<p style=”text-align: justify;”><strong>Prayagraj News:</strong> प्रयागराज में कुछ दिन पहले दो गुटों के बीच मारपीट की हुई थी.अब मारपीट से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है.मारपीट के मामले में दोनों गुट नरम पड़ गए है.बता दें कि 24 घंटे के अंदर दोनों गुटों के बीच सहमति बन गई है.एक दूसरे के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किए जाने की कार्रवाई के लिए दिया गया प्रार्थना पत्र वापस लेने की सहमति बन गई है.दोनों गुटों ने मेलाधिकारी महाकुंभ को लिखित पत्र सौंपा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पत्र में कार्रवाई करने के लिए दिया गया प्रार्थना पत्र वापस लेने और कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की मांग भी की गई है.एडीएम महाकुंभ विवेक चतुर्वेदी के मुताबिक मारपीट का विवाद अब शांत हो गया है.दोनों पक्ष अब एक दूसरे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं.संत महात्माओं ने अखाड़े की मर्यादा और सनातन धर्म की परंपरा को देखते हुए एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’यह घर का मामला है'</strong><br />दोनों गुट इस बात पर सहमत हुए हैं कि 2025 का महाकुंभ एक साथ मिलकर दिव्यता और भव्यता के साथ करेंगे.अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट के महामंत्री और निर्मोही अनि अखाड़े के महंत राजेंद्र दास ने भी विवाद खत्म होने की बात कही है.जबकि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा है कि यह घर का मामला है.जहां छोटे बड़े संत रहते हैं वहां छोटे-बड़े विवाद हो जाते हैं.इसलिए इस मुद्दे को ज्यादा तूल देना उचित नहीं है</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’हमारा आपस में समझौता हो गया’ </strong><br />उन्होंने यह भी कहा कि हमारा आपस में समझौता हो गया है. महाकुंभ अच्छे से हो सभी संत महात्मा यही चाहते हैं. सभी संत महात्मा एकजुट थे एकजुट हैं और एकजुट रहेंगे.वहीं अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने मीडिया पर विवाद को तूल देने का ठीकरा फोड़ा है. कोई ऐसी लड़ाई संतों के बीच नहीं हुई थी कि किसी का सिर फट जाए हाथ टूट जाए.मीडिया के पास कोई बड़ी खबर नहीं थी इसलिए इस मामले को तूल दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> सभागार जंग का मैदान बन गया था</strong><br />मेला प्राधिकरण ने गुरुवार को अखाड़ा परिषद के दोनों गुटों को बैठक के लिए बुलाया था.इसी बैठक में एक गुट के महामंत्री महंत राजेंद्र दास और दूसरे गुटके अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी, महामंत्री हरि गिरी और जूना अखाड़े के अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि के बीच विवाद हो गया था.देखते ही देखे मेला प्राधिकरण का सभागार जंग का मैदान बन गया था.मेलाअधिकारी विजय किरन आनंद और मेला पुलिस को बीच बचाव करना पड़ा था.इसके बाद दोनों गुटों ने एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई के लिए आवेदन दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अखाड़ों के दोनों गुट अभी अलग-अलग</strong><br /> मेला प्रशासन की सूझबूझ और मध्यस्थता के चलते अब पूरा विवाद खत्म होता दिख रहा है.हालांकि अखाड़ों के दोनों गुट अभी अलग-अलग हैं. दोनों गुटों में फिलहाल एकता की कोई गुंजाइश भी नजर नहीं आ रही है.मेला प्रशासन की पहल से सिर्फ मारपीट के मामले में एक दूसरे के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं करने की सहमति बनी है. इसी सहमति के तहत दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई का प्रार्थना पत्र वापस लेने का फैसला किया है. परिषद के एक गुट में सात अखाड़े हैं दूसरे गुट में 6 अखाड़े हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/aligarh-muslim-university-students-celebrated-after-supreme-court-restores-amu-minority-status-ann-2819407″>सुप्रीम कोर्ट ने किया AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल, छात्रों ने तिरंगे के साथ मनाया जश्न</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Prayagraj News:</strong> प्रयागराज में कुछ दिन पहले दो गुटों के बीच मारपीट की हुई थी.