सीएम योगी ने मुजफ्फरनगर में कहा- सपा और कांग्रेस में तलाक हो गया है। अब इनमें खटपट शुरू हो गई है। अब सपा को सपाचट करना है। लोकसभा चुनाव वक्त इन्होंने कहा था खटाखट-खटाखट…किसी को इसका लाभ मिला क्या? एक बार मैं मुजफ्फरनगर आया था, तब एक नौजवान भीड़ से कह रहा था कि जिस गाड़ी पर सपा का झंडा, समझो बैठा है कोई गुंडा….आज मैं कह सकता हूं, जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई। योगी मीरापुर के मोरना में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा- आप ने कन्नौज और अयोध्या में देखा होगा, ये इनका नया ब्रांड है। ये बेटी-बहन की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले लोग हैं। योगी के साथ रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने मंच साझा किया। उन्होंने कहा- योगी राज में कोई पक्षपात नहीं है। अगर कोई अपराध करेगा तो उसे नियम के अनुसार दंड मिलेगा। ये नियम संसद में बनते हैं, जो लोग कहते हैं कि कानून खतरे में है, वो लोग कानून की धज्जियां उड़ाने में सबसे आगे रहते हैं। सीएम की बड़ी बातें पढ़िए… 1- इनका प्रत्याशी दंगों का सरगना
ये वही सपा पार्टी है, जिनका प्रत्याशी मुजफ्फरनगर दंगे का सरगना है। इनके पास हथियारों का जखीरा बरामद हुआ था। तब के सपा मुखिया और आज के सपा मुखिया ने उन दंगाइयों को अपने आवास में सम्मानित किया। पश्चिमी यूपी को सपा कहां ले गई थी, बेटी और बहन सुरक्षित नहीं थी, किसान परेशान था, नौजवान पलायन कर रहा था। व्यापारी यूपी छोड़ने को मजबूर था। सपा समाज को बांटकर सत्ता चला रही थी। साढ़े सात साल से NDA सरकार सत्ता में है। कोई बेटी-बहन के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता। आरोपियों को पता है कि उन्हें कीमत चुकानी पड़ेगी। 2- आपके त्योहार से सपा को पीड़ा
आपका त्योहार आता है, तो पीड़ा सपा को होती है कि कैसे सुख-शांति से त्योहार मना लेंगे। निर्वाचन आयोग ने 13 तारीख चुनाव की तिथि घोषित की थी। सभी ने इसे आगे बढ़ाने की अपील की थी। क्योंकि हमारे पश्चिमी यूपी के सभी जिले के लोग गंगा स्नान करने जाते हैं। वहां रुकते हैं, उनकी आस्था का सम्मान हो। निर्वाचन आयोग ने इस आस्था का सम्मान किया, लेकिन सपा ने विरोध किया। 3- सोशल मीडिया हैंडल पर घटिया बातें
आप सपा के सोशल मीडिया हैंडल को देखिए, कितनी घटिया बातें करते हैं। ये इनकी सोच को दिखाता है। डबल इंजन की सरकार किसी को खिलवाड़ नहीं करने देखी, सुरक्षा में किसी को सेंध नहीं लगाने देगी, इसकी मैं गारंटी देता हूं। 4- हमें गुंडे और दंगाई नहीं चाहिए
हमें गुंडे और दंगाई नहीं चाहिए, विकास के बैरियर को हटाने वाले लोग चाहिए। बेटी-बहन का सम्मान करने वाले लोग चाहिए। भाजपा और रालोद आपको यह गांरटी देने आई है कि यह काम केवल हम करेंगे। क्योंकि हमारे आदर्श चौधरी चरण सिंह जी हैं, हमारे आदर्श धर्म सिंह कोतवाल जैसे महान क्रांतिकारी हैं। 22 साल में जितना गन्ना मूल्य भुगतान हुआ, उससे ज्यादा हमने 7.5 साल में किसानों के खातों में भेजा है। 5- जल्द आएगा पुलिस भर्ती का रिजल्ट
60 हजार पुलिस भर्ती का परिणाम आने वाला है, यहां का युवा खेलता है, जो पहले मेडल लाते थे, अब इन जिलों के युवा बड़ी संख्या में भर्ती होते हैं। खिलाड़ियों के लिए नई पॉलिसी बनाई गई है। जो हमारे लिए देश के लिए मेडल जीतते हैं, उन्हें हम मेडल भी देते हैं और रुपए भी। 6- खिलाड़ियों के लिए नई नीति बनी
