केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (CDRI) और KGMU मिलकर मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों की पहचान के लिए किट विकिसत करेंगे। इसमें डेंगू के अलावा चिकनगुनिया, जीका वायरस की जांच किट शामिल है। बुधवार को दोनों संस्थानों के बीच किट विकसित करने के लेकर करार हुआ। वन वीक वन थीम के तहत आयोजन बुधवार को CDRI में वन वीक वन थीम के तहत किफायती स्वास्थ्य देखभाल के लिए भारत की अनुसंधान एवं विकास प्राथमिकताएं विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सेन शर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से सुधार हो रहा है। बीमारियों के इलाज, रोकथाम पर काम हो रहा है। इन-हाउस प्रोब डेवलप करने पर जोर CDRI की निदेशक डॉ.राधा रंगराजन ने भारत के स्वास्थ्य देखभाल लक्ष्यों के साथ अनुसंधान और विकास के लिए सहयोगी मंच के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि CDRI और KGMU के बीच आर्बोवायरल (डेंगु, चिकनगुनिया, जीका वायरस) संक्रमणों के लिए इन-हाउस टैकमैन जैसी प्रोब आधारित RT-PCR डिटेक्शन किट विकसित की जाएगी। इससे जुड़े प्रोजेक्ट के लिए दोनों संस्थाओं के बीच करार हुआ। परियोजना प्रमुख डॉ.अतुल गोयल, डॉ.आशीष अरोड़ा, डॉ.नीति कुमार के साथ मिलकर CDRI से प्रोब का विकास करेंगे। जबकि KGMU की डीन व माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. अमिता जैन और उनकी टीम रोगी नमूनों पर किट का परीक्षण और सत्यापन करेंगी। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (CDRI) और KGMU मिलकर मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों की पहचान के लिए किट विकिसत करेंगे। इसमें डेंगू के अलावा चिकनगुनिया, जीका वायरस की जांच किट शामिल है। बुधवार को दोनों संस्थानों के बीच किट विकसित करने के लेकर करार हुआ। वन वीक वन थीम के तहत आयोजन बुधवार को CDRI में वन वीक वन थीम के तहत किफायती स्वास्थ्य देखभाल के लिए भारत की अनुसंधान एवं विकास प्राथमिकताएं विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सेन शर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से सुधार हो रहा है। बीमारियों के इलाज, रोकथाम पर काम हो रहा है। इन-हाउस प्रोब डेवलप करने पर जोर CDRI की निदेशक डॉ.राधा रंगराजन ने भारत के स्वास्थ्य देखभाल लक्ष्यों के साथ अनुसंधान और विकास के लिए सहयोगी मंच के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि CDRI और KGMU के बीच आर्बोवायरल (डेंगु, चिकनगुनिया, जीका वायरस) संक्रमणों के लिए इन-हाउस टैकमैन जैसी प्रोब आधारित RT-PCR डिटेक्शन किट विकसित की जाएगी। इससे जुड़े प्रोजेक्ट के लिए दोनों संस्थाओं के बीच करार हुआ। परियोजना प्रमुख डॉ.अतुल गोयल, डॉ.आशीष अरोड़ा, डॉ.नीति कुमार के साथ मिलकर CDRI से प्रोब का विकास करेंगे। जबकि KGMU की डीन व माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. अमिता जैन और उनकी टीम रोगी नमूनों पर किट का परीक्षण और सत्यापन करेंगी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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संसद में अखिलेश के भाषण पर भड़क गए अमित शाह:वक्फ बिल पर कहा- गोलमोल बातें नहीं कर सकते हैं; स्पीकर सबके हैं