अब मारपीट से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है.मारपीट के मामले में दोनों गुट नरम पड़ गए है.बता दें कि 24 घंटे के अंदर दोनों गुटों के बीच सहमति बन गई है.एक दूसरे के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किए जाने की कार्रवाई के लिए दिया गया प्रार्थना पत्र वापस लेने की सहमति बन गई है.दोनों गुटों ने मेलाधिकारी महाकुंभ को लिखित पत्र सौंपा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पत्र में कार्रवाई करने के लिए दिया गया प्रार्थना पत्र वापस लेने और कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की मांग भी की गई है.एडीएम महाकुंभ विवेक चतुर्वेदी के मुताबिक मारपीट का विवाद अब शांत हो गया है.दोनों पक्ष अब एक दूसरे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं.संत महात्माओं ने अखाड़े की मर्यादा और सनातन धर्म की परंपरा को देखते हुए एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’यह घर का मामला है'</strong><br />दोनों गुट इस बात पर सहमत हुए हैं कि 2025 का महाकुंभ एक साथ मिलकर दिव्यता और भव्यता के साथ करेंगे.अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट के महामंत्री और निर्मोही अनि अखाड़े के महंत राजेंद्र दास ने भी विवाद खत्म होने की बात कही है.जबकि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा है कि यह घर का मामला है.जहां छोटे बड़े संत रहते हैं वहां छोटे-बड़े विवाद हो जाते हैं.इसलिए इस मुद्दे को ज्यादा तूल देना उचित नहीं है</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’हमारा आपस में समझौता हो गया’ </strong><br />उन्होंने यह भी कहा कि हमारा आपस में समझौता हो गया है. महाकुंभ अच्छे से हो सभी संत महात्मा यही चाहते हैं. सभी संत महात्मा एकजुट थे एकजुट हैं और एकजुट रहेंगे.वहीं अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने मीडिया पर विवाद को तूल देने का ठीकरा फोड़ा है. कोई ऐसी लड़ाई संतों के बीच नहीं हुई थी कि किसी का सिर फट जाए हाथ टूट जाए.मीडिया के पास कोई बड़ी खबर नहीं थी इसलिए इस मामले को तूल दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> सभागार जंग का मैदान बन गया था</strong><br />मेला प्राधिकरण ने गुरुवार को अखाड़ा परिषद के दोनों गुटों को बैठक के लिए बुलाया था.इसी बैठक में एक गुट के महामंत्री महंत राजेंद्र दास और दूसरे गुटके अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी, महामंत्री हरि गिरी और जूना अखाड़े के अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि के बीच विवाद हो गया था.देखते ही देखे मेला प्राधिकरण का सभागार जंग का मैदान बन गया था.मेलाअधिकारी विजय किरन आनंद और मेला पुलिस को बीच बचाव करना पड़ा था.इसके बाद दोनों गुटों ने एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई के लिए आवेदन दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अखाड़ों के दोनों गुट अभी अलग-अलग</strong><br /> मेला प्रशासन की सूझबूझ और मध्यस्थता के चलते अब पूरा विवाद खत्म होता दिख रहा है.हालांकि अखाड़ों के दोनों गुट अभी अलग-अलग हैं. दोनों गुटों में फिलहाल एकता की कोई गुंजाइश भी नजर नहीं आ रही है.मेला प्रशासन की पहल से सिर्फ मारपीट के मामले में एक दूसरे के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं करने की सहमति बनी है. इसी सहमति के तहत दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई का प्रार्थना पत्र वापस लेने का फैसला किया है. परिषद के एक गुट में सात अखाड़े हैं दूसरे गुट में 6 अखाड़े हैं.</p>
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