राजस्थान: डीग में पूंछरी का लौठा स्थित श्रीनाथ जी मंदिर का खास महत्व, जानें क्या है मान्यता?

राजस्थान: डीग में पूंछरी का लौठा स्थित श्रीनाथ जी मंदिर का खास महत्व, जानें क्या है मान्यता?

<p style=”text-align: justify;”><strong>Bharatpur News:</strong> राजस्थान के भरतपुर संभाग के भरतपुर और डीग को भी बृज क्षेत्र माना जाता है. डीग जिले में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं और अवतार का प्रमाण मिलता है. उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के गोवर्धन स्थित गिरिराज जी की परिक्रमा का 21 किलोमीटर का मार्ग है, जिसमें साढ़े 19 किमी उत्तर प्रदेश में और डेढ़ किलोमीटर मार्ग राजस्थान के डीग जिले में आता है. गिरिराज जी की राजस्थान सीमा में पड़ने वाले डेढ़ किमी मार्ग में पूंछरी का लौठा स्थित है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी पूंछरी का लौठा और यहां स्थित श्रीनाथजी के परम भक्त हैं. यहां सीएम सहित कई बड़े बड़े मंत्री दर्शन करने आते हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद भजनलाल शर्मा ने अपने पहले बजट के माध्यम से भगवान गिरिराज जी व श्रीनाथजी के स्थल पूंछरी का लौठा को विकसित करने की घोषणा की है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विकसित करने की की गई घोषणा&nbsp;</strong><br />मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री बनने से पहले से यहां पर नियमित दर्शन व पूजा करने आते हैं. अंतरिम बजट में राजस्थान के अन्य धार्मिक स्थलों के साथ ही पूंछरी का लौठा को शामिल कर विकसित करने की घोषणा की गई. सभी धार्मिक स्थलों के विकास पर 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिन में पांच बार पूजा और आरती&nbsp;</strong><br />पूंछरी का लौठा स्थित श्रीनाथजी मंदिर में दिन में पांच बार भगवान श्रीनाथजी की पूजा और आरती की जाती है. मंगला आरती, श्रृंगार दर्शन, राजभोग आरती, संध्या आरती और शयन आरती जैसे विशेष पूजन यहां किए जाते हैं. श्रीनाथजी मंदिर में प्रत्येक आरती के समय भक्तों की भीड़ उमड़ती है. मंदिर में भोग अर्पण की परंपरा भी अत्यंत प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान को विभिन्न प्रकार के पकवान अर्पित किए जाते हैं. भगवान को “56 भोग” का भोग लगाया जाता है, जिसे भक्तगण प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>श्रीनाथजी मंदिर में वर्षभर कई बड़े उत्सव और मेलों का आयोजन होता है. विशेष रूप से व्रज की होली, जन्माष्टमी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव के दौरान यहां भक्तों सैलाब उमड़ता है. होली के समय यहां फूलों की होली खेली जाती है, जो विशेष रूप से प्रसिद्ध है. जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का भव्य आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं. अन्नकूट महोत्सव में भगवान को विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाता है और उसे प्रसाद रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या कहना है श्रीनाथजी के महंत का?</strong><br />श्रीनाथ जी मंदिर के मुख्य महंत चंदू मुखिया जी ने बताया कि वल्लभ संप्रदाय के संस्थापक महाप्रभु वल्लभाचार्य ने श्रीनाथजी की पूजा की शुरुआत की थी. श्रीनाथजी मंदिर की दीवारें और गुंबद नक्काशीदार भगवान के भव्य स्वरूप को और भी मनोहारी बनाते हैं. भगवान की भव्य मूर्ति और उनका दिव्य श्रृंगार भगवान श्रीनाथजी के दर्शन के लिए भव्य पोशाक, आभूषण, और विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”रेलवे यात्रियों से जुड़ी बड़ी खबर, दो साप्ताहिक ट्रेनों के संचालन में विस्तार, जानें शेड्यूल” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/indian-railways-gave-relief-2-weekly-special-trains-operating-period-extended-know-schedule-ann-2814699″ target=”_self”>रेलवे यात्रियों से जुड़ी बड़ी खबर, दो साप्ताहिक ट्रेनों के संचालन में विस्तार, जानें शेड्यूल</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Bharatpur News:</strong> राजस्थान के भरतपुर संभाग के भरतपुर और डीग को भी बृज क्षेत्र माना जाता है. डीग जिले में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं और अवतार का प्रमाण मिलता है. उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के गोवर्धन स्थित गिरिराज जी की परिक्रमा का 21 किलोमीटर का मार्ग है, जिसमें साढ़े 19 किमी उत्तर प्रदेश में और डेढ़ किलोमीटर मार्ग राजस्थान के डीग जिले में आता है. गिरिराज जी की राजस्थान सीमा में पड़ने वाले डेढ़ किमी मार्ग में पूंछरी का लौठा स्थित है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी पूंछरी का लौठा और यहां स्थित श्रीनाथजी के परम भक्त हैं. यहां सीएम सहित कई बड़े बड़े मंत्री दर्शन करने आते हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद भजनलाल शर्मा ने अपने पहले बजट के माध्यम से भगवान गिरिराज जी व श्रीनाथजी के स्थल पूंछरी का लौठा को विकसित करने की घोषणा की है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विकसित करने की की गई घोषणा&nbsp;</strong><br />मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री बनने से पहले से यहां पर नियमित दर्शन व पूजा करने आते हैं. अंतरिम बजट में राजस्थान के अन्य धार्मिक स्थलों के साथ ही पूंछरी का लौठा को शामिल कर विकसित करने की घोषणा की गई. सभी धार्मिक स्थलों के विकास पर 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिन में पांच बार पूजा और आरती&nbsp;</strong><br />पूंछरी का लौठा स्थित श्रीनाथजी मंदिर में दिन में पांच बार भगवान श्रीनाथजी की पूजा और आरती की जाती है. मंगला आरती, श्रृंगार दर्शन, राजभोग आरती, संध्या आरती और शयन आरती जैसे विशेष पूजन यहां किए जाते हैं. श्रीनाथजी मंदिर में प्रत्येक आरती के समय भक्तों की भीड़ उमड़ती है. मंदिर में भोग अर्पण की परंपरा भी अत्यंत प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान को विभिन्न प्रकार के पकवान अर्पित किए जाते हैं. भगवान को “56 भोग” का भोग लगाया जाता है, जिसे भक्तगण प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>श्रीनाथजी मंदिर में वर्षभर कई बड़े उत्सव और मेलों का आयोजन होता है. विशेष रूप से व्रज की होली, जन्माष्टमी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव के दौरान यहां भक्तों सैलाब उमड़ता है. होली के समय यहां फूलों की होली खेली जाती है, जो विशेष रूप से प्रसिद्ध है. जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का भव्य आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं. अन्नकूट महोत्सव में भगवान को विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाता है और उसे प्रसाद रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या कहना है श्रीनाथजी के महंत का?</strong><br />श्रीनाथ जी मंदिर के मुख्य महंत चंदू मुखिया जी ने बताया कि वल्लभ संप्रदाय के संस्थापक महाप्रभु वल्लभाचार्य ने श्रीनाथजी की पूजा की शुरुआत की थी. श्रीनाथजी मंदिर की दीवारें और गुंबद नक्काशीदार भगवान के भव्य स्वरूप को और भी मनोहारी बनाते हैं. भगवान की भव्य मूर्ति और उनका दिव्य श्रृंगार भगवान श्रीनाथजी के दर्शन के लिए भव्य पोशाक, आभूषण, और विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया जाता है.</p>
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