धान की लिफ्टिंग व DAP कमी के मुद्दे को लेकर संघर्ष पर चल रही भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने अब अपनी स्ट्रेटजी बदली है। यूनियन ने आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों-मंत्रियों और भाजपा नेताओं के घरों के बाहर 16 दिन से चल रहे पक्के मोर्चे खत्म करने का फैसला लिया है। यूनियन ने तय किया है कि अब चार विधानसभा सीटों बरनाला, गिद्दड़बाहा, चब्बेवाल व डेरा बाबा नानक में आप और भाजपा द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों के घरों के बाहर पक्का मोर्चा लगाया जाएगा। यूनियन के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने इस चीज ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि तीन तारीख को जिला स्तर पर बड़ी मीटिंग की जाएंगी। वहीं, चार नवंबर से धरने लगाने की तैयारी है। हालांकि 25 टोल प्लाजा पहले की तरह फ्री रहेंगे। जब उनसे पूछा गया कि क्या उम्मीदवारों को घेरकर सवाल जबाव भी किए जाएंगे, तो उनका कहना था कि इस में बारे भी विचार किया जा सकता है। धान की लिफ्टिंग से संतुष्ट नहीं है उगराहां ने बताया कि राज्य की मंडियों में धान लिफ्टिंग व डीएपी की कमी का मामला केंद्र की भाजपा और पंजाब की सरकार से जुड़ा हुआ है। अभी तक यूनियन धान की लिफ्टिंग के मामले से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में अब संघर्ष की रणनीति बदली है। उन्होंने साफ किया है कि 25 टोल प्लाजा पहले की तरह फ्री रहेंगे। अब कुल 33 जगह पर संघर्ष चलेगा। जबकि 25 जगह आप नेता ( विधायक व मंत्री) व भाजपा नेताओं के घरों से मोर्चे हटाए जाएंगे। उन्होंने अन्य किसान यूनियनों को कहा कि 20 से 22 टोल प्लाजा शेष रह गए हैं। ऐसे में वह उन्हें बंद कर दें, ताकि सरकार पर प्रेशर बनाया जा सकें। अब किसान मंडियों में एक्टिव होंगे नेता किसान नेताओं ने बताया कि जो किसान पहले मंत्रियों और नेताओं के घरों के बाहर पक्के मोर्चे पर बैठे थे। वह अब अपने एरिया की मंडियों में जाएंगे। वहां पर देखेंगे कि किसी तरह की किसानों को काेई दिक्कत तो नहीं आ रही है। अगर कोई दिक्कत होती है तो मौके पर ऐक्शन लिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो अधिकारियों का घेराव तक किया जाएंगा। याद रहे कि संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक भी संघर्ष पर चल रहा है। वह पांच हाईवे के किनारे पर बैठा हुआ है। मोर्चा पहले ही साफ कर चुका है कि जरूरत पड़ी तो भी सड़कों पर आने से नहीं रुकेंगे। इससे पहले मोर्चे ने हाईवे जाम किए थे, तो सरकार के कृषि गुरमीत सिंह व फूड सप्लाई मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने फगवाड़ा में पहुंचकर मीटिंग की थी। जिसके बाद किसान सड़कों से हटे थे। धान की लिफ्टिंग व DAP कमी के मुद्दे को लेकर संघर्ष पर चल रही भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने अब अपनी स्ट्रेटजी बदली है। यूनियन ने आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों-मंत्रियों और भाजपा नेताओं के घरों के बाहर 16 दिन से चल रहे पक्के मोर्चे खत्म करने का फैसला लिया है। यूनियन ने तय किया है कि अब चार विधानसभा सीटों बरनाला, गिद्दड़बाहा, चब्बेवाल व डेरा बाबा नानक में आप और भाजपा द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों के घरों के बाहर पक्का मोर्चा लगाया जाएगा। यूनियन के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने इस चीज ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि तीन तारीख को जिला स्तर पर बड़ी मीटिंग की जाएंगी। वहीं, चार नवंबर से धरने लगाने की तैयारी है। हालांकि 25 टोल प्लाजा पहले की तरह फ्री रहेंगे। जब उनसे पूछा गया कि क्या उम्मीदवारों को घेरकर सवाल जबाव भी किए जाएंगे, तो उनका कहना था कि इस में बारे भी विचार किया जा सकता है। धान की लिफ्टिंग से संतुष्ट नहीं है उगराहां ने बताया कि राज्य की मंडियों में धान लिफ्टिंग व डीएपी की कमी का मामला केंद्र की भाजपा और पंजाब की सरकार से जुड़ा हुआ है। अभी तक यूनियन धान की लिफ्टिंग के मामले से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में अब संघर्ष की रणनीति बदली है। उन्होंने साफ किया है कि 25 टोल प्लाजा पहले की तरह फ्री रहेंगे। अब कुल 33 जगह पर संघर्ष चलेगा। जबकि 25 जगह आप नेता ( विधायक व मंत्री) व भाजपा नेताओं के घरों से मोर्चे हटाए जाएंगे। उन्होंने अन्य किसान यूनियनों को कहा कि 20 से 22 टोल प्लाजा शेष रह गए हैं। ऐसे में वह उन्हें बंद कर दें, ताकि सरकार पर प्रेशर बनाया जा सकें। अब किसान मंडियों में एक्टिव होंगे नेता किसान नेताओं ने बताया कि जो किसान पहले मंत्रियों और नेताओं के घरों के बाहर पक्के मोर्चे पर बैठे थे। वह अब अपने एरिया की मंडियों में जाएंगे। वहां पर देखेंगे कि किसी तरह की किसानों को काेई दिक्कत तो नहीं आ रही है। अगर कोई दिक्कत होती है तो मौके पर ऐक्शन लिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो अधिकारियों का घेराव तक किया जाएंगा। याद रहे कि संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक भी संघर्ष पर चल रहा है। वह पांच हाईवे के किनारे पर बैठा हुआ है। मोर्चा पहले ही साफ कर चुका है कि जरूरत पड़ी तो भी सड़कों पर आने से नहीं रुकेंगे। इससे पहले मोर्चे ने हाईवे जाम किए थे, तो सरकार के कृषि गुरमीत सिंह व फूड सप्लाई मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने फगवाड़ा में पहुंचकर मीटिंग की थी। जिसके बाद किसान सड़कों से हटे थे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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