक को मारी गोली</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐𝟒. नालंदा में 𝟏𝟔 बदमाशों ने किया युवक का अपहरण, बेरहमी से पीटा फिर ऑखे निकालकर की निर्मम हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐𝟓. दानापुर में एक युवक की गोलियों से भूनकर हत्या </li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐𝟔. मुजफ्फरपुर में नाबालिग छात्रा से गैंगरेप के बाद हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐𝟕. वैशाली में दो बच्चों की मां की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐𝟖. मधुबन में 𝟏𝟗 वर्षीय युवती की कुल्हाड़ी से काट हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟐𝟗. पटना में 𝐁𝐉𝐏 नेता की गोली मारकर हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑𝟎. सीवान में युवक की हत्या, बगीचे में लटकाया शव</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑𝟏. बेगूसराय में एक ही परिवार के 𝟒 सदस्यों की निर्मम हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑𝟐. गया में महिला की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑𝟑. भागलपुर में मिले एक साथ 𝟓 शव</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑𝟒. पूर्णिया में छात्रा का शव मिला</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑𝟓. पूर्वी चंपारण में वार्ड सदस्य के पति की गोली मार हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑𝟔. समस्तीपुर में नाबालिग लड़के को लगी गोली</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑𝟕. अररिया में गोली मार एक की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑𝟖. नालंदा में अपहरण कर नाबालिग की हत्या </li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟑𝟗. सुपौल में नाबालिग लड़की की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒𝟎. वैशाली में थाने से 𝟓𝟎𝟎 मी. दूर युवक की गोली मारकर हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒𝟏. शाहबाद क्षेत्र में राजमिस्त्री की गोली मारकर हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒𝟐. शिवहर में नाबालिग लड़के की हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒𝟑. जहानाबाद में चाकू से गोदकर महिला की निर्मम हत्या</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒𝟒. बेगूसराय के फुलवरिया में युवक को मारी गोली</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒𝟓. पटना में ट्रैक्टर चालक की गोली मारकर हत्या </li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒𝟔. जमुई में नाबालिग से दुष्कर्म</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒𝟕. दरभंगा में नाबालिग से दुष्कर्म</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒𝟖. भभुआ में महिला से दुष्कर्म</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟒𝟗. फुलवारीशरीफ में युवती से दुष्कर्म</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓𝟎. मोकामा में महिला से दुष्कर्म</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓𝟏. सहरसा में अपराधियों ने पुलिस पर किया हमला, दारोगा घायल</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓𝟐. कटीहार में राज्य खाद्य निगम के एजीएम को मारी गोली</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓𝟑. चंपारण में बालू माफिया ने की सीओ को ट्रैक्टर से रौंदने की कोशिश</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓𝟒. पूर्णिया में मजिस्ट्रेट को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓𝟓. गोपालगंज में शिक्षक के बेटे का अपहरण, लाखों की मांगी फिरौती</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓𝟔. पूर्व मंत्री राघवेंद्र सिंह के घर पर फायरिंग </li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓𝟕. मुजफ्फरपुर में बदमाशों ने मांगी 𝟓 लाख, रंगदारी नहीं देने पर घर पर ताबड़तोड़ फायरिंग</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓𝟖. पटना के राजीव नगर में महिला पर अंधाधुंध फायरिंग</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟓𝟗. पटना के खाजेकलां में बदमाशों ने की महिला पर फायरिंग</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔𝟎. पटना के बीएन कॉलेज के पास कई राउंड फायरिंग, दहशत में छात्र </li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔𝟏. नालंदा में दिनदहाड़े दर्जनों राउंड फायरिंग से दहशत </li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔𝟐. वैशाली में पूर्व एमएलए के पेट्रोल पंप पर लूटपाट</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔𝟑. भोजपुर में बालू चालन ऑफिस से 𝟏𝟓 लाख की लूट</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔𝟒. पटना के फतुहा में फायरिंग कर व्यापारी के घर लूट </li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔𝟓. पटना के अगमकुंआ में 𝟏𝟐 लाख की लूट</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔𝟔. नौबतपुर में प्राइवेट बैंक से लाखों की लूट</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔𝟕. मसौढी में गोली मारकर फाइनेंस कर्मी से लाखों की लूट</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔𝟖. बरौनी में व्यवसायी से दिनदहाड़े लाखों की लूट</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟔𝟗. बिहटा में बैंक से निकली महिला से लूट</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟕𝟎. पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन में बैंककर्मी से 𝟐.𝟏𝟕 की लूट</li>
<li style=”text-align: justify;”>𝟕𝟏. समस्तीपुर में बाइक सवार से 𝟒 लाख लूटे.'</li>
</ul>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>𝐁𝐉𝐏 शासित डबल इंजन सरकार में बिहार में ट्रबलिंग क्राइम रिकॉर्ड! क्या आपने 𝐂𝐌 नीतीश कुमार को रिकॉर्डतोड़ अपराध, अनियंत्रित भ्रष्टाचार तथा बिहार में प्रतिदिन गिरती सैंकड़ों लाशों और ढहते पुलों पर बोलते सुना? सुनेंगे भी नहीं?<br /><br />आपके सूचनार्थ और ध्यानार्थ पेश है विगत 𝟑-𝟒 दिनों…</p>
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) <a href=”https://twitter.com/yadavtejashwi/status/1824986358416609788?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 18, 2024</a></blockquote>
<p>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/weather-in-bihar-alert-regarding-rain-and-thunderstorm-in-patna-siwan-gopalganj-nalanda-and-gaya-ann-2763506″>Bihar Weather: उमस भरी गर्मी के बाद पटना सहित 20 जिलों में बारिश को लेकर अलर्ट, वज्रपात की दी गई चेतावनी </a></strong></p>
HCS मीनाक्षी दहिया को रिश्वत मामले में हाईकोर्ट से झटका:जमानत याचिका खारिज; 5 महीने से फरार, HC ने कहा, कॉल-ट्रांसक्रिप्ट से संलिप्तता के संकेत
HCS मीनाक्षी दहिया को रिश्वत मामले में हाईकोर्ट से झटका:जमानत याचिका खारिज; 5 महीने से फरार, HC ने कहा, कॉल-ट्रांसक्रिप्ट से संलिप्तता के संकेत पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट न्यायालय ने रिश्वत के केस में HCS ऑफिसर मीनाक्षी दहिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप चितकारा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि, प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता मीनाक्षी दहिया के साथ उनके रसोइए से 1 लाख रुपए की रिश्वत की वसूली के संबंध में साक्ष्य मौजूद हैं, जिसे 29 मई को रंगे हाथों पकड़ा गया था। न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा, “पुलिस ने उससे रिश्वत की रकम बरामद की है। कॉल और ट्रांसक्रिप्ट से याचिकाकर्ता की संलिप्तता का संकेत मिलता है, जिसकी पुष्टि शिकायतकर्ता के आरोप से होती है।” पंचकूला के एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज होने के बाद दहिया ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत का रुख किया था। इस मामले में शिकायत रिटायर जिला मत्स्य अधिकारी ने दर्ज कराई थी, जिसमें सरकारी काम के बदले कथित तौर पर रिश्वत मांगने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी जस्टिटस चितकारा ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील “कोई भी सख्त शर्त” लगाकर जमानत की मांग कर रहे थे। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि आगे की सुनवाई से पहले की कैद याचिकाकर्ता और उनके परिवार के साथ अपरिवर्तनीय अन्याय का कारण बनेगी।