<p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News:</strong> हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बुधवार को राजभवन में ‘नशीले पदार्थों के सेवन से निपटने में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका’ पर आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला की शुरुआत की. यह कार्यशाला पंचायती राज विभाग की ओर से आयोजित करवाई जा रही है. इस कार्यशाला में 150 पंचायत प्रतिनिधि और 40 मास्टर ट्रेनर हिस्सा ले रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश पंचायती राज विभाग की कोशिश है कि पुलिस और प्रशासन के साथ नशा रोकने के लिए पंचायत प्रतिनिधि भी अपना योगदान दें. राज्यपाल ने पंचायती राज विभाग को इस महत्वपूर्ण कदम के लिए शुभकामनाएं दी. साथ ही राज्यपाल ने नशा मुक्ति केंद्र में अवैध रूप से बेहद आसानी के साथ उपलब्ध होने वाले नशे के समान को लेकर चिंता जाहिर की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने जाहिर की चिंता</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि राज्य में कुछ इस तरह के भी नशा मुक्ति केंद्र हैं, जहां आसानी से नशा उपलब्ध हो रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग सभी लोग इस बात को जानते हैं. राज्यपाल ने कहा कि किसी गलती को मानने में गुरेज नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे मानकर समाधान की दिशा में आगे बढ़ाने की जरूरत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यपाल ने इसके लिए जिला ऊना का उदाहरण दिया, जहां उन्हें निरीक्षण के दौरान इस बात की जानकारी हासिल हुई थी. राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भी नशा निवारण के लिए सरकार ने एक संकल्प पारित किया था. राज्यपाल चाहते हैं कि सरकार की ओर से ऐसे नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएं, जो सरकार के अधीन हों और वहां नशे की गर्त में फंस चुके लोगों को बाहर निकलने का काम किया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नशे से निपटने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग जरूरी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि नशे की बुराई से निपटने में पंचायती राज संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और जनप्रतिनिधि के तौर पर वे लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों से जागरूक कर सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश में नशे के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. इसकी वजह से सामाजिक मूल्य नष्ट हो जाते हैं. इसकी वजह से ही ज्वाइंट फैमिली टूट रही हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस नशे पर रोक लगाने के लिए प्रभावी काम कर रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज्य सरकार चलाए नशा मुक्ति केंद्र </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों को भी लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका निभानी चाहिए और प्रदेश सरकार को नशा निवारण केंद्र संचालित करने चाहिए. उन्होंने कहा कि पंचायतें स्थानीय कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवा देने वालों के साथ मिलकर काम कर लोगों को सुरक्षित वातावरण देती हैं. इसके बाद राज्यपाल ने राज्य स्तरीय मास्टर प्रशिक्षकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार में पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी मौजूद थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/congress-entire-party-unit-dissolved-in-himachal-pradesh-2817987″>कांग्रेस का बड़ा फैसला, हिमाचल प्रदेश में पार्टी की पूरी इकाई भंग की, खत्म होगी गुटबाजी?</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News:</strong> हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बुधवार को राजभवन में ‘नशीले पदार्थों के सेवन से निपटने में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका’ पर आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला की शुरुआत की. यह कार्यशाला पंचायती राज विभाग की ओर से आयोजित करवाई जा रही है. इस कार्यशाला में 150 पंचायत प्रतिनिधि और 40 मास्टर ट्रेनर हिस्सा ले रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश पंचायती राज विभाग की कोशिश है कि पुलिस और प्रशासन के साथ नशा रोकने के लिए पंचायत प्रतिनिधि भी अपना योगदान दें. राज्यपाल ने पंचायती राज विभाग को इस महत्वपूर्ण कदम के लिए शुभकामनाएं दी. साथ ही राज्यपाल ने नशा मुक्ति केंद्र में अवैध रूप से बेहद आसानी के साथ उपलब्ध होने वाले नशे के समान को लेकर चिंता जाहिर की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने जाहिर की चिंता</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि राज्य में कुछ इस तरह के भी नशा मुक्ति केंद्र हैं, जहां आसानी से नशा उपलब्ध हो रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग सभी लोग इस बात को जानते हैं. राज्यपाल ने कहा कि किसी गलती को मानने में गुरेज नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे मानकर समाधान की दिशा में आगे बढ़ाने की जरूरत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यपाल ने इसके लिए जिला ऊना का उदाहरण दिया, जहां उन्हें निरीक्षण के दौरान इस बात की जानकारी हासिल हुई थी. राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भी नशा निवारण के लिए सरकार ने एक संकल्प पारित किया था. राज्यपाल चाहते हैं कि सरकार की ओर से ऐसे नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएं, जो सरकार के अधीन हों और वहां नशे की गर्त में फंस चुके लोगों को बाहर निकलने का काम किया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नशे से निपटने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग जरूरी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि नशे की बुराई से निपटने में पंचायती राज संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और जनप्रतिनिधि के तौर पर वे लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों से जागरूक कर सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश में नशे के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. इसकी वजह से सामाजिक मूल्य नष्ट हो जाते हैं. इसकी वजह से ही ज्वाइंट फैमिली टूट रही हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस नशे पर रोक लगाने के लिए प्रभावी काम कर रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज्य सरकार चलाए नशा मुक्ति केंद्र </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों को भी लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका निभानी चाहिए और प्रदेश सरकार को नशा निवारण केंद्र संचालित करने चाहिए. उन्होंने कहा कि पंचायतें स्थानीय कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवा देने वालों के साथ मिलकर काम कर लोगों को सुरक्षित वातावरण देती हैं. इसके बाद राज्यपाल ने राज्य स्तरीय मास्टर प्रशिक्षकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार में पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी मौजूद थे.</p>
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