संसद में अखिलेश के भाषण पर भड़क गए अमित शाह:वक्फ बिल पर कहा- गोलमोल बातें नहीं कर सकते हैं; स्पीकर सबके हैं संसद में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को वक्फ संशोधन बिल पेश किया। रिजिजू ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने का भी प्रस्ताव रखा। बिल का कांग्रेस, सपा, NCP (शरद पवार), AIMIM, TMC, CPI (M), IUML, DMK, RSP ने विरोध किया। इस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बहस भी हुई। अखिलेश यादव ने लोकसभा स्पीकर से कहा, महोदय मैंने सुना है कि कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं। आप लोकतंत्र के न्यायाधीश हैं। मैंने सुना है इस लॉबी में कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं। इसलिए हम सब को आपके लिए भी लड़ना पड़ेगा। अखिलेश की बातें सुनते ही अमित शाह ने उन्हें टोका। कहा- स्पीकर महोदय, ये (अखिलेश) आसन का अपमान कर रहे हैं। अध्यक्ष के अधिकार सिर्फ विपक्ष का नहीं हम सब का है। आप (अखिलेश) इस तरह की गोलमोल बातें नहीं कर सकते हैं। आप अध्यक्ष के अधिकार के सरंक्षक नहीं हैं। अखिलेश बोले- वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम को शामिल करना गलत बिल के विरोध में अखिलेश यादव ने कहा, ये सोची समझी राजनीति के तहत हो रहा है। जब लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाने की पहले से प्रक्रिया है तो उसे नॉमिनेट के जरिए क्यों किया जा रहा है। अन्य धार्मिक बॉडी जो भी है, उसमें गैर बिरादरी का कोई नहीं आता है। वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम को शामिल करना क्या उचित है? अखिलेश ने कहा, अगर जिलाधिकारी को सब ताकत दे देंगे तो आपको पता है कि एक जगह पर जिलाधिकारी ने क्या किया था? उसका असर आने वाली पीढ़ी तक को भुगतना पड़ा। उसे आज यहां नहीं छेड़ना चाहता हूं। मैं नाम नहीं लेना चाहता हूं। बीजेपी अपनी हताश, निराश और चंद कट्टर समर्थकों के तुष्टिकरण के लिए ये बिल लाने का काम कर रही है। इमरान मसूद ने कहा- डीएम राज लाना चाहते हैं कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा- वक्फ बोर्ड मस्जिदों का प्रबंधन करता है। आप वक्फ की ताकत खत्म करके डीएम राज लाना चाहते हैं। वक्फ की प्रॉपर्टी को कब्जा मुक्त कराकर यह बिल लाना चाहिए था। विपक्ष हमेशा विरोध करता है: हेमा मालिनी भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा, विपक्ष हमेशा विरोध करता है, यही उनका काम है। वे अच्छी चीजों को भी बुरा बताते हैं। पीएम कई अच्छी योजनाएं लाए हैं, लेकिन वे कहते हैं कि ये सभी चीजें गलत हैं। अवधेश प्रसाद बोले- यह बिल संविधान का उल्लंघन फैजाबाद (अयोध्या) से सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा- जमीन हड़पना और जमीन बनाने का कारोबार पूरे देश में (केंद्र सरकार) कर रहे हैं। अगर आप संविधान का अनुच्छेद 26 देखेंगे तो उसमें जो प्रावधान है, यह बिल उसके खिलाफ है। यह बिल संविधान का उल्लंघन है। सदन में सरकार पर बरसे रामपुर सांसद मोहिबुल्ला
वक्फ(संशोधन) बिल पर रामपुर से सपा सांसद इमाम मोहिबुल्ला ने कहा- महोदय मैं इकलौता व्यक्ति हूं जो सरकार के द्वारा बनाई गई वन मैन कमेटी में पेश हुआ, 123 प्रॉपर्टी मामले में। जस्टिस आर्यन ने जो रिपोर्ट पेश की वो आज तक वक्फ बोर्ड को नहीं बताया गया। क्योंकि वो आपकी मंशा के खिलाफ थी। जब वन मैन कमेटी सरकार के मुताबिक नहीं हुई तो टू मैन कमिटी बनाई गई। टू मैन कमेटी ने भी कोई रिपोर्ट वक्फ बोर्ड को नहीं दी। जबकि वक्फ एक्ट 1995 संसद से पारित एक्ट है। राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया हिंदू एंडोमेंट में जो कर्नाटक और तमिलनाडु में है, वहां कोई मुस्लिम नहीं हो सकता। यह आर्टिकल 26 का वायलेशन है। चार धाम में लिखा है कि सिर्फ हिंदू होगा। बिहार और उड़ीसा में भी यही लिखा हुआ है। पंजाब हरियाणा में गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी में भी लिखा है कि सिर्फ सिख होगा। यह उनका अधिकार है जिसे माना गया है, लेकिन मुस्लिम के साथ यह अन्याय क्यों है। दुनिया का सबसे पहला वक्फ काबा है। जो मक्का में है। क्या हम उस पर भी सवाल उठाएंगे की वहां कोई हमारा हिन्दू भाई हो। हम अपने संविधान को खुद पैरों तले रौंद रहे हैं। वक्फ मुसलमानों की धार्मिक प्रक्रिया है। इससे उन्हें कोई ताकत वंचित नहीं कर सकती। इससे संविधान की मूल आत्मा को खत्म हो जाएगी
यह हम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं, जिसका खामियाज़ा हम अभी नहीं सदियों तक भुगतते रहेंगे। इस विधेयक को मैंने पूरा पढ़ा है, इसमें जो 40 संशोधन है वह सभी गलत है। इसके जरिये सारे अधिकार डीएम को दिया जा रहा है। जो मेरे धर्म से संबंधित जो चीजें हैं उसे कोई दूसरा कैसे तय करेगा। इस कानून के ज़रिए हम दूसरे धर्म मे हस्तक्षेप कर रहे हैं। इस तरह के कानून से हम लोग संविधान की मूल आत्मा को खत्म कर देंगे। अगर यह होगा तो कोई भी अल्पसंख्यक अपने आप को देश में सुरक्षित महसूस नहीं करेगी। 10 साल से देश में जो अल्पसंख्यकों के साथ उनके अधिकारों के साथ उनके धार्मिक स्वतंत्रता के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है उससे रूह कांप जाती है। कहीं ऐसा न हो कि जनता इन अधिकारों को बचाने के दोबारा सड़कों पर आ जाए। मायावती बोलीं- सरकार जल्दबाजी न करे
बसपा प्रमुख मायावती ने लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल को लेकर लगातार तीन ट्वीट किया। उन्होंने लिखा-आज संसद में पेश वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जिस प्रकार से संदेह, आशंकाएं व आपत्तियां सामने आई हैं, उसे देखते हुए इस बिल को बेहतर विचार के लिए सदन की स्थायी (स्टैंडिंग) समिति को भेजना उचित होगा। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार अगर जल्दबाजी न करे तो बेहतर होगा। मन्दिर-मस्जिद, जाति, धर्म व साम्प्रदायिक उन्माद आदि की आड़ में कांग्रेस व भाजपा आदि ने बहुत राजनीति कर ली और उसका चुनावी लाभ भी काफी उठा लिया। अब देश में गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन और खत्म हो रहे आरक्षण आदि पर ध्यान केन्द्रित करके सच्ची देशभक्ति साबित करने का समय है। केन्द्र व यूपी सरकार द्वारा मस्जिद, मदरसा, वक्फ आदि मामलों में जबरदस्ती की दख़लंदाजी तथा मन्दिर व मठ जैसे धार्मिक मामलों में अति-दिलचस्पी लेना संविधान व उसकी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त के विपरीत अर्थात ऐसी संकीर्ण व स्वार्थ की राजनीति क्या जरूरी? सरकार राष्ट्रधर्म निभाए। यूपी में वक्फ एक्ट में संशोधन का बड़ा असर पड़ेगा। मुरादाबाद में सुन्नी वक्फ की सबसे अधिक 10 हजार संपत्ति, शिया की लखनऊ में। पढ़िए भास्कर पड़ताल… ‘क्या ताजमहल और लाल किला जैसी ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ संपत्ति घोषित कर देना चाहिए?’ ये सवाल जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने उठाया। कोर्ट बुरहानपुर में मुगल बादशाह शाहजहां की बहू बीबी साहिब और नादिरशाह के मकबरे को लेकर सुनवाई कर रहा था। बेंच ने कहा- अगर कोई इमारत प्राचीन स्मारक घोषित है तो उसे वक्फ की संपत्ति बताना बेमानी है। हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे वक्त आया है, जब केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा में वक्फ बिल पेश किया। इस एक्ट पर बहस छिड़ी हुई है। अगर सरकार एक्ट में संशोधन करती है तो सबसे बड़ा असर उत्तर प्रदेश में देखने को मिलेगा। यूपी में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां और इससे जुड़े विवाद हैं। दैनिक भास्कर ने यूपी में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर पड़ताल की। यूपी में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड की कुल 2.32 लाख संपत्तियां हैं। इनमें सुन्नी वक्फ बोर्ड की सबसे ज्यादा मुरादाबाद में 10,386 संपत्तियां हैं, जबकि शिया वक्फ बोर्ड की मुरादाबाद में 3603 संपत्तियां हैं। ऐसे में सवाल उठना वाजिब है कि यूपी में वक्फ की क्या स्थिति है? इसका क्या असर पड़ेगा? आखिर क्या है वक्फ एक्ट? कब बना? कब संशोधन हुआ और अब क्या नया होने की उम्मीद है। पढ़िए… सबसे पहले जानते हैं कि वक्फ क्या है?