पुलिस भर्ती और खिलाड़ियों के लिए नई नीति बनाई है। खिलाड़ियों के लिए भी नई नीति तैयार की जा रही है, ताकि वे खेलों में बेहतर प्रदर्शन कर सकें और प्रदेश का नाम रोशन कर सकें। हमारे आदर्श चौधरी चरण सिंह और धर्म सिंह कोतवाल हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में हम किसी मजहब नहीं, बल्कि देश की सेवा में जुटे हैं। मीरापुर का समीकरण समझिए… मीरापुर में मुस्लिम, जाट और दलित वोटर जीत-हार तय करते रहे हैं। इस बार आरएलडी ने जहां हिंदू उम्मीदवार मैदान में उतारा है। वहीं प्रमुख विपक्षी दलों के उम्मीदवार मुस्लिम बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं। आरएलडी से मिथिलेश पाल प्रत्याशी हैं, तो सपा से सुम्बुल राणा प्रत्याशी हैं। बसपा ने शाह नजर को प्रत्याशी बनाया है। मीरापुर में कुल वोटरों की संख्या 3 लाख 25 हजार है। इनमें से 1 लाख 30 हज़ार के करीब मुस्लिम वोटर हैं। दलित वोटर करीब 50 हजार हैं। जाट मतदाताओं की संख्या करीब 35 हजार है। पाल वोटर 20 हजार हैं। सैनी 20 हजार हैं। गुर्जर लगभग 18 हजार हैं। दूसरी बिरादरियों के वोटरों की संख्या लगभग 50 हजार मानी जाती है। यहां कभी दलित-मुस्लिम तो कभी जाट-मुस्लिम का समीकरण जिताऊ साबित होता है। रालोद-सपा का रण
माना जा रहा है कि मीरापुर में लड़ाई दो महिलाओं के बीच है। बीजेपी की सहयोगी आरएलडी ने पूर्व विधायक मिथिलेश पाल को मैदान में उतारा है। वहीं सपा ने पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू और बसपा के वरिष्ठ नेता मुनकाद अली की बेटी सुम्बुल राणा पर भरोसा जताया है। 2022 के चुनाव में जाट-मुस्लिम समीकरण ने आरएलडी को जिताया था। लेकिन इस बार परिस्थितियां कुछ अलग हैं। मीरापुर सीट वर्चस्व साबित करने की सीट हो गई है। अगर आरएलडी जीती तो इलाके में वो अपना प्रभाव साबित कर लेगी। लेकिन अगर सपा जीत गई तो आरएलडी की पिछली जीत के बाद बढ़े प्रभाव पर पानी फिर सकता है। अगर कोई तीसरा जीता तो ये साफ हो जाएगा कि मीरापुर हर चुनाव में नए समीकरण से ही अपना विधायक चुनकर सदन भेजता है। सीएम योगी ने मुजफ्फरनगर में कहा- सपा और कांग्रेस में तलाक हो गया है। अब इनमें खटपट शुरू हो गई है। अब सपा को सपाचट करना है। लोकसभा चुनाव वक्त इन्होंने कहा था खटाखट-खटाखट…किसी को इसका लाभ मिला क्या? एक बार मैं मुजफ्फरनगर आया था, तब एक नौजवान भीड़ से कह रहा था कि जिस गाड़ी पर सपा का झंडा, समझो बैठा है कोई गुंडा….आज मैं कह सकता हूं, जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई। योगी मीरापुर के मोरना में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा- आप ने कन्नौज और अयोध्या में देखा होगा, ये इनका नया ब्रांड है। ये बेटी-बहन की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले लोग हैं। योगी के साथ रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने मंच साझा किया। उन्होंने कहा- योगी राज में कोई पक्षपात नहीं है। अगर कोई अपराध करेगा तो उसे नियम के अनुसार दंड मिलेगा। ये नियम संसद में बनते हैं, जो लोग कहते हैं कि कानून खतरे में है, वो लोग कानून की धज्जियां उड़ाने में सबसे आगे रहते हैं। सीएम की बड़ी बातें पढ़िए… 1- इनका प्रत्याशी दंगों का सरगना
ये वही सपा पार्टी है, जिनका प्रत्याशी मुजफ्फरनगर दंगे का सरगना है। इनके पास हथियारों का जखीरा बरामद हुआ था। तब के सपा मुखिया और आज के सपा मुखिया ने उन दंगाइयों को अपने आवास में सम्मानित किया। पश्चिमी यूपी को सपा कहां ले गई थी, बेटी और बहन सुरक्षित नहीं थी, किसान परेशान था, नौजवान पलायन कर रहा था। व्यापारी यूपी छोड़ने को मजबूर था। सपा समाज को बांटकर सत्ता चला रही थी। साढ़े सात साल से NDA सरकार सत्ता में है। कोई बेटी-बहन के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता। आरोपियों को पता है कि उन्हें कीमत चुकानी पड़ेगी। 2- आपके त्योहार से सपा को पीड़ा