हालांकि, न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत खारिज करते हुए मामले के सभी पहलुओं पर विचार किया था और तर्क दिया था कि अपराध में इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन को बरामद करने के लिए याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है। दहिया पर क्या हैं आरोप रिटायर जिला मत्स्य अधिकारी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है, कि एक जांच अधिकारी ने उनके खिलाफ आरोपपत्र वापस लेने के लिए फाइल मत्स्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजने से पहले उन्हें मामले में निर्दोष घोषित कर दिया था। उन्होंने संबंधित मंत्री को फाइल भेजने से पहले जांच रिपोर्ट स्वीकार कर ली, जिन्होंने अपनी मंजूरी दे दी और इस संबंध में आदेश जारी करने के लिए फाइल अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेज दी गई। उन्होंने कहा, “सीनियर एचसीएस अधिकारी और संयुक्त सचिव दहिया ने मुझे 17 अप्रैल को अपने स्टेनोग्राफर जोगिंदर सिंह के माध्यम से पंचकूला स्थित अपने कार्यालय में आदेश जारी करने के लिए बुलाया था और मुझसे एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। मैं अपने सरकारी काम के बदले मैडम को रिश्वत नहीं देना चाहता था और भ्रष्ट अधिकारी को रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था।” मीनाक्षी 5 महीने से चल रही फरार रिश्वत के इस खेल में आरोपी एचसीएस ऑफिसर मीनाक्षी दहिया 5 महीने से फरार चल रही हैं। ACB की टीम लगातार दहिया की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही हैं। हालांकि अभी तक एसीबी को इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। इस मामले में, वॉट्सऐप कॉल पर बातचीत के दौरान शिकायतकर्ता के मोबाइल में खास डिवाइस भी लगाई गई थी, जिससे पूरी कॉल रिकॉर्ड हो गई। फिलहाल मीनाक्षी दहिया फरार है और ACB की टीम उनकी गिरफ्तारी के प्रयास में जुटी है।
गोड्डा में चुनाव कार्यों में लगाए गए वाहन के चालकों नहीं मिले पैसे? सड़क जाम कर किया जमकर हंगामा
गोड्डा में चुनाव कार्यों में लगाए गए वाहन के चालकों नहीं मिले पैसे? सड़क जाम कर किया जमकर हंगामा <p style=”text-align: justify;”><strong>Jharkhand Lok Sabha Election 2024: </strong> यूं तो लोकतंत्र के महापर्व में सरकार की तरफ से करोड़ों करोड़ रूपये खर्च होते हैं, जिसका कोई लेखा जोखा नहीं होता. मगर जहां व्यवस्था की बात आती है और वहां बस काम चलाने की सिर्फ लीपापोती भर करके जिला प्रशासन अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ लेती है. ऐसा ही आज कुछ हुआ जब चुनाव कार्यों में लगाए जाने वाले वाहन चालकों ने भूख और प्यास से त्रस्त होकर सड़क जाम कर दिया .<br /><br />एक जून को मतदान होना है जिसको लेकर लगभग छोटी बड़ी वाहनों को मिलाकर लगभग एक हजार से ज्यादा वाहनों को चुनाव कार्यों के लिए जब्त किया गया है .जिनमे से लगभग चार सौ छोटी बड़ी गाड़ियों को गांधी मैदान तथा मेला मैदान में बने वहां कोषांग में 29 तारीख की सुबह से ही लगा दिया गया. नियमतः वाहनों के जमा किये जाने के तुरंत बाद सभी वाहनों के लॉग बुक खुल जाते हैं और चालकों को राशन पानी के लिए अग्रिम भुगतान किया जाता है .<br /><br /><strong>भूख से त्रस्त होकर किया जाम</strong><br />29 की सुबह से लेकर 30 तारीख की शाम तक लॉग बुक खुल जाने के बावजूद भी चालकों को अग्रिम भुगतान नहीं किया गया .जिससे वाहन चालकों की भूख के मारे हालत खराब थी .चालकों की माने तो पीने के लिए भी पानी नहीं व्यवस्था की गयी है .गर्मी के इस मौसम हम खरीद कर कितना पानी पी सकेंगे. मज्बुरान हमें सड़क जाम करना पड़ा था .</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’सभी को किया गया भुगतान'</strong><br />मगर इस बाबत जब हमने निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त जीशान कमर से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात है ही नहीं कोई शिकायत नहीं आई है सभी का भुगतान कर दिया गया है. इसका सीधा मतलब तो ये हुए कि या तो चालक झूठ ही बोल रहे होंगे या फिर प्रशासनिक महकमे द्वारा उपायुक्त को गलत संदेश पहुंचाया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गोंडा से अजित सिंह की रिपोर्ट.</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> <a title=”Jharkhand News: झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को राहत नहीं, PMLA कोर्ट ने न्यायिक हिरासत बढ़ाई” href=”https://www.abplive.com/states/jharkhand/hemant-soren-pmla-court-extended-judicial-custody-period-land-scam-case-in-jharkhand-2702519″ target=”_self”>Jharkhand News: झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को राहत नहीं, PMLA कोर्ट ने न्यायिक हिरासत बढ़ाई</a></strong></p>