वक्फ अरबी भाषा के वकु़फ़ा शब्द से बना है। इसका अर्थ है- रोकना या पकड़ना या बांधना। वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की ओर से वक्फ की गई संपत्तियों, धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और नियमों का पालन करने के लिए बनाया गया कानून है। रिटायर्ड जस्टिस बीडी नकवी बताते हैं- वक्फ एक ट्रस्ट है। इस ट्रस्ट का मालिक अल्लाह होता है। जो संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर दी जाती है, वह संपत्ति ट्रांसफर नहीं की जा सकती। संपत्ति चल या अचल दोनों रूप में हो सकती है। जिस तरह मंदिर की संपत्ति का मालिक भगवान होता है। उसी तरह वक्फ की संपत्ति का मालिक अल्लाह होता है। वक्फ दो तरह के होते हैं। एक वक्फ अलल औलाद और दूसरा वक्फ अलल खैर। वक्फ अलल औलाद में संपत्ति आने वाली पीढ़ी को दी जाती है। पीढ़ी का कोई भी सदस्य उसे बेच नहीं सकता है। संपत्ति का एक हिस्सा चैरिटी के लिए होता है। एक वक्फ के पास एक से अधिक संपत्ति हो सकती है। इन संपत्तियों का उपयोग व्यवसाय और मदरसों के लिए किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड का क्या काम है?
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी बताते हैं- वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का मालिक नहीं, बल्कि चौकीदार होता है। वह किसी भी संपत्ति का मालिक नहीं होता, बल्कि इस्लाम धर्म के अनुसार धार्मिक क्रिया-कलापों के लिए दान की गई संपत्ति की देखरेख करता है। बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग धार्मिक और चैरिटेबल के कामों के लिए हो रहा है। वक्फ बोर्ड के पास वक्फ संपत्तियों का सर्वे करने और उन पर नियंत्रण रखने का अधिकार है। इसके लिए अलग-अलग वक्फ के मुतवल्ली की नियुक्ति की जाती है, जिसके कामों की समय-समय पर समीक्षा होती है। कोर्ट में 405 मामले लंबित
यदि किसी संपत्ति पर कोई विवाद होता है तो उसे पहले वक्फ बोर्ड अपने स्तर से देखता है। वक्फ बोर्ड के फैसले से असंतुष्ट होने पर ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकती है। ट्रिब्यूनल के फैसले से असंतुष्ट होने पर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है। मसलन- उत्तर प्रदेश में वक्फ से संबंधित 26 मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट की इलाहाबाद बेंच में लंबित हैं। 71 मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में लंबित हैं। वक्फ ट्रिब्यूनल के पास 308 मामले लंबित हैं। इनमें ज्यादातर मामले कब्जे को लेकर हैं। उत्तर प्रदेश में वक्फ के पास कुल कितनी संपत्ति है?