आपका त्योहार आता है, तो पीड़ा सपा को होती है कि कैसे सुख-शांति से त्योहार मना लेंगे। निर्वाचन आयोग ने 13 तारीख चुनाव की तिथि घोषित की थी। सभी ने इसे आगे बढ़ाने की अपील की थी। क्योंकि हमारे पश्चिमी यूपी के सभी जिले के लोग गंगा स्नान करने जाते हैं। वहां रुकते हैं, उनकी आस्था का सम्मान हो। निर्वाचन आयोग ने इस आस्था का सम्मान किया, लेकिन सपा ने विरोध किया। 3- सोशल मीडिया हैंडल पर घटिया बातें
आप सपा के सोशल मीडिया हैंडल को देखिए, कितनी घटिया बातें करते हैं। ये इनकी सोच को दिखाता है। डबल इंजन की सरकार किसी को खिलवाड़ नहीं करने देखी, सुरक्षा में किसी को सेंध नहीं लगाने देगी, इसकी मैं गारंटी देता हूं। 4- हमें गुंडे और दंगाई नहीं चाहिए
हमें गुंडे और दंगाई नहीं चाहिए, विकास के बैरियर को हटाने वाले लोग चाहिए। बेटी-बहन का सम्मान करने वाले लोग चाहिए। भाजपा और रालोद आपको यह गांरटी देने आई है कि यह काम केवल हम करेंगे। क्योंकि हमारे आदर्श चौधरी चरण सिंह जी हैं, हमारे आदर्श धर्म सिंह कोतवाल जैसे महान क्रांतिकारी हैं। 22 साल में जितना गन्ना मूल्य भुगतान हुआ, उससे ज्यादा हमने 7.5 साल में किसानों के खातों में भेजा है। 5- जल्द आएगा पुलिस भर्ती का रिजल्ट
60 हजार पुलिस भर्ती का परिणाम आने वाला है, यहां का युवा खेलता है, जो पहले मेडल लाते थे, अब इन जिलों के युवा बड़ी संख्या में भर्ती होते हैं। खिलाड़ियों के लिए नई पॉलिसी बनाई गई है। जो हमारे लिए देश के लिए मेडल जीतते हैं, उन्हें हम मेडल भी देते हैं और रुपए भी। 6- खिलाड़ियों के लिए नई नीति बनी
पुलिस भर्ती और खिलाड़ियों के लिए नई नीति बनाई है। खिलाड़ियों के लिए भी नई नीति तैयार की जा रही है, ताकि वे खेलों में बेहतर प्रदर्शन कर सकें और प्रदेश का नाम रोशन कर सकें। हमारे आदर्श चौधरी चरण सिंह और धर्म सिंह कोतवाल हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में हम किसी मजहब नहीं, बल्कि देश की सेवा में जुटे हैं। मीरापुर का समीकरण समझिए… मीरापुर में मुस्लिम, जाट और दलित वोटर जीत-हार तय करते रहे हैं। इस बार आरएलडी ने जहां हिंदू उम्मीदवार मैदान में उतारा है। वहीं प्रमुख विपक्षी दलों के उम्मीदवार मुस्लिम बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं। आरएलडी से मिथिलेश पाल प्रत्याशी हैं, तो सपा से सुम्बुल राणा प्रत्याशी हैं। बसपा ने शाह नजर को प्रत्याशी बनाया है। मीरापुर में कुल वोटरों की संख्या 3 लाख 25 हजार है। इनमें से 1 लाख 30 हज़ार के करीब मुस्लिम वोटर हैं। दलित वोटर करीब 50 हजार हैं। जाट मतदाताओं की संख्या करीब 35 हजार है। पाल वोटर 20 हजार हैं। सैनी 20 हजार हैं। गुर्जर लगभग 18 हजार हैं। दूसरी बिरादरियों के वोटरों की संख्या लगभग 50 हजार मानी जाती है। यहां कभी दलित-मुस्लिम तो कभी जाट-मुस्लिम का समीकरण जिताऊ साबित होता है। रालोद-सपा का रण
माना जा रहा है कि मीरापुर में लड़ाई दो महिलाओं के बीच है। बीजेपी की सहयोगी आरएलडी ने पूर्व विधायक मिथिलेश पाल को मैदान में उतारा है। वहीं सपा ने पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू और बसपा के वरिष्ठ नेता मुनकाद अली की बेटी सुम्बुल राणा पर भरोसा जताया है। 2022 के चुनाव में जाट-मुस्लिम समीकरण ने आरएलडी को जिताया था। लेकिन इस बार परिस्थितियां कुछ अलग हैं। मीरापुर सीट वर्चस्व साबित करने की सीट हो गई है। अगर आरएलडी जीती तो इलाके में वो अपना प्रभाव साबित कर लेगी। लेकिन अगर सपा जीत गई तो आरएलडी की पिछली जीत के बाद बढ़े प्रभाव पर पानी फिर सकता है। अगर कोई तीसरा जीता तो ये साफ हो जाएगा कि मीरापुर हर चुनाव में नए समीकरण से ही अपना विधायक चुनकर सदन भेजता है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर