हमीरपुर जिले के दियोटसिद्ध स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में हुए बकरा नीलामी गड़बड़ मामले में मंदिर प्रशासन ने जूनियर असिस्टेंट मनोज कुमार को सस्पेंड कर दिया है। बीते रोज उनका तबादला मॉडल स्कूल चकमोह कर दिया गया था। अब सस्पेंड होने के बाद हेड क्वार्टर कमिश्नर टेंपल और डीसी हमीरपुर फिक्स किया गया है। सोमवार शाम को जारी सस्पेंशन ऑर्डर्स में बड़सर के एसडीएम और ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार गौतम ने कहा है कि मनोज बगैर इजाजत के फिक्स किए गए हेडक्वार्टर्स को नहीं छोड़ सकते। सस्पेंशन के समय उन्हें मिलने वाले भत्ते और वेतन में भी कटौती की गई है। बकरा नीलामी मामले पर ट्रस्ट प्रशासन ने बैठाई जांच गौरतलब है कि 2 दिन पहले मंदिर परिसर में हुए बकरा नीलामी मामले में गड़बड़ी की चर्चा हुई थी। जिस पर ट्रस्ट प्रशासन ने जांच बैठा दी है। इसी सिलसिले में मुख्य रूप से मनोज के खिलाफ शुरुआती कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। क्या है मामला…? दरअसल, बकरा नीलामी को लेकर जो आरोप लगे हैं। उसमें बगैर सक्षम अधिकारी की मौजूदगी के यह बोली हो गई। अहम बात यह है कि 60 हजार में यदि 35 बकरों की नीलामी की गई है तो फिर गड़बड़ी हुई कहां है? इसी की जांच होनी है। श्रद्धालुओं द्वारा छोटे-छोटे मेमने चढ़ाए जाते हैं। इस मंदिर में इनकी पूजा अर्चना होती है। लेकिन इन्हें मंदिर प्रशासन अपने पास ज्यादा दिनों तक नहीं रख सकता। इसीलिए नीलामी के जरिए इन्हें बेच दिया जाता है। इसकी परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। इसके लिए कमेटी बनी हुई है। जो रेगुलर आधार पर इनकी नीलामी करती है। अब नीलामी कमेटी की कार्रवाई में ‘खोट’ कहां निकला है? इसी की जांच बड़सर के तहसीलदार करेंगे। क्या सही मायनों में नीलामी के समय कोई चूक हुई भी है या फिर नहीं? इसका खुलासा तो जांच में ही होगा। हमीरपुर जिले के दियोटसिद्ध स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में हुए बकरा नीलामी गड़बड़ मामले में मंदिर प्रशासन ने जूनियर असिस्टेंट मनोज कुमार को सस्पेंड कर दिया है। बीते रोज उनका तबादला मॉडल स्कूल चकमोह कर दिया गया था। अब सस्पेंड होने के बाद हेड क्वार्टर कमिश्नर टेंपल और डीसी हमीरपुर फिक्स किया गया है। सोमवार शाम को जारी सस्पेंशन ऑर्डर्स में बड़सर के एसडीएम और ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार गौतम ने कहा है कि मनोज बगैर इजाजत के फिक्स किए गए हेडक्वार्टर्स को नहीं छोड़ सकते। सस्पेंशन के समय उन्हें मिलने वाले भत्ते और वेतन में भी कटौती की गई है। बकरा नीलामी मामले पर ट्रस्ट प्रशासन ने बैठाई जांच गौरतलब है कि 2 दिन पहले मंदिर परिसर में हुए बकरा नीलामी मामले में गड़बड़ी की चर्चा हुई थी। जिस पर ट्रस्ट प्रशासन ने जांच बैठा दी है। इसी सिलसिले में मुख्य रूप से मनोज के खिलाफ शुरुआती कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। क्या है मामला…? दरअसल, बकरा नीलामी को लेकर जो आरोप लगे हैं। उसमें बगैर सक्षम अधिकारी की मौजूदगी के यह बोली हो गई। अहम बात यह है कि 60 हजार में यदि 35 बकरों की नीलामी की गई है तो फिर गड़बड़ी हुई कहां है? इसी की जांच होनी है। श्रद्धालुओं द्वारा छोटे-छोटे मेमने चढ़ाए जाते हैं। इस मंदिर में इनकी पूजा अर्चना होती है। लेकिन इन्हें मंदिर प्रशासन अपने पास ज्यादा दिनों तक नहीं रख सकता। इसीलिए नीलामी के जरिए इन्हें बेच दिया जाता है। इसकी परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। इसके लिए कमेटी बनी हुई है। जो रेगुलर आधार पर इनकी नीलामी करती है। अब नीलामी कमेटी की कार्रवाई में ‘खोट’ कहां निकला है? इसी की जांच बड़सर के तहसीलदार करेंगे। क्या सही मायनों में नीलामी के समय कोई चूक हुई भी है या फिर नहीं? इसका खुलासा तो जांच में ही होगा। हिमाचल | दैनिक भास्कर
Related Posts
हिमाचल में दुग्ध उत्पादकों का प्रदर्शन:दत्तनगर के मिल्क प्लांट बाहर जुटे; सरकार द्वारा तय रेट के हिसाब से दाम नहीं मिलने से नाराज
हिमाचल में दुग्ध उत्पादकों का प्रदर्शन:दत्तनगर के मिल्क प्लांट बाहर जुटे; सरकार द्वारा तय रेट के हिसाब से दाम नहीं मिलने से नाराज हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के रामपुर में बड़ी संख्या में लोगों ने सोमवार को दत्तनगर के मिल्क प्लांट के बाहर प्रदर्शन किया। इसमें निरमंड, रामपुर, ननखड़ी, आनी और नारकंडा के पशुपालक शामिल हुए। दत्तनगर मिल्क प्लांट के बाहर पशुपालकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो और उग्र आंदोलन किया जाएगा। हिमाचल दुग्ध उत्पादक संघ के राज्य संयोजक प्रेम चौहान और राज्य सह संयोजक रणजीत ठाकुर ने कहा कि दुग्ध उत्पादक दूध के उचित दाम नहीं मिलने से परेशान है। सरकार द्वारा तय रेट के हिसाब से 3.3 प्रतिशत फैट व 7.3 प्रतिशत एसएनएफ दूध का मूल्य 30.57 रुपए है, जबकि 5.5 प्रतिशत फैट व 8.5 प्रतिशत एसएनएफ वाले दूध का रेट 47.93 रुपए तय हैं। मगर सरकार द्वारा तय इन रेट के हिसाब से दुग्ध उत्पादकों को दाम नहीं मिल रहे। प्रदर्शन के दौरान पशुपालकों ने सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने, सभी दुग्ध सोसाइटियों में दूध की गुणवत्ता को मापने के टेस्टिंग मशीन देने, दूध की पेमेंट हर माह 10 तारीख से पहले देने, सभी सोसाइटियों में फीड उपलब्ध करवाने और दत्त नगर मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट का कार्य शीघ्र पूरा करने की मांग उठाई है। हाशिए पर पशुपालक: प्रेम चौहान प्रेम चौहान ने कहा कि प्रदेश की 90 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है। कृषि और बागवानी यहां का मुख्य व्यवसाय है। साथ साथ पशु पालन भी ग्रामीणों की आजीविका का साधन है। बावजूद इसके पशुपालन हाशिए पर है। उनकी सुनवाई नहीं हो रही। जो किसान-पशुपालन से जुड़े हैं और अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूध बेचते हैं, उन्हें दूध का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है।
हिमाचल में भूकंप के झटके:लाहौल स्पीति में आधी रात को 3 बार हिली धरती, तीव्रता 3.2 मापी गई, कोई हताहत नहीं
हिमाचल में भूकंप के झटके:लाहौल स्पीति में आधी रात को 3 बार हिली धरती, तीव्रता 3.2 मापी गई, कोई हताहत नहीं हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहौल स्पीति में बुधवार आधी रात को भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.2 मापी गई। जमीन के अंदर इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) के मुताबिक, रात 1:11 बजे तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। तीव्रता कम होने के कारण किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। लाहौल स्पीति जिला जोन 5 में आता है, जो भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। अब जानिए भूकंप क्यों आते हैं? पृथ्वी की सतह मुख्य रूप से 7 बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है। ये प्लेटें लगातार तैरती रहती हैं और कभी-कभी आपस में टकराती हैं। टकराव के कारण कभी-कभी प्लेटों के कोने मुड़ जाते हैं और अत्यधिक दबाव के कारण ये प्लेटें टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकलने वाली ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोज लेती है और इस गड़बड़ी के बाद भूकंप आता है।
चंबा में चौकीदार 12 हजार की रिश्वत के साथ गिरफ्तार:चराई परमिट रिन्यू करने को मांगी रिश्वत, अधिकारी-कर्मचारी भी आ सकते हैं लपेटे में
चंबा में चौकीदार 12 हजार की रिश्वत के साथ गिरफ्तार:चराई परमिट रिन्यू करने को मांगी रिश्वत, अधिकारी-कर्मचारी भी आ सकते हैं लपेटे में हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला के दुर्गम क्षेत्र तीसा में विजिलेंस ने वन विभाग के चौकीदार को 12 हजार रुपए की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया। विजिलेंस ने बीती शाम चराई परमिट रिन्यू करने की एवज में रिश्वत मांगी थी। विजिलेंस ने आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारक कानून के तहत मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। सूचना के अनुसार, मोजूदीन पुत्र लाला राम निवासी गांव नंगल भूर ने शिकायत की कि वन परिक्षेत्र तीसा का वन चौकीदार जगद सिंह उसकी भैंसों के चराई परमिट के लिए वन अधिकारियों की मिलीभगत से 12 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा है। उसने पहले भी गूगल-पे से 9 हजार रुपए वन अधिकारियों के नाम पर लिए थे। इस शिकायत पर चंबा की विजिलेंस टीम ने जाल बिछाया और तीसा के पास आरोपी को 12 हजार रुपए की रिश्वत के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया। कई अधिकारी-कर्मचारी जांच के लपेटे में आ सकते हैं सूत्रों की माने तो विजिलेंस ने आरोपी को दलाल के रूप में मान रही है। ऐसे में जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे उन वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर भी शिकंजा कस सकता है, जिनके नाम पर पैसे लिया गया, क्योंकि शिकायतकर्ता ने भी अधिकारियों के शामिल होने का अंदेशा जताया है। ऐसे में चौकीदार के साथ साथ अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं। विजिलेंस संबंधित अधिकारियों के बैंक खातों व संपत्ति की जांच कर सकती है, ताकि चराई परमिट के नाम पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सके। एएसपी चंबा अभिमन्यु वर्मा ने बताया, आरोपी से पूछताछ जारी है।