प्रदेश में दो वक्फ बोर्ड है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड। शिया वक्फ बोर्ड के पास कुल 7,275 वक्फ हैं। इनकी संपत्ति 15,376 बताई गई हैं। अधिकतर संपत्ति किराए पर दी हुई हैं। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी कहते हैं कि पहले यहां का राजस्व 37 लाख रुपए सालाना का था, जो बढ़कर अब 1 करोड़ 27 लाख रुपए हो गया है। इसी तरह सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास कुल 1,24,735 वक्फ हैं। इन वक्फ के पास कुल 2,17,161 अचल संपत्तियां हैं। वक्फ मामलों के जानकार और हाईकोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पैरोकार आफताब अहमद बताते हैं- जिस समय वक्फ एक्ट बना, उस समय वक्फ संपत्तियां तो चिन्हित कर ली गईं, लेकिन अधिकतर संपत्ति की चौहद्दी तक का पता नहीं था। वक्फ बोर्ड के पास फिलहाल ऐसा कोई डाटा नहीं है, जिसमें यह बताया जा सके कि कितनी संपत्ति से किराए पर है और कितनी संपत्ति पर अवैध कब्जा है। यह भी बताना मुश्किल है कि वक्फ के पास जो संपत्तियां हैं, उसकी मालियत कितनी है। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन कहते हैं कि वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम आफ इंडिया यानी WAMSI पोर्टल पर उपलब्ध डाटा अंतिम नहीं है। संपत्तियों का आंकड़ा एकत्र किया जा रहा है, जिसे समय समय पर अपडेट कराया जाता है। अब कम वक्फ की जाती हैं संपत्तियां
मौजूदा समय में जो भी वक्फ की संपत्ति है, उसमें से 80 प्रतिशत 1947 से पहले की है। 1947 के बाद जब जमींदारी उन्मूलन कानून आया, उस समय काफी संपत्ति वक्फ की गईं। उसके बाद से बड़ी संपत्तियों के बजाय मस्जिद और इमामबाड़े वक्फ होते रहे हैं। पहला वक्फ अधिनियम 1954 में पारित किया गया था। पहला संशोधन 1995 में हुआ और फिर 2013 में दूसरी बार एक्ट में संशोधन किया गया। क्या पड़ेगा असर: अभी संशोधन का पूरा ड्राफ्ट सामने नहीं आया है। ऐसे में अधिकतर लोगों का मानना है कि बिना ड्राफ्ट का अध्ययन करे, इस विषय पर कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी। तीन महीने की छुट्टी पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन
सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन लंबी छुट्टी पर हैं। उनके स्थान पर कामकाज संभालने की जिम्मेदारी अदनान फार्रुख की है, जो गोरखपुर के रहने वाले हैं। इस संबंध इन दोनों से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों ही लोगों के मोबाइल स्विच आफ थे। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के सेक्रेटरी ने इस विषय पर कोई भी बात करने से मना कर दिया। यह भी पढ़ें:- विनेश के ससुर का बड़ा आरोप-बृजभूषण और सरकार की साजिश: सिर के बाल कटवा देते तो 100 ग्राम कम हो जाता; अखिलेश ने कहा-जांच कराई जाए भारतीय रेसलर विनेश फोगाट के ससुर राजपाल राठी ने केंद्र सरकार और कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा- विनेश के साथ राजनीतिक साजिश की जा रही है। 100 ग्राम वजन तो 10 मिनट में कम हो सकता है। पढ़ें पूरी खबर…
Bihar News: सुधाकर सिंह ने बिहार के दोनों डिप्टी सीएम को बताया ‘रावण’, कहा- ‘नीतीश कुमार समझते हैं’
Bihar News: सुधाकर सिंह ने बिहार के दोनों डिप्टी सीएम को बताया ‘रावण’, कहा- ‘नीतीश कुमार समझते हैं’ <p style=”text-align: justify;”><strong>MP Sudhakar Singh Claims Victory In Ramgarh:</strong> आरजेडी नेता और बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह ने रविवार (28 अक्टूबर) को भारतीय जनता पार्टी पर करारा हमला बोला है. उन्होंने आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए बिहार के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को रावण का अवतार बताया. उन्होंने ये भी बताया कि सीएम नीतीश कुमार ने रावण वध के दिन धनुष तीर क्यों फेंक दिया, क्योंकि वो जानते थे कि असली रावण उनके दोनों तरफ खड़े हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नीतीश कुमार पर क्या बोले सुधाकर सिंह?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सांसद सुधाकर सिंह ने यहीं नहीं रूके उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार समझ चुके हैं कि रावण के नकली पुतले को मारने से काम नहीं चलेगा, उनके अगल-बगल जो बीजेपी रूपी रावण खड़े हैं पहले उनको मारना होगा. </p>
<blockquote class=”twitter-tweet” data-media-max-width=”560″>
<p dir=”ltr” lang=”en”>VIDEO | “One thing is very clear, on the day of Dussehra this year during the burning of effigy of Ravana, why CM Nitish Kumar threw the bow, and arrow? Who was standing on both of his sides? He understood that original Ravana is around him as BJP leaders, and nothing would be… <a href=”https://t.co/SknnBHlSfM”>pic.twitter.com/SknnBHlSfM</a></p>
— Press Trust of India (@PTI_News) <a href=”https://twitter.com/PTI_News/status/1850455160096800911?ref_src=twsrc%5Etfw”>October 27, 2024</a></blockquote>
<p>
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</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने उपचुनाव में महागठबंधन की जीत का दावा करते हुए जेडीयू और जनसुराज के लोगों को चुनावी बरसाती मेंढक बताया. कहा ये लोग अपने फायदे के लिए रामगढ़ आए हैं. हमारे लिए तो किसानों के घर में ही खाना-नाश्ता होता है. रामगढ़ समाजवादियों का गढ़ है. किसानों का गढ़ है. जो लोग चुनौती पेश कर रहे हैं, उन्हें फिर हार का सामना करना पड़ेगा. वे फिर चुनाव हारेंगे. उन्होंने कहा कि चुनाव एकदम साफ है. अपार बहुमत से आरजेडी की यहां जीत होगी. उनकी तमाम बातें और व्याख्यान इस इलाके में निर्थक हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जन सुराज के दावे भी होंगे फेल- सुधाकर सिंह </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि उपचुनाव में रामगढ़ से आरजेडी ने सुधाकर सिंह के भाई और जगदानंद सिंह के बेटे अजीत कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जिनकी जीत का दावा रामगढ़ में किया जा रहा है. सुधाकर सिंह का मानना है कि जन सुराज के दावे भी यहां फेल होंगे और आरजेडी भारी बहुमत से जीतेगी. दरअसल रामगढ़ आरजेडी की मजबूत पकड़ वाली सीट मानी जाती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-union-minister-lallan-singh-attack-on-tejaswi-yadav-and-lalu-yadav-over-nitish-kumar-selling-liquor-ann-2811736″>Bihar News: ‘लालू यादव देश के सबसे बड़े पाखंडी’, ललन सिंह ने तेजस्वी यादव को क्या कहा?</a></strong></p>
कासगंज SP बोल रही हूं, दोनों ज्वैलर्स को अरेस्ट करो:आगरा में DCP के PRO को दिया आदेश; 2 घंटे बाद पता चला ठग थी युवती
कासगंज SP बोल रही हूं, दोनों ज्वैलर्स को अरेस्ट करो:आगरा में DCP के PRO को दिया आदेश; 2 घंटे बाद पता चला ठग थी युवती हैलो…मैं कासगंज एसपी अपर्णा रजत कौशिक बोल रही हूं। सुन रहे हो। जल्दी करो। वो दोनों चोरी के जेवर बेचने जा रहे हैं। फोटो भेज रही हूं, जल्दी से उन्हें पकड़ो। आगरा के DCP ईस्ट अतुल शर्मा के PRO को एक युवती ने फोन पर यह आदेश दिया। इसके बाद PRO ने खैरागढ़ इंस्पेक्टर देवकरण को मामला ट्रांसफर कर दिया। पुलिस ने दोनों ज्वैलर्स को डिटेन कर लिया। उनको थाने लाया गया। सूचना मिलने पर क्षेत्र के व्यापारी और भाजपा नेता मौके पर पहुंच गए और हंगामा करने लगे। दो घंटे तक पुलिस मामले से जूझती रही। इसके बाद पता चला कि फेक कॉल से दोनों ज्वैलर्स को फंसाया गया। खैरागढ़ थाना क्षेत्र के इस मामले का ऑडियो भी सामने आया है। PRO एक्टिव हुए, खैरागढ़ इंस्पेक्टर को दे दिया नंबर
खैरागढ़ पुलिस बालाजी ज्वैलर्स के मालिक ललित अग्रवाल और केदारनाथ दामोदर दास ज्वैलर्स के मालिक राहुल वर्मा को पकड़कर थाने ले गई। दोनों से कहा गया कि कासगंज SP के निर्देश पर यह कार्रवाई हो रही है। दरअसल, एक युवती ने कासगंज एसपी बनकर DCP (आगरा ईस्ट) के PRO को फोन किया और दोनों ज्वैलर्स को गिरफ्तार करने को कहा। आदेश मिलते ही PRO एक्टिव हो गए। उन्होंने तत्काल खैरागढ़ थाने के इंस्पेक्टर को फोन कर युवती का नंबर दिया। साथ ही कहा- कासगंज एसपी मैडम का फोन है। बात करो। इंस्पेक्टर ने तुरंत कॉल करते हुए कहा- जय हिंद मैडम। आदेश कीजिए। युवती ने दोनों ज्वैलर्स की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए। आदेश के तुरंत बाद इंस्पेक्टर के साथ फोर्स बताई गई लोकेशन पर पहुंच गई। दोनों ज्वैलर्स को डिटेन कर थाने ले आए। थाने पर हुआ हंगामा, पुलिस ने दोनों को छोड़ दिया
दो ज्वैलर्स की गिरफ्तारी की खबर पूरे बाजार में फैल गई। रात करीब 9 बजे व्यापारियों ने बाजार बंद कर दिया। इसके बाद भाजपा नेताओं के साथ कई कारोबारी थाने पहुंच गए। थाने लाए गए दोनों ज्वैलर्स चोरी का माल खरीदने से इनकार कर रहे थे। इस पर भाजपा नेता और व्यापारियों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके चलते पुलिस ने दोनों ज्वैलर्स को छोड़ दिया। यह बात जब खुद को कासगंज एसपी बताने वाली युवती को पता चली, तो उसने अपना लहजा सख्त कर लिया। दोनों ज्वैलर्स के पास फोन आने लगे। उनसे कहा गया- मैं कासगंज से पुलिस टीम भेज रही हूं। साथ ही खैरागढ़ पुलिस टीम के वॉट्सऐप पर दोनों के सुपुर्दगी के प्रपत्र भी भेजे गए। मामला अभी भी रुका नहीं था। खैरागढ़ इंस्पेक्टर ने यह बात जब अपने अधिकारियों को बताई, तब जाकर पूरे मामले का खुलासा हुआ। पता चला कि यह फेक कॉल है। बोलीं- बाहर आ गए न, अब पैसे भेज दो
दोनों ज्वैलर्स के पास कुछ देर बाद फिर से उसी युवती का फोन आया। इस बार दोनों से पैसों की डिमांड की जाने लगी। युवती ने फोन पर पूछा- बाहर आ गए। अब क्या करना है? घर कितनी देर में पहुंचोगे? क्या व्यवस्था करोगे? कितने पैसे दोगे? मैं एक नंबर दे रही हूं, उस पर पैसे भेजो। फिर कहने लगी कि वॉट्सऐप पर ‘हाय’ लिखकर भेजो। उसी पर पैसे भेजने हैं। ज्वैलर्स ने कहा, हमारे पास छोटे वाले मोबाइल हैं। इस पर युवती उन्हें धमकाने लगी। फिर से जेल भेजने की बात करने लगी। इस पूरी बातचीत की ज्वैलर्स ने कॉल रिकॉर्डिंग भी की, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। राहुल वर्मा की तबीयत बिगड़ी
इतना सब कुछ होने के बाद ज्वैलर राहुल वर्मा की तबीयत खराब हो गई। बुधवार को घरवालों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। उनके बेटे प्रशांत वर्मा ने कहा- कल शाम खैरागढ़ थाने से इंस्पेक्टर आए थे। उन्होंने कहा कि कासगंज एसपी से बात कर लो। फिर एक युवती ने पापा से बात की। कहा, मार्च में कासगंज में एक महिला ने चोरी की है। तुम लोगों ने चोरी के जेवर खरीदे हैं। इसके बाद हम लोगों से 14 हजार रुपए की डिमांड की गई। यही डिमांड ललित वर्मा अंकल से भी हुई। इसके बाद पुलिस पापा को थाने ले गई। हम लोगों ने थाने में तहरीर दी है। पुलिस ने FIR भी लिख ली है। इस मामले में ACP इमरान अहमद ने कहा- DCP पूर्वी के PRO से फोन पर एक महिला ने खुद को एसपी कासगंज अपर्णा रजत कौशिक बताते हुए SHO खैरागढ़ से बात कराने को कहा। इसकी जानकारी खैरागढ़ को दी गई। इसके बाद यह पूरा मामला हुआ। दोनों ज्वैलर्स से सिर्फ पूछताछ की गई। इसके बाद दोनों को घर जाने को कह दिया गया। एसीपी ने कहा- इसके बाद महिला ने फिर से दोनों व्यापारियों को फोन कर धमकी दी और पैसे मांगे। तब जाकर पूरे फ्रॉड का खुलासा हुआ। सर्विलांस और साइबर क्राइम टीम को एक्टिव किया गया है। केस दर्ज हो गया है। जल्द से जल्द आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।